मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम
के तहत आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित किया

प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य रखा,
इसके लिये विगत 10 वर्ष में अनेक कार्यक्रम संचालित: मुख्यमंत्री

राज्य सरकार ने प्रदेश से 16 लाख हैलोजन स्ट्रीट लाइट
हटा कर उसकी जगह एल0ई0डी0 स्ट्रीट लाइट लगवाई, इससे राज्य के
नगर निकायों को प्रतिवर्ष लगभग 1,000 करोड़ रु0 की बचत

एयर क्वाॅलिटी इंडेक्स में गोरखपुर ने एक अच्छी छलांग लगाई

प्रदेश सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को बन्द किया,
आज आपको स्वच्छता नजर आएगी और प्लास्टिक कूड़े से भी मुक्ति मिली

 प्रदेश में पिछले 08 वर्ष  में 210 करोड़ वृक्षारोपण परिणामस्वरुप प्रदेश का
फॉरेस्ट कवर बढ़ा, फॉरेस्ट कवर का बढ़ना एक सुखद अनुभूति देने वाला

कल राज्य सरकार ने उज्ज्वला योजना के प्रदेश के उपभोक्ताओं को
निःशुल्क एक-एक सिलेंडर उपलब्ध करवाने का काम किया

फसल वेस्ट से एथेनॉल, कम्प्रेस्ड बायोगैस बनाने के अनेक संयंत्र
स्थापित किये जा रहे, इससे किसान के पास अतिरिक्त आमदनी का स्रोत

नदियां हमारी जीवनदायिनी धमनियों की तरह, नदियां सूख जाएंगी तो लाइफलाइन सूख जाएगी
लखनऊ: 13 मार्च, 2025
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज जनपद गोरखपुर में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित किया। उन्होंने संगोष्ठी के आयोजन के लिए नगर निगम गोरखपुर और अन्य सभी सम्बन्धित संस्थाओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि आप सबने स्वच्छ वायु के मुद्दे को चर्चा का विषय बनाकर इसके समाधान का रास्ता सामूहिक रूप से तय करने की रणनीति पर कार्य करना प्रारम्भ किया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि हमारी यह प्रकृति सबकी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती है, लेकिन किसी के लोभ को पूरा करने का सामथ्र्य इसमें नहीं है। मुझे लगता है कि जीव सृष्टि के सामने आज खड़े प्रश्नों का समाधान गांधी जी की उक्ति में देख सकते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। नेट जीरो का मतलब कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम करना है। इसके लिये विगत 10 वर्ष में अनेक कार्यक्रम चलाए गए। उन्होंने कहा कि पहले नगरीय क्षेत्रों में हैलोजन व अन्य स्ट्रीट लाइटें लगती थीं। उसमें विद्युत ऊर्जा भी ज्यादा लगती थी और कार्बन उत्सर्जन भी ज्यादा होता था। राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में प्रदेश भर से 16 लाख हैलोजन लाइट को हटाकर उसकी जगह एल0ई0डी0 स्ट्रीट लाइट लगवाई। इसमें सरकार ने एक भी पैसा खर्च नहीं किया। हमने ई0ई0एस0एल0 को जिम्मेदारी दी कि वह हैलोजन स्ट्रीट लाइट को हटाकर उनकी जगह एल0ई0डी0 स्ट्रीट लाइट लगायें और 07 वर्ष तक इसके रखरखाव की जिम्मेदारी लें। एल0ई0डी0 स्ट्रीट लाइट लगाने से एनर्जी में जितनी बचत होगी, उसको आप ले लीजिए और वह सहमत हुए। उन्होंने प्रदेश की सभी 16 लाख स्ट्रीट लाइट हटाकर एल0ई0डी0 स्ट्रीट लाइट से बदली है। इससे हमारे नगर निकायों को लगभग 1,000 करोड़ रुपये की प्रतिवर्ष बचत होती है। इस बचत का उपयोग आज अन्य सुविधाओं को देने में कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एयर क्वाॅलिटी इंडेक्स में गोरखपुर ने एक अच्छी छलांग लगाई है। उन्होंने कहा कि नवम्बर से फरवरी के महीने में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र गैस चैम्बर में बदल जाता है और उस समय विशेषज्ञों द्वारा सांस के रोगियों के लिए घर से बाहर न निकलने, मास्क लगाने तथा अन्य सावधानियां बरतने का अलर्ट जारी किया जा जाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गैस के चैम्बर में बदल जाने के लिए जिम्मेदार केवल दिल्ली के लोग ही नहीं, बल्कि हम लोग भी कहीं न कहीं हैं। हम लोग अक्सर कई चीजों को नजरअंदाज करते हैं। कहीं ना कहीं कोई ना कोई कारक जरूर होगा, जिससे दिल्ली और आसपास के क्षेत्र के गैस चैम्बर में बदलने तथा लोगों के स्वास्थ्य और जीवन के साथ खिलवाड़ करने की स्थिति पैदा हो जाती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने स्वच्छता पर जोर देते हुए पहली बार देश के अन्दर 12 करोड़ घरों में शौचालय बनवाए। प्रदेश सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को बन्द किया। साथ ही, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के अन्तर्गत माटी कला बोर्ड के माध्यम से जो लोग मिट्टी के बर्तन बना सकते थे। उनको इलेक्ट्रिक और सोलर चाक दिया, जब मैनुअल बर्तन बनाते थे तो एक व्यक्ति एक दिन में 50 से 60 बर्तन बना पाता था, लेकिन जब हमने उनको इलेक्ट्रिक और सोलर चाक दिया तो वह प्रतिदिन 400 से 500 बर्तन बना पाते हैं। मिट्टी के बर्तन का दाम उतना रखा गया, जो एक प्लास्टिक के कप, गिलास या प्लेट के बराबर हो तो उसमे कॉम्पिटिशन होने लगा। इससे सिंगल उसे प्लास्टिक पर रोक लगी। आज आपको स्वच्छता नजर आएगी और प्लास्टिक कूड़े से भी लोगों को मुक्ति मिली।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले एन0जी0टी0 पर्यावरण और राप्ती नदी में गन्दगी को लेकर फाइन करता था तो नगर निगम ने 110 करोड़ रुपये के एस0टी0पी0 का प्रस्ताव बनाया, तब मैंने कहा स्थानीय स्तर पर कोई प्रयास करें, देसी पद्धति अपना करके लोगों के सामने एक मॉडल प्रस्तुत करें, जो देसी पद्धति इन्होंने बनाई है, उससे राप्ती नदी में जाने वाले जल का बी0ओ0डी0 लेवल 350 के आसपास से घटकर 08 से 10 हो गया है। एस0टी0पी0 बनाने पर 110 करोड़ रुपये का खर्च आता तथा संचालन पर प्रतिवर्ष 10 करोड़ रुपये खर्च होते। लेकिन देसी पद्धति में कुल 06 करोड़ रुपये खर्च हुए तथा संचालन में सालाना 04 से 05 लाख रुपये खर्च आता है। साथ ही, जल की शुद्धि का एक अलग मानक भी प्रस्तुत हुआ है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गोरखपुर एक अच्छी सिटी है और अच्छी सिटी इसलिए कि इसके अगल-बगल पर्याप्त फॉरेस्ट है। हमारे पास लैंड पर्याप्त मात्रा में है। अगल-बगल के क्षेत्र में झील है, रामगढ़ ताल है, महेसरा ताल, चिलुवाताल है, रोहिन नदी है, राप्ती नदी है, गोर्रा नाला और नदी भी है। काफी जमीन आपके पास ऐसी है, जहां पर आप लोग सिटी फॉरेस्ट भी डेवलप कर सकते हैं। मियाबाकी फॉरेस्ट को आगे बढ़ाने का काम हुआ है। सिटी के लैंड का अच्छा उपयोग हम लोग कर सकते हैं, जिसके माध्यम से हम कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम स्थिति में करने में सफल हो सकते हैं और एयर क्वाॅलिटी इंडेक्स मानक में रह सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह प्रयास सभी शहरों तथा उत्तर प्रदेश के 17 म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को भी करना है। हम लोगों ने शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप डेवलप करना प्रारम्भ किया है। इन सबके द्वारा किए गए प्रयास एक अच्छी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। प्रदेश में हम लोगों ने वृक्षारोपण कार्यक्रम को भी बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाया है। अकेले उत्तर प्रदेश में पिछले 08 वर्ष के अन्दर 210 करोड़ वृक्षारोपण के कार्यक्रम को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया। केवल पेड़ ही नहीं लगाया, बल्कि पेड़ लगाने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित किया गया कि वे पेड़ आगे बढ़े और इसके लिए हम लोगों ने फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून को और छत्तीसगढ़ की एक यूनिवर्सिटी को थर्ड पार्टी के रूप में रखा है, जो इन सबकी मॉनिटरिंग करके अपनी रिपोर्ट समय-समय पर उत्तर प्रदेश शासन को उपलब्ध करायेगी। इसके अतिरिक्त, सरकारी विभागों तथा विभिन्न संगठन ने भी वृक्षारोपण किया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा कराए गए वृक्षारोपण में से 70 से 75 प्रतिशत तक और विभिन्न संस्थाओं द्वारा लगाए गए पौधों में से 65 से 70 फीसदी जीवित हैं और विकसित हो रहे हैं। इसका परिणाम है उत्तर प्रदेश का फॉरेस्ट कवर इस दौरान बढ़ा है। उत्तर प्रदेश, जहां तेजी के साथ आबादी भी बढ़ रही है, औद्योगीकरण हो रहा है, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के नए-नए प्रोजेक्ट आ रहे हैं, बड़े कार्य हो रहे हैं, वहां पर फॉरेस्ट कवर का बढ़ना अपने आप में एक सुखद अनुभूति देने वाला है।
 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए एयर क्वॉलिटी को सुधारने में घर के चूल्हे का भी एक बड़ा योगदान होता है। आपने देखा होगा कि पहले लोग लकड़ी या कोयले को जलाकर भोजन बनाते थे, जिससे काफी धुआं निकलता था, काफी कार्बन उत्सर्जन होता था। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से 10 करोड़ परिवारों को निःशुल्क रसोई गैस के कनेक्शन उपलब्ध हुए और कल राज्य सरकार ने इस योजना के प्रदेश के 01 करोड़ 86 लाख उपभोक्ताओं को निःशुल्क एक-एक सिलेंडर उपलब्ध करवाने का काम किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पराली जलाना भी वायु प्रदूषण का एक कारक है, जिस पर हम लोग कंट्रोल कर सकते हैं। उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत गैस कनेक्शन जब मिले हैं, तो इसका उपयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहिए, क्योंकि सामान्य चूल्हे से जो धुआं होगा, जो कार्बन निकलेगा। उसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उसके बारे में भी लोगों को बताना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि फसल के वेस्ट का उपयोग करने के लिए अनेक संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिनसे एथेनॉल बनाया जा रहा है, कम्प्रेस्ड बायोगैस बनाई जा रही है। इससे किसान के पास अतिरिक्त आमदनी का स्रोत हो गया और पर्यावरण को बचाने में भी वह अपना योगदान दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कम्प्रेस्ड बायोगैस के उपयोग को स्थानीय स्तर पर भी प्रोत्साहित करना पड़ेगा। इसके लिए भी लोगों को प्रेरित करना होगा। इन सब कार्यक्रमों को मिलाकर हम सब कार्य करेंगे, तो एक अच्छी दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। इसके लिए सम्मिलित प्रयास होना चाहिए। यह सामूहिक प्रयास का हिस्सा होता है। वाटर कंजर्वेशन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गोरखपुर सिटी के आसपास अनेक तालाब हैं। यह तालाब जीवन का आधार भी बन सकते हैं। यहां के फॉरेस्ट को बढ़ाने में योगदान दे सकते हैं। यह पर्यावरण में धूल के कणों को अवशोषित करने तथा नमी के स्तर को बनाए रखने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग हर घर में प्रयास होना चाहिए। इससे घर के आसपास के क्षेत्र में जलस्तर को बढ़ा सकते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ-2025 की सफलता का रहस्य श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराई गई सुविधा तथा की माँ गंगा, माँ यमुना में निरन्तर जल की उपलब्धता थी। श्रद्धालु माँ गंगा, माँ यमुना का दर्शन करने के साथ ही, उस पवित्र त्रिवेणी में डुबकी लगाने की अनुभूति करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि नदियां हमारी जीवनदायिनी धमनियों की तरह हैं। जैसे हमारे धमनियां शरीर में रक्त का संचार करती हैं। ऐसे ही धरती के अन्दर नदियों की स्थिति होती है। नदियां सूख जाएंगी तो लाइफलाइन सूख जाएगी। हमें उन्हें प्रदूषित न होने देने और बचाए रखने की दिशा में प्रयास करना होगा। नदियां बढ़ेंगी तो अपने साथ वनों का आच्छादन हमें दे देगी। वन ऑक्सीजन का एक नया भण्डार दे देंगे। जीवन तो उसी से चलेगा। यदि हम पर्यावरण से ज्यादा खिलवाड़ करेंगे, तो कोविड कालखण्ड में सेकण्ड वेव जैसी स्थिति हो सकती है। यह मानव के द्वारा तैयार की गई विकृतियां हैं। मानव द्वारा अपने लोभ और स्वार्थ में तैयार की गई विकृतियों का दुष्परिणाम दूसरा कोई नहीं भुगतेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि घर के निर्माण के दौरान हमें रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग की भी व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही, घर के कुछ अन्य जगहों जैसे किचन गार्डेन, और घर के आसपास अच्छा वृक्षारोपण भी करना चाहिए। इससे एक आध्यात्मिक वातावरण पैदा होता है। आध्यात्मिक वातावरण से असीम शांति की अनुभूति होती है। प्रधानमंत्री जी ने बार-बार कहा है कि प्रकृति के पास सब कुछ है। इसलिए प्रदेश सरकार ने अपने यहां रिन्यूवल एनर्जी की अपनी पॉलिसी दी है। हमने तय किया है कि 22 हजार मेगावॉट रिन्युवल एनर्जी के लिए, जिसमें से अब तक 06 हजार मेगावॉट रिन्युवल एनर्जी सोलर पैनल के माध्यम से बना चुके हैं। देश की पहली सोलर सिटी के रूप में अयोध्या को बनाया है। यहां पर सोलर पैनल के माध्यम से स्ट्रीट लाइट आदि जलती है। प्रदेश के सभी 17 म्युनिसिपल कॉरपोरेशन सोलर सिटी के रूप में विकसित हों, इसके लिए कार्य किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में पॉलिसी बनाई गई है। इसके तहत अच्छा इंसेंटिव दिया जा रहा है। इसी तरह बायोमाॅस के सम्बन्ध में भी पॉलिसी बनाई गई है।
कार्यक्रम को डब्लू0आर0आई0 के प्रतिनिधि श्री कुमार स्वामी, एन0सी0ए0पी0 कार्यक्रम के प्रतिनिधि डाॅ0 प्रशान्त भार्गव, महापौर डाॅ0 मंगलेश श्रीवास्तव ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, विषय विशेषज्ञ तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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