मुख्यमंत्री ने विधान सभा में अपने विचार व्यक्त किये

प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और पूज्य संतों के सान्निध्य में महाकुम्भ का
इतना विराट आयोजन हो रहा, यह एकात्मकता का महाकुम्भ : मुख्यमंत्री

महाकुम्भ का आयोजन किसी पार्टी या सरकार विशेष का नहीं, बल्कि समाज का

महाकुम्भ में सरकार श्रद्धालुओं का सहयोग व अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर रही,
आज दोपहर तक 56 करोड़ 25 लाख से अधिक श्रद्धालु प्रयागराज में आस्था की डुबकी लगा चुके

प्रदेश सरकार ने विगत 08 वर्षों में राज्य के परसेप्शन को बदला

वर्ष 2013 के कुम्भ का क्षेत्रफल 1936 हेक्टेयर था, इस बार 10,000
एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में महाकुम्भ का आयोजन किया जा रहा
 
प्रयागराज में 14 नए फ्लाईओवर, नौ पक्के घाट तथा सात रिवर फ्रण्ट मार्गों का निर्माण किया गया

वर्ष 2013 में केवल चार किमी0 के अस्थायी घाट थे,
इस बार 12 किलोमीटर के अस्थायी घाट बनाये गये
 
वर्ष 2013 में कुल 2300 रोडवेज बसें खरीदी गई थीं, इस
बार 7000 बसें श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लगाई गई
 
महाकुम्भ में 261 एम0एल0डी0 के 81 नालों को टैप कर
एस0टी0पी0 अथवा बायोरेमेडीएशन के माध्यम से प्रबन्धित किया गया

देश-विदेश का जो श्रद्धालु व पर्यटक कुम्भ में डुबकी लगा रहा, वह वहां की
व्यवस्थाओं, जल, आयोजन तथा एकात्मकता की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहा
 
भारत की ताकत का एहसास दुनिया कर रही, उ0प्र0 की ताकत का एहसास पूरा भारत कर रहा

महाकुम्भ की व्यवस्था के लिए डबल इंजन सरकार
ने सात से साढ़े सात हजार करोड़ रु0 खर्च किए
 
प्रयागराज एयरपोर्ट के सिविल टर्मिनल का विस्तारीकरण हुआ, रेलवे द्वारा
3,000 से अधिक विशेष ट्रेनें चलाई गई, जिनके 13,000 से अधिक फेरे लगाए गए
 
टॉयलेट्स तथा सफाई कार्य की मॉनिटरिंग के लिए ढाई हजार गंगा दूत
एवं घाट प्रबंधन में सहयोग करने के लिए 5,000 कुम्भ सेवा मित्र लगाए गए
 
2,700 से अधिक सी0सी0टी0वी0 कैमरे, 20 ड्रोन
कैमरे और 06 लाख वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था

कुम्भ सहायक चैटबॉट के माध्यम से 11 भाषाओं में संवाद की सुविधा उपलब्ध कराई गई
 
लखनऊ : 19 फरवरी, 2025

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि महाकुम्भ का आयोजन किसी पार्टी या सरकार विशेष का नहीं है। यह आयोजन समाज का है। महाकुम्भ में सरकार श्रद्धालुओं का सहयोग व अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर रही है। उत्तरदायित्वों के निर्वहन के लिए हम लोग तत्परता के साथ कार्य कर रहे हैं। हमें अपनी जिम्मेदारियां का एहसास व भारत की सनातन परम्पराओं के प्रति अगाध श्रद्धा है। श्रद्धालुओं को सम्मान देना हमारा दायित्व है। हमारा सौभाग्य है कि इस सदी के महाकुम्भ के साथ प्रदेश सरकार को जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ। आयोजन के प्रति अनेक प्रकार के दुष्प्रचार को दरकिनार करते हुए देश और दुनिया ने इस पूरे आयोजन के साथ सहभागी बनकर इसे सफलता की नई ऊंचाई तक पहुंचाया है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां विधान सभा सत्र के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ आयोजन के अभी सात दिन शेष हैं। आज दोपहर तक 56 करोड़ 25 लाख से अधिक श्रद्धालु प्रयागराज में महात्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं।
 मुख्यमंत्री जी ने 29 जनवरी की भगदड़ में हताहत तथा सोनभद्र, अलीगढ़ या किसी अन्य स्थान पर प्रयागराज महाकुम्भ के आयोजन में भाग लेने के लिए आने व यहां से वापस जाने में  सड़क दुर्घटना के शिकार श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनके परिवारजनों के प्रति पूरी संवेदनाएं हैं तथा प्रदेश सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी है। सरकार उनकी हर सम्भव मदद करेगी। इस पर राजनीति करना बिल्कुल उचित नहीं है। सनातन धर्म का अनुयायी बनना अथवा सनातन धर्म के किसी कार्यक्रम को भव्यता के साथ आयोजित करना अपराध नहीं है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इतने बड़े आयोजन में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया। महाकुम्भ में क्रिकेटर मोहम्मद शमी ने भी स्नान किया। हर जाति, मत और मजहब के लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई है। संक्रमित व्यक्ति का उपचार हो सकता है, लेकिन संक्रमित सोच का उपचार नहीं हो सकता। प्रत्येक महान कार्य को तीन अवस्थाओं-उपहास, विरोध तथा स्वीकृति से गुजरना पड़ता है।  
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कुम्भ की परंपरा के बारे में ऋग्वेद में उल्लेख है कि ‘कुम्भं समारोह्य सुधां पिबेत’ अर्थात कुम्भ के अमृत को पीकर आत्मा को आनंदित करें। अथर्ववेद में कहा गया है कि ‘एषा गंगा या कुम्भे’ अर्थात यह गंगाजल एक घड़े में संचित है। गंगाजल की तुलना अमृत के रूप में की गई है। आज से 5,000 वर्ष पूर्व रचे गए श्रीमद्भागवत महापुराण में भी कहा गया है कि ‘कुम्भ मेले स्नात्वा पुण्यं प्राप्नोति मानुषः’, यहां कुम्भ का तात्पर्य कुम्भ मेले से है। कुम्भ मेला चार तीर्थ स्थलों पर आयोजित होता है, जिसमें स्नान करने से पापों का क्षय होता है। संत तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस में कहा गया है कि ‘को कहि सकइ प्रयाग प्रभाऊ। कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ।। अस तीरथपति देखि सुहावा। सुख सागर रघुबर सुखु पावा’।
अनेक प्राचीन ग्रंथो में महाकुम्भ की महिमा का वर्णन किया गया है। प्रदेशवासियों को इस बात पर गौरव की अनुभूति करनी चाहिए कि हम सभी को इस बड़े आयोजन से जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह आयोजन हमारे लिए बहुत महत्व रखता है। भले ही यहां हम लोग विभिन्न दलों से जुड़े हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश से बाहर जाने पर हमारी पहचान उत्तर प्रदेशवासी के रूप में होती है। यदि हम अच्छा काम करेंगे, तो हमें सम्मान की प्राप्ति होगी तथा गलत काम करने पर लोग हमें असम्मान के भाव से देखेंगे। वर्ष 2017 से पूर्व प्रदेश की यही छवि थी। उत्तर प्रदेश के लोगों के सामने पहचान का संकट था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने विगत 08 वर्षों में राज्य के परसेप्शन को बदला है। इसी का परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेशवासियों का देश दुनिया में सम्मान किया जाता है। जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में प्रदेश में कोविड प्रबंधन का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया जा रहा था, तो विरोधी हमारा उपहास उड़ा रहे थे। जब अयोध्या में 500 वर्षों की प्रतीक्षा के पश्चात प्रभु श्री रामलला विराजमान हुए, तब भी इन लोगों द्वारा विरोध किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2013 में कुम्भ का आयोजन 55 दिनों का था। महाकुम्भ 2025 का आयोजन 45 दिनों का है। आयोजन की तिथि निर्धारित करना धार्मिक व्यवस्था का हिस्सा है। मुहूर्त के अनुसार आयोजन तय किया जाता है। पौष पूर्णिमा से महाशिवरात्रि के बीच कुम्भ का आयोजन होता है। वर्ष 2013 के कुम्भ का क्षेत्रफल 1936 हेक्टेयर था। इस बार 10,000 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में महाकुम्भ का आयोजन किया जा रहा है। वर्ष 2013 का कुम्भ 14 सेक्टर्स में विभाजित था। इस वर्ष महाकुम्भ 25 सेक्टर्स में बांटा गया है। 2013 के कुम्भ में 635 हेक्टेयर पार्किंग एरिया था। वर्तमान में यह सुविधा 1850 हेक्टेयर में प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस प्रकार की आयोजनों में हमारे पास शहर के विकास को आगे बढ़ाने का अवसर होता है। वर्ष 2013 के कुम्भ के समय प्रयागराज में आर0ओ0बी0, पक्के घाट तथा रिवरफ्रंट आदि के लिए कोई कार्य नहीं किया गया। वर्ष 2019 में प्रदेश सरकार द्वारा प्रयागराज में नौ आर0ओ0बी0 तथा 06 अण्डरपास बनाए गए। महाकुम्भ 2025 के उपलक्ष्य में प्रयागराज में 14 नए फ्लाईओवर, नौ पक्के घाट तथा सात रिवर फ्रण्ट मार्गों का निर्माण किया गया है। वर्ष 2013 में केवल चार किलोमीटर का अस्थायी घाट था। इस बार 12 किलोमीटर का अस्थायी घाट बनाया गया है। वर्ष 2013 में एक भी शटल बस नहीं चलाई गई थी। इस बार साढ़े 500 शटल बसें श्रद्धालुजन को कुम्भ क्षेत्र तक पहुंचा रही हैं। वर्ष 2013 में कुल 2300 रोडवेज बसें खरीदी गई थीं। इस बार 7000 बसें श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लगाई गई हैं।
वर्ष 2013 में कुल 03 बस स्टैंड थे। इस बार सात बस स्टैंड बनाए गए हैं। वर्ष 2013 में मात्र 55 सड़कों का चौड़ीकरण किया गया था। प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2019 में 125 सड़कों को टू-लेन से फोर लेन तथा फोर-लेन को 6-लेन में तब्दील किया गया है। वर्ष 2025 में 200 से अधिक सड़कों को इस सुविधा से जोड़ा गया है।  
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ 2025 में जल की गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह खड़े करने के प्रयास किए गए। वर्ष 2013 में बायोरेमेडियेशन की सीमित व्यवस्था थी। परिणामस्वरुप कुम्भ अस्वच्छता का शिकार हो चुका था। वर्ष 2025 के महाकुम्भ में 261 एम0एल0डी0 के 81 नालों को टैप कर एस0टी0पी0 अथवा बायोरेमेडीएशन के माध्यम से प्रबन्धित किया गया है। इस जल को उपचार के बाद ही छोड़ा जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार वहां जल की मॉनिटरिंग करते हुए जल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कार्य कर रहा है। आज की रिपोर्ट के अनुसार संगम तथा उसके आसपास के क्षेत्र में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड तीन अथवा उससे कम है। डिसॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा 8-9 से अधिक पाई जा रही है। अर्थात् संगम का जल स्नान तथा आचमन करने लायक है। प्रयागराज में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 12,16, 20, 25, 30 जनवरी तथा 5, 10 व 13 फरवरी को लिए गए सैंपल के अनुसार संगम नोज पर फैकल कॉलीफॉर्म की मात्रा मानक के अनुरूप पाई गई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ में देश के सामान्य नागरिक, उद्योगपति, महामहिम राष्ट्रपति जी, उपराष्ट्रपति जी, प्रधानमंत्री जी, केंद्रीय मंत्रिगण स्नान के लिए आए। देश-दुनिया के सेलिब्रिटी भी प्रयागराज आ रहे हैं। उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश भी पुण्य की प्राप्ति कर रहे हैं। समाज का हर तबका प्रयागराज के लिए उमड़ रहा है। इसका प्रचार करना व प्रदेश की उपलब्धि को देश दुनिया के सामने रखना आवश्यक है। देश-विदेश का जो श्रद्धालु व पर्यटक कुम्भ में डुबकी लगा रहा है, वह वहां की व्यवस्थाओं, जल, आयोजन तथा एकात्मकता की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहा है। यह तुष्टीकरण नहीं, बल्कि 56 करोड़ लोगों को महाकुम्भ आने का संतुष्टीकरण है। देश और दुनिया का संतुष्टीकरण है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह दर्शाता है कि भारत की ताकत का एहसास दुनिया कर रही है और उत्तर प्रदेश की ताकत का एहसास पूरा भारत कर रहा है। यह इस बात का भी प्रतीक है कि उत्तर प्रदेश इतने बड़े आयोजन को कर सकता है। उत्तर प्रदेश में भी केवल प्रयागराज इस आयोजन को कर सकता है। प्रदेशवासियों को इस आयोजन से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। वाराणसी में भी देश भर से प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। जो भी वाराणसी आ रहा है, वह उत्तर प्रदेश के बारे में एक नई धारणा लेकर जा रहा है। यही स्थिति अयोध्याधाम में भी है। बड़ी संख्या में लोग यहां आ रहे हैं और श्रद्धाभाव से अयोध्या से जुड़ रहे हैं। लोग आध्यात्मिक रूप से पुण्य के भागीदार भी बन रहे हैं और यहां की आर्थिक समृद्धि का द्वार भी खोल रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह आलोचना की गई कि महाकुम्भ में लोग भूखे रह गए, लेकिन सनातन धर्म के आयोजन में कोई भूखा नहीं रहता। हम मां अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं कि वह हमें दूसरों को भी भोजन करा सकनें की सामर्थ्य दें। प्रयागराज महाकुम्भ में जो भी आया वह भूख नहीं गया। वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज में भी सेवा चल रही है। प्रयागराज, अयोध्या और काशी ने अतिथि देवो भवः का सबसे उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हर व्यक्ति प्रयागराज महाकुम्भ में आना चाहता है। महाकुम्भ मेले की व्यवस्था के लिए केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार ने सात से साढ़े सात हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसमें महाकुम्भ के आयोजन के लिए 1500 करोड़ रुपये तथा शेष प्रयागराज और उसके आसपास के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए खर्च किए गए हैं। 09 रेलवे स्टेशनों के सुदृढ़ीकरण और विस्तारीकरण के कार्य हुए हैं। उनमें होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं। प्रयागराज एयरपोर्ट के सिविल टर्मिनल का विस्तारीकरण हुआ है। पहले वहां दो एयरोड्रम थे। इस बार वहां 06 एयरोड्रम बनाए गए हैं, जिसके माध्यम से वहां छह हवाई जहाज एक साथ खड़े हो सकते हैं। अब तक साढ़े सात सौ से अधिक रेगुलर और चार्टर्ड फ्लाइट्स वहां उतर चुकी हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ के दौरान भारतीय रेलवे का कार्य भी बहुत अभिनन्दनीय रहा है। रेलवे द्वारा 3,000 से अधिक विशेष ट्रेनें चलाई गई है, जिनके 13,000 से अधिक फेरे प्रयागराज महाकुम्भ के लिए लगाए गए हैं। 10 स्थान पर होल्डिंग एरिया भी बनाने के कार्य किए गए हैं। केंद्रीय रेल मंत्री स्वयं इस कार्य का समन्वय कर रहे हैं। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, डी0आर0एम0 और अन्य सभी अधिकारी पूरी तत्परता से इस आयोजन के साथ जुड़े हुए हैं। प्रयागराज से लोगों को उनके गन्तव्य स्थल तक पहुंचाने के लिए आवश्यक ट्रेनों की व्यवस्था के लिए पूरा सहयोग मिला है। यही कारण है कि महाकुम्भ का आयोजन भव्यता और दिव्यता के साथ आगे बढ़ पाया है। स्थानीय प्रशासन के साथ पूरा समन्वय बनाया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ में डेढ़ लाख से अधिक टेण्ट, डेढ़ लाख से अधिक शौचालय, लगभग 500 किलोमीटर की चेकर्ड प्लेट, 30 पाण्टून ब्रिज, 2,000 से अधिक चेंजिंग रूम, 67 हजार से अधिक विद्युत पोल एवं स्ट्रीट लाइट्स, 125 एम्बुलेंस, 07 रिवर एम्बुलेंस, एक एयर एम्बुलेंस तथा 20 हजार से अधिक स्वच्छताकर्मी लगाए गए हैं। टॉयलेट्स तथा सफाई कार्य की मॉनिटरिंग के लिए ढाई हजार गंगा दूत एवं घाट प्रबंधन में सहयोग करने के लिए 5,000 कुम्भ सेवा मित्र लगाए गए हैं। 10,000 अन्य कर्मचारियों को भी इस पूरी व्यवस्था के साथ जोड़ा गया है।  सुरक्षा तथा यातायात प्रबन्धन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के 75,000 से अधिक पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी व कार्मिकों को इस व्यवस्था से जोड़ा गया है। 2,700 से अधिक सी0सी0टी0वी0 कैमरे, 20 ड्रोन कैमरे और 06 लाख वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था की गई है। 5,000 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में वाहन पार्किंग की व्यवस्था की गई है। शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए 1,250 किलोमीटर लम्बी पाइप लाइन बिछाई गई है। फायर सेफ्टी की व्यवस्था भी की गई है। एस0डी0आर0एफ0 के माध्यम से जल पुलिस का एक नया बेड़ा प्रयागराज को उपलब्ध कराया गया है।
प्रयागराज में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग रोकने का पूरा प्रयास किया गया है। पहली बार महाकुम्भ के आयोजन में आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस का भी प्रयोग किया गया है। कुम्भ सहायक चैटबॉट के माध्यम से 11 भाषाओं में संवाद की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। गूगल के साथ एक एम0ओ0यू0 किया गया है, जिसके माध्यम से सभी सेक्टर के रास्ते सहित अन्य जानकारियां उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। क्यू0आर0 कोड के माध्यम से भी लोग अपने गन्तव्य की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। महाकुम्भ के आयोजन के विषय में जानकारी देने के लिए एक डिजिटल महाकुम्भ एक्सपीरियंस सेण्टर भी बनाया गया है। प्रयागराज के अस्पतालों में 6,000 बेड्स की व्यवस्था की गई है। महाकुम्भ में 360 बेड का अस्पताल, अरैल और झूंसी में 25-25 बेड के 01-01 अस्पताल सहित 20-20 बेड के दो व 10-10 बेड के अस्पतालों की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2013 के 55 दिवसीय प्रयागराज कुम्भ में 12 करोड़ श्रद्धालु आए थे। उस आयोजन को हादसों, अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के पर्याय के रूप में देखा गया था। उस समय एक बड़े अग्निकांड की घटना भी घटित हुई थी। वर्ष 2013 के कुम्भ के विषय में सी0ए0जी0 की रिपोर्ट में कहा गया था कि श्रद्धालु कुम्भ मेले में आस्था की डुबकी लगा रहे थे, तब कुम्भ मेला प्रशासन भ्रष्टाचार में डूबा हुआ था। तत्कालीन प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से दिए गए फंड से ही पूरा मेला संपन्न कर दिया, जबकि राज्य सरकार को भी अपने स्तर पर धनराशि खर्च करनी थी। वर्ष 2013 के कुम्भ में केन्द्र सरकार के 1,141 करोड़ 63 लाख रुपये खर्च हुए, वहीं राज्य सरकार ने मात्र 10 करोड़ 57 लाख रुपये खर्च किए। राज्य सरकार ने आयोजन के लिए पैसा ही नहीं दिया। मेला शुरू होने तक 59 प्रतिशत कार्य और 19 प्रतिशत आपूर्ति से जुड़ें कार्य पूरे ही नहीं हुए थे। मेला प्रशासन ने 8.72 करोड़ रुपये से 02 घाटों का निर्माण कराया, जो कुम्भ मेले के काम से सम्बन्धित ही नहीं थे। 111 निर्माण कार्यों में से 81 में तकनीकी स्वीकृति नहीं ली गई। बिना काम का परीक्षण किये ही सड़क चौड़ीकरण के कार्य हेतु 57 करोड़ 41 लाख रुपये और उनकी मरम्मत में 46 करोड़ 68 लाख रुपये दे दिए गए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सी0ए0जी0 की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 09 करोड़ 01 लाख रुपये की सामग्री बिना जरुरत के ही खरीदी गई। मोबिलाइजेशन और मशीनरी के एडवांस भुगतान के अलावा 23 ठेकेदारों को 04 करोड़ 65 लाख रुपये एडवांस देकर अनुचित लाभ पहुंचाया गया। ट्रैक्टर की लॉग बुक की जांच में यह पाया गया कि एक ट्रैक्टर एक ही समय में दो जगह काम कर रहा था। 30 मजदूर एक ही समय में दो जगह पर कार्य करते हुए दिखाए गए। ट्रैक्टरों की आपूर्ति के अनुबन्ध में सभी टैक्स शामिल थे। इसके बावजूद दो ठेकेदारों को सेवा कर का अलग से भुगतान किया गया। शौचालय की कमी होने की वजह से एक दिन में औसतन 900 लोगों ने एक शौचालय का इस्तेमाल किया। कई स्थानों पर पुरुष और महिला शौचालयों के बीच विभाजन की दीवार भी नहीं थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सी0ए0जी0 की रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2013 के कुम्भ में 50 फ़ीसदी कल्पवासियों को बी0पी0एल0 कार्ड उपलब्ध कराए गए। उन्हें यह राशन कार्ड भी तब उपलब्ध कराए गए, जब मेले की चार पावन तिथियां बीत चुकी थी। उन्हें कम दरों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध नहीं हो सकी। पेयजल के लिए लगाए गए नलों से हर हफ्ते पानी के नमूने लिए जाने थे। 201 में से महज 06 नलों में ही नमूने लिए गए। स्नान घाटों पर कपड़े बदलने के लिए कोई चेंजिंग रूम नहीं था। कई पाण्टून पुलों पर जल पुलिस और एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं थी। सी0ए0जी0 ने मेले में सड़क चौड़ीकरण और सड़क की मरम्मत से लेकर घाटों के निर्माण तथा भीड़ का नियन्त्रण करने के लिए बैरिकेडिंग करने के काम में भी भ्रष्टाचार पाया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज के हिमालयन इन्स्टीट्यूट ने महाकुम्भ मेले की कुछ महत्वपूर्ण बातों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। उन्होंने कहा है कि आज प्रत्येक भारतीय के मानस पटल पर एक अनोखी जागृति आई है। वह परम उदात्त और आध्यात्मिक शक्ति के आवाहन से महाकुम्भ में आ रहे हैं। ऐसी विशालता और भव्यता उन्हें कभी नहीं दिखाई दी। अनन्त विविधताओं को अपने में समेटे हुए यह महाकुम्भ मेला अपने आप में अद्वितीय है। इस मेले में सभी रास्तों, धर्म और विचारधाराओं वाले लोग भाग ले रहे हैं तथा लाभान्वित हो रहे हैं। यह मेला प्रगति के पथ पर अग्रसर महान भारत देश की आध्यात्मिक संपत्ति, उसकी सर्वांगीण संस्कृति और सभ्यता की आराधना का स्वरूप है। समूचे विश्व के आध्यात्मिक जिज्ञासु तथा सामान्य मानव समाज महाकुम्भ मेले के प्रति जागरूक हो गए है। यह महाकुम्भ मेला भारत की अगाध आध्यात्मिक परम्पराओं के मूल स्रोत दर्शित करता है। यह मेला विश्व के अनेक विचारधाराओं को नेतृत्व प्रदान कर रहा है।
हिमालयन इन्स्टीट्यूट ने यह भी कहा है कि महाकुम्भ मेले को ऐसा स्वरूप देने में कितना प्रयत्न करना पड़ा होगा, कितने संसाधन जुटाने पड़े होंगे, किस प्रकार उच्च स्तरीय नेतृत्व शक्ति का संचय और सदुपयोग किया गया होगा, इसका अनुमान महाकुम्भ मेले में प्रवेश करते ही हो जाता है। महाकुम्भ मेले को सफलता की चोटी पर पहुंचाने के लिए सरकार के शीर्ष पद पर विराजमान समस्त अधिकारी प्रशंसा और धन्यवाद के पात्र हैं। इस महान स्वरूप को विश्व के मानचित्र पर सदा-सदा के लिए सर्वोच्च पद पर आसीन करने के लिए आप सबका हम शत-शत नमन और आभार व्यक्त करते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 1954 की कुम्भ में 800 से अधिक श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना तब घटित हुई थी, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री और तत्कालीन राष्ट्रपति एक दिन पूर्व इसमें भागीदार बने थे। वर्ष 1974 और वर्ष 1986 के कुम्भ के आयोजन में सैकड़ो लोगों की मृत्यु हुई थी। कुछ लोग आज महाकुम्भ के महा आयोजन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहे हैं, उन्हें पूर्व के आयोजनों पर भी ध्यान देना चाहिए। महाकुम्भ में कोई भी वी0आई0पी0 कल्चर नहीं है। यदि वी0आई0पी0 कल्चर होता, तो 37 से 38 दिनों में 56 करोड़ लोग त्रिवेणी में आस्था की पावन डुबकी नहीं लगा सकते थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब मौनी अमावस्या के दिन दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हुई, उस समय प्रयागराज में मेला क्षेत्र में ही 05 करोड़ से अधिक श्रद्धालु थे। प्रयागराज शहर में भी हर जगह श्रद्धालु थे। जिस शहर की क्षमता 25 लाख लोगों को समाहित करने की हो, अगर वहां 02 करोड़ लोग आ जाएंगे, तो असुविधा स्वाभाविक है। यह 02 करोड़ लोग प्रयागराज शहर उसके अगल-बगल के क्षेत्रों में उपस्थित थे। सरकार ने 24 घंटे पूर्व से ही इनके लिए व्यवस्थाएं की थी। एक दिन पहले ही जौनपुर, मिर्जापुर, भदोही, चित्रकूट, महोबा, फतेहपुर, कौशांबी और प्रतापगढ़, इन सभी जनपदों में होल्डिंग एरिया बनाकर तथा पार्किंग स्पेस देकर श्रद्धालुजनों को रोका गया था। लगभग 02 लाख बसें रोकी गई थी। स्थानीय प्रशासन और स्थानीय जनता सहित उत्तर प्रदेश वासियों ने आतिथ्य सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया था। एक दिन पहले ही 28 जनवरी को 05 करोड़ श्रद्धालुओं ने प्रयागराज में स्नान किया। भीड़ का अत्यधिक दबाव था। प्रशासन पूरी तरह इसे व्यवस्थित करने में लगा था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 29 जनवरी की रात्रि 01 बजकर 10 मिनट से 01 बजकर 30 मिनट के बीच में दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हुई। जब संगम नोज़ के पास अचानक भीड़ का अत्यधिक दबाव होने के कारण बैरिकेट्स टूट गई। वहां स्थित होल्डिंग एरिया में पहले से बैठे श्रद्धालु के ऊपर लोग गिर गए।
इसमें 66 श्रद्धालु चपेट में आए थे, जिन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया। जिसमें से 30 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई। 36 श्रद्धालु स्थानीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती किए गए। 30 मृत श्रद्धालुओं में से 29 की पहचान हो गई। उनके परिजन शवों को अपने साथ लेकर चले गए। एक मृतक की पहचान नहीं हो पायी। उनका डी0एन0ए0 सुरक्षित रख लिया गया है। उनका अंतिम संस्कार स्थानीय स्तर पर प्रशासन द्वारा कर दिया गया। 36 घायल श्रद्धालुओं में से 35 को उनके परिजन घर लेकर चले गए। एक श्रद्धालु का उपचार स्थानीय मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।
वहां पर तत्काल पुलिस ने और सुरक्षा के लिए लगाए गए अन्य एजेंसियों ने रेस्क्यू प्रारंभ किया। ग्रीन कॉरिडोर बनाने में श्रद्धालु जनों ने मदद की थी। दिन भर अलग-अलग क्षेत्र में इस प्रकार के दबाव बनते रहे। अन्य स्थानों पर भी लगभग 30-35 लोग घायल हुए उन्हें भी अस्पताल पहुंचाया गया। इनमें भी 07 लोगों की मृत्यु हुई। लेकिन देश के अलग-अलग भागों अलीगढ़, झारखण्ड व नेपाल में घटित हुई घटना को प्रयागराज से जोड़कर दिखाया गया। यह नहीं होना चाहिए था। कुछ दिन पूर्व ही प्रयागराज में एक बोलेरो गाड़ी की अन्य गाड़ी से टक्कर में प्रयागराज महाकुम्भ में शामिल होने आ रहे 10 श्रद्धालुओं की दुखद मृत्यु हो गई। इसे महाकुम्भ के आयोजन से नहीं जोड़ना चाहिए। सड़क दुर्घटना हमारे लिए चिंता का विषय है। केवल उत्तर प्रदेश में हर वर्ष हम 20 से 25 हजार लोगों को सड़क दुर्घटना में खो देते हैं। इनमें से 55 से 60 प्रतिशत मृतक 18 से 40 वर्ष की आयु के बीच के होते हैं। यह समाज की क्षति है। प्रदेश सरकार सड़क सुरक्षा के लिए जन जागरूकता के अनेक कार्यक्रम चला रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अभी महाकुम्भ के समापन में एक सप्ताह का समय बाकी है। अब तक 56 करोड़ श्रद्धालु इस पूरे आयोजन में सहभागी बने हैं। सभी ने भारत के सनातन धर्म के प्रति अपनी आस्था को व्यक्त किया है। भारत और भारतीयता को पहचान देने के लिए हर व्यक्ति उतावला दिख रहा है। देश और दुनिया में जहां कहीं भी सनातन धर्मावलंबी है या भारत में किसी भी क्षेत्र का नेतृत्व वर्ग है, उनकी एक ही इच्छा है कि महाकुम्भ के आयोजन में भागीदार बनें। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन हुई दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने स्वयं 29 जनवरी को सुबह 03 बजे अखाड़ों से इस बारे में अनुरोध किया था कि उनको कुछ देर के लिए अमृत स्नान स्थगित करना चाहिए। 29 जनवरी, 2025 को दिनभर अमृत स्नान का मुहूर्त था। उस दिन कोई एक समय निश्चित नहीं था। अखाड़ों ने व्यवस्था में पूर्ण सहयोग प्रदान किया और कहा कि श्रद्धालुओं को अमृत स्नान का अवसर मिलना चाहिए।
महाकुम्भ में 06 मुख्य स्नान हैं, जिसमें 03 अमृत स्नान हुए हैं। 13 जनवरी, 2025 को पौष पूर्णिमा का पहला स्नान सम्पन्न हुआ। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन पहला अमृत स्नान हुआ। दूसरा अमृत स्नान विगत 29 जनवरी को मौनी अमावस्या को सम्पन्न हुआ, जिसमें सभी 13 अखाड़ों ने अमृत स्नान में भाग लिया। इस स्नान को लोगों ने अपनी आंखों से देखा। यह महाकुम्भ का तीसरा स्नान था। चौथा स्नान, जो तीसरा अमृत स्नान था, बसंत पंचमी के दिन पूरी भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। सभी अखाड़े उसमें सहभागी बने।
पांचवां स्नान माघी पूर्णिमा विगत 12 फरवरी को भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। यह स्नान अमृत स्नान नहीं था। अखाड़े काशी के लिए प्रस्थान कर चुके थे। छठवां स्नान 26 फरवरी, 2025 को महाशिवरात्रि के दिन होने जा रहा है। महाकुम्भ की तिथि ज्योतिष गणना के आधार पर तय होती है। यह तिथि सरकार तय नहीं करती है। संतों ने इस पूरे आयोजन को आगे बढ़ाया है और वह सभी अमृत स्नानों में भागीदार बने हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और पूज्य संतों के सान्निध्य में महाकुम्भ का इतना विराट आयोजन हो रहा है। यह एकात्मकता का महाकुम्भ है। इस एकात्मकता के भाव ने पूरी दुनिया को एकता के सूत्र में जोड़ने का कार्य किया है। विभाजनकारी राजनीति का जवाब देश व उत्तर प्रदेश ने दे दिया है। दुष्प्रचार की अपनी एक सीमा होती है। लोग महाकुम्भ पर राजनीति न करें, अपनी बात शालीनता व मर्यादा के साथ रखें। ‘बड़ा हसीन है, इनकी जुबान का जादू, लगाके आग बहारों की बात करते हैं। जिन्होंने रात में चुन-चुन के बस्तियों को लूटा, वही नसीबों के मारों की बात करते हैं।’
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 22 हजार से अधिक श्रद्धालु इस पूरे आयोजन में अलग-अलग समय में खोए, जिन्हें डिजिटल खोया-पाया सेण्टर खोजने व उनकी मदद करने का कार्य कर रहा है। इस सेण्टर ने 20 हजार से अधिक बिछड़ों को अपनों से मिलाया है। मौनी अमावस्या के दिन 8,725 लोगों को, 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा, 14 जनवरी मकर संक्रांति व 15 जनवरी को 598 श्रद्धालुओं को परिजनों से मिलाया गया। बसंत पंचमी के दिन 2, 3 व 4 फरवरी, 2025 को 813 श्रद्धालुओं को डिजिटल खोया-पाया केन्द्र की मदद से उनके परिजनों से मिलाने का कार्य किया गया। प्रयागराज महाकुम्भ के प्रति प्रदेश की सद्भावना है। प्रदेशवासियों का सहयोग है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन बन चुका है। जर्मनी के ऑक्टेबर फेस्ट में 72 लाख पर्यटक आते हैं। रिओ कार्निवल, ब्राजील में 70 लाख पर्यटक आते हैं। हज के लिए मक्का में 25 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। यह दुनिया के प्रमुख आयोजनों की स्थिति है। वहीं महाकुम्भ में 56 करोड़ लोग शामिल हो चुके हैं, जबकि महाकुम्भ में अभी एक सप्ताह बाकी है। भारत और चीन के अलावा दुनिया के किसी और देश की आबादी इससे अधिक नहीं है। यूरोपीय संघ की आबादी 44.90 करोड़ है। यू0एस0ए0 की आबादी 34.66 करोड़ है। पाकिस्तान व बांग्लादेश दोनों की आबादी को जोड़ दें, तो उससे ज्यादा लोग महाकुम्भ में आ चुके हैं। अकेले प्रयागराज इन सबको अपने साथ जोड़ रहा है।
महाकुम्भ में कोई भूखा नहीं रह सकता है। गुरुद्वारा, मठ, मंदिर में लंगर निःशुल्क चलते हैं। यह हमारी परम्परा है कि गुरुद्वारा, मठ, मंदिर में व्यक्ति की जाति, पंथ, क्षेत्र, भाषा पूछे बगैर किसी भी व्यक्ति को सम्मानजनक ढंग से अतिथि मानकर उसका सम्मान किया जाता है। हमारे यहां तीर्थयात्राएं होती हैं। लोग बड़ी श्रद्धा के साथ तीर्थयात्रा पर जाते हैं, यह हमारी आस्था है। लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।
प्रयागराज में जो लोग भगदड़ या रोड एक्सीडेण्ट के शिकार हुए हैं, उनके साथ सरकार की पूरी संवेदना है। सरकार उनके परिजनों के साथ है। इन सभी घटनाओं की जांच के लिए सरकार ने एक ज्युडिशियल कमीशन का गठन किया है, जो अपना कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री जी ने सदन को आश्वस्त करते हुए कहा कि प्रयागराज भगदड़ का कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा। महाकुम्भ आयोजन किसी पार्टी, किसी सरकार का नहीं है। सरकार व प्रशासन अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सदन के सदस्यों को भोजपुरी, अवधी, बुंदेली आदि बोलियों में बोलने की छूट दी गई है। हिंदी में इन बोलियों के अनुवाद की व्यवस्था की जाएगी। इन बोलियों की लिपि भी देवनागरी है। संविधान द्वारा घोषित व्यवस्था के दायरे में सारा कार्य किया गया है। हिंदी इस सदन की भाषा है। हिंदी को हटाया नहीं गया है। इस कार्य के साथ हम सभी को सकारात्मक भाव के साथ जुड़ना चाहिए।
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