आईसीएआर-सीआईआरजी में इंडस्ट्री-फार्मर-साइंटिस्ट इंटरफेस और ISSGPUCON-2025 का सफल आयोजन ।

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम में छोटे जुगाली करने वाले पशुओं की उत्पादकता और सतत विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इंडस्ट्री-फार्मर-साइंटिस्ट इंटरफेस का आयोजन किया गया । यह कार्यक्रम इस्गप्पू के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ISSGPUCON-2025) के अंतर्गत आयोजित किया गयाजिसमें पशुपालन में नवीनतम तकनीकी नवाचारों और उनके प्रभाव पर चर्चा की गई ।

 

संस्थान के निदेशकडॉ. मनीष कुमार चेटलीने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि छोटे जुगाली पशुओं के उत्पादन में नवीनतम तकनीकों और नवाचारों को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। इससे पशुपालकों को अधिकतम लाभ प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और पशुधन उद्योग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकेगा। कार्यक्रम के दौरानडॉ. एम.के. चेटली ने "सीआईआरजी की भूमिका और छोटे जुगाली करने वाले पशुओं की मूल्य श्रृंखला को सशक्त बनाने में तकनीकी नवाचार" विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से पशुपालन को अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनाया जा सकता है। उनका व्याख्यान छोटे जुगाली पशुओं के उत्पादनउनकी देखभालस्वास्थ्य प्रबंधन और बाजार से जुड़ाव जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित था।

 

इंडस्ट्री प्रतिनिधियों में विजय फार्म्सडालमिया फाउंडेशन और एसएसबीटी एग्रोमथुरा के विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किए । इसके बाद "भारत में बकरीभेड़ और खरगोश पालन का भविष्य: चुनौतियांअवसर और सरकारी नीतियां" विषय पर पैनल चर्चा हुईजिसमें प्रमुख वैज्ञानिकों और उद्योग विशेषज्ञों ने भाग लियाजिनमें डॉ. एच.के. नरूला (आईसीएआर मुख्यालय), डॉ. एन. रामचंद्रन (एनआईएएनपीबेंगलुरु), डॉ. एम.के. त्रिपाठी (आईसीएआर मुख्यालय), डॉ. सी.पी. स्वर्णकर (सीएसडब्ल्यूआरआई), डॉ. मुकुल आनंद (दुवासु), डॉ. सेंथिल कुमारन (एएचडीतमिलनाडु), डॉ. वेट्रिवेल (पशु चिकित्सकतमिलनाडु), मंजीरी फाउंडेशन और डालमिया फाउंडेशन के प्रतिनिधि, श्री इंद्रपाल रेड्डी अड्डेला (पशुपालन विशेषज्ञ) शामिल थे । पैनल चर्चा में प्रश्न-उत्तर सत्र भी आयोजित किया गयाजहां किसानों और उद्योग प्रतिनिधियों ने वैज्ञानिकों से सीधे संवाद किया ।

 

इसी क्रम में03 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ISSGPUCON-2025 का समापन भी हुआजिसका विषय "छोटे जुगाली करने वाले पशुओं के उत्पादन में जीनोमिक इनोवेशन और सटीक कृषि की भूमिका" था ।

 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. संजय कुमार (चेयरमैनएएसआरबी) ने कहा कि "पशुपालन में जीनोमिक तकनीकों को अपनाने से किसानों की आय में वृद्धि होगी और निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी।" इसके अलावाअन्य प्रमुख वक्ताओं में डॉ. ए.के. तोमर (आईएसएसजीपीयू अध्यक्ष), डॉ. मिहिर सरकार (एनआरसी-याक निदेशक), डॉ. ए.के. गहलोत (पूर्व कुलपतिराजुवास) शामिल थे ।

कार्यक्रम के समापन सत्र में अनुसंधान रिपोर्ट प्रस्तुतिकरण और पुरस्कार वितरण किया गया । सभी अतिथियों को सम्मानित किया गयाऔर कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ ।

 

इंडस्ट्री-फार्मर-साइंटिस्ट इंटरफेस और ISSGPUCON-2025 ने वैज्ञानिकोंकिसानों और उद्योग विशे षज्ञों को एक मंच पर लाकर नवाचारसहयोग और ज्ञान विनिमय को प्रोत्साहित किया । यह आयोजन छोटे जुगाली करने वाले पशुओं के पालन और इससे जुड़े उद्योगों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ ।


Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने