मुख्यमंत्री ने टाइम्स ऑफ इण्डिया समाचार पत्र समूह द्वारा आयोजित
‘डिवाइन उत्तर प्रदेश-द मस्ट विजिट सैक्रेड जर्नी’ कॉन्क्लेव को सम्बोधित किया
प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में आज भारत अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति कर रहा, उनकी प्रेरणा और प्रयास से वर्ष 2019 में कुम्भ को यूनेस्को द्वारा ‘मानवता की
अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ के रूप में मान्यता दी गयी : मुख्यमंत्री
प्रयागराज महाकुम्भ में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने
का अनुमान, इस आध्यात्मिक यात्रा के आर्थिक पहलू भी
भारत और उ0प्र0 की अर्थव्यवस्था में लगभग
02 लाख करोड़ रु0 की वृद्धि होने की आशा
वर्ष 2024 में काशी में 16 करोड़ से भी अधिक श्रद्धालु आए,
प्रयागराज महाकुम्भ भव्य, दिव्य और डिजिटल महाकुम्भ के रूप में जाना जाएगा
महाकुम्भ को 10,000 एकड़ क्षेत्रफल में विस्तार दिया गया, यहां श्रद्धालुओं के
लिए सभी व्यवस्थाएं की गई, पूरे मेला क्षेत्र को 25 सेक्टर में बांटकर तैयारियां की गई
मौनी अमावस्या पर अनुमानतः 08 से 10 करोड़ श्रद्धालु स्नान करेंगे
स्वच्छ कुम्भ के लिए जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही
महाकुम्भ मेले में सुरक्षा व्यवस्था को आर्टिफिशियल इन्टेलीजेंस के साथ जोड़ा गया
पहली बार श्रद्धालुओं को प्रयागराज में अनेक नये आकर्षण देखने को मिलेंगे
प्रयागराज में 200 से अधिक सड़कों का विकास
किया गया, एक वर्ष में 14 फ्लाईओवर बनाये गये
लखनऊ : 08 जनवरी, 2025
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आज भारत अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति कर रहा है। 13 जनवरी पौष पूर्णिमा से 26 फरवरी महाशिवरात्रि तक प्रयागराज की धरती पर महाकुम्भ का आयोजन होने जा रहा है। यह उत्तर प्रदेशवासियों का सौभाग्य है कि उन्हें भारत की आध्यात्मिक विरासत के प्रतिनिधित्व का अवसर प्राप्त हो रहा है। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा और उनके प्रयास से वर्ष 2019 में कुम्भ को यूनेस्को द्वारा ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ के रूप में भी मान्यता दी गयी है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां टाइम्स ऑफ इण्डिया समाचार पत्र समूह द्वारा आयोजित ‘डिवाइन उत्तर प्रदेश-द मस्ट विजिट सैक्रेड जर्नी’ कॉन्क्लेव के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस आध्यात्मिक यात्रा के आर्थिक पहलू भी हैं। औसतन एक यात्री उत्तर प्रदेश आगमन पर 5,000 रुपये का खर्च करता है। काशी में पहले एक वर्ष में मुश्किल से 50 लाख श्रद्धालु आते थे। वर्ष 2024 में काशी में 16 करोड़ से भी अधिक श्रद्धालु आए हैं। इस रूप में अकेले काशी, प्रदेश व देश की अर्थव्यवस्था में 80 हजार करोड़ रुपये का योगदान प्रतिवर्ष कर रही है। 13 दिसम्बर, 2024 को प्रयागराज में महाकुम्भ के आयोजन के दृष्टिगत प्रधानमंत्री जी ने 5,000 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया था। इनमें केन्द्र और राज्य सरकार दोनों के कार्य शामिल थे। प्रयागराज में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इस प्रकार भारत और उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में लगभग 02 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होने की आशा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि काशी हजारों वर्षों से भारत की आध्यात्मिक विरासत का प्रतिनिधित्व करती आ रही है। हमने उसे ज्ञान की स्थली के रूप में पूजा है। पहले जब कोई काशी में आता था, तो उसे निराशा होती थी। आज से 108 वर्ष पूर्व सन् 1916 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम में वाराणसी गए थे। वह भगवान विश्वनाथ का दर्शन करने गए थे। उन्होंने वहां की गंदगी और संकरी गलियों को देखा और बाद में इस अव्यवस्था पर एक टिप्पणी भी की। यही स्थिति प्रयागराज कुम्भ की भी थी। वर्ष 2013 के प्रयागराज कुम्भ में मॉरीशस के प्रधानमंत्री भी आए थे। उस समय उन्होंने गंगा जी के तट पर गंदगी और अव्यवस्था देखी थी, जिससे उन्हें बहुत निराशा हुई और वह गंगा जी में स्नान किए बिना और गंगा जी का आचमन किए बगैर ही लौट गए थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ का आयोजन एक अद्भुत क्षण है। यह हमारा सौभाग्य है कि हमें इस आयोजन से जुड़ने का अवसर प्राप्त हो रहा है। यद्यपि यह आयोजन पूज्य संतों और भक्तों का है, लेकिन सरकार में होने के कारण हमारी भी नैतिक जवाबदेही है। इसीलिए सरकार श्रद्धालुओं की सुविधाओं में वृद्धि के लिए कार्य कर रही है। प्रयागराज महाकुम्भ भव्य, दिव्य और डिजिटल महाकुम्भ के रूप में जाना जाएगा। यह स्वच्छता, सुरक्षा और आधुनिकता का मॉडल प्रस्तुत करेगा। यहां आस्था और आधुनिकता का नया समागम देखने को मिलेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ को 10,000 एकड़ क्षेत्रफल में विस्तार दिया गया है। यहां श्रद्धालुओं के लिए सभी व्यवस्थाएं की गई हैं। पूरे महाकुम्भ क्षेत्र को 25 सेक्टर में बांटकर तैयारियां की गई हैं। इन व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने के लिए वह 09 जनवरी, 2025 को प्रयागराज जा रहे हैं। प्रयागराज में दुनिया की सबसे बड़ी अस्थायी सिटी बसेगी, जहां पर 50 लाख से लेकर एक करोड़ संत और भक्तजन हर समय में मौजूद रहेंगे। इसके अलावा, अलग-अलग अवसरों पर करोड़ों श्रद्धालु आएंगे। मौनी अमावस्या पर अनुमानतः 08 से 10 करोड़ श्रद्धालु स्नान करेंगे। इसके लिए पूरी तैयारी और व्यवस्थाएं की गई हैं। महाकुम्भ का पूरा आयोजन माँ गंगा के पावन तट पर होता है। स्वच्छ कुम्भ के लिए जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए एस0टी0पी0 कार्यरत है और जिओ ट्यूब तथा बायोरेमेडीएशन के माध्यम से अशुद्ध जल को शुद्ध किया जा रहा है। 1.5 लाख शौचालयों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़ा गया है। डिजिटल टूरिस्ट मैप के माध्यम से भी प्रत्येक सेक्टर में इनकी स्थिति को जोड़ा गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ मेले में सुरक्षा व्यवस्था को आर्टिफिशियल इन्टेलीजेंस के साथ जोड़ा गया है। जहां 10 हजार एकड़ भूमि में हमने केवल महाकुम्भ मेले को विस्तार दिया है, वहीं संगम तट से 05 कि0मी0 की दूरी के अंदर ही 05 हजार एकड़ अतिरिक्त भूमि पर पार्किंग की व्यवस्था भी की गयी है। जिससे किसी भी श्रद्धालु को लम्बी दूरी तय न करनी पडे़। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की 08 हजार से अधिक बसें, शटल बसें, ई-रिक्शा और बैटरी चालित कार भी उपलब्ध करायी गयी है। संगम नोज को विस्तार दिया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश और दुनिया प्रयागराज महाकुम्भ में आने को उत्सुक है। इस बार पहली बार श्रद्धालुओं को प्रयागराज में अनेक नये आकर्षण देखने को मिलेंगे। प्रयागराज में अक्षयवट कॉरिडोर, सरस्वती कूप कॉरिडोर, पातालपुरी कॉरिडोर, बड़े हनुमान जी मंदिर कॉरिडोर, महर्षि भारद्वाज ऋषि मन्दिर कॉरिडोर और भगवान श्रीराम और निषादराज के मिलन के स्थल श्रृंग्वेरपुर कॉरिडोर बनाये गये हैं। श्रृंग्वेरपुर में भगवान श्रीराम तथा निषादराज की गले मिलते हुए 56 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गयी है। परमार्थ निकेतन ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर उत्तराखण्ड और देश के चार धामों की रिप्लिका बनायी है। नगर निगम प्रयागराज द्वारा द्वादश ज्योतिर्लिंगों की रिप्लिका के भी लोग दर्शन कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज वैदिक कालखण्ड से भी प्राचीन सिटी है। प्रयागराज ने बहुत पहले से भारत और भारत की आध्यात्मिक परम्परा को नेतृत्व दिया है। प्रयागराज ने देश के स्वाधीनता आन्दोलन में भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में वर्ष 2019 के कुम्भ और वर्ष 2025 के महाकुम्भ के माध्यम से प्रयागराज का सस्टेनेबल डेवलपमेण्ट प्लान तैयार किया जाना सम्भव हो पाया है। इस वर्ष प्रयागराज में 200 से अधिक सड़कों का विकास किया गया है। इन्हें सिंगल लेन से डबल लेन और डबल लेन से फोर-लेन में बदला गया है। सिंगल अण्डर पास को डबल में बदला गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक वर्ष में प्रयागराज में 14 फ्लाईओवर बनाये गये हैं। प्रयागराज सिटी में रेलवे, एयरपोर्ट तथा वॉटर-वे की सुविधाएं बढ़ायी गयी हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेला क्षेत्र में 30 पाण्टून पुल तैयार कराए गये हैं। यह सभी कार्य इसलिए हुए हैं कि देश और दुनिया भारत की आध्यात्मिक विरासत पर गौरव की अनुभूति कर सके। जो भी यहां आए, एक नई प्रेरणा लेकर जाए। कुम्भ का उद्देश्य है कि एक नई आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हर भारतवासी में हो, जिससे वह अपने देश और भावी पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के बारे में सोच सके। इसी उद्देश्य के साथ उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार मिल कर महाकुम्भ के आयोजन को पूज्य संतों के सान्निध्य में, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक बनाने का कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री जी ने विश्वास व्यक्त किया कि महाकुम्भ-2025 आस्था और आधुनिकता के एक नये समागम के रूप में वैश्विक पटल पर अपनी छाप छोड़ने में सफल होगा।
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