मुख्यमंत्री ने मुम्बई में वर्ल्ड हिन्दू इकोनॉमिक फोरम को सम्बोधित किया
लखनऊ, 14 दिसम्बर, 2024 : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज मुम्बई में वर्ल्ड हिन्दू इकोनॉमिक फोरम को सम्बोधित करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण, बाबा विश्वनाथ और गंगा-यमुना की पावन धरा से आकर वे इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए हैं। कुम्भ की आध्यात्मिक परम्परा भारत की ऋषि परम्परा और ज्ञान की परम्परा की धरोहर है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्राचीनकाल में भारत के ऋषि एक परिव्राजक के रूप में देश के एक कोने से दूसरे कोने तक भ्रमण करके अपने आध्यात्मिक ज्ञान की धारा का प्रवाह आम जनमानस में करते थे। वहां की परिस्थितियों का बारीकी से अध्ययन करते थे। कई स्थानों पर सन्तों, ऋषि-मुनियों की संगोष्ठियां हुआ करती थीं। हम आज से 3500 वर्ष पहले की उन संगोष्ठियों की चर्चा करते हैं, जब उत्तर प्रदेश के नैमिषारण्य में 88,000 ऋषि-मुनियों ने भारत के वैदिक ज्ञान की परम्परा को एक धरोहर के रूप में संजोने के लिए उसे लिपिबद्ध करने का कार्य किया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश और समाज की ज्वलन्त समस्याओं पर चर्चा करने और आगे की व्यवस्था के लिए रोडमैप तैयार करने के लिए उस समय की राजव्यवस्था के संचालन के लिए व्यापक स्तर पर ऋषि-मुनियों के चिन्तन शिविर लगाए जाते थे। भले ही चिन्तन-मनन की शैली सामूहिक रूप से समाप्त हुई हो, लेकिन भारत की उस प्राचीन ऋषि परम्परा का परिव्राजक तथा देश-दुनिया में ब्राण्ड के रूप में स्वामी विज्ञानानन्द जी आज भी भ्रमणशील रहकर, उसी निष्ठा, तत्परता के साथ, मान-सम्मान की चिन्ता किए बिना निरन्तर कार्य कर रहे हैं। वर्ल्ड हिन्दू इकोनॉमिक फोरम उनके उसी चिन्तन और परिश्रम का परिणाम है। इसमें कुछ वर्ष पूर्व, उन्हें सम्मिलित होने का अवसर मिला था। आज वे उसी के वृहद रूप को देख रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में हर व्यक्ति व्यस्त हो चुका है। मुम्बई जैसे महानगर में व्यक्ति के लिए समय निकालना बहुत कठिन है। व्यक्ति कुछ भी दे सकता है, किन्तु समय नहीं दे सकता। वर्तमान में हर व्यक्ति स्मार्ट हो चुका है। स्वयं को इतना डिजिटली फिट कर लिया है कि 06 घण्टे अपने स्मार्टफोन को दे सकता है, लेकिन देश और समाज के लिए अपना समय देने के लिए उसे कठिनाई होती है। उन परिस्थितियों में आप सभी आ चुके हैं और कई सत्रों के माध्यम से इन मुद्दों पर चर्चा कर चुके हैं, जो अभिनन्दनीय और सराहनीय है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश का कायाकल्प और उत्तर प्रदेश समृद्ध भारत के निर्माण में योगदान के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए यहां आए हैं। इसकी पृष्ठभूमि और आधारशिला कहां से होती है। कई लोग पहले भी नहीं चाहते थे और आज भी नहीं चाहते कि भारत का सम्मान हो। भारतवासी अपनी परम्परा पर गौरव की अनुभूति कर सके। जो लोग पहले भी नहीं चाहते थे, उनके वारिस आज भी नहीं चाहते। पहले विदेशी ताकतें इसमें बैरियर बनती थीं। आज उन्हीं के मानस पुत्र इसमें बैरियर बनते दिखायी देते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम रामराज्य की बात करते हैं। ‘दैहिक दैविक भौतिक तापा, रामराज्य काहु नहिं व्यापा’ अर्थात जिसमें तीनों प्रकार के दुःख, तीनों प्रकार की दरिद्रता के लिए दैहिक, दैविक और भौतिक, यानी तीन प्रकार के मनुष्य के दुःख सामने हैं। आदि दैविक यानी प्राकृतिक आपदा दैवीय आपदा, आदि भौतिक यानी जो किसी हिंसक प्राणि द्वारा प्रदत्त, कोई हिंसक जानवर या आतंकवाद, उग्रवाद है। आध्यात्मिक यानी शारीरिक और मानसिक व्याधि, गलत खान-पान के कारण या जेनेटिक रूप से पूर्व की बीमारियां, जन्मों के प्रारब्ध का परिणाम या बहुत से कारण हो सकते हैं। रामराज्य में तीनों प्रकार के दुःख के लिए कोई स्थान नहीं है। आज भी शासन की कोई भी पद्धति हो, दुनिया में सबसे आदर्श व्यवस्था रामराज्य की मानी जाती है। हजारों वर्ष पहले भारत और प्रभु श्रीराम ने रामराज्य को साकार किया था, यही भारत की धरती है। इसी भारत ने रामराज्य की परिकल्पना को साकार किया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज से 5,000 वर्ष पूर्व महाभारत का युद्ध हुआ था। महाभारत का महाप्रबन्ध, महाकाव्य लिखा-रचा गया था। भगवान वेदव्यास कहते हैं ‘दुर्लभं भारते जन्म मानुष्यं तत्र दुर्लभम्’ अर्थात भारत में जन्म लेना दुर्लभ है, उसमें मनुष्य के रूप में जन्म लेना और भी दुर्लभ है। आज जो लोग आतंकवाद को पल्लवित और पुष्पित कर रहे हैं, तब इनका इस धरती पर अण्डा भी नहीं फूटा था। यह लोग हमारी विरासत पर दावेदारी करते हैं। जब इनका कहीं अता-पता नहीं था, बीज भी नहीं फूटा था, तब यह विरासत हमारी थी। उसी महाकाव्य महाभारत में भगवान वेदव्यास कहते हैं ‘धर्मे च अर्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ, यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत्क्वचित्’ अर्थात धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चार मानवीय पुरुषार्थ हैं, इनसे सम्बन्धित पूरी दुनिया के अन्दर जो है, वह इस महाकाव्य में है। जो इसमें नहीं है, वह दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा। कोई दरिद्र व्यक्ति इस प्रकार की दावेदारी नहीं कर सकता। कोई दरिद्र देश रामराज्य की परिकल्पना को साकार नहीं कर सकता।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दुनिया की जितनी भी संस्कृतियां और सभ्यताएं हैं, वह रामायण और महाभारत काल के बाद पनपी हैं। चाहे वैदिक काल, रामायण काल, महाभारत काल, उपनिषद और पुराणों का कालखण्ड रहा हो, इनमें केवल एक सभ्यता और संस्कृति थी, वह सनातन संस्कृति और सनातन धर्म था। लेकिन उसने कभी नहीं कहा कि वह श्रेष्ठ है और मेरी अधीनता स्वीकार करो। उसने कभी तलवार के बल पर किसी को वशीभूत नहीं किया, किसी का भूखण्ड नहीं हड़पा। भगवान श्रीराम ने जब किष्किन्धा पर विजय प्राप्त की, तब राज्याभिषेक सुग्रीव का किया था। लंका पर विजय प्राप्त करने पर राज्याभिषेक विभीषण का किया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब लक्ष्मण जी को सोने की लंका अच्छी लगी, तो उन्होंने कहा कि भैया कुछ दिन यहां रुका जाए, तो भगवान श्रीराम ने कहा ‘ अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते, जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ अर्थात हे लक्ष्मण यह सोने की लंका मेरी रुचि की नहीं है। क्योंकि किसी भी सनातन धर्मावलम्बी के लिए अनिवार्य है कि जन्म देने वाली माँ और जन्मभूमि की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। भारत हमारी जन्मभूमि है। अपनी मातृभूमि और जन्मभूमि की रक्षा करना, अपनी मातृशक्ति की रक्षा करना, हम सब भारतीयों का दायित्व है। इसी दृष्टि से आज हम उन्हीं मुद्दों पर चर्चा करने के लिए यहां आए हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह आयोजन वास्तव में एक कुम्भ है, जहां उद्योगपति, बिजनेसमैन, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन से जुड़े पदाधिकारी उपस्थित हुए हैं। कार्य का वह क्षेत्र हो सकता है, लेकिन चिन्तन की शैली वही है, जो भारत की ऋषि परम्परा की शैली थी। हम एक साथ बैठेंगे, चिन्तन करेंगे, अपने मुद्दों को रखेंगे, फिर एक निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। इसके बाद अपने देश और समाज के लिए जो उपयोगी है, उसे प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ईस्वी सन के पहले से दक्षिण-पूर्व एशिया के तमाम देश और दुनिया के तमाम देश बुद्ध को अपना ईष्ट मानकर उनकी पूजा करते हैं। भगवान बुद्ध का जन्म भारत की धरती पर हुआ था। उनसे जुड़े सभी स्थल भारत में हैं। भगवान बुद्ध ने गया, बिहार में ज्ञान प्राप्त किया। पहला उपदेश सारनाथ, उत्तर प्रदेश में दिया। सर्वाधिक चातुर्मास बरसात के चार माह श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश में व्यतीत किए। भगवान बुद्ध से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण स्थल-कौशाम्बी, संकिसा उत्तर प्रदेश में है। कुशीनगर में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया, यह स्थल भी उत्तर प्रदेश में है। भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के कई वर्षों बाद अशोक सम्राट बने। वे बौद्ध परम्परा में दीक्षित हुए। उन्होंने भारत ही नहीं, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया के तमाम देशों और श्रीलंका में अपने पुत्र और पुत्री को बौद्ध पंथ की दीक्षा और उपदेश देने के लिए भेजा था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यूरोप से जुड़े विद्वानों के अनुसार पहली सदी से लेकर 15वीं सदी तक दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी से अधिक थी। यह लगातार 15वीं सदी तक चलता रहा। भारत ग्रामीण अर्थव्यवस्था का देश माना जाता है। दुनिया की सबसे अच्छी उर्वरा भूमि हमारे पास मौजूद है। उस कालखण्ड में भारत ने ही फाइन टेक्सटाइल पैदा किया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी ने वह दृश्य देखा जब 22 जनवरी को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अयोध्या में भगवान श्रीराम मन्दिर का निर्माण करने वाले श्रमिकों का सम्मान किया था। एक यह प्रधानमंत्री जी हैं, जिन्होंने श्रमिकों का सम्मान कर उनपर पुष्पवर्षा की थी। दूसरे वह शासक भी थे, जिनके द्वारा ताजमहल का निर्माण करने पर उनके हाथ काट दिए जाते हैं। एक आज का भारत है, जो अपनी श्रम शक्ति का सम्मान करता है और उन्हें हर प्रकार का संरक्षण देता है। एक वह समय भी था जब श्रमिकों के हाथ काटकर फाइन क्लोथ की परम्परा को पूरी तरह समाप्त कर उस विरासत को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया था। तब तक भारत में हमले शुरू हो चुके थे और लगभग 500-600 वर्ष भारत पर हमलों के हो चुके थे। कई बर्बर जातियों ने भारत पर हमला करके भारत के धर्मस्थलों को अपवित्र करना प्रारम्भ कर दिया था। यह 10वीं सदी से लेकर लगातार चलता रहा। इसमें गुलाम वंश, मुगल, विदेशी आक्रान्ता, तुर्क आए और अपने कार्य को आगे बढ़ाते रहे। 17वीं सदी तक आते-आते भारत वर्ल्ड इकोनॉमी में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता था। ब्रिटिशर्स ने शोषण करते हुए इसे कहां से कहां तक लेकर गए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2014 से पूर्व भारत में पहचान का संकट था। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश के लिए पहचान का संकट खड़ा कर दिया गया था। विगत 10 वर्षों में भारत को कई तामसिक जड़ताओं से उबारकर प्रधानमंत्री जी ने एक नए भारत का दर्शन करवाया। आज हम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का दर्शन कर रहे हैं। देश और धरती की अपनी एक कैमिस्ट्री हो होती है। हम भारतवासियों की कैमिस्ट्री एक साथ तब बढ़ती है, जब हम विरासत और विकास का सम्मान करके एक साथ आगे बढ़ते हैं। प्रधानमंत्री जी ने देश को यही विजन दिया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम अपनी विरासत को विस्मृत करके एक सुदृढ़ अर्थव्यवस्था के रूप में वर्ल्ड इकोनॉमिक पावर के रूप में अपने आपको स्थापित नहीं कर सकते। हमें अपनी विरासत को लेकर चलना होगा और उसे मजबूती के साथ आगे बढ़ाना होगा। 70 वर्षों में भारत केवल 10वीं और 11वीं अर्थव्यवस्था बन पाया था। प्रधानमंत्री जी ने विगत 10 वर्षों में भारत को दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है। भारत वर्ष 2027 में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसी व्यक्ति, देश और समाज की पहचान संकट में होती है। संकट के कालखण्ड में उनका क्राइसिस मैनेजमेण्ट, चुनौतियों से जूझने का जज्बा कैसा है। इस सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया को कम समय में ही अपनी चपेट में ले लिया था। उतने कम समय में ही, जो प्रबन्धन प्रधानमंत्री जी ने भारत में दिया, वह किसी देश में नहीं था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में वर्ष 1977 से वर्ष 2017 तक इंसेफेलाइटिस से 50,000 बच्चों की मौत हुई थी। यह बीमारी वर्ष 1905 में दुनिया में आयी थी। यह बीमारी वर्ष 1956 में पहली बार भारत में आयी थी। उत्तर प्रदेश में यह बीमारी वर्ष 1977 में आयी। वर्ष 1905 में जापान ने इसकी वैक्सीन बना ली थी। भारत में वर्ष 2006 में वैक्सीन आयी। 100 साल लगे, वह भी तब, जब संसद में उनके द्वारा इस मुद्दे को उठाया जाता था। सड़कों पर इसके लिए आन्दोलन किया जाता था। इस बीमारी से 90 से 95 फीसदी मौतें अल्पसंख्यक समुदाय और दलित समुदाय के बच्चों की होती थीं। यह कुछ लोगों के लिए वोट बैंक हो सकता है, लेकिन यह हमारे भारत की धरोहर हैं और इन्हें बचाना है। भारत का बचपन मरना नहीं चाहिए, इस संकल्प के साथ उन्होंने लड़ाई लड़ी, आन्दोलन किया और संसद में मुद्दे को उठाया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में जब डबल इंजन सरकार आयी, तो इंसेफेलाइटिस को समाप्त करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में अब इंसेफेलाइटिस पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। इंसेफेलाइटिस की वैक्सीन आने में 100 वर्ष लगे और प्रधानमंत्री जी ने कोरोना की वैक्सीन मात्र 09 महीने में ही निःशुल्क भारतवासियों को उपलब्ध करा दी। फ्री टेस्ट, फ्री ट्रीटमेण्ट, फ्री वैक्सीन और 80 करोड़ लोगों को फ्री में राशन प्रदान किया गया। पाकिस्तान भिखमंगा घूम रहा है और एक जून की रोटी के लिए तरस रहा है। भारत 80 करोड़ लोगों को पिछले 05 वर्षों से लोगों को फ्री में राशन उपलब्ध करा रहा है। यह नया भारत है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम बिना किसी भेदभाव के ‘सबका साथ, सबका विकास’ कर रहे हैं। इस दौरान ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को आगे बढ़ाने के कार्य हुए, वह विरासत और विकास के बेहतरीन समन्वय से ही सम्भव हुआ है। बेहतरीन समन्वय से हमें अपनी विरासत को ध्यान में रखकर विकास की इस प्रक्रिया के साथ जुड़ना होगा। एक-दूसरे के दोनों पूरक बने। पहले हम वर्ल्ड इकोनॉमी में 40 प्रतिशत का शेयर रखते थे और आज मात्र 2 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2007 में भारत के पूर्व वित्त मंत्री श्री पी0 चिदम्बरम उत्तर प्रदेश आए थे। उन्होंने पुस्तक ‘व्हाई एन आउटसाइड व्यू, व्हाई गुड इकोनॉमी वर्क्स फॉर एवरीवन’ का लोकार्पण किया था। उस समय आयोजित गोष्ठी में उन्होंने कहा था कि भारत कभी भी धनी देश नहीं रहा। देश में गरीबी सदा थी और आज भी है। भारत में घी, दूध की नदियां और इसके सोने की चिड़िया होने के मिथक पर आधारित पुस्तकों को जला देने की आवश्यकता है। ऐसे नियन्ताओं से क्या उम्मीद की जा सकती है। श्री पी0 चिदम्बरम भारत के गृह एवं वित्त मंत्री भी रहे थे। यह भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण को मिथक मानते हैं। भारत की विरासत को अपमानित करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मा0 न्यायमूर्ति ने समान नागरिक संहिता की बात कही है। दुनिया में बहुसंख्यक समाज की भावनाओं का सम्मान हर हाल में होता है। भारत में बहुसंख्यक समाज के हितों की चर्चा होने पर, उस सच्चाई को बोलने पर अपराध माना जाता है। दुनिया में बहुसंख्यक समाज जो कहता है, व्यवस्था वैसे ही संचालित होती है। भारत में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का भेद समाप्त होना चाहिए। सभी पर एक समान कानून लागू होना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भगवान श्रीराम ने अयोध्या में तथा भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया। कंस के कारागार की दीवारें आज भी इन तथ्यों को दर्शाती हैं। कुछ लोग आज भी भारत की सभ्यता, संस्कृति, भाषा, परम्परा, मातृशक्ति तथा भारत से जुड़ी हर चीज को नकारने का प्रयास कर रहे हैं। भारत के गौरव को प्रत्येक स्तर पर कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 09 नवम्बर, 2019 को मा0 उच्चतम न्यायालय ने श्रीराम जन्मभूमि से सम्बन्धित फैसला दिया था, तब उत्तर प्रदेश में एक भी घटना घटित नहीं हुई। प्रधानमंत्री जी ने 05 अगस्त, 2020 को श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर का शिलान्यास/भूमि पूजन का कार्य सम्पन्न किया था, 25 करोड़ की आबादी उत्तर प्रदेश में कहीं पर भी कोई घटना घटित नहीं हुई। 22 जनवरी, 2024 को जब 500 वर्षों के बाद श्रीरामलला विराजमान हुए, उस दिन उत्तर प्रदेश में शान्तिपूर्ण और उल्लासपूर्ण दिवस था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 25 करोड़ की आबादी वाला उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। देश की 17 प्रतिशत आबादी उत्तर प्रदेश में निवास करती है। हर पांचवां, छठवां व्यक्ति उत्तर प्रदेश का है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और विजन में श्री काशी विश्वनाथ धाम बना है। वर्ष 2014 से पूर्व काशी में पूरे वर्ष 50 लाख पर्यटक आ पाते थे। इस वर्ष 16 करोड़ पर्यटक काशी आए हैं। 16 करोड़ पर्यटकों के काशी आने से वहां की इकोनॉमी में वृद्धि हो रही है। काशी रोड, रेल, एयर कनेक्टिविटी और वॉटर-वे से जुड़ चुका है। पिछले 10 वर्षों में वहां के विकास में गति आयी है। वहां का हर व्यक्ति खुशहाल है। प्रतिदिन 01 लाख से डेढ़ लाख श्रद्धालु ऑफ सीजन में बाबा विश्वनाथ धाम के दर्शन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 से पूर्व अयोध्या में 04 घण्टे बिजली मिलती थी। संकरी गलियां थीं। स्नान करने के लिए राम की पैड़ी का पानी स्वच्छ नहीं था और बड़ी दुर्व्यवस्था थी। प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप अब अयोध्या को 4-लेन, रेल कनेक्टिविटी से जोड़ा गया। वहां इण्टरनेशनल एयरपोर्ट संचालित है। पहले अयोध्या में प्रतिवर्ष 20 से 25 लाख श्रद्धालु आते थे, आज यह संख्या बढ़कर 12 करोड़ हो गई है और आने वाले समय में यह 16 करोड़ या उससे भी अधिक हो जाएगी। प्रतिदिन 01 लाख से डेढ़ लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे हैं। यही स्थिति मथुरा-वृन्दावन की भी है। वर्ष 2023 में एक वर्ष के अन्दर उत्तर प्रदेश में 62 करोड़ से अधिक पर्यटक आए हैं। पहले यह संख्या एक वर्ष में एक से डेढ़ करोड़ थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विरासत के प्रति कार्य करने के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश में रोजगार सृजन तेजी से आगे बढ़ा है। सरकार द्वारा मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना संचालित की जा रही है। 1,000 से अधिक धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार का कार्य किया जा रहा है। माँ विन्ध्यवासिनी धाम में एक नया कॉरिडोर बनाया गया है। नैमिषारण्य एवं अन्य धार्मिक स्थलों पर विकास कार्य किए जा रहे हैं। चित्रकूटधाम में महर्षि वाल्मीकि की जन्मस्थली लालापुर, संत तुलसीदास की जन्मस्थली राजापुर में कार्य किए गए हैं। दिव्य और भव्य कुम्भ को डिजिटल कुम्भ के तौर पर स्थापित करने के कार्यक्रम के रूप दिए जाने पर वर्तमान में कार्य किया जा रहा है। विरासत को ध्यान में रखकर कार्य प्रारम्भ किए जाने से ही यह सम्भव हो सका है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार की अपराध एवं अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है। हमारी सरकार 8वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। 08 वर्षों में कोई दंगा, गुण्डागर्दी, अराजकता नहीं हुई। पर्व एवं त्योहार शान्तिपूर्वक आयोजित हो रहे हैं। सुरक्षा का बेहतरीन माहौल दिया गया है। लेकिन इसके लिए हमें रिफॉर्म करने पड़े। इसके तमाम स्तर पर प्रयास किए गए। उसके परिणाम सभी के सामने हैं। प्रदेश में हर सेक्टर पर कार्य किए गए हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब हमारी सरकार सत्ता में आयी तो प्रदेश की जनसंख्या नम्बर-1 थी और राज्य की अर्थव्यवस्था 10वीं थी। आज उत्तर प्रदेश, देश की दूसरी अर्थव्यवस्था है। भारत की जी0डी0पी0 में उत्तर प्रदेश का 9.2 प्रतिशत शेयर है। उत्तर प्रदेश को डबल इंजन की सरकार का लाभ मिला है। इसमें पिक एण्ड चूज नहीं हुआ। सरकार ने इसके लिए पॉलिसीज बनायीं और प्रत्येक सेक्टर पर ध्यान दिया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश, प्रकृति और परमात्मा का प्रदेश है। सबसे अच्छी कृषि भूमि हमारे पास है। सबसे अच्छे जल संसाधन हैं। उत्तर प्रदेश में 11 फीसदी देश की कुल कृषि योग्य भूमि है। देश की 17 प्रतिशत आबादी उत्तर प्रदेश में निवास करती है। उत्तर प्रदेश, भारत के 20 प्रतिशत कुल खाद्यान्न का उत्पादन करता है।
प्रदेश की 86 प्रतिशत भूमि सिंचित है। इसका विस्तार हो रहा है। विगत 07 वर्षों में प्रदेश सरकार ने 23 लाख हेक्टेयर भूमि को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा प्रदान की है। उत्तर प्रदेश की इकोनॉमिक ग्रोथ तेजी से आगे बढ़ी है। हमारे पूर्वजों ने सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम एवं कुटीर उद्योगों में बहुत प्रगति की थी। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का दायित्व प्राप्त करने के बाद मेरे सामने प्रदेश की कार्यशील पूंजी, प्रदेश के युवा, जिसकी राज्य में 56 से 60 प्रतिशत आबादी है, को रोजगार उपलब्ध कराने की चुनौती थी। इन युवाओं के लिए लाखों की संख्या में सरकारी नौकरी प्रदान करने के साथ, करोड़ों की संख्या में रोजगार के अवसर सृजित किए जाने की आवश्यकता थी।
देश में हर व्यक्ति खेती नहीं कर सकता। हर व्यक्ति सरकारी नौकरी भी नहीं कर सकता। हर व्यक्ति विरासत के साथ गाइड बनकर जुड़ नहीं सकता। हमें दूसरे कार्य भी ढूंढने पड़ेंगे। प्रदेश में इस हेतु एक सर्वे कराया गया कि हमारे परम्परागत उद्योग क्या हैं। प्रदेश में 75 जनपद हैं, जिसमें 57 जनपद ऐसे मिले थे, जिनके पास अपना यूनिक प्रोडक्ट था। जैसे भदोही के कारपेट, मुरादाबाद का ब्रास प्रोडक्ट, अलीगढ़ का हार्डवेयर, सहारनपुर में वुडन वर्क, फिरोजाबाद में ग्लास वर्क, वाराणसी में सिल्क का कार्य, गोरखपुर का टेराकोटा का प्रोडक्ट। लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों के रुचि न लेने के कारण यह उद्योग हतोत्साहित थे। बन्दी के कगार पर थे। लखनऊ की चिकनकारी को सरकार के स्तर पर कोई प्रोत्साहन नहीं मिल रहा था।
वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ था, तब भारत की पर कैपिटा इनकम में उत्तर प्रदेश का शेयर ज्यादा था। वर्ष 1917 में उत्तर प्रदेश की प्रति कैपिटा इनकम भारत की पर कैपिटा इनकम की एक तिहाई रह गई थी। वर्तमान प्रदेश सरकार ने इस दौरान एम0एस0एम0ई0 सेक्टर को पुनर्जीवित किया। आज प्रदेश में 96 लाख एम0एस0एम0ई0 यूनिट कार्यरत हैं। यह सभी 75 जनपदों में हैं। उसी को हम लोगों ने वन डिस्टिक्ट वन प्रोडक्ट के रूप में आगे बढ़ाया है। उसको टेक्नोलॉजी, मार्केट साथ जोड़ा गया है। कॉमन फैसिलिटी सेण्टर के माध्यम से फैसिलिटेट किया। हर प्रकार से उन्हें प्रोत्साहित किया गया। इंस्पेक्टर राज से उन्हें मुक्ति दी गई। राज्य सरकार के प्रयास से आज प्रदेश में 02 लाख करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट एम0एस0एम0ई0 से हो रहा है।
यह वही उत्तर प्रदेश है जिसके बारे में यह कहा जाता था कि इसका कुछ नहीं हो सकता है। इसके अस्तित्व पर प्रश्न खड़े हो रहे थे। आज वही उत्तर प्रदेश भारत की इकोनॉमी का ग्रोथ इंजन बनने की दिशा में तेजी के साथ आगे बढ़ा है। यह इसलिए सम्भव हो सका क्योंकि प्रदेश सरकार की नीयत साफ थी, नीतियां स्पष्ट थीं और उन नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने की इच्छा शक्ति राज्य सरकार में थी। आज 27 सेक्टोरल पॉलिसीज बनाकर प्रदेश में लागू किया गया है।
प्रदेश में वर्ष 2017 में सरकार के गठन के उपरान्त औद्योगिक विकास मंत्री एवं विभाग के औद्योगिक विकास आयुक्त को बुलाकर प्रदेश में इन्वेस्टर समिट आयोजन करने की तैयारी करने के लिए कहा गया। दो माह के बाद मुझे बताया गया कि वे इन्वेस्टर समिट के लिए तैयार हैं। उन्होंने इसका नाम ग्लोबल इन्वेस्टर समिट रखा था, उसका टारगेट 20,000 करोड़ रुपये रखा गया था। मैंने उनसे कहा कि इसका नाम उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर समिट रखा जाए तथा निवेश की लोअर लिमिट 02 लाख करोड़ रुपये रखी जाए। इन्वेस्टर समिट के लिए उस समय देश में रोड शो के आयोजन किए गए। मेरे द्वारा मुम्बई में रोड शो किया गया। इसमें कई इन्वेस्टर ऐसे हैं, जो इसी वर्ल्ड हिन्दू इकोनॉमिक फोरम से जुड़े हैं। जिस दिन मैं मुम्बई आया था उसे दिन अकेले सिर्फ ढाई लाख करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव मुम्बई से मिले थे।
लखनऊ में फरवरी, 2018 में जब पहले इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया गया था, तब 4,67,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। इसमें से 03 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव को सफलतापूर्वक क्रियान्वित कराया गया। 05 वर्ष के बाद जब ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित की गई। इसमें 40 लाख करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। यह वही प्रदेश है, जहां कोई निवेशक आना नहीं चाहता था और आज हर निवेशक आना चाहता है। यह वही प्रदेश है, जिसके सामने पहचान का संकट था। आज कोई पहचान का संकट नहीं है। यह वही प्रदेश है, जहां पहले पलायन होता था, आज हर व्यापारी सुरक्षित हैं। पलायन करने वाले व्यापारी पुनः वापस आकर अपना व्यापार कर रहे हैं। प्रदेश के अपराधी या तो पलायन कर चुके हैं या राम नाम सत्य की यात्रा में जा चुके हैं।
इसके लिए हमें पॉलिसी बनानी पड़ी, इन्फ्रास्ट्रक्चर देना पड़ा। गंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है। यह वर्ष 2025 में बनकर तैयार हो जाएगा। गंगा एक्सप्रेस-वे बनने के बाद देश के कुल एक्सप्रेस-वे में प्रदेश का शेयर 55 प्रतिशत हो जाएगा। वर्तमान में प्रदेश में 16 एयरपोर्ट संचालित किए जा रहे हैं। इसमें से 04 इण्टरनेशनल एयरपोर्ट हैं। जेवर, जनपद गौतमबुद्धनगर में आगामी अप्रैल से एक नया इण्टरनेशनल एयरपोर्ट प्रारम्भ करने जा रहे हैं, जो एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा।
देश के सबसे बड़े लॉजिस्टिक हब के केन्द्र को वहां विकसित करने जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में आज क्या नहीं है। उत्तर प्रदेश में तेजी के साथ डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित हो रहा है। एयर कनेक्टिविटी, देश का पहला इनलैण्ड वॉटर-वे उत्तर प्रदेश में है। सर्वाधिक मेट्रो प्रदेश में संचालित की जा रही है। देश की पहली रैपिड रेल उत्तर प्रदेश में है। अब उत्तर प्रदेश भारत के ग्रोथ इंजन के रूप में स्थापित होने के साथ ही 01 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लिए कार्य कर रहा है। वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के प्रदेश की जी0डी0पी0 मात्र 12.30 लाख करोड़ रुपये से 13 लाख करोड़ रुपये थी। मार्च 2025 में उत्तर प्रदेश 32 लाख करोड़ रुपये की इकोनॉमी बनेगा।
यह नए भारत का नया उत्तर प्रदेश है। प्रधानमंत्री जी की उन परिकल्पनाओं को साकार कर रहा है, जो उनका विजन है। उसे मिशन के रूप में लेकर के प्रभावी ढंग से आगे बढ़ा रहा है। मैं आप सभी को आमंत्रित कर रहा हूं कि आप सभी लोग एक बार उत्तर प्रदेश में आइए। आप सभी लोगों के लिए अच्छा अवसर है कि 13 जनवरी, 2025 से लेकर मार्च 2025 तक प्रयागराज महाकुम्भ का आयोजन हो रहा है। मैंने स्वयं स्वामी जी को आज आमंत्रण दिया है क्योंकि वह इस वर्ल्ड हिन्दू इकोनामिक फोरम की आत्मा हैं। मैंने सबसे पहले उनको यह सम्मान दिया है कि आप सभी लोग वहां पधारें।
आप सभी को महाकुम्भ के आयोजन के साथ जुड़ना चाहिए। हिन्दू इकोनॉमी पर प्रयागराज में पर भी चर्चा होनी चाहिए। क्योंकि विरासत एवं विकास के इस बेहतर समन्वय का सबसे अद्भुत केन्द्र प्रयागराज होगा। जो लोग भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण को मिथक मानते हैं। भारत को सोने की चिड़िया एवं यहां दूध की नदियां बहती थीं, इसके बारे में कहते हैं कि इन ग्रंथों को जला देने चाहिए। इस दूषित मानसिकता के लोगों ने कुम्भ को गंदगी का पर्याय बनाया था। भगदड़ का पर्याय बनाया था।
कुम्भ भव्य और दिव्य भी हो सकता है स्वच्छता, सुरक्षा एवं सुव्यवस्था का मानक भी गढ़ सकता है। यह वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश में आप लोगों ने देखा होगा। आस्था और आधुनिकता का प्रतिमान स्थापित हो। यह वर्ष 2025 में होने प्रयागराज कुम्भ के अवसर पर प्रत्येक सनातन धर्मावलम्बी आमंत्रित है। हमारा अनुमान है कि 40 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज कुम्भ में आएंगे। कुम्भ की व्यवस्था को भी विस्तार दिया गया है। 10,000 एकड़ क्षेत्रफल में कुम्भ का विस्तार किया गया है।
प्रयागराज शहर का पूरा कायाकल्प कर दिया गया है। हर एक स्तर को सुविधा दी जा रही है। डबल इंजन की सरकार पूरी मजबूती के साथ आस्था एवं आधुनिकता के इस नए कुम्भ के साथ दुनिया की सबसे बड़ी आध्यात्मिक सांस्कृतिक एकात्मता के इस समागम को दिव्यता एवं भव्यता के साथ आयोजित करने के लिए तत्पर है।
मैं आपको आमंत्रित कर रहा हूं कि आप लिए और प्रदेश की ग्रोथ स्टोरी महाकुम्भ के माध्यम से भी देखने का अवसर आपको प्राप्त होगा। स्वामी विज्ञानानन्द जी को एवं उनकी पूरी टीम जिस तत्परता के साथ भारत की परम्परा एवं सनातन धर्म के बारे में चिन्तनशील होकर, मान-अपमान की चिंता के बगैर निरन्तर कार्य कर रही है। उनकी साधना अवश्य सफल होगी, सिद्धि में परिवर्तित होगी। इसमें कोई संदेह नहीं। वर्ष 2047 में विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री जी ने भारतवासियों के सामने आगामी 25 वर्ष का लक्ष्य रखा है। विकसित भारत की संकल्पना इसी हिन्दू फोरम से आगे बढ़ेगी। इसके लिए हमें विकास के साथ विरासत को जोड़ने की प्रतिबद्धता निरन्तर बनाए रखनी पड़ेगी।
आयोजन समिति के सचिव श्री रविकान्त मिश्र, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मुम्बई महानगर के संचालक श्री सुरेश भगेरिया, श्री स्वदेश खेतावत, वर्ल्ड हिन्दू इकोनॉमिक फोरम से जुड़े पदाधिकारीगण तथा देश-दुनिया से आए महानुभाव सम्मिलित हुए।
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