रविवार को कायस्थ समाज के लोगों ने उतरौला नगर में स्थित श्री चित्र गुप्त मन्दिर में श्रद्धा पूर्वक और भक्ति गणो के साथ कलम- दवात की पूजा की गई। कायस्थ समाज के इस वार्षिक धार्मिक अनुष्ठा न में समाज के कई गण मान्य सदस्य भी शामिल थे, जिनमें उतरौला नगर अध्यक्ष संतोष कुमार श्रीवास्तव,महामंत्री रूपक श्रीवास्तव, संर क्षक राकेश कुमार श्री वास्तव, सुशील कुमार श्रीवास्तव, एडवोकेट ओम प्रकाश श्रीवास्तव, एडवोकेट,राम प्रकाश श्रीवास्तव,विजय कुमार श्रीवास्तव,अंकुर श्री वास्तव, अंकित कुमार श्रीवास्तव और दिलीप कुमार श्रीवास्तव सहित तमाम लोग प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। चित्र     गुप्त भगवान को काय स्थ समाज का कुल देवता माना जाता है, और वे अपने कर्मों के लेखा-जोखा रखने वाले देवता भी माने जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मजी ने सृष्टि की रचना के दौरान सभी जीवों के कर्मों को संजोकर रखने के लिए चित्र गुप्त को जन्म दिया था। ऐसा कहा जाता है कि चित्र गुप्त जी ने अपनी कलम से संसार के हर व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा रखने का कार्य को संभाला। काय स्थ समाज में चित्रगुप्त भगवान का विशेष महत्व माना जाता है, और इसी उपलक्ष्य में हर वर्ष दीपावली के बाद कायस्थ समाज के लोग विशेष रूप से कलम-दवात की पूजा भी करते हैं। यह पूजा कर्म,सत्य और न्याय का प्रतीक मानी जाती है।पूजा के दौरान काय स्थ समाज के लोगों ने भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति के समक्ष कलम और दवात की विशेष पूजा की। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य लेखनी का सम्मान करना और ज्ञान तथा सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प भी लेना है। समाज के सभी सदस्यों ने विधि पूर्वक पूजा-अर्चना की और चित्रगुप्त भगवान से ज्ञान,बुद्धि,और सत्य की राह पर चलने की प्रार्थना की। पूजा के बाद समाज के लोगों ने प्रसाद वितरण किया और एक-दूसरे को शुभ कामनाएं भी दीं।
इस अवसर पर कायस्थ समाज के अध्यक्ष संतोष कुमार श्रीवास्तव ने समाज के सभी सद स्यों को संगठित रहने और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने का सन्देश दिया। महा मंत्री रूपक श्रीवास्तव ने इस पर्व को ज्ञान और कर्म के प्रति हमारी आस्था का प्रतीक बताते हुए कहा कि समाज के युवा इस परम्परा को बनाए रखें और अपने पूर्वजों के आदर्शों को आगेबढ़ाएं। संरक्षक राकेश कुमार श्रीवास्तव और अन्य सदस्यों ने भी समाज की एक जुटता और सांस्कृतिक परम्पराओं को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया।
चित्र गुप्त पूजा के इस आयोजन ने कायस्थ समाज के भीतर पारम्परिक मूल्यों और संस्कृति को जीवित रखने का संदेश भी दिया।

         
          हिन्दी संवाद न्यूज से
         असगर अली की रिपोर्ट
           उतरौला बलरामपुर। 

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