उतरौला विधानसभा से पूर्व प्रत्याशी हसीब खान ने आज लखनऊ में सुन्नी बिलाली मस्जिद में अलविदा जुम्मा की नमाज अदा की और लोगों को अलविदा जुम्मा की मुबारकबाद दी। साथ ही साथ बिलाली सुन्नी मस्जिद के इमाम मौलाना अशरफ साहब और तराबी पढ़ने वाले हाफिज ए कुरान को ईद का तोहफा व मुबारकबाद दिया। हसीब खान ने कहा इस्लाम भाईचारा मोहब्बत अमन का पैगाम देता है। आज के इस नफरती की दौर में ईद के दिन अपने सभी हिंदू मुस्लिम अपने पड़ोसी सभी को बुलाकर ईद की सेवइयां खिलाएं और नफरत फैलाने वालों को दिखाएं इस्लाम क्या सीखता है। मुसलमान का अखलाक क्या है। हसीब खान ने कहा हम सब की जिम्मेदारी है ।कि ईद में सिर्फ अपने घर परिवार के लिए दो-दो तीन-तीन जोडे कपड़े बनाने का नाम ईद नहीं है ।हर मुसलमान को यह देखना होगा कम से कम दो गरीब मुसलमान को भी देखें। उसके घर कपड़े बने कि नहीं अगर अल्लाह ने आपको हैसियत दी है तो दो तीन नहीं दस बीस लोगों की मदद करें। ताकि हमारे साथ वह भी ईद मना सके। यह हर एक की जिम्मेदारी है कि कम से कम अपने अगल-बगल के पड़ोसियों के बच्चों को कपड़े बने कि नहीं उनकी ईद हो रही है कि नहीं ।अगर उनके बच्चों के कपड़े नहीं बने और आप अपने बच्चों के लिए दो-दो तीन-तीन जोडे कपड़े भले ही बना ले। लेकिन इस बात को समझ लो आप सिर्फ नाम के मुसलमान बने हैं। आपके अंदर ईमान नहीं बचा है। इसलिए सभी भाइयों से गुजारिश करता हूं कि जिसकी जो हैसियत है उसी हैसियत से अपने रिश्तेदार अड़ोस पड़ोस के लोगों की मदद करके उनको भी ईद की खुशियों में शामिल करें ।कोई जबरदस्ती नहीं है कि दस लोग या बीह लोगों की मदद करें। लेकिन हर कोई यह सोच ले की कम से कम दो गरीब की ईद में मदद करके उनको भी ईद की खुशियों में शामिल करेंगे ।तो इससे बड़ा कोई इबादत नहीं होगा ।और यही सच्ची ईद होगी।
उतरौला विधानसभा से पूर्व प्रत्याशी हसीब खान ने आज लखनऊ में सुन्नी बिलाली मस्जिद में अलविदा जुम्मा की नमाज अदा की और लोगों को अलविदा जुम्मा की मुबारकबाद दी। साथ ही साथ बिलाली सुन्नी मस्जिद के इमाम मौलाना अशरफ साहब और तराबी पढ़ने वाले हाफिज ए कुरान को ईद का तोहफा व मुबारकबाद दिया। हसीब खान ने कहा इस्लाम भाईचारा मोहब्बत अमन का पैगाम देता है। आज के इस नफरती की दौर में ईद के दिन अपने सभी हिंदू मुस्लिम अपने पड़ोसी सभी को बुलाकर ईद की सेवइयां खिलाएं और नफरत फैलाने वालों को दिखाएं इस्लाम क्या सीखता है। मुसलमान का अखलाक क्या है। हसीब खान ने कहा हम सब की जिम्मेदारी है ।कि ईद में सिर्फ अपने घर परिवार के लिए दो-दो तीन-तीन जोडे कपड़े बनाने का नाम ईद नहीं है ।हर मुसलमान को यह देखना होगा कम से कम दो गरीब मुसलमान को भी देखें। उसके घर कपड़े बने कि नहीं अगर अल्लाह ने आपको हैसियत दी है तो दो तीन नहीं दस बीस लोगों की मदद करें। ताकि हमारे साथ वह भी ईद मना सके। यह हर एक की जिम्मेदारी है कि कम से कम अपने अगल-बगल के पड़ोसियों के बच्चों को कपड़े बने कि नहीं उनकी ईद हो रही है कि नहीं ।अगर उनके बच्चों के कपड़े नहीं बने और आप अपने बच्चों के लिए दो-दो तीन-तीन जोडे कपड़े भले ही बना ले। लेकिन इस बात को समझ लो आप सिर्फ नाम के मुसलमान बने हैं। आपके अंदर ईमान नहीं बचा है। इसलिए सभी भाइयों से गुजारिश करता हूं कि जिसकी जो हैसियत है उसी हैसियत से अपने रिश्तेदार अड़ोस पड़ोस के लोगों की मदद करके उनको भी ईद की खुशियों में शामिल करें ।कोई जबरदस्ती नहीं है कि दस लोग या बीह लोगों की मदद करें। लेकिन हर कोई यह सोच ले की कम से कम दो गरीब की ईद में मदद करके उनको भी ईद की खुशियों में शामिल करेंगे ।तो इससे बड़ा कोई इबादत नहीं होगा ।और यही सच्ची ईद होगी।
रिपोर्टर हर्ष सक्सेना
बलरामपुर

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