कभी खत्म न होने वाली अमावस - अनुज अग्रवाल 


आज की अमावस्या दुनिया के लिए बहुत भारी हो चुकी है।गांधी जयंती अपने मायने खो चुकी है ।ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध प्रारंभ हो गया है। यह विश्व युद्ध की औपचारिक शुरुआत है। रुस और यूक्रेन तो पहले से ही युद्ध के मैदान में डटे हुए हैं। यूँ देखा जाए तो दुनिया के 56 देश या तो युद्धरत हैं या गृहयुद्ध से ग्रसित हैं।100 से ज्यादा देश कोरोना महामारी के कारण हुए लंबे लॉकडाउन के कारण आर्थिक मंदी के दुष्चक्र में फँसकर बर्बादी के कगार पर हैं।दुनिया के कुल 200 के आसपास देशों में 100 से ज्यादा तो इतने छोटे हैं कि उनकी गिनती करना ही बेमानी है बाक़ी की हालत हम और आप ने देख ही ली है।अब यह युद्ध धीरे धीरे पूरी दुनिया को अपनी जद में लेता जाएगा और हर दिन बर्बादी,हिंसा और मौत के तांडव की एक नई कहानी लिखेगा। दुनिया व्यापक नर संहार, अतिशय आर्थिक मंदी, बेरोज़गारी और भुखमरी का शिकार होती जाएगी।फ़ैक्टरियों का उत्पादन ख़रीदने वाला कोई न होगा और गोदाम बिन बिके माल से पट जाएँगे। जीतने का जुनून युद्धरत देशों को रासायनिक, जैविक और परमाणु युद्ध की और ले जाएगा। तबाही और विनाश के मंजर आम होंगे, अगर न हुए तो हो सकता है हम और आप न होंगे क्योंकि यह युद्ध धर्म युद्ध का रूप भी ले चुका है और हर धर्म का व्यक्ति एक दूसरे का दुश्मन बनता जाएगा। इसलिए राष्ट्रों की सीमाओं से परे यह व्यक्ति से व्यक्ति का युद्ध बनता जाएगा। जो कमी रहेगी उसको जलवायु परिवर्तन से हो रहा विनाश पूरी कर देगा। हम लोग बस घोर अराजकता के युग के प्रवेश द्वार पर हैं। क्या हम अपने कदम वापस खींच पाएँगे ? जरा सोचिए ?


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