उतरौल बलरामपुर
अमीरुल मोमीनीन हजरत अली का जन्म दिन पूरे उतरौला में पुरे हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान लोगों ने अपने घरों, मस्जिदों व इमाम बाड़ों को रंगीन रोशनी से सजाया गया है। लोगों ने एक दूसरे को मौला अली की यौमे विलादत की मुबारक बा द भी दी। हजरत अली के जन्मदिन को लेकर सोमवार को मगरिब के बाद ही लोग अपनी तैयारियों में जुटे हुए थे। घरों मस्जिदों व इमाबार गाहों की साफ-सफाई करने के साथ उसे रंग बिरंगी झालरों से सजा या गया। साथ ही साथ फूल आदि भी लगाए गए। लोगों ने एक दूसरे के घर जाकर मिठाई खिलाई और हजरत अली के जन्मदिन की बधाई भी दी। इस मौके पर घरों में कई तरह के पकवान बनाये गए।घरों में महफिलों का सिंलसि ला देर रात तक चलता रहा। शाम को मीलाद का आयोजन भी किया गया। इस मौके पर मोहल्ला सुभाष नगर के निवासी डाक्टर स्वर्गीय इमदाद अली के यहां मौला अली के जन्म दिवस पर खाने का आयोजन किया गया। और राजा बाजार में अख्तर अली, मोनू, नौमान, फरहत रजा, आशिफ रजा सुल्तान खान, सफ्फू, राजा, आरिफ,आकिब, मोहम्मद आजम आदि लोगों ने नज्र ए मौला अली का एहतमाम किया। नज्र से पूर्व ज़िक्र ए अली में मौला अली की अज़मत का बयान भी हुआ। इसके बाद नारे हैदरी या अली की सदाएं बुलन्द की गई। इस दौरान मौजूद सभी मौलाईयों को लंगरे अली तकसीम भी किया गया। हजरत अली के जन्मदिन का सुबह से ही लोगों में जबर दस्त उत्साह देखने को मिला, सोमवार की रात उतरौला नगर में स्थित इमाम बारगाहों में हजरत अली के जन्मदिन पर महफिल का आयोजन किया गया। जिसमें मौलाना ने हजरत अली के जीवन पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए बताया कि हजरत अली का जन्म मक्का के खान ए काबा में हुआ था। वह शिया समुदाय के पहले इमाम थे। हजरत अली ने लोगों को दुश्मनों से भी प्रेम करने की सलाह दी थी। उनका मनाना था, कि जो आज तुम्हारा दुश्मन है वह एक न एक दिन तुम्हारा दोस्त जरूर बन जाएगा, इसलिए किसी से भी भेद भाव और मन मुटाव नहीं रखना चाहिए। मौलाना ने हज रत अली के पांच खास सन्देश सुनाते हुए कहा कि व्यक्ति को हमेशा सोच समझकर बोलना चाहिए, बोलने से पहले शब्द आपके गुलाम होते हैं। लेकिन बोलने के बाद आप लफ्जों के गुलाम बन जाते हैं। उन्होंने ने आगे यह भी बताया कि अपनी सोच को पानी की बूंदों से भी ज्यादा साफ रखो,क्यों कि जिस तरह बूंदों से दरिया बनता है उसी तरह सोच से भी ईमान बनता है। डॉक्टर आरिफ रिज़वी नेबताया कि हजरत अली किसी की चुगली करने वालों से भी खिलाफ थे। उनका मनाना था कि चुगली करना उसका काम होता है, जो अपने आपको बेहतर बनाने में असमर्थ होते है। हमेशा समझौता करना व सी खना चाहिए, क्योंकि थोड़ा सा झुक जाना व किसी रिश्ते का हमेशा के लिए टूट जाने से बेहतर है।
हिन्दी संवाद न्यूज से
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उतरौला बलरामपुर।
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