मथुरा। वात्सल्य ग्राम में स्थित कामधेनु गौ गृह के अंतर्गत गोपाष्टमी के अवसर पर साध्वी ऋतंभरा ने विश्व की सबसे छोटी डेढ़ फिट की पुंगनूर गाय का पूजन अर्चन किया। उन्होंने कहा कि पुंगनूर गाय आंध्र प्रदेश की एक विलुप्त होती प्रजाति है यह विश्व की सबसे छोटी गए है किंतु इसका महत्व सर्वाधिक है। शास्त्रों में इसके गुणों का वर्णन किया गया है। इसकी ऊंचाई अधिक से अधिक तीन फीट तक रहती है। उन्होंने कहा कि भारत में गोवंश के संवर्धन और शुद्धि के लिए घर घर में गौ माता पालन का विचार सभी सनातनियों को करना चाहिए, क्योंकि जहां गाय का वास होता है। वहां किसी प्रकार का नाता कोई अभाव रहता है और न ही कोई अवसाद रहता है। गाय में सभी देवताओं का वास होता है। इसलिए किसी भी शुभ कार्य करने से पूर्व हमें पंचगव्य की आवश्यकता होती है। गाय के गोबर से लेपन होता है। लेकिन आज हम अपने दायित्व को भूलते जा रहे हैं। गाय जब दूध देना बंद कर देती है तो हम उसे सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं और माता पिता वृद्ध होते हैं तो उन्हें वृद्ध आश्रम में छोड़ देते हैं। यह निंदनीय कार्य है जो भारतीयों के लिए शोभा नहीं देता। गोपाष्टमी पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम पहली रोटी गाय की निकलेंगे और गाय को खिलाएंगे उसके साथ ही हम गोपालन भी करेंगे गाय की सेवा भी करेंगे। गौ संरक्षण का दायित्व स्वयं समाज को लेना होगा तभी गाय सुरक्षित रह पाएगी। समाज को चाहिए कि सरकार यदि गौर संरक्षण पर ध्यान नहीं देती है तो हमें सरकार पर दवा बनाकर गौ रक्षा कानून बनबाना चाहिए। वात्सल्य ग्राम में गोपाष्टमी का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यहां 17 पुंगनूर गायों के साथ एक स्वर्ण कपिला गाय का आगमन हुआ है।भारत में गौ संरक्षण के लिए सौ सौ गायों की गौशालाएं बनाई जायं जिनका दायित्व समाज को दिया जाए समाज स्वयं उनकी देखभाल करे। इस अवसर पर आचार्य डॉ मनोज मोहन शास्त्री,संजय गुप्ता, साध्वी सत्यप्रिया, जय भगवान अग्रवाल, सतीश चंद्र, बीआर सिंघला, साध्वी समन्विता, साध्वी साध्या, साध्वी शिरोमणि, साध्वी सत्य श्रद्धा, सीता परमानंद आदि उपस्थित रहे। संचालन बी आर सिंघला ने किया।
गोपाष्टमी पर विश्व की सबसे छोटी डेढ़ फिट की पुंगनूर गाय का किया पूजन
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