लखनऊ: 20 दिसम्बर, 2024: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज अयोध्या में पंच नारायण महायज्ञ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम मंे सम्मिलित हुए। उन्होंने पंच नारायण महायज्ञ में जगतगुरु रामानुजाचार्य, स्वामी श्रीधराचार्य सहित अन्य संत धर्माचार्याें के साथ आहुति अर्पित की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सनातन धर्म की मान्यता है कि सम्पूर्ण सृष्टि के संचालक, रक्षक, पालक श्रीमद्नारायण साक्षात सूर्यदेव हैं, जिन्हें श्री विष्णु भी कह सकते हैं। उन्हीं की कृपा से सब कुछ संचालित होता है। उनकी कृपा के बगैर कुछ भी नहीं हो सकता। अयोध्याधाम में पंच नारायण यज्ञ के माध्यम से उत्तर एवं दक्षिण के विद्वानों के संयुक्त प्रयासों से चल रही आत्म शुद्धि, इस भूमि की शुद्धि एवं पर्यावरण की शुद्धि के इस पवित्र महायज्ञ के साथ जुड़ने का सौभाग्य हम सभी को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन जन्म भूमि पर मिल रहा है। स्वाभाविक रूप से यज्ञ की सफलता तो आवश्यक है। इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत में यज्ञों की परंपरा हजारों वर्षों से है। ‘यज्ञात भवति पर्जन्य’ यानी यज्ञ ही वर्षा का कारण है। वर्षा से ही फसल होती है। उसी से प्रत्येक किसान, व्यापारी को धन-धान्य एवं समृद्धि प्राप्त होती है। इस धन-धान्य से सृष्टि की व्यवस्था का संचालन भी हम कर पाते हैं। यज्ञों की पावन परंपरा हजारों वर्षों की परंपरा है। हजारों वर्षों की इस परंपरा के साथ पंचनारायण महायज्ञ से जुड़ने का आपको सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। श्रीराम कोटि पीठ के माध्यम से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह पीठ प्रभु की असीम कृपा की पीठ है। यह सैकड़ो वर्षों से अपनी धार्मिक परंपरा के लिए जानी जाती है। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान पूरे श्रद्धा एवं समर्पण के साथ इन धार्मिक पीठों ने आंदोलन को यज्ञ मान करके सफलता की नई ऊंचाई तक पहुंचाने का काम किया था। आज इसका परिणाम हम सभी के सामने है। 500 वर्षों के कालखंड के बाद 05 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कर-कमलों से अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण का शुभारंभ हुआ। 22 जनवरी 2024, को अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला फिर से विराजमान हुए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस अवसर पर देश और दुनिया में कौन ऐसा सनातन धर्मावलंबी था, जिसकी आंखों में श्रद्धा के आंसू ना आए हों। श्रद्धा एवं सम्मान के साथ प्रभु श्री राम के चरणों में जिसने अपने आप को पूरा समर्पित ना किया हो। यही परंपरा है जिस पर हर भारतवासी गौरव की अनुभूति करता है। हमारे पावन ग्रंथ कहते हैं कि ‘दुर्लभं भारते जन्म मानुष्यं तत्र दुर्लभं’ पहले तो भारत में जन्म लेना दुर्लभ है, उससे भी दुर्लभ मनुष्य रूप में जन्म लेना है। इस प्रकार के दुर्लभतम क्षण हम सभी को प्राप्त हो रहे हैं, वह भी हम अपनी आंखों से देख रहे हैं। काशी में काशी विश्वनाथ धाम, अयोध्या में अयोध्या धाम फिर से त्रेतायुग की स्मृतियों को जीवंत कर रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या में रामलला का आगमन हो गया है। डबल इंजन की सरकार ने संतों के मार्गदर्शन में रामलला के आगमन के पूर्व अयोध्या के वैभव को आगे बढ़ाया, आज वह पूर्ण हो चुका है। विरासत को विस्मृत करके हम भौतिक विकास को स्थाई नहीं बनाए रख सकते हैं। विरासत और विकास के बीच में एक बेहतर समन्वय होना चाहिए। यज्ञ उसी की प्रेरणा देता है। भारत के पावन धर्म स्थल एवं मान बिंदु हमारे आदर्श और प्रेरणा हैं, इनसे प्रेरित हो कर जब हम आगे बढ़ेंगे तभी भारत बना रहेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में पूरा देश अपनी विरासत को अक्षुण्ण बनाए रखते हुए इतिहास की एक नई बुलंदियों को छूता हुआ दिखाई दे रहा है। नया भारत एक विकसित भारत के रूप में आगे बढ़ रहा है। इस विकसित भारत के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। अगर विश्व मानवता को बचाना है तो उसका एक ही मार्ग है। वह है सनातन धर्म का सम्मान करना। सनातन धर्म सुरक्षित है, तो दुनिया में सभी सुरक्षित हैं। सनानत धर्म ने हमेशा सबके कल्याण की बात की है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हजारों वर्षों पहले हमारे ऋषियों ने हमें अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।। का संदेश दिया है। यह मेरा है, यह तेरा है, यह संकुचित बुद्धि के लोग करते हैं। उदार चरित्र के लोगों के लिए पूरी दुनिया एक परिवार है। दुनिया में सनातन धर्म अकेला एक ऐसा धर्म है, जिसमें दुनिया की हर जाति, मत, मजहब, सम्प्रदाय के लोगों को उनकी विपत्ति के समय में संरक्षण तथा फलने-फूलने का अवसर प्राप्त होता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वे कौन लोग थे, जिन्होंने देश के अंदर भी सनातन धर्म से जुड़े हुए उन मान बिंदुओं को नष्ट करने का काम किया था। ऐसा क्यों किया था, उसके पीछे की उनकी नीयत क्या थी। अपने बर्बर कृत्यों को अंजाम दे करके पूरी धरती को नर्क बनाने की साजिश का हिस्सा था, जिसके तहत काशी का विश्वनाथ मंदिर, अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि, मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि, संभल में कल्कि अवतार की हरिहर भूमि, भोज में ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती के पावन मंदिर, सोमनाथ मन्दिर कोे तोड़ा एवं अपवित्र किया जाता है। इन मंदिरों के तोड़ने से उनका कुल एवं वंश ही नष्ट हुआ होगा, जिन्होंने इन मंदिरों को अपवित्र किया है। वह फले-फूले नहीं हुए होंगे। औरंगजेब के परिवार के लोग भी वर्तमान में रिक्शा चलाते हैं। अगर यह लोग पुण्य के कार्य किए होते तो उन्हंे रिक्शा चलाने की नौबत नहीं आती। वह इस दुर्गति को नहीं प्राप्त करते। यह उनकी दुर्गति है, जिन्होंने ईश्वर की अवमानना की है। दुनिया में विश्व शांति की स्थापना करनी है, तो यह सनातन धर्म ही कर सकता है। भारत के अंदर सनातन धर्म ही भारत का राष्ट्रीय धर्म है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत तभी तक भारत है, जब तक भारत में सनातन धर्म सुरक्षित है। सनातन धर्म की रक्षा एवं संरक्षण के लिए हम सभी को मिलकर के कार्य करना होगा। सनातन धर्म शाश्वत तथा सृष्टि के साथ चलने वाला धर्म है। विसंगति के कारण आपसी फूट, बंटवारे एवं विभाजन की उन गलतियों का खामियाजा पूरे देश एवं पूरे धर्म को नहीं भुगतने देंगे। इस संकल्प के साथ हमें आगे बढ़ना पड़ेगा। जिन कर्म से देश को गुलाम होना पड़ा था, जिन कर्म से देश को गुलामी की बेड़ियांे से झेलने के लिए मजबूर होना पड़ा था, धर्म स्थलों को अपमानित होना पड़ा था, वह फिर से ना हांे, इसके लिए अभी से प्रत्येक भारतवासी को तैयार होना पड़ेगा। जब हम लोग दिलो-दिमाग से इसके बारे में सोचेंगे तभी भारत सुरक्षित रहेगा, सनातन धर्म सुरक्षित रहेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पंच नारायण महायज्ञ का आयोजन इसी भाव के साथ किया गया है। जिससे पर्यावरण विशुद्ध हो, भारत की रक्षा हो, सनातन धर्म फिर से हम सभी के संरक्षण का आधार बने। हम अपने धर्म की सुरक्षा का आधार बनें।
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