महाकुंभ में लोकसंस्कृति और अभिनय का संगम: विद्वत कुंभ में पंकज त्रिपाठी और मालिनी अवस्थी का आत्मीय संवाद रविंद्र आर्य 


विद्वत कुम्भ में पंकज त्रिपाठी: सहजता और आत्मीयता का प्रतीक


प्रयागराज महाकुंभ 2025: जब अभिनय, साहित्य और संस्कृति का संगम हुआ


रिपोर्ट: रविंद्र आर्य 


प्रयागराज, महाकुंभ 2025 – भारतीय संस्कृति, आध्यात्म और लोकपरंपरा के महामिलन महाकुंभ 2025 के विद्वत कुंभ में एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब विख्यात अभिनेता पंकज त्रिपाठी और प्रसिद्ध लोकगायिका मालिनी अवस्थी एक मंच पर नजर आए। यह केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं थी, बल्कि लोकसंगीत और सिनेमा—दोनों विधाओं की आत्मीय संवाद-यात्रा थी।


संस्कृति और सिनेमा का अनूठा संगम


विद्वत कुंभ के मंच पर जब पंकज त्रिपाठी और मालिनी अवस्थी एक साथ आए, तो प्रयागराज की पावन भूमि पर संस्कृति, सिनेमा और साहित्य की त्रिवेणी प्रवाहित होती दिखी। यह मिलन भारतीय लोककला, सिनेमा और साहित्य के बीच गहरे संबंध को उजागर करता है।


मालिनी अवस्थी, जिनकी आवाज़ में लोकगीतों की मिठास, ठुमरी की गहराई और कजरी की भावनात्मक लय है, इस अवसर पर भारतीय लोककला के संरक्षण और विस्तार पर विचार रखती नजर आईं। उन्होंने कहा,


"लोकसंस्कृति केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज की आत्मा का प्रतिबिंब है। हमें इसे जीवंत बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करना होगा।"


वहीं, पंकज त्रिपाठी, जो अपने सजीव अभिनय के लिए प्रसिद्ध हैं, ने सिनेमा और समाज के आपसी संबंधों पर विचार साझा करते हुए कहा,


"अभिनय केवल संवाद बोलने की कला नहीं है, यह समाज को देखने, समझने और महसूस करने की क्षमता भी देता है। मैं अपनी जड़ों से जुड़ा हूँ, इसलिए मेरे पात्र भी जीवन से जुड़े होते हैं।"


विद्वत कुंभ: भारतीय ज्ञान परंपरा का विराट मंच


महाकुंभ केवल आध्यात्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, कला और विचारों का भी विराट मंच है। विद्वत कुंभ के अंतर्गत आयोजित इस सत्र में लोककला, सिनेमा, साहित्य और समाज के अंतर्संबंधों पर चर्चा की गई।


प्रमुख हस्तियों की गरिमामयी उपस्थिति


इस आयोजन में भारतीय संस्कृति, संगीत, साहित्य और शिक्षा जगत की कई प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हुईं। मुख्य अतिथि एवं वक्ताओं में शामिल थे: परम पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज, साध्वी भगवती सरस्वती, पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह, अभिनेता पंकज त्रिपाठी, लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी, पद्मश्री डॉ. विद्या बिंदु सिंह, पद्मश्री शेखर सेन, यतींद्र मिश्र (सुप्रसिद्ध लेखक), प्रो. सरीता श्रीवास्तव (कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय),प्रो. आलोक कुमार राय (कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय),प्रो. नीरा गुप्ता (कुलपति, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय), डॉ. अन्वेषा अवस्थी,

संयोजन: पद्मश्री मालिनी अवस्थी


विद्वत कुंभ में पंकज त्रिपाठी की आत्मीय उपस्थिति


विद्वत कुंभ में पंकज त्रिपाठी अपने परिवार के साथ शामिल हुए, जिससे उनकी सादगी और संस्कृति के प्रति लगाव साफ झलका। वे न केवल फिल्मी अभिनेता के रूप में, बल्कि भारतीय साहित्य, संगीत और समाज के गहन अध्येता के रूप में नजर आए।


उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि वे मुंशी प्रेमचंद, फणीश्वरनाथ रेणु और हरिशंकर परसाई जैसे महान लेखकों से गहरे प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय लोककला और लोकसंस्कृति हमारे सिनेमा और समाज के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।


सांस्कृतिक संवाद और भविष्य की संभावनाएं


इस आयोजन के दौरान लोककला और सिनेमा की भूमिका पर गहन चर्चा हुई। मालिनी अवस्थी ने भारतीय लोकसंस्कृति को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, वहीं पंकज त्रिपाठी ने कहा कि लोककथाएँ और लोकभाषाएँ भारतीय सिनेमा और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बन सकती हैं।

विद्वत कुंभ के इस सत्र को विद्वानों, कलाकारों और साहित्य प्रेमियों ने खूब सराहा।


भारतीय ज्ञान परंपरा की बैठक संपन्न

महाकुंभ 2025 के विद्वत कुंभ का आयोजन 7 से 9 फरवरी तक प्रयागराज में किया गया, जिसके प्रमुख आयोजन स्थल थे:

सोनचिरैया, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश


प्रज्ञा प्रवाह, परमार्थ निकेतन, पुष्कर अरेल घाट, प्रयागराज


महाकुंभ में पंकज त्रिपाठी और मालिनी अवस्थी का यह आत्मीय संवाद लोकसंस्कृति और आधुनिक सिनेमा के बीच एक सेतु का कार्य करता है। यह आयोजन भारतीय कला, साहित्य और समाज के गहरे संबंधों को उजागर करने वाला एक ऐतिहासिक क्षण बन गया, जिसे वर्षों तक याद रखा जाएगा।


लेखक: रविंद्र आर्य 7838195666




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