लखनऊ : 11 जनवरी, 2025 : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर परिसर में श्रीरामलला के श्री विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ, ’प्रतिष्ठा द्वादशी’ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर सम्मिलित हुए। उन्होंने प्रभु श्रीरामलला एवं श्री हनुमानगढ़ी मन्दिर में दर्शन-पूजन किया तथा संतगण से भेंट की।
प्रभु श्रीराम की वन्दना ‘रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे, रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः’ तथा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति आभार प्रकट करने से अपने सम्बोधन की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हिन्दू पंचांग के अनुसार आज ही के दिन ठीक एक वर्ष पूर्व देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों द्वारा 500 वर्षों की प्रतीक्षा समाप्त करते हुए श्रीराम जन्मभूमि पर प्रभु श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ था। एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास द्वारा पौष शुक्ल द्वादशी की इस पावन तिथि पर प्रतिष्ठा द्वादशी के त्रिदिवसीय आयोजन का शुभारम्भ किया गया है। आज हम सभी को गौरव की अनुभूति हो रही है। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि के लिए चले एक लम्बे आन्दोलन को संविधान के दायरे में रहकर लोकतांत्रिक तरीके से एक मंच पर सजाने का काम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मार्गदर्शन और नेतृत्व में स्व0 श्री अशोक सिंघल जी ने आगे बढ़ाने का कार्य किया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यहां जो बात अभी श्री चम्पत जी कह रहे थे कि 22 दिसम्बर, 1949 को श्रीरामलला का अपनी जन्मभूमि में प्रकटीकरण होना, इस पूरी लड़ाई की पृष्ठभूमि को आगे बढ़ाता हुआ आज इन स्थितियों में पहुंचा कि हम प्राण प्रतिष्ठा के एक वर्ष के उपरान्त आज यहां पर एकत्र होकर इस मंगल गान के साथ अभिभूत होकर जुड़ रहे हैं। लेकिन इसके उपरान्त भी अनेक ऐसी परिस्थितियां आयीं, जिनमें हर भारतवासी अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरते हुए तथा न्याय संगत तरीके से मर्यादा के अनुसार धैर्य की अपनी परीक्षा देते हुए आगे बढ़ा। लेकिन सबका ध्येय एक ही था कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर प्रभु श्रीरामलला विराजमान हों।
इसका शुभारम्भ 09 नवम्बर, 2019 को हुआ जब भारत की न्यायपालिका ने संवैधानिक तरीके व सर्वसम्मति से यह निर्णय सुनाया कि अयोध्या में जहां पर विवादित ढांचा था, वह राम जन्मभूमि है और वहां पर एक ट्रस्ट गठित करते हुए प्रभु श्रीरामलला के भव्य मन्दिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह कार्य सम्पन्न होने के उपरान्त 05 अगस्त, 2020 को इसी अयोध्या धाम में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्रभु श्रीरामलला के भव्य मन्दिर के कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इसके उपरान्त 22 जनवरी, 2024 हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष शुक्ल द्वादशी अर्थात आज ही की तिथि पर प्रधानमंत्री जी ने देश भर से आए हुए और हर तबके के नेतृत्व वर्ग की उपस्थिति में पूज्य संतों के सान्निध्य में प्रभु श्रीरामलला को उनकी जन्मभूमि में प्रतिष्ठित करने का कार्य किया। प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सम्पन्न होने के उपरान्त लाखों की संख्या में श्रद्धालुजन अयोध्या धाम में पधार रहे हैं। अयोध्या में प्रतिदिन औसतन डेढ़ से दो लाख श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज अयोध्या जिस रूप में हम सबके सामने है, 05 वर्ष या 10 वर्ष पूर्व किसी ने इसकी कल्पना नहीं की होगी। क्या कोई सोचता था कि हमारी अयोध्या भी इसकी अधिकारी है। वर्ष 2017 के पहले इस अयोध्या में बिजली भी नहीं मिलती थी। बमुश्किल तीन से चार घण्टे बिजली आती थी। स्वच्छता का कोई अता-पता नहीं था। राम जी की पैड़ी में सरयू जी का जल सड़ता रहता था। हजारों वर्षों पहले लंका पर विजय प्राप्त करने के पश्चात भगवान श्रीराम पुष्पक विमान से अयोध्या धाम पधारे थे। हजारों वर्षों के बाद भी विज्ञान जब इतना प्रगति कर चुका है, तब भी अयोध्या में कोई एयरपोर्ट नहीं था, जहां पर कोई फ्लाइट लैण्ड कर सके। लेकिन आज अयोध्या के पास अपना इण्टरनेशनल एयरपोर्ट है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या की सड़कें त्रेता युग का स्मरण करा रही हैं। 4-लेन, 6-लेन की सड़कें बन चुकी हैं। सरयू मैया के घाट पूरे देश को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। राम जी की पैड़ी में अब सरयू जी का जल सड़ता नहीं है, बल्कि एक ओर से आता है तथा दूसरी ओर से वापस सरयू मैया में लौट कर श्रद्धालुओं को पुण्य का लाभ प्रदान कर रहा है। आज हमारी अयोध्या, अयोध्या होने का एहसास करा रही है। सूर्यवंश की राजधानी अयोध्या देश की पहली सोलर सिटी बन चुकी है। जो बिजली यहां स्ट्रीट लाइटों तथा घरों में जलती है, वह किसी थर्मल पावर स्टेशन या हाइड्रो पावर स्टेशन से नहीं आती, बल्कि सूर्य की रोशनी से प्राप्त होती है।
जिसने 10 वर्ष पहले अयोध्या देखी होगी, आज जब वह अयोध्या आता है तो उसे पहचानने में कठिनाई होती है। वह कहता है कि अयोध्या अब त्रेता युग का एहसास करा रही है। 01 से 02 वर्षों में श्रीराम जन्मभूमि के परिसर के भव्य रूप में आने के पश्चात यह दुनिया का सबसे सुन्दरतम, आध्यात्मिक तथा सबसे वैभवशाली नगर के रूप में हमारे सामने होगी। सनातन धर्म के धार्मिक स्थलों को किस रूप में भव्य होना चाहिए, श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर इस हेतु प्रेरणा का केन्द्र बनने वाला है। इसके लिए हमें स्वयं को तैयार करना होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास विगत 04 वर्षों में दिन-रात, धूप और बरसात की परवाह किए बिना प्रभु श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा एवं मन्दिर को भव्य रूप देने के लिए कार्य कर रहा है। भक्तों की सुविधाओं को आगे बढ़ाने का काम मजबूती के साथ चल रहा है।
नए भारत के नये उत्तर प्रदेश में नई अयोध्या अपने तीर्थ होने के गौरव के साथ पूरे देश को अपने साथ जोड़ रही है। क्या यह अचानक या एक दिन में हो गया। नहीं, इसके लिए एक लम्बे संघर्ष को आगे बढ़ाना पड़ा। इसके लिए दर्जनों पीढ़ियों ने अपना बलिदान दिया। सबकी एक ही कामना थी कि अयोध्या में हम अपने प्रभु श्रीरामलला को विराजमान होते देख सकें। अधूरी कामना के साथ पूज्य संतों व भक्तों का चला जाना दुःखद है, लेकिन उनका संकल्प दृढ़ था। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि इन तिथियों को अपने भौतिक चक्षुओं से देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि रामकाज के इन सभी कार्यों के लिए त्याग और तपस्या पूज्य संतों व राम भक्तों की थी। उन अनगिनत राम भक्तों, कारसेवकों तथा पूज्य संतों के हम ऋणी हैं। संघर्ष के साथ-साथ अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरते हुए भी वह अपने मार्ग से कभी विचलित नहीं हुए। श्रीराम जन्मभूमि देश का एक ऐसा आन्दोलन है, जिसमें 500 वर्षों में 1528 से 06 दिसम्बर, 1992 तक के इतिहास को उठाकर देखेंगे, तो हर 15 से 20 वर्ष के अन्तराल में हिन्दू समाज फिर से संघर्ष करने व अपने प्रभु की जन्मभूमि को वापस प्राप्त करने के लिए निरन्तर संघर्ष करता रहा। जिस भाषा में शासन तंत्र समझता था, उसे उसी भाषा में समझाने के लिए वह कार्य कर रहा था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अंततः वह अवसर आया, जब पूज्य संतों के सान्निध्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के श्रद्धेय श्री अशोक सिंघल जी जैसे युग दृष्टा के नेतृत्व में आन्दोलन आगे बढ़ा। जिन्होंने कभी अपने मान-अपमान की चिंता नहीं की। एक ही ध्येय था कि हर हाल में राम जन्मभूमि वापस हो व श्रीरामलला के भव्य मन्दिर का निर्माण हो। सचमुच बोलने के लिए शब्द नहीं है। हम सब का मन भावुक हो जाता है जब इस पूरे इतिहास को देखते हैं। हम लोगों ने जब उस आन्दोलन को नजदीक से देखा और आज जब यह परिणाम हम सबके सामने आता है।
हम सब सौभाग्यशाली हैं और मेरे लिए इसलिए सौभाग्य का विषय है कि हमारी तीन-तीन पीढ़ियां इस अभियान के साथ जुड़ी रही हैं। पूज्य महंत दिग्विजय नाथ जी महाराज को मैं नहीं देख पाया, लेकिन अपने पूज्य गुरुदेव से जो सुनता था और मुझे याद है जब वर्ष 2014 में मेरे पूज्य गुरुदेव की अन्तिम सांसें चल रही थीं, तो उनकी अन्तिम बातचीत भी श्री अशोक सिंघल जी के साथ ही हुई। वह काफी देर तक एक टक अशोक जी की तरफ देख रहे थे और अंत में उन्होंने अशोक जी को सामने बुलाया और कहा कि क्या श्रीराम जन्मभूमि का मन्दिर बन जाएगा। अशोक जी ने कहा कि जरूर बनेगा। आप पहले स्वस्थ हो जाइए। कुछ ही दिनों के बाद उन्होंने अपनी भौतिक देह का त्याग कर दिया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अभिराम दास जी, पूज्य परमहंस रामचन्द्र दास जी महाराज, शंकराचार्य, रामानन्दाचार्य व रामानुजाचार्य की परम्परा रही हो या फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा नेतृत्व इन सभी का यह सिलसिला अनवरत चलता रहा। आज हम सब यहां पर इस बात का एहसास कर रहे हैं कि श्रीराम जन्मभूमि के लिए जो आन्दोलन चला था आज वह सार्थक लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है। जो भी अयोध्या आता है वह यहां से अभिभूत होकर जाता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज जब हम प्रतिष्ठा द्वादशी के अवसर पर आए हैं, तो हमारे सामने बहुत सारे लक्ष्य हैं। हमें उन परिस्थितियों को ध्यान में रखना होगा, जिनके कारण समाज बंटा हुआ था। हमारे आराध्य देव स्थल अपमानित हो रहे थे। यदि हम जाति तथा अन्य बातों के आधार पर विभाजित रहेंगे, तो इस प्रकार की अपमानजनक स्थितियों का सामना हम सबको निरन्तर करना पड़ेगा। जो हमारे वर्तमान तथा भविष्य को सुरक्षित रख सके, ऐसी राष्ट्रीय एकात्मकता की भावना आज की आवश्यकता है। यदि राष्ट्रीय एकात्मकता की कड़ी मजबूत होगी, तो सनातन धर्म भी मजबूत होगा। देश भी मजबूत होगा। यदि हमारा देश आपस में विभाजित होकर कमजोर होगा, जातिगत खाइयां चौड़ी होंगी, हम क्षेत्र तथा भाषाई आधार पर विभाजित होंगे, तो इसका खामियाजा सबसे पहले हमारे पूज्य धार्मिक स्थलों व बहन-बेटियों को ही भुगतना पड़ेगा। इस प्रकार की स्थिति दोबारा न आने पाए, इसके लिए यह आयोजन हम सबको प्रेरित कर रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रतिष्ठा द्वादशी का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकात्मकता को मजबूती प्रदान करने के लिए हम सभी का आह्वान कर रहा है। प्रधानमंत्री जी ने आज से ठीक 01 वर्ष पूर्व प्राण प्रतिष्ठा के दिन देशवासियों से यही आह्वान किया था कि प्रभु श्रीराम हमारे लिए राष्ट्र के प्रतीक हैं। ‘प्रभु श्रीराम हैं तो राष्ट्र है, राष्ट्र है तो प्रभु श्री राम हैं’ दोनों को अलग करके नहीं देखा जा सकता है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। उत्तर से दक्षिण तक तथा पूर्व से पश्चिम तक इन्हीं आराध्य देवों के कारण आज वर्तमान भारत है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में नए भारत को आज आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि हम उस अभियान का हिस्सा बने, जिसमें सत्य को अधिक दिनों तक धुंधला करके नहीं रखा जा सकता। एक दिन सत्य सबके सामने उजागर होगा।
अयोध्या में प्रभु श्रीराम मन्दिर के रूप में सत्य को पूरा देश और दुनिया देख रही है। प्रभु श्रीराम के भव्य मन्दिर का निर्माण दुनिया में सभ्यता और संस्कृति के लिए एक नया संदेश है कि कैसे संविधान सम्मत तथा लोकतांत्रिक तरीके से भी अपने अधिकार लिए जा सकते हैं। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के लिए हुए अनगिनत बलिदान और अग्नि परीक्षा के दौर से बार-बार गुजरने के पश्चात भी अपने धैर्य को न खोना इस अभियान के हिस्से रहे हैं। हम निरन्तर इस अभियान के अनुगामी बनेंगे, इस विश्वास के साथ परसों से प्रयागराज की धरती पर महाकुम्भ का आयोजन होने जा रहा है। जैसी सुविधा अयोध्या धाम में है वैसी ही सुविधा प्रयागराज में भी श्रद्धालुओं को प्राप्त होने जा रही है। हम लोग वहां व्यवस्थाओं को कल अन्तिम स्वरूप देकर आए हैं।
‘श्रद्धावान लभते ज्ञानम’ यदि आपके पास श्रद्धा है, तो आपको ईश्वरी शक्तियां बुद्धि स्वयं ही प्रदान कर देती हैं। प्रयागराज में यही देखने को मिल रहा है। प्रयागराज में फिर से एक बार महाकुम्भ का आयोजन जिस दिव्यता तथा भव्यता के साथ आस्था और आधुनिकता के संगम के रूप में देखने को मिल रहा है। आप सभी वहां जाकर एक बार त्रिवेणी में स्नान अवश्य करें। व्यवस्था कैसी होनी चाहिए तथा सनातन धर्म का गौरव कैसे आगे बढ़ेगा, इसका मूर्त रूप प्रयागराज में देखने को मिलेगा।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने अबोहर, फाजिल्का, पंजाब से लगभग 1,200 किलोमीटर दौड़कर अयोध्या पहुंचे 06 वर्षीय बालक मोहब्बत को आशीर्वाद भी प्रदान किया। बालक ने 14 नवम्बर, 2024 को अपनी यात्रा प्रारम्भ की थी।
कार्यक्रम को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री श्री चम्पत राय ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, अयोध्या के महापौर श्री गिरीश पति त्रिपाठी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रोली सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, संतगण तथा गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know