Sandeep Journalist (पत्रकार)
अकबरपुर, अंबेडकर नगर, 19 फरवरी 2025:
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन, जनपद इकाई अंबेडकर नगर द्वारा जिला मुख्यालय अकबरपुर में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया गया। इस विरोध सभा में संगठन के केंद्रीय पदाधिकारियों एवं अभियंताओं ने एकजुट होकर निजीकरण प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की और ऊर्जा प्रबंधन को कड़ी चेतावनी दी कि किसी भी सूरत में यह निजीकरण स्वीकार नहीं किया जाएगा।
सभा को संबोधित करते हुए संगठन के केंद्रीय महासचिव इंजीनियर बलवीर यादव एवं केंद्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष इंजीनियर अवधेश कुमार यादव ने कहा कि विद्युत क्षेत्र का निजीकरण देश के आर्थिक और सामाजिक ढांचे के लिए घातक सिद्ध होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह प्रस्ताव केवल चुनिंदा निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लाया गया है, जबकि आम जनता, किसान और छोटे व्यवसायी इससे गंभीर रूप से प्रभावित होंगे।
निजीकरण के खिलाफ तीखा विरोध, उग्र आंदोलन की चेतावनी
संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र सार्वजनिक क्षेत्र की रीढ़ है और इसे निजी हाथों में सौंपना एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। अगर सरकार ने निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया तो राज्य भर में उग्र आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी क्षेत्र में कार्यरत अभियंता, कर्मचारी एवं तकनीशियन दिन-रात मेहनत कर आम जनता को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कर रहे हैं, लेकिन निजीकरण के बाद यह पूरी व्यवस्था सिर्फ मुनाफे तक सीमित रह जाएगी और उपभोक्ताओं को महंगी बिजली के साथ खराब सेवा झेलनी पड़ेगी।
संयुक्त संघर्ष समिति ने भी जताया विरोध
इस विरोध सभा में संयुक्त संघर्ष समिति, अकबरपुर के संयोजक इंजीनियर सौरभ सिंह, इंजीनियर मुकेश कुमार, इंजीनियर सत्यनारायण, इंजीनियर मनोज कुमार, इंजीनियर सज्जाद आलम, इंजीनियर अनिल बाल्मीकि, इंजीनियर रवि शंकर निषाद, इंजीनियर मुन्ना यादव, इंजीनियर शिव प्रसाद सोनी समेत बड़ी संख्या में अभियंता और कर्मचारी शामिल हुए। उन्होंने एक स्वर में निजीकरण के खिलाफ विरोध जताते हुए कहा कि यदि सरकार ने जल्द से जल्द इस प्रस्ताव को वापस नहीं लिया तो पूरे प्रदेश में व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
सभा के दौरान संगठन के नेताओं ने ऊर्जा प्रबंधन को आगाह किया कि वे इस निजीकरण प्रस्ताव को लागू करने से पहले इसके दूरगामी दुष्परिणामों पर विचार करें। उन्होंने कहा कि बिजली का निजीकरण केवल आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ाएगा और इससे बिजली व्यवस्था भी प्रभावित होगी।
आगे की रणनीति पर विचार
सभा में उपस्थित अभियंताओं एवं कर्मचारियों ने आगे की रणनीति पर भी चर्चा की और यह निर्णय लिया गया कि यदि सरकार इस प्रस्ताव को वापस नहीं लेती है तो संगठन चरणबद्ध आंदोलन करेगा। भविष्य में अन्य जिलों में भी इसी तरह के प्रदर्शन किए जाएंगे और जरूरत पड़ने पर राज्यव्यापी हड़ताल का भी आह्वान किया जाएगा।
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन ने सरकार से मांग की कि वह जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए इस निजीकरण प्रस्ताव को तुरंत रद्द करे, अन्यथा संगठन उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा।
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