मुख्यमंत्री ने पाञ्चजन्य तथा आॅर्गेनाइज़र द्वारा आयोजित ‘मंथन: महाकुम्भ एण्ड बियोण्ड’ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया

यह सदी भारत की सदी, पूरी दुनिया भारत का अनुसरण कर रही: मुख्यमंत्री

नया भारत आस्था का सम्मान करना जानता, देश-दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर

प्रधानमंत्री जी को दुनिया हाथों हाथ लेकर उनका सम्मान करते हुए स्वयं को गौरवान्वित अनुभव कर रही

प्रयागराज महाकुम्भ-2025 का आयोजन दुनिया को सनातन धर्म के वास्तविक स्वरूप से अवगत कराने का माध्यम साबित हुआ

इस अवसर पर दुनिया ने भारत के सामथ्र्य को नजदीक से देखा

महाकुम्भ-2025 दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन साबित हुआ

45 दिनों के आयोजन में 66 करोड़ 30 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी के संगम में स्नान किया

इस आयोजन में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए

प्रदेश सरकार ने आस्था को आर्थिकी के साथ जोड़ने के लिए एक वृहद अभियान को आगे बढ़ाया

महाकुम्भ के आयोजन से प्रयागराज शहर की विकास प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में सहायता प्राप्त हुई

भारत का लोकतंत्र अत्यन्त परिपक्व, लोकतंत्र हमारी रग-रग में बसा

बजट में मथुरा-वृन्दावन के लिए धनराशि की व्यवस्था की गयी, इस दिशा में कार्य आगे बढ़ने वाला

डबल इंजन सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट लगाकर सीसामऊ के सीवेज प्वाइंट को सेल्फी प्वाइंट बनाने का काम किया

लखनऊ: 12 मार्च, 2025

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि यह सदी भारत की सदी है। पूरी दुनिया भारत का अनुसरण कर रही है। नया भारत आस्था का सम्मान करना जानता है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। विश्व के कल्याण का मार्ग यहीं से प्रशस्त होगा। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को दुनिया हाथों हाथ लेकर उनका सम्मान करते हुए स्वयं को गौरवान्वित अनुभव कर रही है। प्रयागराज महाकुम्भ-2025 का आयोजन दुनिया को सनातन धर्म के वास्तविक स्वरूप से अवगत कराने का माध्यम साबित हुआ है। महाकुम्भ सनातन धर्म के विराट स्वरूप की एक झलक थी। इस अवसर पर दुनिया ने भारत के सामथ्र्य को नजदीक से देखा है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां हिन्दी साप्ताहिक पाञ्चजन्य तथा अंग्रेजी साप्ताहिक आॅर्गेनाइज़र द्वारा आयोजित ‘मंथन: महाकुम्भ एण्ड बियोण्ड’ कार्यक्रम का शुभारम्भ करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को दुनिया के सामने अपना परसेप्शन प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ। दुनिया इस आयोजन को कौतूहल की निगाह से देख रही थी। महाकुम्भ का आयोजन भारत की हजारों वर्षों की विरासत का हिस्सा है। महाकुम्भ ने देश-विदेश के हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया। त्रिवेणी के संगम में देश-विदेश के श्रद्धालुओं को जाति, पंथ, मजहब, सम्प्रदाय आदि के भेद के बिना डुबकी लगाने का अवसर प्राप्त हुआ। यही ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का वास्तविक रूप है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सनातन धर्म के प्रति श्रद्धा का भाव होना आवश्यक है। तुलसीदास जी कहते हैं कि श्रद्धावान लभते ज्ञानम्। यदि आपके मन में श्रद्धा का भाव है, तो आगे का मार्ग स्वयं ही प्रशस्त हो जाएगा। महाकुम्भ के आयोजन के दौरान पूज्य सन्तों का सहयोग और सान्निध्य अभिनन्दनीय था। वर्ष 2019 में उन्हें पहली बार कुम्भ से जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में टीम भावना के साथ कार्य किया गया है। वर्ष 2019 का कुम्भ स्वच्छता के लिए जाना जाता है। वर्ष 2025 के महाकुम्भ को डिजिटल कुम्भ बनाते हुए इसे स्वच्छता और सुरक्षा से जोड़ा गया। डिजिटल खोया-पाया केन्द्र के माध्यम से 54 हजार बिछड़े हुए लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का कार्य किया गया। हर व्यक्ति डिजिटल टूरिस्ट मैप के माध्यम से आसानी से अपने गंतव्य तक पहुंच रहा था। 1.5 लाख शौचालय बनाकर उन्हें बार कोड से जोड़ा गया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भाषिणी ऐप के माध्यम से 11 अन्तरराष्ट्रीय भाषाओं में महाकुम्भ से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध करायी गयी। महाकुम्भ में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान था। प्रथम 03 अमृत स्नानों में 3.5 से 05 करोड़ तथा अन्य 03 स्नानों में 01 से 02 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना जतायी जा रही थी। इसी को ध्यान में रखकर समस्त तैयारियां की गयी थीं। हमारा प्रयास था कि किसी भी श्रद्धालु को 03 से 05 किलोमीटर से अधिक पैदल न चलना पड़े। पौष पूर्णिमा के दिन 01 करोड़ लोगों ने स्नान किया। मकर संक्रांति के दिन 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी। 28, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर भारी भीड़ के कारण श्रद्धालुओं को आसपास के जनपदों में होल्ड किया गया था। 28, 29 व 30 जनवरी को 15 करोड़ श्रद्धालुओं ने प्रयागराज पहुंचकर आस्था की डुबकी लगायी थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 45 दिनों के आयोजन में 66 करोड़ 30 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी के संगम में स्नान किया। महाकुम्भ-2025 दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन साबित हुआ। वर्ष 2019 में यूनेस्को ने प्रयागराज कुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया था। यूनेस्को के डायरेक्टर ने महाकुम्भ में भागीदार बनते हुए कहा कि वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री जी के आह्वान से जो कार्य यूनेस्को ने किया था, उसके यहां मूर्तरूप में दर्शन हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जी के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने त्रिवेणी का गंगाजल माॅरीशस के प्रधानमंत्री को भेंट किया। माॅरीशस के प्रधानमंत्री ने 400 लोगों के डेलिगेशन के साथ वर्ष 2019 के कुम्भ में स्नान किया था। इस बार भूटान नरेश ने महाकुम्भ में भागीदार बनकर स्नान किया। इस आयोजन में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब आप जनता के विश्वास पर खरा उतरते हैं, तो आपको जनता का सहयोग मिलता है। प्रदेश सरकार ने आस्था को आर्थिकी के साथ जोड़ने के लिए एक वृहद अभियान को आगे बढ़ाया। महाकुम्भ के आयोजन से प्रयागराज शहर की विकास प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में भी सहायता प्राप्त हुई है। यह प्राचीन और पौराणिक नगरी अब एक नये कलेवर के रूप में दिखायी दे रही है। महर्षि भारद्वाज के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उनके नाम का एक नया काॅरिडोर बनाया गया है। काॅरिडोर बनाकर अक्षयवट को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। माँ गंगा प्रत्येक वर्ष एक बार श्री बड़े हनुमान जी मन्दिर का जलाभिषेक अवश्य करती हैं। श्री बड़े हनुमान जी मन्दिर से सम्बन्धित काॅरिडोर का भी निर्माण किया गया है। प्रयागराज में माँ सरस्वती अपने कूप में आध्यात्मिक रूप से उपस्थित हैं। माँ सरस्वती कूप को काॅरिडोर के साथ जोड़ा गया है। भगवान श्रीराम और निषादराज की मित्रता को प्रदर्शित करने वाले श्रृंग्वेरपुर में काॅरिडोर का निर्माण किया गया है। नागवासुकि काॅरिडोर के साथ-साथ प्रयागराज के इष्टदेव भगवान बेनीमाधव से सम्बन्धित काॅरिडोर का भी निर्माण किया गया है। प्रयागराज महाकुम्भ में आस्था की डुबकी लगाने वाला प्रत्येक व्यक्ति इन काॅरिडोर का दर्शन कर सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत का लोकतंत्र अत्यन्त परिपक्व है। भले ही हमने लोकतंत्र को संवैधानिक रूप से वर्ष 1952 में स्वीकार किया हो, लेकिन लोकतंत्र हमारी रग-रग में बसा है। देश की जनता त्रिवेणी के जल के महत्व को भलीभांति जानती है। हमारे यहां मान्यता है कि ‘बहता पानी रमता जोगी कभी अशुद्ध नहीं होता’। चलायमान जल अपनी अशुद्धि का परिमार्जन स्वयं कर लेता है। उत्तर प्रदेश में माँ गंगा 1,000 किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। इस दायरे में कानपुर नगर सबसे क्रिटिकल प्वाइंट था। कानपुर के सीसामऊ में 14 करोड़ लीटर सीवेज वाटर प्रतिदिन माँ गंगा में प्रवाहित होता था। डबल इंजन सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट लगाकर सीसामऊ के सीवेज प्वाइंट को सेल्फी प्वाइंट बनाने का काम किया।
जनवरी, 2024 में 500 वर्षाें की प्रतीक्षा के पश्चात अयोध्या धाम में प्रभु श्रीराम अपने भव्य मन्दिर में विराजमान हुए। जनवरी, 2025 में महाकुम्भ का सफल आयोजन हुआ। आने वाले समय में ऐसे अनेक कार्य देखने को मिलेंगे। सम्भल में कुल 68 तीर्थ थे, जिनमें से 18 तीर्थाें का पता चल चुका है। 19 कूपों के उत्खनन का कार्य चल रहा है। 56 वर्षाें के पश्चात पहली बार वहां शिव मन्दिर में जलाभिषेक हो पाया है। इस बार के बजट में मथुरा-वृन्दावन के लिए धनराशि की व्यवस्था की गयी है। इस दिशा में कार्य आगे बढ़ने वाला है।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक, पाञ्चजन्य के सम्पादक श्री हितेश शंकर, आॅर्गेनाइजर के सम्पादक श्री प्रफुल्ल केतकर सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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