उतरौला बलरामपुर - श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहे स्थित आर एस वी हॉस्पिटल के डायरेक्टर राधेश्याम शर्मा के आवास पर चल रही कथा के दूसरे दिन सर्वेश जी महाराज ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण जब द्वारिका जाने के लिए तैयार हुए तो माता कुंती ने उनसे दुःख भोगने का वरदान मांगा। जिससे उनकी हमेशा याद आती रहे।यह बात श्री मद्भागवत कथा में कही उन्होंने कहा कि माता कुंती ने दुःख भोगने का वरदान भी मांगा,जिससे कि भगवान की याद हमेशा आती रहे,जो इस बात को भी दर्शाता है, कि व्यक्ति सुख में भगवान का स्मरण करना भूल जाते है। भगवान का स्मरण हमेशा करना चाहिए। कथा में हर पल तुम्हारी याद आती रहे। कान्हा,तेरी छवि मन को लुभाती रहे, भजन को सुनकर कर श्रोता भाव विभोर हो गए। कथा में अश्वत्थामा व दुर्योधन के मित्रता पर उन्होंने कहा कि आपत्ति के समय ही असली मित्र की पहचान होती है।युद्ध में जब भीम ने दुर्योधन की जांघ को तोड़ दिया था, और उसी अवस्था में उसे छोड़ दिया तो मित्र होने के नाते अश्वत्थामा ने पांडव का अन्त करने का निर्णय लिया।
त्थामा ने पांडव का वध करने के लिए पांडव के शिविर में रात को गया उस दिन उस शिविर में पांडव ने बल्कि उनके पांचों पुत्र निवास कर रहे थे। अश्वत्थामा ने तलवार से उनका वध कर दिया। पांडव पुत्र के वध के बाद अश्वत्थामा ने उत्तरा के गर्भ में परीक्षित को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। जिससे योगेश्वर श्रीकृष्ण ने निष्फल कर दिया। इस अवसर पर बलरामपुर पैथोलॉजी के डाक्टर राकेश कुमारश्रीवास्तव, भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष संदीप कुमार वर्मा, डॉक्टर घनश्याम वर्मा, श्रवण कुमार सोनी, सन्तोष कुमार सोनी,मनोज कुमार सोनी,अजय कुमार चौरसिया,विजय कुमार श्रीवास्तव व नरेंद्र पटवा सहित तमाम महिलाएं व् पुरुष ने कथा का श्रवण किया।
हिन्दी संवाद न्यूज से
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उतरौला बलरामपुर।
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