मुख्यमंत्री ने हिन्दुस्तान समाचार पत्र समूह द्वारा आयोजित ‘हिन्दुस्तान : दिव्य महाकुम्भ 2025’ कॉन्क्लेव को सम्बोधित किया

कुम्भ की परम्परा भारत की चिन्तनशील प्रकृति का प्रतीक, केन्द्र और राज्य सरकार ने मिलकर प्रयागराज कुम्भ 2019 को आस्था व आधुनिकता के संगम तथा एक नए प्रतिमान के रूप में स्थापित किया : मुख्यमंत्री

प्रधानमंत्री जी ने 02 दिन पूर्व प्रयागराज में महाकुम्भ से जुड़े स्थायी इन्फ्रास्ट्रक्चर के कार्यों का लोकार्पण किया

अक्षयवट कॉरिडोर, सरस्वती कूप कॉरिडोर, बड़े हनुमान जी मन्दिर कॉरिडोर, महर्षि भारद्वाज का आश्रम और कॉरिडोर तथा श्रृंग्वेरपुर कॉरिडोर लोकार्पित

श्रृंग्वेरपुर में भगवान श्रीराम और निषादराज की 56 फीट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण

महाकुम्भ 2025 के स्वच्छ, सुरक्षित व सुव्यवस्थित आयोजन के लिए पूरी तैयारियां की जा रही

पहली बार प्रयागराज में पक्के घाटों का निर्माण किया जा रहा, गंगा नदी में रिवरफ्रंट भी देखने को मिलेगा

एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, 216 से अधिक मार्गों के चौड़ीकरण जैसे कार्यों के माध्यम से इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किया गया

महाकुम्भ में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान, प्रदेश सरकार 100 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन की दृष्टि से तैयारी कर रही

संगम का जल निर्मल भी होगा और अविरल भी

महाकुम्भ में उत्तराखण्ड के चारधाम तथा भारत के चारधामों, द्वादश ज्योतिर्लिंग एवं अन्य प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के दर्शन होंगे

 ए0आई0 टूल के प्रयोग तथा भाषिणी ऐप के माध्यम से 11 विभिन्न भाषाओं में महाकुम्भ से जुड़ी जानकारियां प्रदान किये जाने की व्यवस्था की जा रही

गंगा जी तथा यमुना जी में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की व्यवस्था

महाकुम्भ, प्रयागराज तथा इससे जुड़े क्षेत्रों एवं पूरे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाला एक वृहद आयोजन बनने जा रहा
 
महाकुम्भ भारत की आध्यात्मिक विरासत और भौतिक विकास के कार्यों पर चर्चा-परिचर्चा का केन्द्रबिन्दु बनेगा

मुख्यमंत्री ने सभी को प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में भागीदार बनने के लिए आमंत्रित किया

हिन्दुस्तान के प्रधान सम्पादक ने मुख्यमंत्री को प्रयागराज त्रिवेणी का गंगाजल भेंट किया

लखनऊ : 15 दिसम्बर, 2024

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि कुम्भ भारत की दिव्य ज्ञान परम्परा तथा समाज की वर्तमान चुनौतियों के बारे में चिन्तन-मनन करने की केन्द्रस्थली रही है। यहां से जो निष्कर्ष निकलते थे, वह उस समय के समाज का मार्गदर्शन करते थे। समाज इनसे प्रेरणा प्राप्त करता था। कुम्भ की यही परम्परा विस्तार लेते हुए आज वर्तमान रूप में है। वर्ष 2019 का प्रयागराज कुम्भ सभी ने देखा है। इसमें सरकार ने लीक से हटकर कार्य किये। केन्द्र और राज्य सरकार ने मिलकर प्रयागराज कुम्भ को आस्था व आधुनिकता के संगम तथा एक नए प्रतिमान के रूप में स्थापित किया था।
मुख्यमंत्री जी आज यहां हिन्दुस्तान समाचार पत्र समूह द्वारा आयोजित ‘हिन्दुस्तान : दिव्य महाकुम्भ 2025’ कॉन्क्लेव के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कॉन्क्लेव में हिन्दुस्तान के प्रधान सम्पादक श्री शशि शेखर ने मुख्यमंत्री जी को प्रयागराज त्रिवेणी का गंगाजल भेंट किया। मुख्यमंत्री जी ने समाचार पत्र हिन्दुस्तान सहित मीडिया के सभी ऐसे स्तम्भों का आभार व्यक्त किया, जो भारत की विरासत के प्रतीक कुम्भ जैसे आयोजनों को पूरी भव्यता और निर्भीकता से दिखाने का कार्य कर रहे हैं। साथ ही, भारत की परम्पराओं पर गौरव की अनुभूति करने के लिए हर भारतवासी को प्रेरित कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कुम्भ की परम्परा भारत की चिन्तनशील प्रकृति का प्रतीक है। हमने उसे आध्यात्मिक व धार्मिक दृष्टि से मान्यता दी है। देवासुर संग्राम के साथ कुम्भ की पौराणिक मान्यता को जोड़ा है। अमृत वहीं निकलता है, जहां ज्ञान की दिव्य धारा प्रस्फुटित होती है। भारत की ऋषि परम्परा इसी दिव्य ज्ञान को आगे बढ़ाने के महत्वपूर्ण केन्द्रों के रूप में कुम्भ के क्षेत्रों को जानती है। इनमें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन तथा नासिक-त्रयम्बकेश्वर, इन चार स्थानों पर प्रति 12 वर्ष के अन्तराल पर कुम्भ के आयोजन होते हैं। प्रयागराज में अर्द्धकुम्भ भी होता है। शेष जगह कुम्भ ही आयोजित होते हैं। ‘वर्ष 2019 के अर्द्धकुम्भ को प्रयागराज कुम्भ के रूप में तथा प्रयागराज पूर्ण कुम्भ को महाकुम्भ के रूप में आयोजित करने का हमारी सरकार को सौभाग्य प्राप्त हुआ है।’
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ 2025 के स्वच्छ, सुरक्षित व सुव्यवस्थित आयोजन के लिए तथा वहां आस्था व आधुनिकता का संगम दिखायी दे, इसके लिए पूरी तैयारियां की जा रही हैं। प्रधानमंत्री जी ने 02 दिन पूर्व प्रयागराज में महाकुम्भ से जुड़े स्थायी इन्फ्रास्ट्रक्चर के कार्यों का लोकार्पण किया है। कुम्भ के माध्यम से ही प्राचीन प्रयागराज शहर तथा इसके आस-पास के क्षेत्रों का कायाकल्प हो, यह कार्य भी साथ-साथ चल रहे हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा तथा विरासत के संरक्षण के लिए सभी कार्य पूरी प्रतिबद्धता से किये जा रहे हैं। यह प्रयास भी किया जा रहा है कि इसके माध्यम से प्रयागराज का कायाकल्प भी हो जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहली बार प्रयागराज में पक्के घाटों का निर्माण किया जा रहा है। गंगा नदी में रिवरफ्रंट भी देखने को मिलेगा। संगम का जल निर्मल भी होगा और अविरल भी। प्रधानमंत्री जी ने प्रयागराज में अक्षयवट कॉरिडोर, सरस्वती कूप कॉरिडोर, बड़े हनुमान जी मन्दिर कॉरिडोर, महर्षि भारद्वाज आश्रम कॉरिडोर तथा श्रृंग्वेरपुर कॉरिडोर का लोकार्पण किया है। श्रृंग्वेरपुर में भगवान श्रीराम और निषादराज की गले मिलती हुई 56 फीट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण भी किया गया है। साथ ही, प्रयागराज में एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, 216 से अधिक मार्गों के चौड़ीकरण जैसे कार्यों के माध्यम से इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक 45 दिवसीय महाकुम्भ में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है, लेकिन प्रदेश सरकार 100 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन की दृष्टि से तैयारी कर रही है। प्रयागराज में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या का मुख्य स्नान है। इस दिन लगभग 06 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। प्रदेश सरकार 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन की दृष्टि से अपनी तैयारियां कर रही है। 12 किलोमीटर लम्बे घाट तैयार किये जा रहे हैं, जहां सभी श्रद्धालु पूरी श्रद्धा और सुगमता से स्नान कर सकते हैं। 10 हजार एकड़ क्षेत्र में कुम्भ का विस्तार किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस बार महाकुम्भ में प्रयागराज में उत्तराखण्ड के चारधाम-केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तथा भारत के चारधामों, द्वादश ज्योतिर्लिंग तथा अन्य प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के दर्शन होंगे। ए0आई0 टूल के प्रयोग तथा भाषिणी ऐप के माध्यम से 11 विभिन्न भाषाओं में महाकुम्भ से जुड़ी जानकारियां प्रदान किये जाने की व्यवस्था की जा रही है। इसके माध्यम से खोया-पाया से सम्बन्धित जानकारियां भी मिल जाएंगी। महाकुम्भ क्षेत्र में आने वाले एक-एक व्यक्ति की काउंटिंग होगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गंगा जी तथा यमुना जी में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की व्यवस्था की गई है। डेढ़ लाख शौचालय बनाए जा रहे हैं। महाकुम्भ क्षेत्र पॉलिथीन मुक्त होगा। वहां आस्था व आधुनिकता का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। महाकुम्भ को हर दृष्टि से दिव्य व भव्य बनाने का कार्य हो रहा है। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से वर्ष 2019 में यूनेस्को द्वारा कुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की मान्यता दी गई थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ 2025, प्रयागराज तथा इससे जुड़े क्षेत्रों एवं पूरे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाला एक वृहद आयोजन बनने जा रहा है। यह इस बात का प्रतिमान बनेगा कि इतने बड़े आयोजन को किस रूप में आगे बढ़ाया जा सकता है। डबल इंजन सरकार दिव्य, भव्य और डिजिटल महाकुम्भ की परिकल्पना को मूर्तरूप देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस आयोजन में भागीदार बनने के लिए राष्ट्रपति जी, उपराष्ट्रपति जी, प्रधानमंत्री जी, केन्द्रीय मंत्रिगण, राज्यों के राज्यपाल, उप राज्यपाल एवं मुख्यमंत्रियों एवं देश के अन्य महानुभावों को आमंत्रण दिया जा रहा है। उत्तर-दक्षिण तथा पूरब-पश्चिम हर दिशा से श्रद्धालु प्रयागराज आकर आस्था की त्रिवेणी में डुबकी लगाएं तथा भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उन्नयन को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने में अपना योगदान दें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विरासत के बिना विकास अधूरा है। ईसवी सन् के पहले से ही भारत पर हमले के प्रमाण मिलते हैं। जो भी बाहर से यहां आए, वह भारत की परम्पराओं से इतना समरस हो गए कि उनमें से बहुत सी आक्रामक जातियों को पहचानना भी कठिन हो गया था। लेकिन जब उन्होंने भारत की विरासत पर हमला कर देश की आत्मा को घायल किया, तब वह भारत के संसाधनों और विकास की प्रक्रिया को बाधित करने में सफल हुए। लगभग 02 हजार वर्षों तक लगातार भारत यह सब झेलता रहा। इसमें से भी 01 हजार वर्षों का दौर भारत की आत्मा व विरासत को बचाने की दृष्टि से अत्यन्त कठिन था। उस कालखण्ड के कठिन दौर में भी जिन आयोजनों की बड़ी भूमिका थी, हम उन्हें आज भी उसी रूप में आयोजित करते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह भारत की ही विशेषता थी कि यहां किसी भी व्यक्ति, विद्वान या ऋषि-मुनियों द्वारा कही गई बात पर कोई भी तुरन्त विश्वास नहीं करता था, बल्कि इन पर तर्क-वितर्क करने की पूरी स्वतंत्रता थी। इसके सम्बन्ध में संगोष्ठियां होती थीं। लखनऊ से कुछ ही दूरी पर स्थित नैमिषारण्य में आज से साढ़े तीन हजार वर्ष पूर्व ऐसी ही एक संगोष्ठी हुई थी, जिसमें 88 हजार ऋषि-मुनि एकत्र हुए थे। उन्होंने भारत की ज्ञान की धरोहर को संरक्षित करने के लिए वैदिक ज्ञान की दिव्य चिन्तन परम्परा को आगे बढ़ाया। ज्ञान की इसी समृद्ध चिन्तन धारा को लिपिबद्ध करते हुए ऋषि-मुनियों ने धरोहर के रूप में हमारे सामने प्रस्तुत किया है। प्रयागराज महाकुम्भ 2025 भी भारत की आध्यात्मिक विरासत और भौतिक विकास के कार्यों पर चर्चा-परिचर्चा का केन्द्रबिन्दु बनेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जो कुम्भ कभी गन्दगी, भगदड़, अव्यवस्था तथा असुरक्षा का प्रतीक होता था, वही प्रयागराज कुम्भ वर्ष 2019 में सुरक्षा, सुव्यवस्था और स्वच्छता का मानक गढ़ते हुए दिव्य और भव्य बना। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्वच्छ कुम्भ की अवधारणा को साकार करने वाले स्वच्छताकर्मियों के पाँव प्रक्षालन करके उनका सम्मान किया था। यही भारत की विरासत है कि अच्छा कार्य करने वालों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करें। सनातन धर्म से जुड़े इतने बड़े आयोजन में जहां जाति भेद के सभी बन्धन समाप्त हो जाते हैं, जहां पंथ-सम्प्रदाय की दीवारें ध्वस्त हो जाती हैं, जहां छूआछूत-अस्पृश्यता तथा गरीब-अमीर के सारे भाव समाप्त हो जाते हैं और जहां पूरे आयोजन के दौरान 24 करोड़ श्रद्धालुजन माँ गंगा, माँ यमुना और माँ सरस्वती की त्रिवेणी के संगम में डुबकी लगाते हैं, कई दिनों तक कल्पवास और साधना करते हैं, यदि वहां गन्दगी नजर नहीं आयी, तो प्रधानमंत्री जी भी इससे अभिभूत थे। इसीलिए उन्होंने स्वच्छताकर्मियों के पाँव प्रक्षालन करके उन्हें सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कुछ लोग धर्म तथा साम्प्रदायिकता के नाम पर राजनीति करते हैं। ऐसे लोग भारत की विरासत कुम्भ का दुष्प्रचार करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। ऐसे लोग अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के निर्माण तथा अन्य अच्छे कार्यों पर उंगली उठाते हैं। 09 नवम्बर, 2019 को उच्चतम न्यायालय के 05 जजों की संविधान पीठ ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि से सम्बन्धित विवाद का पटाक्षेप करते हुए सर्वसम्मति से फैसला दिया था। लेकिन इस निर्णय से भी कुछ लोगों को परेशानी है। आज अयोध्या में एयरपोर्ट बना है, यहां की गलियां फोरलेन हो गई हैं। यहां रेलवे की डबल लाइन बनने के साथ ही, अयोध्या की कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। अयोध्या में आम जनमानस खुश है। लेकिन राजनीति करने वाले लोग इसमें भी कमियां निकाल रहे हैं। उन्हें परेशानी होती है कि श्री काशी विश्वनाथ धाम का कायाकल्प कैसे हो गया।
मुख्यमंत्री जी ने महाकुम्भ 2025 के दृष्टिगत कॉनक्लेव का आयोजन करने के लिए हिन्दुस्तान समूह का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे कॉन्क्लेव महाकुम्भ की सफलता के दृष्टिगत आम जनमानस में जनजागृति पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेंगे। मुख्यमंत्री जी ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ 2025 दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक चेतना का जागरण होगा। यह सामाजिक एकता का भी प्रतीक होगा। महाकुम्भ 2025 आर्थिक संवृद्धि के बेहतर रोडमैप को आगे बढ़ाएगा। मुख्यमंत्री जी ने सभी को प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में भागीदार बनने के लिए आमंत्रित किया।
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