मुख्यमंत्री ने आगरा में यूनिकॉर्न कम्पनियों
के कॉन्क्लेव में अपने विचार व्यक्त किये
प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप प्रदेश को 01 ट्रिलियन डॉलर की
इकोनॉमी बनाने के लिए आवश्यक नीतियों को तय करने में यूनिकॉर्न,
प्रदेश सरकार से निरन्तर विचार-विमर्श कर रहे : मुख्यमंत्री
प्रधानमंत्री जी ने स्टार्टअप की संस्कृति को नया आयाम प्रदान किया
प्रदेश में 14,000 से अधिक स्टार्टअप, इनमें से
7,000 स्टार्टअप्स को महिलाएं लीड कर रहीं
उ0प्र0 में पहली बार देश के प्रतिष्ठित यूनिकॉर्न इस कॉन्क्लेव
के माध्यम से अपने विचारों का आदान-प्रदान कर रहे
कोई भी यूनिकॉर्न बिना इनोवेशन आगे नहीं बढ़ सकता,
इनोवेटिव आइडिया विचारों के आदान-प्रदान से आते
इनोवेटिव आइडिया के साथ टेक्नोलॉजी के जुड़ाव के
अच्छे परिणाम निकलते, महाकुम्भ 2025 इसका सबसे अच्छा उदाहरण
महाकुम्भ-2025 को स्टार्टअप की दुनिया का यूनिकॉर्न महाकुम्भ कहा जा सकता
महाकुम्भ में डिजिटल खोया पाया केंद्र के माध्यम से अब तक 28,000
से अधिक लोगों को उनके घर वालों से मिलवाने का काम किया गया
राज्य सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी बनायी, प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों की
मैन्युफैक्चरिंग व उत्पादन करने पर प्रति बस 20 लाख रु0 सब्सिडी प्रदान की जाएगी
ब्रज क्षेत्र की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि रही, इसने लम्बे
काल से भारत की सभ्यता और संस्कृति को प्रभावित किया
लखनऊ : 23 फरवरी, 2025
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में प्रदेश को 01 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की दिशा में हम तेजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वर्ष 2029 तक प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डॉलर होने की सम्भावना है। इसके लिये तैयार की गई कार्य योजना के अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। अलग-अलग पैरामीटर्स पर तय किए गए लक्ष्यों को समयानुसार प्राप्त किया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप प्रदेश को 01 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने के लिए आवश्यक नीतियों को तय करने में यूनिकॉर्न, प्रदेश सरकार से निरन्तर विचार-विमर्श करते रहे हैं। यूनिकॉर्न व्यवहारिक धरातल पर कार्य कर अपने अनुभवों को हमारी टीम से शेयर करते हैं, जिसके आधार पर आगे की रणनीति तय की जाती है।
मुख्यमंत्री जी आज आगरा में यूनिकॉर्न कम्पनियों के कॉन्क्लेव में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने स्टार्टअप की संस्कृति को नया आयाम प्रदान किया है। इससे लोगों के मन में विश्वास उत्पन्न हुआ। पहले लोगों के मन में सिस्टम के प्रति विश्वास नहीं था। प्रधानमंत्री जी ने स्टार्टअप इण्डिया, स्टैंड अप इण्डिया तथा मेक इन इण्डिया की भावना को आगे बढ़ाया। देश में इस दिशा में अनेक अच्छे कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री जी ने हमेशा इस मुद्दे पर युवाओं को प्रोत्साहित किया है। देश का युवा जॉब सीकर नहीं बल्कि जॉब क्रिएटर बनेगा। स्टार्टअप इण्डिया इसका आधार बनेगा। स्टार्टअप इण्डिया देखते ही देखते देश व दुनिया में लोकप्रिय होता हुआ दिखाई दे रहा है। आप में से बहुत से युवा ऐसे होंगे जिन्होंने स्टार्टअप व स्टैंड अप इण्डिया के बारे में सीखा व जाना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज देश में अनेक यूनिकॉर्न है। प्रदेश में 14,000 से अधिक स्टार्टअप हैं। इनमें से 7,000 स्टार्टअप्स को महिलाएं लीड कर रही हैं। महिलाओं ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कुछ अलग करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि हम आश्चर्यचकित हैं कि प्रदेश में फिजिक्स वाला एक यूनिकॉर्न बन गया है। इस फील्ड में पहले भी अवसर थे, लेकिन उनको भुनाने का काम इन्होंने किया। प्रदेश के प्रतियोगी व स्कूली विद्यार्थियों ने इस यूनिकॉर्न को हाथों-हाथ लिया। प्रदेश के जिन जनपदों को तकनीक से अनभिज्ञ माना जाता था, आज वहां पर भी फिजिक्स वाला पहुंचा हुआ है। यह चीजें दिखाती हैं कि जब इनोवेटिव आइडिया के साथ टेक्नोलॉजी जुड़ती है तो उसके अच्छे परिणाम निकलते हैं। प्रदेश में हो रहे अन्य कार्य भी इसके उदाहरण है। इसमें सबसे अच्छा उदाहरण महाकुम्भ 2025 का है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ-2025 प्रदेश की अर्थव्यवस्था को साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये की ग्रोथ देगा। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में 20 दिनों में साढ़े सात सौ करोड़ रुपये का चढ़ावा आया है। यह अकल्पनीय है। इस आयोजन को स्टार्टअप की दुनिया का यूनिकॉर्न महाकुम्भ कहा जा सकता है। महाकुम्भ 2025 सभी के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। प्रयागराज महाकुम्भ में अब तक 62 करोड़ श्रद्धालु त्रिवेणी में स्नान कर पुण्य की प्राप्ति कर चुके हैं। दुनिया के अन्य किसी भी आयोजन में एक निश्चित कालखण्ड के दौरान इतनी बड़ी संख्या में लोग सहभागी नहीं बने हैं। यह इस सदी की दुर्लभतम घटनाओं में से एक है। हमारी सरकार को इस आयोजन से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने महाकुम्भ को डिजिटल कुम्भ के रूप में आयोजित करने के लिए हमारा मार्गदर्शन किया था। डिजिटल खोया पाया केंद्र के माध्यम से अब तक 28,000 से अधिक लोगों को उनके घर वालों से मिलवाने का काम किया गया है। इन श्रद्धालुओं की सुरक्षा के दृष्टिगत क्यू0आर0 कोड तथा डिजिटल मैप उपलब्ध कराए गए। यह सभी लोग अपने-अपने घरों को सुरक्षित वापस जा चुके हैं। यह टेक्नोलॉजी का ही परिणाम है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की ऋषि परम्परा में देश के चार महत्वपूर्ण स्थानों पर कुम्भ के आयोजन की व्यवस्था की गई है। इनमें उत्तर प्रदेश का प्रयागराज, उत्तराखण्ड का हरिद्वार, मध्य प्रदेश का उज्जैन तथा महाराष्ट्र का नासिक सम्मिलित है। यह भारत की चिंतन परम्परा को आगे बढ़ाने के माध्यम हैं। भारत के सभी कोनों से ऋषि परम्परा एक जगह एकत्रित होकर चिंतन करती थी। समाज के लिए दिशा निर्देश तय करती थी। जो समय-समय पर विभिन्न स्मृतियों के माध्यम से हमारे सामने आए। समाज इन दिशा निर्देशों का अनुसरण करता था। प्रत्येक तीसरे चौथे वर्ष में इस प्रकार का एक बड़ा आयोजन होता है।
भारत की ज्ञान परम्परा पहली बार भगवान वेदव्यास के समय में आज से 5,000 वर्ष पूर्व लिपिबद्ध होती है। दुनिया की दृष्टि से यह कार्य अत्यन्त प्राचीन है, लेकिन सनातन धर्म की दृष्टि से यह अत्यन्त अर्वाचीन है। प्राचीन काल में हमारे ऋषियों-मुनियों के मन में आशंका रही होगी कि एक समय ऐसा भी आएगा जब व्यक्ति अपनी परम्परा व संस्कृति से दूर होता दिखाई देगा। इसी बात को ध्यान में रखकर उन्होंने सभी आयोजनों को धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों से जोड़ने का प्रयास किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही गुरुकुल परम्परा से जुड़ा रहा है। 14 वर्ष के वनवास के पश्चात प्रभु श्रीराम दण्डकारण्य जाते समय चित्रकूट जाते हैं। उन्होंने चित्रकूट में अपने वनवास के 14 वर्ष में से 12 वर्ष व्यतीत किये। इतना समय बीतने के पश्चात भी उनके मन में वनवास के उद्देश्य को लेकर असमंजस की स्थिति थी। इस उद्देश्य की खोज में वह दण्डकारण्य प्रस्थान कर गए, जहां उन्होंने देखा कि ऋषि-मुनियों की तपस्या के समय रक्षा व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं। असुर जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर चुके हैं व भारत की ज्ञान परम्परा के प्रति दुराग्रह रखते हैं। इसी प्रकार उन्होंने देखा महर्षि विश्वामित्र के विशिष्ट यज्ञ के आयोजन के समय मारीच, सुबाहु और ताड़का जैसे राक्षस व्यवधान उत्पन्न कर रहे थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दण्डकारण्य केवल ऋषि भूमि ही नहीं बल्कि भारत की आध्यात्मिक और ज्ञान परम्परा का प्रवाह भी है। प्रभु श्रीराम ने जैसे ही वहां प्रवेश किया, उनका राक्षसों से संघर्ष प्रारम्भ हो गया। यदि भगवान श्रीराम चित्रकूट में ही 14 वर्ष व्यतीत करके वापस आ गए होते तो निःसंदेह अयोध्या के राजकुमार अथवा राजा बन जाते, लेकिन वह लोक पूज्य नहीं बन पाते। वह लोक पूज्य तब बने, जब उन्होंने भारत की ज्ञान परम्परा को उत्तर से दक्षिण तक निर्बाध रूप से आगे बढ़ने का अवसर प्रदान किया। ब्रज क्षेत्र की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि रही है। इसने लम्बे काल से भारत की सभ्यता और संस्कृति को प्रभावित किया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के बारे में चिंतन और मंथन के अनेक अवसर आए हैं। भगवान वेदव्यास द्वारा रचा गया पहला महापुराण, श्रीमद्भागवत महापुराण था। 18 महापुराणों की नींव श्रीमद्भागवत महापुराण की शैली से पुष्पित हुई। कालान्तर में नैमिषारण्य में इस प्रकार के कार्यों का अवसर व वातावरण निर्मित हुआ, जहां आज से 3,500 वर्ष पहले 88,000 ऋषि एकत्रित हुए थे। इसमें सभी पुराणों, उपपुराणों तथा भारत की वैदिक ज्ञान परम्परा को लिपिबद्ध करने का काम किया गया। वर्तमान में बौद्धिक ज्ञान परम्परा को अध्यात्म से अलग कर बुद्धिजीवियों तथा अकादमिक संस्थानों का विषय मान लिया गया है। उन्होंने भारत की बौद्धिक परम्परा को यूनिकॉर्न कॉन्क्लेव के माध्यम से आगरा में आयोजित करने के लिए श्री मोहनदास, श्री अमन तथा उनकी पूरी टीम को धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पहली बार देश के प्रतिष्ठित यूनिकॉर्न इस कॉन्क्लेव के माध्यम से अपने विचारों का आदान-प्रदान कर रहे हैं। कोई भी यूनिकॉर्न बिना इनोवेशन आगे नहीं बढ़ सकता। इनोवेटिव आइडिया विचारों के आदान-प्रदान से आते हैं। विचारों के आदान-प्रदान की परम्परा बहुत प्राचीन है। वाल्मीकि रामायण दुनिया के सभी प्रकार के रामायणों की आधारशिला है। व्यवहारिक संस्कृत का प्रयोग वाल्मीकि रामायण की लोकप्रियता का कारण है। भारत की किसी भी भाषा का जानकार यदि वाल्मीकि रामायण को ध्यान से पढ़ेगा, तो उसे महर्षि वाल्मीकि के विचारों का पता चल जाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ग्रन्थ के लेखन के विषय में महर्षि वाल्मीकि के मन में प्रश्न उठने पर उन्होंने नारद जी से परामर्श किया। नारद जी ने उन्हें प्रभु श्रीराम को आधार बनाकर ग्रंथ की रचना करने का सुझाव दिया। यदि विचारों का आदान-प्रदान नहीं होता तो क्या रामायण जैसा ग्रंथ हमारे सामने आ पाता। आप लोगों का यहां विचारों का आदान-प्रदान एक नई रामायण की आधारशिला बनने जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के 17 शहरों में इलेक्ट्रिक बसें में प्रारम्भ की गई हैं। जनता ने इलेक्ट्रिक बसों के बारे में अत्यन्त सकारात्मकता दिखाई है। गोरखपुर व अयोध्या में इलेक्ट्रिक बसें लॉन्च करते समय जब जनता से इनके बारे में रिस्पांस लिया गया तो लोगों कहा कि शहर के साथ-साथ शहर से दूर भी इन बसों के संचालन की व्यवस्था की जानी चाहिए। बसों की डिमांड के अनुसार उनकी संख्या में वृद्धि की गई। यह बसें गोरखपुर से 25-30 किलोमीटर की रेडियस में सभी महत्वपूर्ण कस्बों में सफर तय कर शहर में आती हैं।
परिवहन विभाग से प्रदेश के प्रत्येक गांव को इलेक्ट्रिक व्हीकल से जोड़ने की कार्रवाई करने को कहा गया। इलेक्ट्रिक बसें लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तय कर लेती हैं। प्रदेश में इसके लिए एक पॉलिसी भी बनाई गई है कि प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों की मैन्युफैक्चरिंग व उत्पादन करने पर प्रति बस 20 लाख रुपये सब्सिडी प्रदान की जाएगी। अन्य प्रकार की सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। इस सम्बन्ध में हमारे पास कुछ प्रस्ताव आए हैं। हम अगले तीन-चार महीनों में इलेक्ट्रिक व्हीकल की पॉलिसी के अन्तर्गत इलेक्ट्रिक बसों के उत्पादन को आगे बढ़ा चुके होंगे। इस सम्बन्ध में हिंदुजा ग्रुप ने लखनऊ में एफ0डी0आई0 के अन्तर्गत बड़ा निवेश प्रारम्भ किया है। प्रदेश में डेढ़ लाख बसों की आवश्यकता है। निवेश करने वाली प्रत्येक कंपनी के लिए प्रदेश का मार्केट खुला है। वर्तमान में देश में सर्वाधिक इलेक्ट्रिक व्हीकल उत्तर प्रदेश में हैं। इस क्षेत्र में अनेक रोजगार सृजित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में हम लोग एग्रीटेक पर कार्य कर रहे हैं। हमने इसके लिए 4,000 करोड़ रुपये का फण्ड भी क्रिएट किया है। उत्तर प्रदेश, देश में खाद्यान्न, गन्ना, चीनी तथा एथेनॉल उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। प्रदेश में वर्तमान में हो रहे उत्पादन से तीन गुना अधिक उत्पादन की क्षमता है। राज्य में सर्वाधिक उर्वर भूमि, सबसे अच्छा जल संसाधन, अच्छी कनेक्टिविटी तथा बेहतरीन बाजार है। यदि अच्छे बीज की उपलब्धता, बाजार तक आसान पहुंच, कृषक उत्पादक संगठनों की मजबूती, वेयर हाउसों की संख्या में वृद्धि, खाद्य प्रसंस्करण तथा निर्यात की सुविधा में वृद्धि आदि व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने पर उत्पादन में तीन गुना वृद्धि की जा सकती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्री गोरक्षनाथ मंदिर में भण्डारे के आयोजन लिए उन्हें कृषि पर ध्यान देना पड़ता है। भण्डारे में 05 हजार से 10 हजार लोग निःशुल्क भोजन ग्रहण करते हैं। खाद्य सामग्री बाजार से कम तथा मंदिर की खेती से अधिक आती है। मुख्यमंत्री बनने पर कार्य की अधिकता से खेती पर कम समय दे पाने के कारण उत्पादन में कमी आई थी। वहां वर्ष 2020 में गन्ना उत्पादन घटकर 6,000 कुन्तल हो गया था। इसके पश्चात मैंने स्वयं कृषि से सम्बन्धित व्यवस्थाओं पर ध्यान देना प्रारम्भ किया। तकनीक के माध्यम से लखनऊ से ही सम्बन्धित लोगों को निर्देशित किया। परिणामस्वरूप आज सुबह ही रिपोर्ट लेने पर ज्ञात हुआ कि वहां गन्ने का उत्पादन 6,000 कुंतल से बढ़कर 18,000 कुंतल हो गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम लोग ‘एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज’ की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। प्रदेश के लगभग 06 जिलों में अभी मेडिकल कॉलेज नहीं है। उनके लिए नई पॉलिसी बनाई गई है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। साक्षात्कार के माध्यम से चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए जिलाधिकारी को निर्देशित किया गया है। इस प्रक्रिया के माध्यम से सिलेक्शन के पश्चात चिकित्सक गांव नहीं जाना चाहते हैं। यदि वर्चुअल माध्यम से कोचिंग क्लासेस चल सकती हैं, तो टेली कंसल्टेशन के माध्यम से मेडिकल की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा सकती है।
कोविड कालखण्ड में प्रधानमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक जिले में आई0सी0यू0 के 10 बेड होने चाहिए। जांच करने पर पाया गया की 36 जनपदों में एक भी आई0सी0यू0 बेड नहीं है। प्रत्येक जिले से एनेस्थेटिक बुलाकर उन्हें एस0जी0पी0जी0आई0 में 10 दिनों की ट्रेनिंग प्रदान की गई। फिर एस0जी0पी0जी0आई0, के0जी0एम0यू0 और आर0एम0एल0 को अलग-अलग जनपद आवंटित कर प्रतिदिन शाम को 05 बजे से 06 बजे के बीच वर्चुअल आई0सी0यू0 संचालित करने को कहा गया। उनसे कहा गया कि आवंटित जिलों में समस्या होने पर आपको वहां फिजिकली उपस्थित होना पड़ेगा। इस सम्बन्ध में प्रदेश सरकार सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। प्रदेश के सभी 75 जनपदों में वर्चुअल आई0सी0यू0 संचालित किए गए।
प्रधानमंत्री जी द्वारा कोविड टेस्ट लैब्स की संख्या बढ़ाने का सुझाव भी दिया गया। उस समय केवल के0जी0एम0यू0 में 100 कोविड टेस्ट की क्षमता थी। स्वास्थ्य विभाग से यह क्षमता बढ़ाकर 1000 करने के लिए कहा गया। जब स्वास्थ्य विभाग ने 1000 टेस्ट की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली तो उसे 10000 टेस्ट की व्यवस्था करने के लिए कहा गया। इसके पश्चात संख्या 01 लाख तक बढ़ाने को कहा गया। क्रमानुसार यह संख्या 05 लाख टेस्ट प्रतिदिन तक पहुंचाई गई। समय पर कदम उठाकर कोविड महामारी का प्रभावी प्रबन्धन किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोविड कालखण्ड के दौरान बड़ी संख्या में श्रमिकों और कामगारों ने प्रदेश की तरफ पलायन किया। उन्हें सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाने के लिए परिवहन निगम की 14,000 बसों को लगाया गया। इस व्यवस्था के माध्यम से प्रदेश के 40 लाख श्रमिकों और कामगारों के साथ-साथ बिहार, झारखण्ड पश्चिम बंगाल, असम व उड़ीसा के लगभग एक करोड़ श्रमिकों और कामगारों को प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में रखा गया। क्वॉरेन्टाइन से वापस जाते समय प्रदेश के श्रमिकों और कामगारों को 15 दिनों का राशन, केरोसिन तथा कम से कम 2000 रुपये का भत्ता देने की व्यवस्था की गई। प्रदेश से बाहर के श्रमिकों और कामगारों के लिए लंच पैकेट व पानी की बोतल की व्यवस्था की गई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज में द्वादश ज्योतिर्लिंगों की रेप्लिका बनाने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ। निवेशक ने प्रदेश सरकार से लैण्ड की मांग की। उसके सामने पुराने रॉ मेटेरियल के माध्यम से रेप्लिका बनाने की शर्त रखी गई। उसने इस कार्य में 14 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसका नाम शिवालिक पार्क रखा गया। 10 जनवरी से 31 जनवरी के बीच उसे 200 गुना लाभ हुआ। उसने अपने 14 करोड़ रुपये निकालने के बाद अतिरिक्त 14 करोड़ रुपये नगर निगम को प्रदान किये। यह प्रदेश की क्षमता है। इसी सामर्थ्य के लिए आप सभी को आमंत्रित किया गया है। आपका अनुभव तथा इनोवेशन प्रदेश को देश के ग्रोथ इंजन के रूप में आगे बढ़ाने में अपना योगदान कर सकता है। आपने अलग-अलग क्षेत्रों में देश को नई दिशा देने का काम किया है। इससे प्रदेश के युवाओं को नई प्रेरणा प्राप्त हो रही है। यह देश तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि हो सकती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के बुन्देलखण्ड में बालिनी मिल्क प्रोड्यूसर्स है। वर्ष 2019 में बुन्देलखण्ड दौरे के दौरान पांच महिलाओं ने रोजगार की मांग की थी। प्रदेश सरकार द्वारा मिल्क प्रोड्यूसर्स के रूप में उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया गया। वर्तमान में उनका टर्नओवर 1,500 करोड़ रुपये का है। इस समय उनके साथ 42,000 महिलाएं जुड़ी हैं। आगरा से सम्बन्धित मिल्क प्रोड्यूसर्स महिलाएं इससे भी अच्छा काम कर रही हैं।
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