मुख्यमंत्री वाराणसी में भारत सेवाश्रम संघ के तत्वावधान में आयोजित
श्री दुर्गा पूजा तथा सिलाई मशीन वितरण कार्यक्रम में सम्मिलित हुए

लाभार्थी महिलाओं को सिलाई मशीन प्रदान की, माँ दुर्गा की पूजा अर्चना की

प्रखर राष्ट्रवादी और प्रसिद्ध सन्त पूज्य स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज
ने अपनी साधना से सिद्धि प्राप्त की, राष्ट्रवाद उनका ध्येय था : मुख्यमंत्री

स्वामी प्रणवानंद जी महाराज के मूल्यों और आदर्शों का पालन
करते हुए भारत सेवाश्रम संघ उन्हें निरन्तर आगे बढ़ाने का काम कर रहा

100 बहनों को महिला सशक्तीकरण के माध्यम से स्वावलंबन की
ओर अग्रसर करने के लिए सिलाई मशीनें उपलब्ध कराई जा रही
 
प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और उनके मजबूत हाथों में
आज भारत दुनिया की एक बड़ी ताकत बनकर उभरा
 
हर जाति, मत, मजहब तथा सम्प्रदाय से जुड़े महापुरुषों ने लोक कल्याण
के लिए अपने-अपने अनुसार योगदान दिया, उन सभी का सम्मान होना चाहिए

शारदीय नवरात्रि जगत जननी मां भगवती दुर्गा की पूजा का
अनुष्ठान, उ0प्र0 में पर्व और त्योहारों के आयोजन में कोई विघ्न-बाधा नहीं
 
गोरखपुर में भारत सेवाश्रम संघ का आश्रम भव्य बन चुका, वहां पर
महान क्रांतिकारी श्री शचीन्द्रनाथ सान्याल का भी भव्य स्मारक
बनने की कार्यवाही पूर्णता की ओर अग्रसर

लखनऊ : 07 अक्टूबर, 2024


     उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना पिछली सदी के एक प्रखर राष्ट्रवादी और प्रसिद्ध सन्त पूज्य स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज ने की थी। उन्होंने अपनी साधना से सिद्धि प्राप्त की थी। उन पर गुरु की कृपा थी। राष्ट्रवाद उनका ध्येय था। इसीलिए संस्था का नाम भारत सेवाश्रम संघ नाम पड़ा। भारत सेवाश्रम संघ के साथ हिंदू मिलन मंदिर जुड़ा, जहां पर समस्त हिन्दू समाज एक मंच पर आकर अपनी समस्या का समाधान कर सके।
मुख्यमंत्री जी आज वाराणसी में भारत सेवाश्रम संघ के तत्वावधान में आयोजित श्री दुर्गा पूजा तथा सिलाई मशीन वितरण कार्यक्रम के अवसर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने लाभार्थी महिलाओं को सिलाई मशीन प्रदान की। मुख्यमंत्री जी ने माँ दुर्गा की पूजा अर्चना भी की।
मुख्यमंत्री जी ने सभी को शारदीय नवरात्रि की बधाई देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में 100 बहनों को महिला सशक्तीकरण के माध्यम से स्वावलंबन की ओर अग्रसर करने के लिए 100 सिलाई मशीनें उपलब्ध कराई जा रही है। इसके माध्यम से यह परिवार आर्थिक रूप से स्वावलम्बन के मार्ग पर अग्रसर होंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि छुआछूत और अस्पृश्यता के खिलाफ तथा भारत की राष्ट्रवादी चेतना को जागृत करने के लिए पूज्य स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज का अभियान अत्यन्त अभिनंदनीय था। आज भी और आगे भी इसकी प्रासंगिकता बनी रहेगी। स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज की भौतिक देह बहुत थोड़े समय के लिए इस धरा धाम पर थी। लेकिन उन्हें जितना भी समय मिला उसका एक-एक क्षण और एक-एक पल उन्होंने सनातन हिंदू धर्म की रक्षा, इसकी परम्पराओं को अक्षुण्ण बनाए रखने और भारतीय संस्कृति के लिए समर्पित किया। यह वह कालखण्ड था जब देश गुलाम था। देश में आजादी के लिए छटपटाहट थी। गुलामी का समाधान क्या होगा, यह पूज्य संतों ने अपनी दूरदर्शिता से देख लिया था। भारत सेवाश्रम संघ के सन्यासी कैलिफोर्निया, जलपाईगुड़ी, गुजरात, पश्चिम बंगाल एवं दूर-दूर से इस कार्यक्रम से जुड़ने के लिए काशी में आए हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सेवाश्रम संघ के इस आश्रम की नींव वर्ष 1928 में पड़ी थी। 04 वर्ष बाद 100 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में यह आश्रम अपना शताब्दी महोत्सव मनाएगा। 100 वर्ष की यात्रा अत्यन्त गौरवशाली होती है। यह अपना मूल्यांकन करने का अवसर होता है। स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज ने अपनी आध्यात्मिक दीक्षा वर्ष 1912-13 में गोरखपुर में महान सिद्ध संत योगीराज बाबा गम्भीरनाथ जी से ली थी। मेमन सिंह, फरीदपुर, बंगाल (वर्तमान में बांग्लादेश) में बाबा गम्भीरनाथ ने उन्हें दर्शन दिया था। उस समय वह मात्र छठी सातवीं कक्षा के छात्र थे। योगीराज गम्भीरनाथ ने स्वामी प्रणवानन्द से गोरखपुर में आकर दीक्षा लेने को कहा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि स्वामी प्रणवानन्द गोरखपुर आए और बाबा गम्भीरनाथ से पहली भेंट में ही स्वामी जी की 03 घण्टे की अखण्ड समाधि लगी। बाबा ने उनके बारे में कहा कि यह जन्मजात सिद्ध है, इनको प्रारम्भ से ही सिद्धि प्राप्त हुई है। एक औपचारिक प्रक्रिया का पालन करते हुए यहां पर उन्हें दीक्षा दी जा रही है। इसका उदाहरण विभाजन के समय देखने को मिला जब पूज्य स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज के फरीदपुर, बांग्लादेश स्थित आश्रम में जब विधर्मियों ने तोड़फोड़ और लूटपाट करने का दुस्साहस किया। विधर्मी जैसे ही आश्रम से बाहर निकलते थे, उन्हें खून की उल्टियां शुरू हो जाती थी। वह आश्रम का बाल बांका नहीं कर पाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूज्य स्वामी प्रणवानंद जी महाराज के मूल्यों और आदर्शों का पालन करते हुए भारत सेवाश्रम संघ उन्हें निरन्तर आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। सेवा का कार्य हो या राष्ट्रवाद के मूल्य की स्थापना का कार्य, देश की आजादी के आन्दोलन का कार्य हो या स्वतंत्र भारत में किसी भी आपदा का सामना करने का कार्य, भारत सेवाश्रम संघ के सन्यासियों और स्वयंसेवकों ने जिस प्रभावी ढंग से अभियान चलाया है, उसने सर्वत्र प्रशंसा पाई है। यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत सेवाश्रम संघ के अध्यक्ष स्वामी पूर्णात्मानन्द जी महाराज कैलिफोर्निया से आकर इस आयोजन में सहभागी बने हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि भारत के सभी आश्रमों के माध्यम से सेवा का यही कार्य आगे बढ़े, तो भारत का कोई बाल बांका नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और उनके मजबूत हाथों में आज भारत दुनिया की एक बड़ी ताकत बनकर उभरा है। जो भारत आज से 10 वर्ष पहले दुनिया की 11वीं-12वीं अर्थव्यवस्था था, आज वह पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अगले 03 वर्ष में भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आर्थिक दृष्टि से भारत को दुनिया की बड़ी ताकत बनाने के साथ ही, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अपनी समृद्ध विरासत का संरक्षण करने के लिए भी हम सबको मिलकर कार्य करना होगा। हिन्दू धर्म किसी का अंत नहीं चाहता। यह अहिंसा परमो धर्मः पर विश्वास करता है, लेकिन यह भी कहता है कि धर्म हिंसा तथैव च। यानी अहिंसा परम धर्म है लेकिन यदि राष्ट्र की रक्षा करने, धर्म की रक्षा करने और निर्दोष लोगों को बचाने के लिए हिंसा करनी पड़े, तो वह धर्म सम्मत है। यह आह्वान भारत के शास्त्र करते हैं। यही आह्वान स्वामी प्रणवानन्द जी ने भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना के समय किया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम अधूरी शिक्षा नहीं बल्कि पूर्ण शिक्षा के पक्षधर है। अहिंसा परमो धर्म यह पहला पक्ष है। यह कहता है कि हम सेवा कार्य से जुड़ें और दीन-दुखियों की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित करें। यहां उपस्थित सन्यासी इसका उदाहरण हैं। लेकिन यदि कोई राष्ट्र की एकता और अखण्डता को चुनौती देगा, राष्ट्र की सीमाओं का अतिक्रमण करेगा, तो राष्ट्र की सुरक्षा और सम्प्रभुता एवं धर्म की रक्षा के लिए धर्म सम्मत हिंसा के भी पक्षधर हैं, जो भारत की जनता को सुरक्षा प्रदान कर सके और भारत को एक भारत श्रेष्ठ भारत के रूप में रख सके। यही भारत के महापुरुषों ने कहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हर जाति, मत, मजहब तथा सम्प्रदाय से जुड़े महापुरुषों ने लोक कल्याण के लिए अपने-अपने अनुसार योगदान दिया है। उन सभी का सम्मान होना चाहिए, इसमें कोई संदेह नहीं है। यदि कोई व्यक्ति किसी मत, पंथ या संप्रदाय से जुड़े हुए किसी ईष्ट, महापुरुष या योगी-सन्यासी के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करता है तो वह दण्ड का भागी बनता है। उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए और कार्रवाई होती भी है। विरोध का मतलब यह नहीं होता है कि हम आगजनी, तोड़फोड़ या लूटपाट करें। यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एक तबका, हिंदू धर्म के देवी देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करना, हिंदुओं के मान बिंदुओं को अपमानित करना या मूर्तियों को खंडित करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता है, तब हिंदुओं की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं होती। लेकिन यदि किसी अज्ञानी के द्वारा या विद्वेष से कोई शब्द कहे जाते हैं, तो उसे लेकर जमीन-आसमान एक करने का कुत्सित प्रयास होता है। कोई भी कानून को हाथ में लेने का दुस्साहस न करे। यदि कोई ऐसा करेगा, तो कानून उससे सख्ती से निपटने का काम भी करेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शारदीय नवरात्रि जगत जननी मां भगवती दुर्गा की पूजा का अनुष्ठान है। पूरे देश में हर्ष और उल्लास से यह आयोजन हो रहा है। बंगाल शक्ति की अधिष्ठात्री देवी की स्थली के रूप मान्य है। बंगाल में जगत जननी मां भगवती के अनुष्ठान का शुभारम्भ होता है। बंगाल भारत को राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत देने वाली भूमि है। यह भारत को सर्वश्रेष्ठ बौद्धिक आधार देने वाली भूमि है। बंगाल भारत की आजादी के अनेक महापुरुषों को देने वाली भूमि है। बंगाल ने जगदीश चंद्र बसु जैसा वैज्ञानिक, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद तथा स्वामी प्रणवानन्द जैसा सन्यासी दिया। इसी बंगाल ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसा सपूत भारत माता को प्रदान किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पर्व और त्योहारों के आयोजन में कोई विघ्न-बाधा नहीं है। यह हर्ष और उल्लास के साथ मनाए जा रहे हैं। जो भी विघ्न-बाधा डालता है, उसके विरुद्ध तत्काल कानूनी कार्यवाही की जाती है। कहीं कोई समस्या नहीं है। सभी मत, पंथ और संप्रदाय के पर्व और त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित होने चाहिए, इसकी पूरी स्वतंत्रता है। आस्था का सम्मान होगा, लेकिन कानून को हाथ में लेने की स्वतंत्रता नहीं होगी। जो भी विघ्न-बाधा डालेगा, उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्हें गोरखपुर और अन्य स्थानों पर भारत सेवाश्रम संघ के कार्यक्रमों  में जाने का अवसर प्राप्त होता है। स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज ने जो नींव आज से लगभग 100 वर्ष पहले डाली थी, भारत सेवाश्रम संघ आज भी उसी भाव से काम कर रहा है। मुख्यमंत्री जी ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सेवाश्रम संघ स्वामी प्रणवानन्द जी के मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप राष्ट्रवाद और सेवा का उत्कृष्टतम उदाहरण प्रस्तुत करेगा और मजबूती के साथ अपना विस्तार करेगा। योगीराज बाबा गम्भीर नाथ जी का आशीर्वाद आपके ऊपर है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गोरखपुर में भारत सेवाश्रम संघ का आश्रम भव्य बन चुका है। वहां पर महान क्रांतिकारी श्री शचीन्द्रनाथ सान्याल का भी भव्य स्मारक बनने की कार्यवाही पूर्णता की ओर अग्रसर है। हमें अपनी परम्परा और विरासत पर गौरव की अनुभूति होनी चाहिए। प्रधानमंत्री जी ने इस सम्बन्ध में एक भारत श्रेष्ठ भारत की बात की है। विरासत के प्रति सम्मान का भाव ही आज श्री काशी विश्वनाथ धाम को एक भव्य स्वरूप दे पाया है। विरासत के प्रति सम्मान का भाव ही है कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में अयोध्या में श्री रामलला का भव्य मंदिर का निर्माण हो गया, श्री रामलला फिर से विराजमान हो गए हैं। पांच सदी में यह कार्य नहीं हो पाया था। एकजुटता होनी चाहिए। संतों का आशीर्वाद होगा, तो आने वाले समय में और भी सफलताएं प्राप्त होगी।
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