भारतीय जाट सभा लखनऊ द्वारा **राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जयंती पर आयोजित गोष्ठी **
संपन्न हुई
राजा महेंद्र प्रताप सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के बाद चौधरी सुभाष सिंह वर्मा द्वारा उनके द्वारा बताए गए आदर्शो और मूल्यों पर चलकर काम करने का आवाह्न किया ।
साथ ही भारतीय जाट सभा लखनऊ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष चौधरी रामराज सिंह एडवोकेट हाई कोर्ट एवं सचिव धर्मेंद्र कुमार , रामकुमार तेवतिया ,राकेश सिंह ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री श्री धर्मेंद्र सिंह कोषाध्यक्ष, रवि प्रकाश सिंह , चौधरी मुकेश सिंह एवं प्रोफेसर संदीप बालियान, श्रीमती कविता बालियान इत्यादि सभी ने एक स्वर में महान क्रांतिकारी श्री राजा महेंद्र प्रताप सिंह की आदर्श को पालन करने का आवाहन किया।
कार्यक्रम 1- मोती महल मार्ग हजरतगंज मे संपन्न हुआ.
राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्म 1 दिसंबर 1886 की मुरसान शहर अलीगढ़ जनपद में हुआ उनका विवाह पंजाब में जींद राज्य में महाराज रणवीर सिंह की छोटी बहन से हुआ राजा साहब का सामाजिक व राजनीतिक जीवन वर्ष 1907से ही प्रारंभ हो गया था जब वह प्रथम बार रूम बुडापेस्ट बर्लिन पेरिस लंदन वाशिंगटन म्युनिख इटावा स्विट्जरलैंड तथा जापान गए इससे पूर्व संपूर्ण भारतवर्ष की यात्रा कर चुके थे राजा साहब जीवन पर्यंत यह प्रयास करते रहे कि अपने देश अपनी माटी का कैसे उद्धार किया जाए और कैसे आगे बढ़ाया जाए महाराजा महेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा रचित या वर्णित किए गए कार्य कुछ इस प्रकार हैं 1= एक तकनीकी संरक्षण संस्थान की स्थापना
2==स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
3==देश में के बाहर भारत की प्रथम अस्थाई सरकार का गठन
3== द्वितीय विश्व युद्ध के समय की गतिविधियां और
4==आनंद दल गठन
5== नव विचार विज्ञान इत्यादि उनके कुछ कार्य बिंदु थे,
1 फरवरी 1910 में राजा महेंद्र प्रताप का सोवियत रूस से में हार्दिक स्वागत हुआ वर्ष 1919 में वह रूस के राजदूत के साथ अफगानिस्तान लौटे परंतु प्रथम विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों की अफगानिस्तान से संधि हो जाने के कारण उन्हें अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा स्वदेश में उन्होंने महात्मा गांधी तथा स्वतंत्रता आंदोलन के अन्य नेताओं तथा देशी राज्यों के शासको से भी संपर्क बनाए रखा जिससे कि अंग्रेजों की द्वितीय विश्व युद्ध के लिए साधन जुटाने के प्रयासों को यथाशक्ति कम किया जा सके किंतु दुर्भाग्य बस इस बार हिटलर की गलती के कारण रूस के अंग्रेजों तथा मित्र राष्ट्र से मिल जाने के परिणाम स्वरुप युद्ध में अंग्रेज ही विजय रहे नेताजी का निधन हो गया तथा राजा महेंद्र प्रताप को जापान में ही कैद कर बंदी बना लिया गया द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपने कैद मुक्ति होने और सन 1946 ईस्वी में भारत लौटने तक के समय राजा महेंद्र प्रताप ने एक आनंद दल की स्थापना की जिसका उद्देश्य प्रेम धर्म संसार शासन संसार न्यायालय के आदेशों का प्रचार करना था अपनी कल्पना के अनुरूप स्थापित उपरोक्त संस्थाओं का संक्षिप्त विकास करने की दृष्टि से उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में घोर चिंतन व अन्वेषण किया और विज्ञान की परिकल्पना की इस विषय पर उन्होंने आठ पुस्तिकाएं लिखी हैं महाराजा महेंद्र प्रताप सिंह उपरोक्त उत्सव के शीर्षक ही उनकी कार्य प्रति पादन करते थे उनमें नैतिकता की व्यवस्था आध्यात्मिक सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक विचार का आभास मिलता है आर्यन पेशवा राजा महेंद्र प्रताप विश्व में लाना चाहते थे तथा जिनको स्थापित करने के लिए उन्होंने अपने शैली के अनुसार कदम उठाए राजा महेंद्र प्रताप अपने आदर्शों का आदर्श का संदेश देने हेतु न केवल आवश्यक साहित्य लेखन प्रकाशन करते रहे अपित जीवन पर्यंत उनके अनुरूप कार्य किया तथा उन पर आगे लगभग आधी शताब्दी तक अर्थात 29 अप्रैल 1979 को उनके निर्माण का एक महान विचार के रूप में वह विचारक थे वह विचारों की दुनिया पर छाए रहे उनके निधन से विश्व और विरोध रूप से भारत ने एक महान मित्र मार्गदर्शन दार्शनिक व्यक्तित्व को दिया अपनी उन पर अमर आत्मा अभी भी हमारा पथ प्रदर्शन कर रही है जय हिंद जय भारत.
चौधरी मुकेश सिंह
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