मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-
केन-बेतवा लिंक परियोजना के अन्तर्गत केन नहर प्रणाली के पुनरोद्धार की
परियोजना की अनुमोदित लागत 1191.51 करोड़ रु0 का व्यय प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने केन-बेतवा लिंक परियोजना के अन्तर्गत केन नहर प्रणाली के पुनरोद्धार की परियोजना की अनुमोदित लागत 1191.51 करोड़ रुपये के व्यय के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना नदी जोड़ो कार्यक्रम के अन्तर्गत जल संसाधन विकास के लिए राष्ट्रीय परिपेक्ष्य योजना (नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान) के भारत प्रायद्वीपीय घटक की 16 लिंक परियोजनाओं में से प्रथम परियोजना है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना सिंचाई, जल विद्युत और पेय जल आपूर्ति लाभों वाली उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश राज्य के सूखाग्रस्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र की एक बहुउद्देशीय परियोजना है। इस परियोजना में केन नदी के अतिरिक्त जल को बेतवा नदी में प्रवाहित करने के लिए एक लिंक चैनल द्वारा दोनों नदियों को जोड़ा जाना प्रस्तावित है।
केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के क्रियान्वयन हेतु उत्तर प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और भारत सरकार के मध्य दिनांक 22 मार्च, 2021 को सहमति ज्ञापन (एम0ओ0ए0) हस्ताक्षरित किया गया।
केन-बेतवा लिंक परियोजना के कार्यों को दिनांक 08 दिसम्बर, 2021 मंत्रिपरिषद भारत सरकार की बैठक में अनुमोदित किया गया। तत्क्रम में भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के पत्र संख्या-एन-673037/4/2018/-बीएम सेक्शन दिनांक 22 दिसम्बर, 2021 द्वारा परियोजना लागत 44,605 करोड़ रुपये का अनुमोदन निर्गत किया गया।
मंत्रिपरिषद, भारत सरकार द्वारा अनुमोदित केन-बेतवा लिंक परियोजना के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा क्रियान्वित किये जाने वाले कार्यों में से प्रथम कार्य ‘केन नहर प्रणाली के पुनरोद्धार कार्य की परियोजना’ की परियोजना प्राक्कलन लागत
1191.51 करोड़ रुपये का अनुमोदन केन्द्रीय जल आयोग, नई दिल्ली के पत्र संख्या- टी-28044/2/2023/पीए(सी)डीटीई दिनांक 24 अप्रैल, 2024 द्वारा किया गया, जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार की व्यय वित्त समिति की बैठक दिनांक 28 जून, 2024 में सैद्धान्तिक सहमति प्रदान की गयी है। परियोजना की वित्तीय व्यवस्था केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के मध्य 90ः10 अनुपात में किये जाने का प्राविधान भारत सरकार के उक्त अनुमोदन में सम्मिलित है।
केन नहर प्रणाली के पुनरोद्धार की परियोजना के क्रियान्वयन से वर्तमान में नहरों के क्षतिग्रस्त एवं जीर्णशीर्ण सेक्शन के पुनरोद्धार एवं निर्मित पक्की संरचनाओं के मरम्मत/पुनर्निर्माण कार्य पूर्ण होंगे एवं नहर प्रणाली की नहरें पूर्ण क्षमता से संचालित होंगी तथा अधिकतम मांग के समय नहर के टेल भागों में सिंचाई हेतु पानी की निरन्तर उपलब्धता रहेगी।
केन नहर प्रणाली में पानी का संचालन केन नदी में उपलब्ध मात्रा के अनुसार माह जुलाई से दिसम्बर तक होता है। इस प्रकार वर्तमान केन नहर प्रणाली से जनपद बांदा में सिंचाई की रबी फसली में सुविधा प्रदान हो रही है। इसके दृष्टिगत केन नहर प्रणाली के पुनरोद्धार की परियोजना में प्रस्तावित समस्त कार्य वर्ष 2025 से 2028 तक नहर बन्दी अवधि माह जनवरी से जून तक प्रस्तावित किया गया है, जिससे वर्तमान में हो रहे संचालन में कोई व्यवधान न हो। परियोजना को वित्तीय वर्ष 2027-28 में पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जनपद बांदा में वर्तमान सिंचित क्षेत्रफल 87,784 हे0 के अतिरिक्त 79,191 हे0 असिंचित क्षेत्र को भी सिंचित किया जा सकेगा। इस प्रकार जनपद बांदा में केन नहर प्रणाली से इस परियोजना से कुल 1,66,975 हेक्टेअर क्षेत्रफल को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी तथा लाभान्वित कृषकों की संख्या लगभग 1,60,000 होगी।
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फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफ0डी0आई0) एवं फॉच्र्यून-500 कम्पनियों के
निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति-2023 में संशोधन का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफ0डी0आई0) एवं फॉच्र्यून-500 कम्पनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति-2023 में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
सक्षम स्तर से प्राप्त अनुमोदन के उपरान्त शासन के शासनादेश दिनांक 01 नवम्बर, 2023 द्वारा ‘फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफ0डी0आई0) एवं फॉच्र्यून-500 कम्पनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति-2023’ निर्गत की गई है।
नीति में अर्हता हेतु निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपये रखी गयी है। भारत सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक (आर0बी0आई0) के वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार मात्र इक्विटी में किये निवेश को ही एफ0डी0आई0 में सम्मिलित किया जाता है। इसके विपरीत यह पाया गया है कि लगभग सभी औद्योगिक परियोजनाओं में प्रमोटर्स की इक्विटी के साथ-साथ बैंक ऋण (एक्सटर्नल काॅमर्शियल बाॅरोइंग, स्टैण्डबाई लेटर्स आॅफ क्रेडिट व डेबेन्चर्स आदि) के माध्यम से भी वित्त पोषण किया जाता है। शायद ही कोई औद्योगिक परियोजना शत-प्रतिशत प्रमोटर्स की सिर्फ इक्विटी से स्थापित की जाती है।
नीति-2023 का आशय प्रदेश में समस्त प्रकार का विदेशी निवेश को बढ़ाने का है, जो प्रमोटर्स की इक्विटी के साथ-साथ बाह्य बैंक ऋण (एक्सटर्नल काॅमर्शियल बाॅरोइंग, फाॅरेन स्टैण्डबाई क्रेडिट लिमिट तथा डेबेन्चर्स व अन्य) इन्स्ट्रूमेंट्स के माध्यम से भी हो सकता है।
किसी परियोजना में इक्विटी के साथ साथ डेब्ट एवं अन्य स्रोत रखने के कई महत्वपूर्ण कारण होते हैं, जो मुख्यतः निम्नवत है:-
ए- इन्वेस्टर्स द्वारा इन्वेस्टमेन्ट पर रिटर्न मिलता रहे। अतः परियोजना की स्थापना में डेब्ट पोर्शन से रेगुलर रिटर्न, इण्टरेस्ट तथा रिडेम्पशन प्रिमियम के रूप में मिलता है।
बी- डेब्ट पोर्शन पूरी तरह रिपैट्रिएबल होता है, जिससे स्टेक होल्डर को आवश्यकतानुसार फण्ड मोबीलाईज करने में आसानी होती है।
सी- डेब्ट के ऊपर ब्याज (इन्टरेस्ट) इनकम टैक्स के प्रावधान के अनुसार डिडक्टेबल खर्चों की श्रेणी में माना जाता है, जिससे टैक्स बेनिफिट निवेशकर्ता को उपलब्ध हो पाता है।
डी- उपरोक्त के अतिरिक्त डेब्ट, लेण्डर को एसेट्स के ऊपर सिक्योरिटी भी प्रदान करता है।
उपर्युक्तानुसार वर्णित कारणों के दृष्टिगत मंत्रिपरिषद द्वारा फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (एफ0डी0आई0) एवं फॉच्र्यून-500 कम्पनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति-2023 में निम्नवत संशोधन पर अनुमोदन प्रदान किया गया है:-
1. नीति को फाॅरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट, फाॅरेन कैपिटल इन्वेस्टमेण्ट एण्ड फाॅच्र्यून ग्लोबल-500 एण्ड फाॅच्र्यून इण्डिया-500 इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पाॅलिसी-2023 (यूपी एफडीआई/एफसीआई पाॅलिसी-2023) यानि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशी पूँजी निवेश, फॉच्र्यून ग्लोबल 500 एवं फॉच्र्यून इण्डिया-500 निवेश प्रोत्साहन नीति-2023 कहा जाएगा।
2. फाॅरेन कैपिटल इन्वेस्टमेण्ट के रूप में इक्विटी में निवेश करने वाली विदेशी कम्पनी के निवेश के साथ प्रिफरेंस शेयर, डिबेंचर्स, एक्सटर्नल काॅमर्शियल बाॅरोईंग, स्टैण्डबाई लैटर ऑफ क्रेडिट, लैटर्स ऑफ गारण्टी व अन्य डेब्ट सिक्योरिटी शामिल होगी। उपरोक्त के अतिरिक्त अन्य मोड, जो आर0बी0आई0 के द्वारा फ्रेमवर्क ऑन एक्सटर्नल कॉमर्शियल बारोईंग, ट्रेड क्रेडिट, स्ट्रक्चर्ड ऑब्लीगेशन्स ऐज पर सर्कुलर नं0-आरबीआई/एफईडी/2018-19/67, दिनांक 26 मार्च, 2019 (यथा संशोधित) के अन्तर्गत किए गए 100 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश की गणना के लिए अर्ह होंगे। उपरोक्तानुसार विदेशी निवेशक कम्पनी द्वारा किए गए फाॅरेन कैपिटल इन्वेस्टमेण्ट राशि (जिसमें इक्विटी में न्यूनतम 10 प्रतिशत तथा शेष ऋण व अन्य इन्स्ट्रूमेण्ट के माध्यम से मिलाकर 100 करोड़ रुपये का निवेश) को इस नीति के अन्तर्गत पात्र माना जाएगा तथा पूँजी निवेश की गणना में सम्मिलित किया जाएगा।
3. पाॅलिसी के अन्तर्गत फ्रण्ट एण्ड लैण्ड सब्सिडी औद्योगिक प्राधिकरणों की भूमि पर ही देय है एवं ई0सी0आई0 में इस राशि को सम्मिलित नहीं किया जाता है। यदि यूपी एफडीआई/एफसीआई पाॅलिसी-2023 द्वारा स्थापित होने वाली परियोजनाएं, ऐसी भूमि पर नहीं हैं जो कि औद्योगिक प्राधिकरणों की हैं, ऐसी स्थिति में वहाँ भूमि की लागत को ई0सी0आई0 में शामिल किया जा सकेगा।
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उ0प्र0 राज्य के अन्तर्गत विश्व बैंक की सहायता से
‘उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेण्ट प्रोजेक्ट’ क्रियान्वित कराए जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य के अन्तर्गत वायु प्रदूषण के नियंत्रण हेतु विश्व बैंक से पोषण कराए जाने के उद्देश्य से ‘उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेण्ट प्रोजेक्ट’ की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डी0पी0आर0) वर्ष 2024-25 से वर्ष 2029-30 एवं कुल ऋण की धनराशि 274153.04 लाख रुपये तथा परियोजना के क्रियान्वयन हेतु विशेष प्रयोजन वाहन (एस0पी0वी0) ‘उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेण्ट अथाॅरिटी’ के गठन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
साथ ही, प्रोजेक्ट की विस्तृत रिपोर्ट (डी0पी0आर0) वर्ष 2024-25 से वर्ष 2029-30 में सेक्टरवार प्रस्तावित कार्यवाही के बिन्दुओं के क्रियान्वयन हेतु प्रोग्राम फाॅर रिजल्ट्स (पी0 फाॅर आर0) मैकेनिज़्म तथा उसके अन्तर्गत विश्व बैंक परियोजना से वित्त पोषण किए जाने हेतु (पी0 फाॅर आर0) मैकेनिज़्म के अन्तर्गत विश्व बैंक के चरणवार इंगित भुगतान डिस्बर्समेण्ट लिंक्ड इण्डीकेटर फ्रेमवर्क, प्रस्तावित वित्तीय प्रबन्धन व वित्त विभाग, वाह्य सहायतित परियोजना विभाग एवं प्रशासकीय विभाग को जैपेनीज येन पर ऋण एवं ऋण की शर्तों के निगोसिएशन हेतु अधिकृत किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
इसके अतिरिक्त, मंत्रिपरिषद द्वारा क्लीन कुकिंग सेक्टर के अन्तर्गत विश्व बैंक द्वारा इनर्जी सेक्टर मैनेजमेण्ट असिस्टेंस प्रोग्राम क्लीन कुकिंग फण्ड (ई0एस0एम0ए0पी0) ग्राण्ट के अन्तर्गत राज्य सरकार को अनुदान (ग्राण्ट) के रूप में उपलब्ध कराए जाने के प्रस्ताव के सम्बन्ध में वित्त एवं वाह्य सहायतित परियोजना विभाग, उत्तर प्रदेश को ग्राण्ट व ग्राण्ट की शर्तों के निगोसिएशन हेतु अधिकृत किए जाने तथा उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेण्ट प्रोजेक्ट के सम्बन्ध में लिए गए इन निर्णयों में आवश्यक संशोधन हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश एयरशेड आधारित वायु गुणवत्ता प्रबन्धन को अपनाने वाला देश में पहला राज्य है। नगरीय वायु प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा लगातार उत्कृष्ट कार्य किया जा रहा है तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कराए जाने वाले राष्ट्रीय स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में वर्ष 2021-22, वर्ष 2022-23 तथा वर्ष 2023-24 में उत्तर प्रदेश के विभिन्न नगरों द्वारा शीर्ष स्थान प्राप्त किए गए हैं।
इसी क्रम में प्रदेश की वायु गुणवत्ता में और अधिक सुधार की दीर्घकालीन की कार्यवाहियों के क्रियान्वयन के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेण्ट प्रोजेक्ट’ की स्वीकृति प्रदान की गयी है। परियोजना का उद्देश्य राज्य में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एयरशेड आधारित रणनीति अपनाना है। इस परियोजना के तहत वायु गुणवत्ता प्रबन्धन, औद्योगिक, परिवहन, कृषि एवं पशुपालन, डस्ट एवं अपशिष्ट क्षेत्रों में विभिन्न कार्यवाहियां की जाएंगी, ताकि प्रदेश में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्यों को हासिल किया जा सके।
परियोजना के क्रियान्वयन से प्रदेश में वायु प्रदूषण से सम्बन्धित सामरिक ज्ञान और निर्णय-सहायता प्रणाली का विकास होगा, जिससे वायु प्रदूषण से निपटने में प्रदेश की क्षमता बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेण्ट परियोजना हेतु विश्व बैंक से 2741.53 करोड़ रुपये ऋण एवं ग्राण्ट, 1,119 करोड़ रुपये कार्बन फाइनेनिं्सग से प्राप्त होगा।
परियोजना के सुचारु क्रियान्वयन हेतु ‘उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेण्ट प्राधिकरण’ का गठन किया जाएगा, जिसमें एक शासी एवं कार्यकारी निकाय होगा। यह परियोजना 6 वर्षों (वित्तीय वर्ष 2024-25 से वर्ष 2029-30) तक चलेगी। परियोजना का क्रियान्वयन अनुमोदित डी0पी0आर0 में निहित रणनीति के अनुसार किया जाएगा।
परियोजना से राज्य को वायु प्रदूषण से निपटने के लिए विश्वस्तरीय तकनीकी ज्ञान प्राप्त होगा, और राज्य के विभागों एवं एजेंसियों का क्षमता विकास भी किया जाएगा। परियोजना के परिणामस्वरूप राज्य की वायु गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य और क्षेत्रीय जैव विविधता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
परियोजना के अन्तर्गत एयरशेड आधारित वायु प्रदूषण नियंत्रण सम्बन्धित अनेक कार्यों यथाः वायु प्रदूषण नियंत्रण अनुश्रवण तंत्र की स्थापना, क्षेत्रीय ज्ञान केन्द्रों के माध्यम से क्षमता विकास, उद्योगों में स्वच्छ उत्पादन प्रक्रिया एवं उसका अनुश्रवण, उर्वरक, कृषि, ई-मोबिलिटी के क्रियान्वयन से क्षमता विकास एवं ग्रीन जाॅब्स के अवसर उपलब्ध होंगे। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण स्तर पर क्लीन कुकिंग के प्रसार हेतु महिलाओं को पर्यावरण सखी एवं स्वच्छ ऊर्जा उद्यमियों के रूप में रोजगार उपलब्ध होगा।
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’मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना’ के अन्तर्गत
10 संरक्षण गृहों के निर्माण व संचालन के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में राजकीय देख-रेख व संरक्षण की आवश्यकता वाले निराश्रित तथा कानून से संघर्षरत बच्चों के सुरक्षित, सर्वांगीण विकास हेतु राज्य सरकार के सहयोग से नवीन गृहों के निर्माण तथा संचालन हेतु ’मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना’ के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। साथ ही, मंत्रिपरिषद ने योजना के क्रियान्वयन में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों के दृष्टिगत यथावश्यक संशोधन एवं परिवर्तन हेतु मुख्यमंत्री जी को प्राधिकृत किए जाने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना के अन्तर्गत महिला कल्याण विभाग द्वारा राजकीय देख-रेख व संरक्षण की आवश्यकता वाले निराश्रित तथा कानून से संघर्षरत बच्चों के सुरक्षित, सर्वांगीण विकास हेतु 10 संरक्षण गृहों का निर्माण व संचालन कराया जाना प्रस्तावित है। योजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में आवश्यकतानुसार प्रदेश के 10 जनपदों यथा-वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, अयोध्या, अमेठी, मथुरा, फिरोजाबाद, बस्ती, झांसी एवं कानपुर देहात में विभिन्न श्रेणियों में 100-100 की क्षमता के कुल 10 नवीन गृहों के निर्माण व संचालन किया जाना है, जिनमें 01 राजकीय बाल गृह (बालिका), 01 राजकीय बाल गृह (बालक), तथा 07 राजकीय सम्प्रेक्षण गृह (किशोर) किशोर न्याय बोर्ड सहित एवं 01 प्लेस ऑफ सेफ्टी गृह सम्मिलित हैं।
योजना के अन्तर्गत इन 10 गृहों का निर्माण राज्य सरकार के बजट से किया जाएगा, जिसमें लगभग 100 करोड़ रुपये का व्यय-भार आंकलित है। इस व्यय-भार में समय के अनुसार कमी या अधिकता सम्भव है। इन गृहों के संचालन में भारत सरकार द्वारा मिशन वात्सल्य योजना के अन्तर्गत निर्धारित प्राविधानों के अनुरूप 60ः40 (केन्द्रांश-60 प्रतिशत राज्यांश-40 प्रतिशत) के अनुसार राज्य सरकार पर 7.96 करोड़ रुपये का व्ययभार आएगा। मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना के अन्तर्गत वृहद निर्माण मद में वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में 100 करोड़ रुपये का बजट प्राविधान किया गया है।
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‘द उत्तर प्रदेश रिटायमेण्ट बेनिफिट्स रूल्स, 1961’ के
नियम-6 के उप नियम-10 में संशोधन का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने ‘द उत्तर प्रदेश रिटायमेण्ट बेनिफिट्स रूल्स, 1961’ के नियम-6 के उप नियम-10 में विद्यमान व्यवस्था के स्थान पर प्रस्तावित संशोधन को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद द्वारा प्रस्ताव में संशोधन/परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता होने पर आवश्यक सुसंगत संशोधन/परिवर्तन हेतु वित्त मंत्री को अधिकृत किया गया है।
ज्ञातव्य है कि अधिसूचना संख्या-सा-2-749/दस-917-961 दिनांक 29 मार्च, 1962 द्वारा प्रख्यापित ‘द उत्तर प्रदेश रिटायमेण्ट बेनिफिट्स रूल्स, 1961’ के नियम-6 के उप नियम-10 एवं शासनादेश दिनांक 28 जुलाई, 1989 में कार्मिकों के ग्रेच्युटी के भुगतान के सम्बन्ध में प्रावधान है कि यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु सेवा में रहते हुए अथवा सेवानिवृत्ति के उपरान्त ग्रेच्युटी की धनराशि प्राप्त किए बिना हो जाती है और उसने अपने पीछे कोई परिवार नहीं छोड़ा है और न ही कोई नामांकन किया है, या उसके द्वारा किया गया नामांकन अस्तित्व में नहीं है, तो उसे देय मृत्यु एवं सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की धनराशि सरकार को व्यपगत हो जाएगी।
केन्द्र सरकार के कार्यालय-ज्ञाप संख्या-28/91/2022-पी0 एण्ड पी0 डब्ल्यू0(बी)/8331 दिनांक 11 अक्टूबर, 2022, जो सेण्ट्रल सिविल सर्विसेज, पेंशन रूल्स, 2021 के अधीन ग्रेच्युटी भुगतान हेतु नामांकन के सम्बन्ध में है, के प्रस्तर-4 में ऐसे किसी व्यक्ति को जिसके पक्ष में ग्रेच्युटी हेतु उत्तराधिकार प्रमाण पत्र किसी सक्षम न्यायालय द्वारा निर्गत किया गया है, को ग्रेच्युटी का भुगतान अनुमन्य किया गया है।
यह निर्णय लिया गया है कि यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु सेवा में रहते हुए अथवा सेवानिवृत्ति के उपरान्त ग्रेच्युटी की धनराशि प्राप्त किए बिना हो जाती है और उसने अपने पीछे कोई परिवार नहीं छोड़ा है और न ही कोई नामांकन किया है तो, सेवानिवृत्ति उपदान या मृत्यु उपदान की धनराशि का भुगतान उस व्यक्ति को किया जा सकता है, जिसके पक्ष में किसी न्यायालय द्वारा प्रश्नगत उपदान के सम्बन्ध में, एक उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया हो।
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‘उ0प्र0 सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानान्तरण
नियमावली, 2024’ के प्रख्यापन का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानान्तरण नियमावली, 2024’ को प्रख्यापित कराए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। प्रस्तावित नियमावली ‘उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानान्तरण नियमावली, 2024’ में यथावश्यकता किसी भी परिवर्तन/परिवर्धन हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 दिनांक 23 अगस्त, 2023 को प्राख्यापित किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 की धारा-31 (1) के अनुसार उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम-1980 एतद्द्वारा निरसित कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-1980 निरसित होने के उपरान्त उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानान्तरण नियमावली (यथासंशोधन) 2005 स्वतः समाप्त हो गयी है, जिसके कारण प्रदेश में अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के एकल स्थानान्तरण से सम्बन्धित नियमावली बनाए जाने की आवश्यकता है।
उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानान्तरण नियमावली (यथासंशोधन) 2005 में नियमित आधार पर नियुक्त और स्थायी अध्यापकों के रूप में धारणाधिकार रखने वाले अध्यापकों के रूप में धारणाधिकार रखने वाले अध्यापक 05 वर्ष की सेवा पर एकल स्थानान्तण का प्राविधान किया गया था, जिसे उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानान्तरण नियमावली, 2024 में 03 वर्ष का प्राविधान किया गया है, जो सम्पूर्ण सेवा अवधि में केवल एक बार स्थानान्तरण के लिए हकदार होंगे।
एक महाविद्यालय से दूसरे महाविद्यालय में एकल/पारस्परिक स्थानान्तरण हेतु स्थानान्तरण आवेदन पत्र, विधि सम्मत रूप से गठित एवं विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित प्रबन्धतंत्र के माध्यम से दोनों प्रबन्धतंत्रों की लिखित सहमति सहित निदेशक, उच्च शिक्षा को प्रस्तुत किया जाएगा।
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अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के लखनऊ परिसर
की स्थापना हेतु चिन्हित भूमि को निःशुल्क उपलब्ध कराये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के लखनऊ परिसर की स्थापना हेतु ग्राम चकौली, तहसील सरोजनी नगर में चिन्हित भूमि को निःशुल्क उपलब्ध कराये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
ज्ञातव्य है कि छात्र-छात्राओं को अंग्रेजी एवं अन्य विदेशी भाषाओं की बेहतर शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद, (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के लखनऊ परिसर की स्थापना की जानी है। स्थापना होने के उपरान्त विश्वविद्यालय का लखनऊ परिसर प्रतिवर्ष लगभग 2,000 से 2,500 छात्र-छात्राओं, विदेश में नौकरी करने के इच्छुक नौजवानों और अन्य व्यक्तियों की शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकेगा। इससे युवाओं को विभिन्न भाषाओं में प्रवीण बनाकर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने हेतु सक्षम बनाया जा सकेगा।
अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय की स्थापना संसद द्वारा पारित अधिनियम-2006 द्वारा की गयी है। इस अधिनियम में उल्लिखित है कि विश्वविद्यालय का मुख्यालय हैदराबाद में होगा। लखनऊ व शिलाॅन्ग में परिसर होंगे। आवश्यकता पड़ने पर अन्य उपयुक्त स्थानों पर इसी तरह परिसर स्थापित किये जा सकेंगे। वर्तमान में विश्वविद्यालय का अस्थाई परिसर कानपुर रोड, लखनऊ में किराये के भवन से संचालित है। लखनऊ क्षेत्रीय परिसर के निदेशक द्वारा लखनऊ परिसर की स्थापना हेतु भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध उच्च शिक्षा विभाग से किया गया है।
इस हेतु जिलाधिकारी, लखनऊ द्वारा ग्राम चकौली, परगना बिजनौर, तहसील सरोजनी नगर, जनपद लखनऊ में कुल 2.3239 हे0 भूमि को चिन्हित करते हुए भूमि के पुनग्र्रहण का प्रस्ताव उपलब्ध कराया गया है। जिलाधिकारी द्वारा उक्त भूमि का मूल्य सर्किल रेट के 4 गुना दर के आधार पर 9,29,56,000 रुपये (नौ करोड उन्तीस लाख छप्पन हजार रुपये मात्र) एवं माल गुजारी 34858.50 रुपये (चैतीस हजार आठ सौ अठ्ठावन रुपये पचास पैसे मात्र) प्रति वर्ष बताया गया है।
राजस्व विभाग के शासनादेश संख्या-744/एक-1-2016-20(5)/
अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को यू0जीसी0 से भवन, सड़क निर्माण, पुस्तकालय और उपकरण इत्यादि के विकास की निधि में ही धनराशि स्वीकृत होती है, परन्तु भूमि क्रय करने का प्राविधान नहीं है। अतः सीमित संसाधन होने के स्थिति में विश्वविद्यालय द्वारा प्रश्नगत भूमि को क्रय किये जाने में असमर्थता व्यक्त की गयी है।
विश्वविद्यालय द्वारा प्रश्नगत भूमि को क्रय किए जाने में असमर्थता व्यक्त किये जाने के कारण अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के लखनऊ परिसर की स्थापना हेतु प्रश्नगत भूमि को विश्वविद्यालय को निःशुल्क उपलब्ध कराये जाने के प्रस्ताव पर मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्राप्त किया गया है।
इसके क्रम में सर्वप्रथम प्रश्नगत भूमि राजस्व अभिलेखों में उच्च शिक्षा विभाग के नाम दर्ज करायी जाएगी। तदोपरात अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के लखनऊ परिसर की स्थापना हेतु संस्थान को प्रश्नगत भूमि लीज पर दी जाएगी। इस हेतु संस्थान से लीज डीड एवं एम0ओ0यू0 करते हुए नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
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जनपद बागपत में अन्तरराष्ट्रीय योग एवं आरोग्य केन्द्र की स्थापना हेतु
तहसील व परगना बागपत के ग्राम हरियाखेड़ा की ग्राम सभा की 1.0690 हे0
भूमि पर्यटन विभाग को निःशुल्क उपलब्ध कराए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने जनपद बागपत में अन्तरराष्ट्रीय योग एवं आरोग्य केन्द्र की स्थापना हेतु तहसील व परगना बागपत के ग्राम हरियाखेड़ा की ग्राम सभा की 1.0690 हे0 भूमि पर्यटन विभाग को निःशुल्क उपलब्ध कराए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। मंत्रिपरिषद द्वारा प्रकरण में आवश्यकतानुसार अग्रेत्तर निर्णय लिये जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
ज्ञातव्य है कि वेलनेस टूरिज्म का उद्देश्य तनाव के स्तर को नियंत्रित करना और स्वस्थ जीवन-शैली को बढ़ावा देना है। वेलनेस टूरिज्म के अन्तर्गत शारीरिक, मनोवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियांे के माध्यम से स्वास्थ्य एवं कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की जाने वाली यात्राएं आती हैं। योग एवं वेलनेस को जोड़ते हुए वेलनेस टूरिज्म विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करेगा। भारत में केरल एवं उत्तराखण्ड में वेलनेस टूरिज्म के केन्द्र स्थापित हैं, जहाँ पर काफी संख्या में भारतीय एवं विदेशी पर्यटक स्वास्थ्य के सम्बन्ध में आते हैं। विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत स्थित पूरामहादेव में अन्तरराष्ट्रीय योग एवं आरोग्य केन्द्र की स्थापना सार्वजनिक निजी सहभागिता के अन्तर्गत निवेशकों के माध्यम से करायी जानी है।
बागपत में अन्तरराष्ट्रीय योग एवं आरोग्य केन्द्र की स्थापना हेतु आपसी समझौते के आधार पर काश्तकारों से उनकी 68.400 हे0 निजी भूमि क्रय किये जाने का निर्णय लिया गया है। ग्राम सभा की 1.0690 हे0 भूमि प्रस्तावित परियोजना हेतु क्रय की जा रही भूमि के मध्य में है। अतः ऐसी स्थिति में ग्राम सभा की उक्त भूमि का पर्यटन विभाग के पक्ष में निःशुल्क हस्तांतरण अपरिहार्य है।
कोरोना काल खण्ड से अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर योग एवं वेलनेस टूरिज्म के प्रति लोगो में काफी जागरूकता बढ़ी है। कोयम्बटूर और केरल में योग एवं वेलनेस टूरिज्म केन्द्र पर लाखांे की संख्या में विदेशी पर्यटक स्वास्थ्य लाभ हेतु आते है। विश्व में योग की स्वीकार्यता चिकित्सा क्षेत्र में भी होने के कारण आध्यात्मिक और आत्मिक शान्ति के लिए योग के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर योग के प्रति लोग काफी प्रभावित हो रहे हैं। योग की लोकप्रियता दुनिया भर में बढ़ रही है। दुनिया भर में योग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।
योग एवं वेलनेस टूरिज्म के क्षेत्र में तमिलनाडु के चेन्नई एवं कोयम्बटूर तथा केरल का उल्लेखनीय स्थान है। वेलनेस टूरिज्म के क्षेत्र में भारत में चेन्नई को प्रथम स्थान भी प्राप्त है। यहाँ वेलनेस टूरिज्म के अन्तर्गत देश एवं विदेश से काफी संख्या में पर्यटक मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य लाभ हेतु आते हैं।
प्रदेश में शासकीय क्षेत्र में 14 योग केन्द्र/संस्थान तथा निजी क्षेत्र में 23 योग शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थान हैं। इसके अलावा, विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं और संगठनों द्वारा योग के प्रशिक्षण के लिए उल्लेखनीय गतिविधियां संचालित हैं, किन्तु अन्तरराष्ट्रीय स्तर का योग एवं वेलनेस टूरिज्म केन्द्र उत्तर प्रदेश में नहीं है।
अन्तरराष्ट्रीय योग एवं वेलनेस टूरिज्म केन्द्र स्थापित होने पर उत्तर प्रदेश में विदेशी पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि होगी। प्रस्तावित स्थल देश की राजधानी दिल्ली से काफी निकट होने के कारण अन्तरराष्ट्रीय पर्यटकों को आने में भी सुविधा होगी। केन्द्र की स्थापना से इस क्षेत्र में काफी संख्या में रोजगार का सृजन होगा और वेलनेस टूरिज्म के प्रति लोगों में जागरूकता भी आएगी।
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प्रदेश में परापशुचिकित्सा के क्षेत्र में पशुपालन डिप्लोमा पाठ्यक्रम/डिप्लोमा कोर्स/सर्टिफिकेट कोर्स संचालित किए जाने हेतु नीति के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में परापशुचिकित्सा के क्षेत्र में पशुपालन डिप्लोमा पाठ्यक्रम/डिप्लोमा कोर्स/सर्टिफिकेट कोर्स चलाए जाने हेतु तैयार नीति को अनुमोदित कर दिया है। इससे निजी क्षेत्रों में भी परापशुचिकित्सा के पाठ्यक्रमों का संचालन हो सकेगा तथा इस सम्बन्ध में पाठ्यक्रम संचालन संस्थाओं में एकरूपता एवं मानक निर्धारण करते हुए संस्थाओं की सम्बद्धता तथा मान्यता के सम्बन्ध में निर्णय लिया जा सकेगा।
राज्य में परापशुचिकित्सा क्षेत्र में पशुपालन डिप्लोमा पाठ्यक्रम/डिप्लोमा कोर्स/सर्टिफिकेट कोर्स के संचालन हेतु तैयार नीति में परापशुचिकित्सा क्षेत्र में पाठ्यक्रम संचालन हेतु संस्थाओं के लिए अर्हता, आवेदन शुल्क, अनापत्ति जारी करने की प्रक्रिया, सीट अभिवृद्धि, अनापत्ति प्रमाण-पत्र निरस्त करने, वेबसाइट निर्माण, पाठ्यक्रम, स्थापना के मानदण्ड, संस्थान भवन के मानक, संस्थापन व्यवस्था, पुस्तकालय सामग्री, पशुशाला/पशु फार्म, प्रयोगशाला की सामग्री, आवश्यक औषधियां एवं सामान तथा शल्य क्रिया से सम्बन्धित औजार आदि बिन्दुओं पर मानक निर्धारित किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में परापशुचिकित्सा क्षेत्र में पशुपालन डिप्लोमा पाठ्यक्रम/डिप्लोमा कोर्स/सर्टिफिकेट कोर्स संचालन की आवश्यकता के दृष्टिगत नीति तैयार करने हेतु राज्य सरकार द्वारा विशेष सचिव, पशुधन विभाग की अध्यक्षता में 04 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की गई। समिति द्वारा नीति निर्धारण हेतु अपनी सुपरीक्षित आख्या तैयार कर प्रस्तुत की गई। समिति की आख्या के आधार पर राज्य सरकार द्वारा परापशुचिकित्सा क्षेत्र में पशुपालन डिप्लोमा पाठ्यक्रम/डिप्लोमा कोर्स/सर्टिफिकेट कोर्स के संचालन हेतु नीति तैयार की गई।
प्रदेश में पशु चिकित्सा विज्ञान में डिप्लोमा प्रदान किए जाने के उद्देश्य से उ0प्र0 पं0 दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो-अनुसंधान संस्थान केन्द्र, मथुरा व अन्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा निजी महाविद्यालयों को सम्बद्धता प्रदान करने हेतु मानकों का निर्धारण करने के लिए परापशुचिकित्सा क्षेत्र में पशुपालन डिप्लोमा पाठ्यक्रम/डिप्लोमा कोर्स/सर्टिफिकेट कोर्स के संचालन हेतु नीति तैयार किए जाने का निर्णय लिया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पैरावेट्स की पशु चिकित्सा एवं देखभाल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका है तथा वहाँ पशु चिकित्सकों की संख्या सीमित है। इसके दृष्टिगत पशु चिकित्सा के क्षेत्र में पैरावेट्स द्वारा कुछ निर्धारित कार्य यथा माइनर वेटनरी सर्विसेज़ जिसमें टीकाकरण, घाव की पट्टी तथा प्राथमिक उपचार, देखभाल आदि पशु चिकित्सकों के पर्यवेक्षण में करायी जा सकती है।
पैरावेट्स को ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से पशु चिकित्सा सेवाओं के कार्यों हेतु प्रशिक्षित किया जाता है। वर्तमान में पैरावेट कार्मिकों को विभिन्न प्रकार की चुनौतियों जैसे-अपर्याप्त प्रशिक्षण, सीमित संसाधन आदि का सामना करना पड़ता है। बेहतर पशु स्वास्थ्य सेवाएं दिए जाने हेतु पैरावेट्स के प्रशिक्षण एवं कौशल में निरन्तर वृद्धि की महती आवश्यकता है, परन्तु इनके पर्याप्त प्रशिक्षण हेतु सीमित संसाधन हैं।
सम्प्रति प्रदेश में पशुचिकित्सा एवं पशु अनुसंधान के क्षेत्र में पूर्णरूपेण कार्यरत एक मात्र विश्वविद्यालय, उ0प्र0 पं0 दीनदयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो-अनुसंधान संस्थान, मथुरा है। इसके अतिरिक्त, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ के घटक के रूप में पशु चिकित्सा महाविद्यालय संचालित हैं।
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डॉ0 राम मनोहर लोहिया राज्य प्रशासन एवं प्रबन्धन अकादमी, चकगंजरिया सिटी, सुल्तानपुर रोड, लखनऊ को क्रियाशील किए जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने जनपद लखनऊ में डॉ0 राम मनोहर लोहिया राज्य प्रशासन एवं प्रबन्धन अकादमी, चकगंजरिया सिटी, सुल्तानपुर रोड के निर्माण सम्बन्धित परियोजना को क्रियाशील किए जाने हेतु 75.58 करोड़ रुपये को स्वीकृत किए जाने एवं 24.72 करोड़ रुपये लागत की प्रस्तावित उच्च विशिष्टियों (जो उक्त न्यूनतम धनराशि 75.58 करोड़ रुपये में सम्मिलित हैं) सहित विभिन्न प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि जनपद लखनऊ के चकगंजरिया सिटी में 22.61 एकड़ भूमि पर डॉ0 राम मनोहर लोहिया राज्य प्रशासन एवं प्रबन्धन अकादमी परियोजना की स्थापना के सम्बन्ध में दिनांक 28 सितम्बर, 2015 को कुल 388.573 करोड़ रुपये पर प्रशासनिक अनुमोदन प्रदान किया गया, जिसके सापेक्ष कार्यदायी संस्था उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम लि0 को अब तक 369.144 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति निर्गत की जा चुकी है। निर्माण निगम द्वारा अब तक कुल 325 करोड़ रुपये व्यय कर 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण कराया जा चुका है। इस निर्गत वित्तीय स्वीकृति के सापेक्ष निगम के पास 44.144 करोड़ रुपये की धनराशि अवशेष है। शेष 20 प्रतिशत कार्य को पूर्ण किए जाने एवं भवन को संचालित किए जाने हेतु 75.58 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। परियोजना की पुनरीक्षित लागत पर सेन्टेज चार्ज अनुमन्य नहीं किया गया है।
परियोजना के पुनरीक्षित आगणन 503.73 करोड़ रुपये, जिसमें परियोजना की समस्त दरें मूल आगणन (डी0एस0आर0 2014) पर आधारित हैं, के सापेक्ष व्यय (वित्त) समिति द्वारा 474.27 करोड़ रुपये पर सशर्त अनुमोदन प्रदान किया गया। भवन को न्यूनतम लागत में पूर्ण करने हेतु स्पोट्र्स ब्लाॅक के निर्माण कार्य को स्थगित करते हुए इस हेतु अनुमोदित धनराशि 10.12 करोड़ रुपये को घटाते हुए अवशेष धनराशि 75.58 करोड़ रुपये के प्रस्ताव एवं परियोजना में सम्मिलित कतिपय अपरिहार्य उच्च विशिष्टियों पर मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्राप्त किया जाना प्रस्तावित है।
प्रश्नगत परियोजना के क्रियाशील होने के उपरान्त उ0प्र0 प्रशासन एवं प्रबन्धन अकादमी को नवनिर्मित भवन में स्थानान्तरित कर अखिल भारतीय सेवाओं एवं राज्य सरकार के अधिकारियों को बेहतर प्रशिक्षण दिए जाने की योजना है।
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‘उ0प्र0 इलेक्ट्राॅनिक्स विनिर्माण नीति-2020 (प्रथम संशोधन)’ के अन्तर्गत
मेसर्स पैज़ट इलेक्ट्राॅनिक्स प्रा0 लि0 को वित्तीय प्रोत्साहन अनुमन्य किए
जाने हेतु लेटर आॅफ कम्फर्ट निर्गत करने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने प्रशासकीय विभाग/नोडल संस्था द्वारा वित्तीय प्रोत्साहनों हेतु सामान्य शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित किए जाने की शर्त के साथ मेसर्स पैज़ट इलेक्ट्राॅनिक्स प्राइवेट लिमिटेड को ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्राॅनिक्स विनिर्माण नीति-2020 (प्रथम संशोधन)’ के अन्तर्गत वित्तीय प्रोत्साहन-पूूंजी उपादान, स्टाम्प ड्यूटी से छूट, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी से छूट तथा भविष्य निधि प्रतिपूर्ति अनुमन्य किए जाने हेतु लेटर आॅफ कम्फर्ट निर्गत किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में इलेक्ट्राॅनिक्स विनिर्माण उद्योगों को आकृष्ट करने के लिए ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्राॅनिक्स विनिर्माण नीति-2020 (प्रथम संशोधन)’ प्रख्यापित की गई है। इस नीति में निवेशकों को विभिन्न वित्तीय एवं गैर वित्तीय प्रोत्साहनों की व्यवस्था है तथा निवेशक इकाइयों को प्रोत्साहनों की अनुमन्यता पर सशक्त समिति की अनुशंसा के उपरान्त मंत्रिपरिषद द्वारा निर्णय लिया जाता है।
नीति के अन्तर्गत मेसर्स पैज़ट इलेक्ट्राॅनिक्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा भूखण्ड संख्या ए-23, सेक्टर-60, नोएडा, गौतमबुद्धनगर में इलेक्ट्राॅनिक्स उपकरणों जैसे कि मोबाइल फोन्स इत्यादि के उत्पादन हेतु विनिर्माण इकाई की स्थापना हेतु भूमि के मूल्य को छोड़कर, लगभग 300 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। इस परियोजना से लगभग 4,500 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त होंगे।
इस नीति में किसी भी इकाई को भारत सरकार से प्राप्त होने वाले प्रोत्साहनों को सम्मिलित करते हुए, समस्त स्रोतों से प्राप्त होने वाले वित्तीय प्रोत्साहन, जब तक कि नीति में अन्यथा विनिर्दिष्ट न हो, इकाई के स्थिर पूंजी निवेश के 100 प्रतिशत से अधिक नहीं होंगे तथा समस्त प्रोत्साहन व्यावसायिक उत्पादन आरम्भ किए जाने के उपरान्त ही प्रदान किए जाएंगे।
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