बलरामपुर //मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय बलरामपुर के तत्वधान में मनाए जा रहे हैं श्री भारतीय प्रज्ञा आराधन पखवाड़ा व्याख्यान माला के अंतर्गत 23 जनवरी को तृतीय व्याख्यान
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी- नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान माला की अध्यक्षता मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह ने किया जबकि मुख्य अतिथि और मुख्यवक्ता के रूप में बाबा साहब अंबेडकर शिक्षण प्रशिक्षण विश्वविद्यालय, कोलकाता, पश्चिम बंगाल की कुलपति प्रोफेसर सोमा बंदोपाध्याय मौजूद रही।
प्रोफेसर सोमा बंदोपाध्याय ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा की नेताजी बचपन से ही अत्यंत मेधावी और तीक्ष्ण बुद्धि के थे। उनके अंदर देश-प्रेम, साहस और स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा हुआ था।
कॉलेज के समय में ही वह देशबंधु चितरंजन दास के साथ मुक्ति आंदोलन में शामिल हो गए थे। प्रोफेसर सोमा बंदोपाध्याय ने बताया की नेताजी भारतीय परंपरा, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की परिकल्पना को साकार करने वाले थे।
उनके लिए देश प्रथम था। वे व्यक्ति से ऊपर देश को रखते थे। अंग्रेजों के जंगलराज से देश को मुक्त करने के लिए उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की और अपने संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बर्मिंघम में फ्री इंडिया सेंटर की स्थापना की। इसके पहले कटक में आजाद हिंद रेडियो की स्थापना की थी। प्रोफेसर सीमा बंधोपाध्याय ने बताया की आजाद हिंद रेडियो से जब यह आवाज सुनाई पड़ती थी की *आमी सुभाष बोलछी* तो पूरे देश का युवा स्वाधीनता के लिए मचल उठता था। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि जब तक समस्त भारतवासी एक साथ मिलकर अंग्रेजों का विरोध नहीं करेंगे तब तक हमारे देश को आजादी नहीं मिल सकेगी। उनका मानना था कि किसी भी देश के लिए स्वाधीनता सर्वोपरि है। प्रोफेसर सोमा बंधोपाध्याय ने अपने संबोधन में कहा की नेताजी नारी शक्ति पर बहुत बल देते थे। अंग्रेजों के खिलाफ स्वाधीनता संग्राम में वे छद्मवेश धारण करने में माहिर थे। प्रोफेसर सीमा बंदोपाध्याय ने कहा कि आज के भटकते हुए युवाओं में को देशोन्मुख बनाने के लिए सुभाष चंद्र बोस जैसी महापुरुषों की स्मृतियों को उन्हें बार-बार सुनाया जाना चाहिए। इस अवसर पर मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह ने कहा सुभाष चंद्र बोस का व्यक्तित्व इतना बड़ा था कि उन्हें समय और स्थान की सीमा में नहीं बांधा जा सकता। उन्होंने कहां की नेताजी का मानना था की व्यापक राष्ट्रीय संगठन के लिए अपनी सभ्यताओं को सहेजना होगा।
व्याख्यान माला का संचालन किसान महाविद्यालय बहराइच के प्राचार्य ने किया और मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय बलरामपुर की कुल सचिव प्रमोद कुमार ने व्याख्यान माला में शामिल सभी अतिथियों का धन्यवाद व्यापित किया।
उमेश चन्द्र तिवारी
9129813351
हिंदी संवाद न्यूज़
बलरामपुर
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