राजकुमार गुप्ता
  मथुरा। श्री रामलीला सभा, मथुरा के तत्वावधान में आज दशहरा पर्व पर रामलीला मैदान महाविद्या पर रावण व अहिरावण वध की लीला हुई ,श्री राम द्वारा रावण वध करने पर दर्शक जय जय कार करने लगे ‌।

आज की लीला का प्रारंभ पाताल लोक से अपने प्रतापी पुत्र अहिरावण को बुलाने के लिए रावण भगवान शंकरजी की उपासना करता है । 

रावण के ध्यानमग्न होने से पातल में अहिरावण का मन विचलित होता है , वह लंका में रावण के पास पहुँच कर कारण जानना चाहता है रावण युद्ध का पूरा समाचार सुनाने के बाद शत्रुओं का नाश का उपाय करने को कहता है ।

अपने चाचा विभीषण का वेश बनाकर वह रामादल में मोहिनी मंत्र से सभी को निद्रित करके राम व लक्ष्मण को पाताल में कामदा देवी की बलि चढ़ाने के लिये ले गया,हनुमानजी प्रभु की खोज में जाते समय मार्ग में गर्भवती गिद्धनी व गिद्ध के संवाद से स्पष्ट हो जाता है कि अहिरावण प्रभु राम व लक्ष्मण को ले गया है ।

 हनुमान जी पाताल लोक में अपने पुत्र मकर/वज से मिलते हैं जो अहिरावण की सेवा में लगा है ,वह दोनों भाईयों का पता बताता है , हनुमानजी द्वारा अहिरावण का वध कर मकर/वज को पाताल का राजा बना कर राम व लक्ष्मण को रामादल में ले आते हैं ।

अहिरावण की मृत्यु के बाद रावण स्वयं युद्ध करने जाता है,भयंकर युद्ध होता है । युद्ध में ब्रह्मास्त्र चलाकर लक्ष्मण को मूर्छित कर देता है, यह देख हनुमानजी रावण पर मुश्टिक प्रहार करते हैं, रावण मूर्छित होकर गिरता है, फिर मूर्छा टूटने पर उठता है । 

लक्ष्मण की मूर्छा टूटने पर वे रावण को परास्त कर लंका लौटा देते हैं रावण विजय-यज्ञ करता है, वानर भालू उसके यज्ञ का वि/वंश कर देेते हैं । 

तत्पश्चात् राम व रावण के युद्ध में रावण की मायावी शक्तियों का प्रयोग राम द्वारा नष्ट कर रावण के नाभि में बने अमृत कुण्ड पर अग्नि वाण चलाने पर रावण राम-राम कहते हुए पृथ्वी पर गिर पड़ता है । 

राम राजनीति के ज्ञाता व महान पंडित रावण से राजनीति की शिक्षा के लिए लक्ष्मण को भेजते हैं ,रावण शिक्षा प्रदान करता है व श्रीराम से कहता है कि विजय मेरी ही हुई है क्योंकि मैं आपके बैकुण्ठ लोक में जा रहा हूॅं लेकिन आप मेरे जीवित रहते हुये लंका में प्रवेश नहीं कर पाये, श्रीराम मुस्कुरा जाते हैं ।

सीता जी की अग्नि परीक्षा के बाद प्रभु उन्हें वामांग लेते हैं मैदान में प्रभु के अग्नि बांण चलाते ही रावण के पुतले की नाभि से अमृत वर्षा, मुस्कुराहट व घोर गर्जना के साथ धू-धू कर जल उठा । जिसे देखकर सम्पूर्ण मैदान में उपस्थित जन समुदाय राजा रामचन्द्र की जय जय घोषों से गूंज उठा ,भव्य आतिशबाजी          हुई ।

इस अवसर गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी, रविकान्त गर्ग, जयन्ती प्रसाद अग्रवाल, जुगलकिशोर अग्रवाल, नन्दकिशोर अग्रवाल, मूलचन्द गर्ग, प्रदीप सर्राफ पी.के., विजय किरोड़ी,, शैलेष अग्रवाल सर्राफ, अजय मास्टर, पं0 शशांक पाठक, अजय कान्त गर्ग, गौरव टैण्ट वाले, विनोद अग्रवाल, दिनेश अग्रवाल  विनोद सर्राफ, नागेन्द्र मोहन मित्तल, प्रदीप गोस्वामी, पं0 अमित भारद्वाज, सर्वेश शर्मा, संजय बिजली, अनूप टैण्ट, सुरेंद्र खोना , शैलू हकीम, बांकेलाल घुंघरू वाले गोपाल अग्रवाल अमित चौधरी सीए सर्वेश शर्मा आदि प्रमुख थे ।
व्यवस्था में जुलूस मंत्री विनोद सर्राफ, हिमांशु सूतिया, कन्हैया टाइप, विष्णू शर्मा, आनन्द शर्मा, रमेश किस्सू आदि तथा साज-सज्जा श्रृंगार में उमेश बिजली, नितिन शर्मा ने विशेश सहयोग दिया ।
13 अक्टूवर को सायं 6 बजे चौक बाजार में भरत-मिलाप की लीला होगी ।

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