प्रक्षेत्र भ्रमण कर डीएम ने स्ट्राबेरी, ब्रोकली व फ्रेंच बीन्स की फसलों का किया अवलोकन, 
नवाचार के लिए कृषक द्वारा किये गये प्रयासों को बताया सराहनीय

 
बहराइच / ब्यूरो। जिलाधिकारी मोनिका रानी ने तहसील कैसरगंज अन्तर्गत ग्राम पंचायत कोहली में कृषक श्रवण कुमार पुत्र छत्रपाल सिंह के प्रक्षेत्र का भ्रमण कर नवाचार के रूप में कृषक द्वारा की जा रही स्ट्राबेरी, ब्रोकली, फ्रंेच बीन्स व शिमला मिर्च की फसल का अवलोकन करते हुए कृषक द्वारा किये गये प्रयासों की सराहना की। डीएम ने कृषक को सुझाव दिया कि जिले के दूसरे कृषकों को भी नवाचार के लिए प्रेरित कर अपने अनुभव उनके साथ साझा करें। डीएम ने कृषक को यह भी सुझाव दिया कि इन फसलों के साथ-साथ जरबेरा की खेती को भी अपनायें तथा समूह का गठन कर महिलाओं को बुके तैयार करने का प्रशिक्षण दिलाये ताकि ग्रामीण परिवेश की महिलाएं भी स्वावलम्बी बनकर परिवार को आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाने में सहयोग कर सकें।
स्ट्राबेरी, ब्रोकली व फ्रेंच बीन्स के पौध, बीज व नर्सरी इत्यादि के बारे में पूछने पर कृषक श्री सिंह ने डीएम को बताया कि स्ट्राबेरी के पौध पुणे महाराष्ट्र से मंगाये जाते हैं। स्ट्राबेरी पौध की रोपाई का उपयुक्त समय सितम्बर से अक्टूबर तक होता है। कृषक ने बताया कि वर्तमान में 01 एकड़ क्षेत्रफल में स्ट्राबेरी की फसल लगी हुई है जो 45 दिन में तैयार हो जाती है। फसल पर लगभग 04 लाख की लागत आई है। गुणवत्तायुक्त तैयार फसल की बिक्री से उसे लगभग 15 लाख रूपये प्राप्त होने का अनुमान है। कृषक श्री सिंह ने बताया कि चारों फसलो की खेती स्वायल बेड पर मल्चिंग बनाकर की जा रही है। कृषक ने बताया कि उत्पादित फसल का बड़ा भाग वह लखनऊ मण्डी में बिक्री करता है। 
कृषक ने बताया कि वर्तमान में उसके द्वारा 0.5 एकड़ भू-भाग पर ब्रोकली व फं्रेच बीन्स की फसल लगा रखी है। ब्रोकली के लिए उसके द्वारा नर्सरी तैयार की जाती है जबकि फ्रेंच बीन्स के बीजों की बुआई की गई है। श्री सिंह ने बताया कि 65 से 70 दिवस में तैयार होने वाली फसले भी काफी लाभकारी हैं। ब्रोकली पर लगभग रू. 25 हज़ार तथा फ्रंेच बीन्स पर रू. 20 हज़ार प्रति एकड़ लागत आती है। जबकि इनकी बिक्री से क्रमशः रू. 1.5 लाख व रू. 2.00 लाख प्राप्त होते हैं। कृषक ने बताया कि उसके परिवार में लगभग 04 हेक्टेयर भूमि है। उसके द्वारा 2020 से नवाचार अपना कर स्ट्राबेरी, ब्रोकली व फ्रंेच बीन्स की खेती की जा रही है। डीएम ने कृषक को सुझाव दिया कि ई-शक्ति एैप पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराकर उपज की आनलाइन बिक्री भी कर सकें।
निरीक्षण के समय मौके पर मौजूद उद्यान विभाग के योजना प्रभारी पंकज वर्मा ने बताया कि स्ट्राबेरी की खेती पर राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत रू. 50 हज़ार प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाता है। जनपद में स्ट्राबेरी की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विगत वर्ष से राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत स्ट्राबेरी का लक्ष्य प्राप्त होना प्रारम्भ हुआ है। डीएम ने निर्देश दिया कि अधिक से अधिक कृषकों को स्ट्राबेरी की खेती के लिए प्रेरित करें।
                        

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने