भा0 कृ0 अ0 प0 - केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम में किया गया राष्ट्रीय संगोष्ठी: ‘अमृत काल में भारतीय बकरी क्षेत्र के लिए नीतियाँ और रणनीतियाँ का आयोजन
भा0 कृ0 अ0 प0 - केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम द्वारा पशुपालन एव डेयरी विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली के सहयोग से दिनांक 19.11.2024 को 'अमृत काल में भारतीय बकरी क्षेत्र के लिए नीतियाँ और रणनीतियाँ' विषय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस संगोष्ठी का आयोजन भारतीय सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग के सहयोग से किया गया । संगोष्ठी में देशभर के नीति निर्माता, विशेषज्ञ, शोधकर्ता, और बकरी पालन से जुड़े किसान एवं उद्योग के 150 प्रतिनिधि शामिल हुए। संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य बकरी क्षेत्र में अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के आधार पर नीतियाँ तैयार करना था, ताकि 'अमृत काल' में इस क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके।
मुख्य अतिथि सुश्री अल्का उपाध्याय, आईएएस, सचिव (डीएएचडी) और विशिष्ट अतिथि डॉ. अभिजीत मित्र, एनिमल हसबेंड्री कमिश्नर, और डॉ. आर. भट्टा, डीडीजी (एनिमल साइंस) जैसे गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में यह संगोष्ठी बकरी पालन को लाभकारी व्यवसाय में बदलने की रणनीतियों पर केंद्रित रही। विशेषज्ञों ने बकरी स्वास्थ्य में सुधार, टीकाकरण कवरेज बढ़ाने और उत्पादन में होने वाले नुकसान को कम करने के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया।
संगोष्ठी के दौरान भारतीय बकरी पालन क्षेत्र के लिए आवश्यक रणनीतियों पर गहन चर्चा की गई। इसमें बकरी पालन से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों के बारे में विचार किया गया, साथ ही बकरी उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय सुधारने के लिए नीतियों पर भी विचार किया गया। विशेषज्ञों ने बकरी पालन में सुधार, पशुपालन के आधुनिक तरीकों, और नवाचार को बढ़ावा देने के महत्व पर बल दिया।
भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस संगोष्ठी में भाग लिया और भारतीय बकरी क्षेत्र की दिशा और विकास के लिए आवश्यक कदमों पर अपने विचार साझा किए। संगोष्ठी में बकरी पालन को अन्य कृषि गतिविधियों के साथ जोड़कर इसके लिए समग्र विकास योजनाएँ तैयार करने पर चर्चा की गई।
इस आयोजन में यह भी उल्लेख किया गया कि बकरी पालन, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में, एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत बन सकता है। पशुपालन के साथ-साथ बकरी उत्पादों की प्रौद्योगिकी और विपणन में सुधार करने से देशभर में आर्थिक सुधार संभव है।
इस संगोष्ठी के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि भारतीय बकरी क्षेत्र के लिए समग्र दृष्टिकोण और नीति निर्धारण से किसानों की स्थिति में सुधार होगा और बकरी पालन क्षेत्र के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
संस्थान निदेशक डॉ0 चेटली द्वारा अपने भाषण में मुख्य अतिथि, अति विशिष्ट एवं विशिष्ट अतिथिगण एवं कार्यक्रम में उपस्थित हुए समस्त आगंतुकों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आज दिन का एक एतहासिक दिन है । इसके साथ ही संस्थान निदेशक डॉ0 चेटली ने संस्थान में चल रहे विभिन शोध-अनुसंधान कार्य, प्रशिक्षणों एवं परियोजनाओं की जानकारी दी जो कि किसानों के आर्थिक उत्थान एवं आय दोगुनी करने में सहायक है ।
संगोष्ठी में बकरी दूध और मांस प्रसंस्करण के लिए सब्सिडी और छोटे पैमाने पर स्लॉटर हाउस स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया। इसके अलावा, देशी नस्लों के संरक्षण के लिए जीनोमिक चयन और उच्च गुणवत्ता वाले जर्मप्लाज्म के लिए राष्ट्रीय भंडार बनाने की सिफारिश की गई। घटते चरागाहों और बदलते मौसम की चुनौतियों से निपटने के लिए सामुदायिक चारागाहों और जलवायु-प्रतिरोधी आवास जैसे टिकाऊ उपायों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया। संगोष्ठी का समापन इस मांग के साथ हुआ कि भारत सरकार एक महीने को "पशुपालन जागरूकता माह" के रूप में मनाए, जिससे पशुधन विकास और उत्पादकता को बढ़ावा दिया जा सके। संगोष्ठी के अंत में निर्णय लिया गया कि बकरी पालन से संबंधित रणनीतिक दस्तावेज बनाकर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा तथा उसके अनुपालन हेतु आवश्यक दिशा निर्देश केंद्र सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग, द्वारा दिए जाएंगे । रणनीतिक दस्तावेज को बनाने की जिम्मेदारी केंद्रीय बकरी अनुसंधान के वैज्ञानिकों को दी गई है ।
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