प्रधानमंत्री ने त्रिवेणी का जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और संगम आरती की,
प्रयागराज महाकुम्भ-2025 के सफल आयोजन की कामना की, कुम्भाभिषेक किया

प्रधानमंत्री ने जनपद प्रयागराज में 5500 करोड़ रु0 लागत की 167 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण किया,
बहुभाषिनी ए0आई0 चैटबॉट ‘कुम्भ सहायक’ का शुभारम्भ किया, इस अवसर पर उ0प्र0 की राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री सम्मिलित हुए

प्रधानमंत्री, राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने त्रिवेणी
में अक्षत, चन्दन, रोली, पुष्प और वस्त्र अर्पित किए

प्रधानमंत्री ने अक्षयवट, सरस्वती कूप तथा बड़े हनुमान जी का दर्शन-पूजन किया

प्रधानमंत्री ने साधु-संतों एवं महाकुम्भ को सफल बनाने के लिए परिश्रम
कर रहे कर्मचारियों, श्रमिकों और सफाई-कर्मियों का अभिनंदन किया

महाकुम्भ का आयोजन देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक
पहचान को नए शिखर पर स्थापित करेगा : प्रधानमंत्री

यह एक नया नगर बसाने का महा-अभियान

यहां केन्द्र और राज्य सरकार ने मिलकर हजारों करोड़ रु0 की
योजनाएं शुरू कीं, सरकार के अलग-अलग विभाग, जिस तरह
महाकुम्भ की तैयारियों को पूरा करने में जुटे, वह बहुत सराहनीय

महाकुम्भ हमारे देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक यात्रा का पुण्य और जीवन्त प्रतीक

आज केन्द्र और राज्य में भारत के प्रति आस्था रखने वाली तथा भारतीय
संस्कृति को मान देने वाली सरकार, कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के
लिए सुविधाएं जुटाना डबल इंजन सरकार अपना दायित्व समझती

हमारी सरकार ने विकास के साथ-साथ विरासत को भी समृद्ध बनाने पर फोकस किया

रामायण सर्किट, श्री कृष्णा सर्किट, बुद्धिस्ट सर्किट, तीर्थंकर सर्किट के माध्यम
से हम देश के उन स्थानों को महत्व दे रहे हैं, जिन पर पहले फोकस नहीं था

पहली बार महाकुम्भ आयोजन में आर्टिफिशियल इण्टेलिजेंस और चैटबॉट
का प्रयोग होगा, यह ग्यारह भारतीय भाषाओं में संवाद करने में सक्षम

देश-दुनिया के किसी कोने से कुम्भ तक पहुंचने में कोई दिक्कत
ना हो, इसके लिए यहां की कनेक्टिविटी पर विशेष फोकस किया गया

अयोध्या, वाराणसी, रायबरेली तथा लखनऊ से
प्रयागराज शहर की कनेक्टिविटी को बेहतर किया गया

श्रद्धालुओं के लिए सरस्वती कूप, पातालपुरी,
नागवासुकी, द्वादश माधव मन्दिर का कायाकल्प किया जा रहा

प्रभु श्रीराम और निषादराज की मित्रता के प्रतीक
के रूप में श्रृंग्वेरपुर धाम का विकास किया जा रहा

महाकुम्भ की तैयारियों के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाया
गया, प्रयागराज शहर के सैनिटेशन और वेस्ट मैनेजमेण्ट पर फोकस किया गया

महाकुम्भ में 15 हजार से ज्यादा सफाई कर्मी
भाई-बहन कुम्भ की स्वच्छता को संभालने वाले

महाकुम्भ से सामाजिक मजबूती मिलेगी, लोगों का आर्थिक सशक्तिकरण भी होगा

आज का दिन महाकुम्भ-2025 के शुभारम्भ की दृष्टि से सम्पूर्ण सनातन
धर्मावलम्बियों व देश और दुनिया में भारत के प्रति अनुराग रखने वाले सभी
श्रद्धालुजन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण, प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों द्वारा
हजारों करोड़ रु0 की परियोजनाओं का लोकार्पण हो रहा : मुख्यमंत्री उ0प्र0

प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2019 में भव्य, दिव्य, स्वच्छ, सुरक्षित तथा
सुव्यवस्थित कुम्भ की परिकल्पना दी, उनकी प्रेरणा से इस बार
दिव्य, भव्य तथा डिजिटल महाकुम्भ का आयोजन किया जा रहा

प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा तथा मार्गदर्शन में वर्ष 2019 के प्रयागराज कुम्भ में
सैकड़ो वर्षों के पश्चात श्रद्धालुजन को अक्षयवट के दर्शन हुए, आज उन्हीं
के कर-कमलों द्वारा अक्षयवट कॉरिडोर का उद्घाटन होने जा रहा

बड़े हनुमान जी मन्दिर कॉरिडोर, सरस्वती कूप, श्रृंग्वेरपुर में प्रभु श्रीराम तथा निषाद राज
की 56 फीट ऊंची प्रतिमा, महर्षि भारद्वाज आश्रम कॉरिडोर का लोकार्पण किया जा रहा

लखनऊ : 13 दिसम्बर, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज जनपद प्रयागराज में 5500 करोड़ रुपये लागत की 167 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण किया। उन्होंने बहुभाषिनी ए0आई0 (आर्टिफिशियल इण्टेलिजेंस) चैटबॉट ‘कुम्भ सहायक’ का शुभारम्भ भी किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भी सम्मिलित हुए। प्रधानमंत्री जी ने महाकुम्भ प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्हांने श्रद्धालुओं को दी जाने वाली सुविधाओं तथा सुरक्षा, स्वच्छता और डिजिटल महाकुम्भ की जानकारी प्राप्त की।
इसके पूर्व, प्रधानमंत्री जी निषादराज क्रूज पर सवार होकर संगम नोज पहुंचे। प्रधानमंत्री जी ने त्रिवेणी का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया। उन्होंने संगम आरती की। प्रधानमंत्री जी, राज्यपाल जी तथा मुख्यमंत्री जी ने त्रिवेणी में अक्षत, चन्दन, रोली, पुष्प और वस्त्र अर्पित किए। प्रधानमंत्री जी ने त्रिवेणी संगम पर पूजा-अर्चना कर 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक आयोजित होने वाले प्रयागराज महाकुम्भ-2025 के सफल आयोजन की कामना की। उन्होंने साधु-संतों से भेंट की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। मुख्यमंत्री जी ने प्रधानमंत्री जी को सभी संतजन का परिचय दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री जी ने कुम्भाभिषेक किया।
इसके उपरान्त प्रधानमंत्री जी ने अक्षयवट का दर्शन-पूजन तथा अक्षयवट कॉरिडोर के कार्यां का अवलोकन किया। उन्होंने सरस्वती कूप का दर्शन-पूजन तथा यहां स्थापित माँ सरस्वती की प्रतिमा का अभिषेक किया। प्रधानमंत्री जी ने बड़े हनुमान जी मन्दिर में दर्शन-पूजन किया। उन्होंने बड़े हनुमान जी मन्दिर के नवनिर्मित कॉरिडोर का निरीक्षण किया तथा 3-डी मॉडल का अवलोकन कर कॉरिडोर के ले-आउट सम्बन्धी पहलुओं की जानकारी प्राप्त की। ज्ञातव्य है कि 38.19 करोड़ रुपये की लागत से बड़े हनुमान जी मन्दिर कॉरिडोर के प्रथम फेज का कार्य पूर्ण हो चुका है।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज की इस धरती पर एक नया इतिहास रचा जा रहा है। अगले साल महाकुम्भ का आयोजन देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नए शिखर पर स्थापित करेगा। विश्व का सबसे बड़ा आयोजन, जहां हर रोज लाखों श्रद्धालुओं का स्वागत और उनकी सेवा लगातार 45 दिनों तक चलने वाले महायज्ञ में होगी। यह एक नया नगर बसाने का महा-अभियान है।
प्रधानमंत्री जी ने प्रयागराज में संगम की पावन भूमि नमन करते हुए महाकुम्भ में पधार रहे सभी साधु-संतों एवं महाकुम्भ को सफल बनाने के लिए दिन-रात परिश्रम कर रहे कर्मचारियों, श्रमिकों और सफाई-कर्मियों का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि यह महाकुम्भ एकता का ऐसा महायज्ञ होगा, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में होगी।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमारा भारत पवित्र स्थलों और तीर्थों का देश है। यह गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, नर्मदा जैसी अनगिनत पवित्र नदियों का देश है। इन नदियों के प्रवाह की जो पवित्रता है, इन अनेकानेक तीर्थों का जो महत्व है, जो महात्म्य है, उनका संगम, उनका समुच्चय, उनका योग, उनका संयोग, उनका प्रभाव, उनका प्रताप यह प्रयाग है। यह केवल तीन पवित्र नदियों का संगम नहीं है। प्रयाग के बारे में कहा गया है-‘माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई।।’ अर्थात जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब सभी दैवीय शक्तियाँ, सभी तीर्थ, सभी ऋषि, महर्षि, मनीषि प्रयाग में आ जाते हैं। ये वह स्थान है, जिसके प्रभाव के बिना पुराण पूरे नहीं होते। प्रयागराज वह स्थान है, जिसकी प्रशंसा वेद की ऋचाओं ने की है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि प्रयाग में पग-पग पर पवित्र स्थान हैं, यहां पग-पग पर पुण्य क्षेत्र हैं। ‘त्रिवेणीं माधवं सोमं, भरद्वाजं च वासुकिम्। वन्दे अक्षय-वटं शेषं, प्रयागं तीर्थनायकम्।।’ अर्थात, त्रिवेणी का त्रिकाल प्रभाव, वेणी माधव की महिमा, सोमेश्वर के आशीर्वाद, ऋषि भारद्वाज की तपोभूमि, नागराज वासुकि का विशेष स्थान, अक्षयवट की अमरता और शेष की अशेष कृपा यह है- हमारा तीर्थराज प्रयाग। तीर्थराज प्रयाग यानी- ‘चारि पदारथ भरा भँडारू। पुन्य प्रदेस देस अति चारू।।’ अर्थात जहां धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पदार्थ सुलभ हैं, वह प्रयाग है। प्रयागराज केवल एक भौगोलिक भूखण्ड नहीं है। यह एक आध्यात्मिक अनुभव क्षेत्र है। यह प्रयाग और प्रयाग के लोगों का ही आशीर्वाद है कि उन्हें इस धरती पर बार-बार आने का सौभाग्य मिलता है। पिछले कुम्भ में भी उन्हें संगम में स्नान करने का सौभाग्य मिला था और आज महाकुम्भ के आरम्भ से पहले उन्हें एक बार फिर मां गंगा के चरणों में आकर आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज उन्होंने संगम घाट के लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन किए और अक्षयवट वृक्ष का आशीर्वाद भी प्राप्त किया। इन दोनों स्थलों पर श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए हनुमान मन्दिर कॉरिडोर और अक्षयवट कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है। उन्हांने सरस्वती कूप री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की जानकारी भी प्राप्त की है। आज यहां हजारों करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट का लोकार्पण हुआ है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ हजारों वर्ष पहले से चली आ रही हमारे देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक यात्रा का पुण्य और जीवन्त प्रतीक है। एक ऐसा आयोजन जहां हर बार धर्म, ज्ञान, भक्ति और कला का दिव्य समागम होता है। हमारे यहां कहा गया है, ‘दश तीर्थ सहस्राणि, तिस्रः कोट्यस्तथा अपराः। सम आगच्छन्ति माघ्यां तु, प्रयागे भरतर्षभ।।’ अर्थात संगम में स्नान से करोड़ों तीर्थ के बराबर पुण्य मिल जाता है। जो व्यक्ति प्रयाग में स्नान करता है, वह हर पाप से मुक्त हो जाता है।
राजा-महाराजाओं का दौर हो या फिर सैकड़ों वर्षों की गुलामी का कालखण्ड, आस्था का यह प्रवाह कभी नहीं रुका। इसकी एक बड़ी वजह यह रही है कि कुम्भ का कारक कोई वाह्य शक्ति नहीं है। किसी बाहरी व्यवस्था के बजाय कुम्भ, मनुष्य के अन्तर्मन की चेतना का नाम है। ये चेतना स्वतरू जागृत होती है। यही चेतना भारत के कोने-कोने से लोगों को संगम तट तक खींच लाती है। गांव, कस्बों, शहरों से लोग प्रयागराज की ओर निकल पड़ते हैं। सामूहिकता की ऐसी शक्ति, ऐसा समागम शायद ही कहीं और देखने को मिले। यहां आकर सन्त-महन्त, ऋषि-मुनि, ज्ञानी-विद्वान, सामान्य मानव सब एक हो जाते हैं, सब एक साथ त्रिवेणी में डुबकी लगाते हैं। यहां जातियों का भेद खत्म हो जाता है और सम्प्रदायों का टकराव मिट जाता है। करोड़ों लोग एक ध्येय, एक विचार से जुड़ जाते हैं।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि इस बार भी महाकुम्भ के दौरान यहां अलग-अलग राज्यों से करोड़ों लोग जुटेंगे, उनकी भाषा अलग होगी, जातियां अलग होंगी, मान्यताएं अलग होंगी, लेकिन संगमनगरी में आकर वह सभी एक हो जाएंगे। इसलिए मैं कहता हूं, कि महाकुम्भ, एकता का महायज्ञ है, जिसमें हर तरह के भेदभाव की आहुति दे दी जाती है। यहां संगम में डुबकी लगाने वाला हर भारतीय ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की अद्भुत तस्वीर प्रस्तुत करता है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ की परम्परा का सबसे अहम पहलू यह है कि इस दौरान देश को दिशा मिलती है। कुम्भ के दौरान संतों के वाद में, संवाद में, शास्त्रार्थ में, शास्त्रार्थ के अंदर देश के सामने मौजूद अहम विषयों पर, देश के सामने मौजूद चुनौतियों पर व्यापक चर्चा होती थी, और फिर संतजन मिलकर राष्ट्र के विचारों को एक नई ऊर्जा देते थे और नई राह भी दिखाते थे। संत-महात्माओं ने देश से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय कुम्भ जैसे आयोजन स्थल पर ही लिए हैं। जब संचार के आधुनिक माध्यम नहीं थे, तब कुम्भ जैसे आयोजनों ने बड़े सामाजिक परिवर्तनों का आधार तैयार किया था। कुम्भ में संत और ज्ञानी लोग मिलकर समाज के सुख-दुख की चर्चा करते थे, वर्तमान और भविष्य को लेकर चिंतन करते थे। आज भी कुम्भ जैसे बड़े आयोजनों का महात्म्य वैसा ही है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि ऐसे आयोजनों से देश के कोने-कोने में समाज में सकारात्मक संदेश जाता है। राष्ट्र चिंतन की यह धारा निरन्तर प्रवाहित होती है। इन आयोजनों के नाम अलग-अलग होते हैं, पड़ाव अलग-अलग होते हैं, मार्ग अलग-अलग होते हैं, लेकिन यात्री एक होते हैं, मकसद एक होता है। कुम्भ और धार्मिक यात्राओं का इतना महत्व होने के बावजूद, पहले की सरकारों के समय, इनके महात्म्य पर ध्यान नहीं दिया गया। श्रद्धालु ऐसे आयोजनों में कष्ट उठाते रहे, लेकिन तब की सरकारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। इसकी वजह थी कि भारतीय संस्कृति से, भारत की आस्था से उनका लगाव नहीं था।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज केन्द्र और राज्य में भारत के प्रति आस्था रखने वाली तथा भारतीय संस्कृति को मान देने वाली सरकार है। इसलिए कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाना डबल इंजन सरकार अपना दायित्व समझती है। इसलिए यहां केन्द्र और राज्य सरकार ने मिलकर हजारों करोड़ रुपये की योजनाएं शुरू की हैं। सरकार के अलग-अलग विभाग, जिस तरह महाकुम्भ की तैयारियों को पूरा करने में जुटे हैं, वह बहुत सराहनीय है। देश-दुनिया के किसी कोने से कुम्भ तक पहुंचने में कोई दिक्कत ना हो, इसके लिए यहां की कनेक्टिविटी पर विशेष फोकस किया गया है। अयोध्या, वाराणसी, रायबरेली तथा लखनऊ से प्रयागराज शहर की कनेक्टिविटी को बेहतर किया गया है। Whole of the Government अप्रोच के महाप्रयासों का महाकुम्भ भी इस स्थली में नजर आता है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमारी सरकार ने विकास के साथ-साथ विरासत को भी समृद्ध बनाने पर फोकस किया है। आज देश के कई हिस्सों में अलग-अलग टूरिस्ट सर्किट विकसित किए जा रहे हैं। रामायण सर्किट, श्री कृष्णा सर्किट, बुद्धिस्ट सर्किट, तीर्थंकर सर्किट इनके माध्यम से हम देश के उन स्थानों को महत्व दे रहे हैं, जिन पर पहले फोकस नहीं था। स्वदेश दर्शन योजना तथा प्रसाद योजना के माध्यम से तीर्थस्थलों पर सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। अयोध्या के भव्य श्रीराम मन्दिर ने पूरा शहर भव्य बना दिया है, हम सभी इसके साक्षी हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम एवं महाकाल महालोक की चर्चा आज पूरे विश्व में है। यहां अक्षयवट कॉरिडोर, हनुमान मन्दिर कॉरिडोर, भारद्वाज ऋषि आश्रम कॉरिडोर में भी इसी विजन का प्रतिबिम्ब है। श्रद्धालुओं के लिए सरस्वती कूप, पातालपुरी, नागवासुकी, द्वादश माधव मन्दिर का कायाकल्प किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज, निषादराज की भी भूमि है। भगवान श्रीराम के मर्यादा पुरुषोत्तम बनने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव श्रृंग्वेरपुर का भी है। भगवान श्रीराम और केवट का प्रसंग आज भी हमें प्रेरित करता है। केवट ने अपने प्रभु को सामने पाकर उनके पैर धोए थे और उन्हें अपनी नाव से नदी पार कराई थी। इस प्रसंग में श्रद्धा का अनन्य भाव है तथा इसमें भगवान और भक्त की मित्रता का संदेश है। इस घटना का यह संदेश है कि भगवान भी अपने भक्त की मदद ले सकते हैं। प्रभु श्रीराम और निषादराज की इसी मित्रता के प्रतीक के रूप में श्रृंग्वेरपुर धाम का विकास किया जा रहा है। भगवान श्रीराम और निषादराज की प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को समता और समरसता का संदेश देती रहेगी।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि कुम्भ जैसे भव्य और दिव्य आयोजन को सफल बनाने में स्वच्छता की बहुत बड़ी भूमिका है। महाकुम्भ की तैयारियों के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाया गया है। प्रयागराज शहर के सैनिटेशन और वेस्ट मैनेजमेण्ट पर फोकस किया गया है। लोगों को जागरूक करने के लिए गंगा दूत, गंगा प्रहरी और गंगा मित्रों की नियुक्ति की गई है। इस बार महाकुम्भ में 15 हजार से ज्यादा सफाई कर्मी भाई-बहन कुम्भ की स्वच्छता को संभालने वाले हैं।
प्रधानमंत्री जी ने महाकुम्भ की तैयारी में जुटे सफाई कर्मी भाई-बहनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि करोड़ों लोग यहां पर जिस पवित्रता, स्वच्छता और आध्यात्मिकता के साक्षी बनेंगे, यह सफाई कर्मी भाई-बहनों के योगदान से ही सम्भव होगा। इस नाते यहां हर श्रद्धालु के पुण्य में आप भी भागीदार बनेंगे। जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने जूठे पत्तल उठाकर संदेश दिया था कि हर काम का महत्व है, वैसे ही आप भी अपने कार्यों से इस आयोजन की महानता को और बड़ा करेंगे। ये आप ही हैं, जो सुबह सबसे पहले ड्यूटी पर लगते हैं, और देर रात तक आपका काम चलता रहता है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2019 में भी कुम्भ के आयोजन के समय यहां की स्वच्छता की बहुत प्रशंसा हुई थी। जो लोग हर 06 वर्ष पर कुम्भ या महाकुम्भ में स्नान के लिए आते हैं, उन्होंने पहली बार इतनी साफ-सुंदर व्यवस्था देखी थी। इसलिए स्वच्छता कर्मियों के पैर धोकर मैंने अपनी कृतज्ञता व्यक्त की थी। हमारे स्वच्छता कर्मियों के पैर धोने से मुझे बहुत संतोष मिला था। वह मेरे लिए जीवन भर का यादगार अनुभव बन गया है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ से जुड़ा एक और पक्ष है जिसकी चर्चा उतनी नहीं हो पाती। यह पक्ष है-महाकुम्भ से आर्थिक गतिविधियों का विस्तार। हम सभी महाकुम्भ से पहले इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों में तेजी देख रहे हैं। लगभग डेढ़ महीने तक संगम किनारे एक नया शहर बसा रहेगा। यहां हर रोज लाखों की संख्या में लोग आएंगे। पूरी व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रयागराज में बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ेगी। 6,000 से ज्यादा नाविक साथी, हजारों दुकानदार साथी, पूजा-पाठ और स्नान-ध्यान कराने में मदद करने वाले सभी का काम बहुत बढ़ेगा। इस प्रकार यहां बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर तैयार होंगे। सप्लाई चेन को बनाए रखने के लिए व्यापारियों को दूसरे शहरों से सामान मंगाने पड़ेंगे। प्रयागराज महाकुम्भ का प्रभाव आसपास के जनपदों पर भी पड़ेगा। देश के दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालु ट्रेन या विमान की सेवाएं लेंगे, इससे भी अर्थव्यवस्था में गति आएगी। अर्थात् महाकुम्भ से सामाजिक मजबूती तो मिलेगी ही, लोगों का आर्थिक सशक्तिकरण भी होगा।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ-2025 का आयोजन जिस दौर में हो रहा है, वह टेक्नोलॉजी के मामले में पिछले आयोजनों से बहुत आगे है। आज पहले की तुलना में कई गुना ज्यादा लोगों के पास स्मार्टफोन है। वर्ष 2013 में डेटा आज की तरह सस्ता नहीं था। आज मोबाइल फोन में कई यूजर फ्रेण्डली ऐप हैं, जिन्हें कम जानकार व्यक्ति भी उपयोग में ला सकता है। यहां ‘महाकुम्भ सहायक चैटबॉट’ लॉन्च किया गया है। पहली बार महाकुम्भ आयोजन में आर्टिफिशियल इण्टेलिजेंस (ए0आई0) और चैटबॉट का प्रयोग होगा। ए0आई0 चैटबॉट ग्यारह भारतीय भाषाओं में संवाद करने में सक्षम है।
प्रधानमंत्री जी ने यह सुझाव दिया कि डेटा और टेक्नोलॉजी के इस संगम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ से जुड़ी फोटोग्राफी प्रतियोगिता का आयोजन किया जा सकता है। महाकुम्भ को एकता के महायज्ञ के रूप में दिखाने वाली फोटोग्राफी की प्रतियोगिता आयोजित की जा सकती है। इस पहल से युवाओं में महाकुम्भ का आकर्षण बढ़ेगा। महाकुम्भ में आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु इसमें हिस्सा लेंगे। जब यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर पहुंचेंगी तो कितना बड़ा कैनवास तैयार होगा, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। इसमें कितने रंग, कितनी भावनाएं मिलेंगी, यह गिन पाना मुश्किल होगा। इसी प्रकार अध्यात्म और प्रकृति से जुड़ी प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज देश एक साथ मिलकर विकसित भारत के संकल्प की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस महाकुम्भ से निकली आध्यात्मिक और सामूहिक शक्ति हमारे इस संकल्प को और मजबूत बनाएगी। प्रधानमंत्री जी ने यह कामना की कि महाकुम्भ स्नान ऐतिहासिक हो, अविस्मरणीय हो, मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती की त्रिवेणी से मानवता का कल्याण हो।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए कहा कि जिस प्रयागराज की महिमा का वेद पुराणों ने बहुत प्रभावी ढंग से वर्णन कर, सनातन धर्मावलम्बियों के गौरव को बढ़ाया है, जहां त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने त्रिवेणी के दर्शन किए, आज उसी प्रयागराज में त्रिवेणी तट पर दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जी का आगमन हुआ है। प्रधानमंत्री जी द्वारा मां गंगा, मां यमुना तथा मां सरस्वती की त्रिवेणी पर पूजा व अनुष्ठान आदि कार्य सम्पन्न किये गये हैं। आज का दिन महाकुम्भ-2025 के शुभारम्भ की दृष्टि से सम्पूर्ण सनातन धर्मावलम्बियों व देश और दुनिया में भारत के प्रति अनुराग रखने वाले सभी श्रद्धालुजन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आज यहां प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों द्वारा हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण हो रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने प्रदेशवासियों तथा श्रद्धालुजन की ओर से प्रधानमंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी प्रेरणा तथा मार्गदर्शन में वर्ष 2019 के प्रयागराज कुम्भ में सैकड़ो वर्षों के पश्चात श्रद्धालुजन को अक्षयवट के दर्शन हुए। आज उन्हीं के कर-कमलों द्वारा अक्षयवट कॉरिडोर का उद्घाटन होने जा रहा है। मां गंगा प्रत्येक वर्ष बड़े हनुमान जी का जलाभिषेक करने आती हैं। आज यहां बड़े हनुमान जी मन्दिर कॉरिडोर का लोकार्पण हो रहा है। त्रिवेणी में मां सरस्वती अदृश्य रूप में वास करती हैं। वर्ष 2019 में श्रद्धालुओं को पहली बार सरस्वती कूप के दर्शन हुए थे। आज यहां सरस्वती कूप के लोकार्पण का कार्य भी सम्पन्न हो रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रभु श्रीराम जब वनवास के लिए निकले थे, तब सबसे पहले निषादराज ने मैत्री का हाथ बढ़ाया था। आज श्रृंग्वेरपुर में प्रभु श्रीराम तथा निषाद राज की 56 फीट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण भी प्रधानमंत्री जी द्वारा किया जा रहा है। प्रभु श्रीराम ने वनवास के समय महर्षि भारद्वाज के आश्रम में रहकर तथा उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर ‘निसिचर हीन करहुँ महि भुज उठाई पन कीन्ह’ का संकल्प लिया था। आज महर्षि भारद्वाज आश्रम कॉरिडोर का लोकार्पण किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2019 में भव्य, दिव्य, स्वच्छ, सुरक्षित तथा सुव्यवस्थित कुम्भ की परिकल्पना दी थी। उनकी प्रेरणा से इस बार दिव्य, भव्य तथा डिजिटल महाकुम्भ का आयोजन किया जा रहा है। दुनिया के सबसे बड़े अस्थायी शहर महाकुम्भ नगर में आज प्रधानमंत्री जी हजारों करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शुभारम्भ कर रहे हैं। आज से ठीक एक माह पश्चात 13 जनवरी, 2025 से महाकुम्भ का शुभारम्भ होगा।
कार्यक्रम के अवसर पर उप मुख्यमंत्री द्वय श्री केशव प्रसाद मौर्य व श्री ब्रजेश पाठक, जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री श्री ए0के0 शर्मा, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह, औद्योगिक विकास मंत्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नंदी’, एम0एस0एम0ई0 मंत्री श्री राकेश सचान, मत्स्य मंत्री श्री संजय निषाद, परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दयाशंकर सिंह, प्रयागराज के महापौर श्री उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री जी द्वारा लोकार्पित विकास परियोजनाओं में रेलवे स्टेशनों के अपग्रेडेशन और डेवलपमेंट, आर0ओ0बी0/फ्लाईओवर, सड़कों का चौड़ीकरण,
सुदृढ़ीकरण और सौन्दर्यीकरण, स्थायी घाटों, रिवरफ्रण्ट, सीवरेज, पेयजल सुविधा तथा विद्युत आपूर्ति से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। इन सभी परियोजनाओं के माध्यम से श्रद्धालुओं को महाकुम्भ के दौरान सुविधाएं प्राप्त होंगी तथा महाकुम्भ के बाद प्रयागराजवासी इन सभी सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगे। यह परियोजनाएं प्रयागराज को प्रगति की नई दिशा दिखाएंगी।
1610 करोड़ रुपये की लागत से यात्री सुविधाओं के लिए 09 रेलवे स्टेशनों का उन्नयन एवं विकास, 1376 करोड़ रुपये की लागत से 61 सड़कों का चौड़ीकरण,
सुदृढ़ीकरण एवं सौंदर्यीकरण, 1170 करोड़ रुपये की लागत से 10 आर0ओ0बी0/फ्लाईओवर, 100 करोड़ रुपये की लागत से 04 नालों का अवरोधन, दिशा परिवर्तन एवं सुदृढ़ीकरण, 304 करोड़ रुपये की लागत से 07 स्थायी घाटों एवं 08 नदी तट सड़कों का सुदृढ़ीकरण, 215 करोड़ रुपये की लागत से 13 सीवरेज परियोजनाओं का उन्नयन, पेयजल सुविधाओं का विकास, 203 करोड़ रुपये की लागत से 04 नए ट्रांसफॉर्मर, 02 सब स्टेशनों की स्थापना एवं विद्युत ढांचे का उन्नयन की परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया। इसके साथ ही, ’अक्षयवट कॉरिडोर’, ‘बड़े हनुमान मंदिर कॉरिडोर’, ’भारद्वाज ऋषि आश्रम कॉरिडोर’, ’श्रृंग्वेरपुर धाम कॉरिडोर’ तथा  ’सरस्वती कूप’ का शुभारम्भ किया गया।
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