आनन्दनगर महाराजगंज स्थानीय फरेन्दा तहसील क्षेत्र एवं उपनगर में भैयादूज एवं यमद्वितीया के दिन कायस्थ परिवारो द्वारा अपने इष्ट देव भगवान चित्रगुप्त का पूजा अर्चना कर विश्व शान्ति एवं सुख समृद्धि के लिए कलम दवात का पूजन-अर्चन कर भगवान चित्रगुप्त के समक्ष प्रस्तुत किया गया अपना लेखा-जोखा तथा एक दूसरे को बधाई देते हुए शुभकामनाएं दी। फरेन्दा तहसील क्षेत्र एवं नगर पंचायत आनन्दनगर में बड़े धूमधाम के साथ भैयादूज एवं यमद्वितीया के दिन अपने ईष्ट देव चित्रगुप्त 'भगवान का पूजा अर्चना कर अपने कलम दवात की पूजा कर भगवान चित्रगुप्त से अपने जीवन को सुखमय बनाने हेतु प्रार्थना किया गया। बताते चले कि कायस्थ लोगों द्वारा दीपावली के दूसरे दिन यमद्वितीया के पर्व को सबसे बड़ा पर्व मानते हुए इसे धूमधाम से मनाते हैं। कहते हैं कि दीपावली के अगले दिन किसी भी तरह का हिसाब लिखना कायस्थ परिवार द्वारा कलम चलाकर नहीं किया जाता है। 24 घंटे बाद दूसरे दिन यमद्वितीया के दिन अपने इष्टदेव का पूजन करने के साथ-साथ कलम दवात का भी पूजा करने के पश्चात ही लिखने का कार्य किया जाता है। बताते चले कि ऐसा क्यो किया जाता है जब भगवान राम दशानन्द रावण को मारकर अयोध्या की तरफ प्रस्थान किये तो उनके छोटे भाई भरत द्वारा प्रभु राम के राजतिलक में देवी देवताओं को आमंत्रण भेजने हेतु गुरु वशिष्ठ से कहा गया। गुरु वशिष्ठ ने यह कार्य अपने शिष्यों को सौंप दिया। जब प्रभु राम के राजतिलक में भगवान चित्रगुप्त नहीं पहुंचे तो इसकी खोजबीन प्रभु राम द्वारा करायी गयी तो ज्ञात हुआ कि वशिष्ठ मुनि के शिष्यों द्वारा चित्रगुप्त भगवान को आमंत्रण नहीं दिया गया था। चित्रगुप्त भगवान प्रभु की लीला समझकर गुरु वशिष्ठ से नाराज होकर श्रृष्टी के लेखा-जोखा कार्य को बन्द कर दिया तब देवता लोग पहुंचे तो उन्होंने देखा कि सब उथल पुथल मचा हुआ है। लिखा पढ़ी न होने के कारण यमलोक में कठिनाइया आने लगी। कर्म के अनुसार किसको स्वर्ग एवं किसको नरक में भेजा जाय तब गुरु वशिष्ट की इस गलती को समझते हुए प्रभु राम ने गुरु वशिष्ट के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की। गुरु वशिष्ट की गलती के लिए क्षमा याचना की जिसके बाद नारायण रुपी भगवान राम के आदेश को मानकर भगवान चित्रगुप्त ने लगभग चार पहर (24 घंटे) बाद पुनः कलम पूजा करने के पश्चात उसको उत्प्रया और प्राणियों का लेखा जोखा लिखने का कार्य प्रारम्भ किया। कहते है तभी से कायस्थ दीपावली पूजा के पश्चात कलम को रख देते हैं यमद्वितीया के दिन भगवान चित्रगुप्त का विधिवत पूजा अर्चना कर कलम दवात के साथ पूजन करते हुए अपना लेखा-जोखा भगवान के समक्ष प्रस्तुत करते हैं उसके पश्चात कलम को धारण करते हैं। कहते हैं कि कायस्थ तभी से पूजनीय हो गये। अयोध्या में प्रभु श्रीराम द्वारा चित्रगुप्त भगवान के मन्दिर का निर्माण कराया गया। वही मन्दिर श्री हरि मन्दिर के नाम से विख्यात हुआ। लोगों का यह मानना है कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम के दर्शन के पश्चात श्रीहरि भगवान का दर्शन किये बिना फल की प्राप्ति नहीं होती हैं। स्थानीय उपनगर में पूजन करने वालों में एडवोकेट, सुधेश मोहन श्रीवास्तव रविन्द्र श्रीवास्तव संजय कुमार श्रीवास्तव, ओमप्रकाश रंजन, रवि श्रीवास्तव ऋषिमुनि श्रीवास्तव, प्रदीप श्रीवास्तव, शशि श्रीवास्तव, सुनील श्रीवास्तव ,नीरज श्रीवास्तव, वीरेन्द्र श्रीवास्तव, धीरज श्रीवास्तव ,तारा श्रीवास्तव, सुभाष श्रीवास्तव युवराज श्रीवास्तव, नीरज श्रीवास्तव, धीरज श्रीवास्तव संजय कुमार श्रीवास्तव, अरविन्द श्रीवास्तव ,रमेशचन्द्र श्रीवास्तव लालबहादुर श्रीवास्तव, सरवन श्रीवास्तव, अजय किशोर श्रीवास्तव , सगुण श्रीवास्तव आनन्द श्रीवास्तव, विजय श्रीवास्तव ,सहित तमाम कायस्थ परिवार के लोग रहे।
ब्रहामांड का लेखा जोखा रखने वाले देव चित्रगुप्त का कायस्थों ने धूमधाम से किया पूजा अर्चनाl
अफ़रोज़ अहमद
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