मुख्यमंत्री हरियाणा में डेरा सिद्ध बाबा गरीबनाथ मठ में आयोजित
आठमन, बत्तीस धुनी व शंखाढाल भण्डारा कार्यक्रम में सम्मिलित हुए

सिद्ध योगी बाबा गरीबनाथ जी महाराज नाथ पंथ के नौ नाथों की
परम्परा में सत्यनाथ जी की परम्परा के अवतारी योगी: मुख्यमंत्री

आज से 5200 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की धरती से
‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्’ का संदेश दिया

हमें सज्जन शक्ति का संरक्षण करना तथा दुर्जन शक्ति को पराभव की ओर ले जाकर रसातल तक पहुंचाना, यह कार्य हम व्यक्तिगत जीवन में अपने कृतित्व के माध्यम से कर सकते

मां सरस्वती नदी का स्मरण प्रत्येक व्यक्ति करता,
इनके बिना वाग्देवी की कृपा नहीं प्राप्त होती

आज पेहवा जैसी पवित्र भूमि पर मां सरस्वती के तट पर संतों का समागम हुआ, हरियाणा सरकार इस पवित्र नदी को पुनर्जीवित करने के लिए कार्य कर रही,
सन्तों तथा भक्तों को भी इस पवित्र कार्यक्रम के साथ जुड़ना चाहिए

प्रधानमंत्री जी विरासत के प्रति सम्मान का भाव रखने के लिए देशवासियों का
आवाहन किया, विकास तभी सार्थक होगा, जब हम विरासत का संरक्षण करेंगे

यदि वर्ष 2047 में भारत को विकसित बनाना,
तो विरासत तथा विकास का यह अद्भुत संगम भारत को दुनिया
के सामने सबसे बड़ी ताकत के रूप में स्थापित करने में सफल होगा

डबल इंजन सरकार सनातन धर्म की विरासत, अवतारी परम्परा तथा सिद्धों व संतों की परम्परा से जुड़े हुए स्थलों के संरक्षण के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही

वर्ष 2025 का महाकुंभ वर्ष 2019 के कुंभ से भी विराट, भव्य तथा दिव्य होगा, इसमें सनातन धर्मावलंबियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में पूज्य संतों की उपस्थिति होगी

धर्म के दो हेतु, एक अभ्युदय तथा दूसरा निश्रेष्य

भगवान आदि शंकराचार्य ने देश के चार कोनों में
भ्रमण कर सनातन धर्म की ध्वजा पताका को मजबूती प्रदान की

मुख्यमंत्री ने कैथल, हरियाणा में बाबा मुकुट नाथ मठ समाधि स्थल पर दर्शन-पूजन किये


लखनऊ: 28 अक्टूबर, 2024:ः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज कुरुक्षेत्र, हरियाणा में डेरा सिद्ध बाबा गरीबनाथ मठ में आयोजित आठमन, बत्तीस धुनी व शंखाढाल भण्डारा कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। दर्शन-पूजन करने के पश्चात उन्होंने इस अवसर पर संतगण को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह सिद्ध योगी बाबा गरीबनाथ जी महाराज की पावन धरा है। उनके बारे में कहा जाता है कि नाथ पंथ के नौ नाथों की परम्परा में सत्यनाथ जी की परम्परा के अवतारी योगी थे। उन्होंने इस स्थान से सत्यनाथ जी की योग परम्परा को विस्तार दिया था। इस परम्परा के योगी देश में जहां कहीं रहते हैं, वह अपना स्थान पेहवा को मानते हैं। उनका सिर माथा पेहवा की धरा है।
जब सम्प्रदाय ने शेरनाथ जी महाराज से कहा कि यह स्थान आपका सिर-माथा है। इसके लिए आपको कुछ करना चाहिए। एक छोटे से कार्यकाल के दौरान श्री महंत शेरनाथ जी बापू ने न केवल पेहवा में बल्कि शामली और मुजफ्फरनगर में भी चमन लाकर सिद्धों की भावनाओं को मूर्त रूप देकर भक्तों को सम्मान दिया है। इन पवित्र धर्म स्थलों से जुड़े हुए भक्तों के मन में सम्मान जाग्रत किया है।
मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम में उपस्थित नाथ पंथ तथा षडदर्शन संप्रदाय से जुड़े हुए पूज्य संत जन से कहा कि आज से 5200 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की धरती से ‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्’ का संदेश दिया था। हमें सज्जन शक्ति का संरक्षण करना है तथा दुर्जन शक्ति को पराभव की ओर ले जाकर रसातल तक पहुंचाना है। यह कार्य हम व्यक्तिगत जीवन में अपने कृतित्व के माध्यम से कर सकते हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के माध्यम से यहां की जनता जनार्दन ने अपने मताधिकार की ताकत का एहसास कराया है। पेहवा का क्षेत्र अत्यंत पवित्र है। गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु’। सनातन धर्मावलंबी जब प्रातः काल नित्य क्रिया से निवृत होकर जब स्नान करता है, तो वह देश की सात पवित्र नदियों का स्मरण करता है। हमें मां गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा तथा सिन्धु नदी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां सरस्वती नदी का स्मरण प्रत्येक व्यक्ति करता है। इनके बिना वाग्देवी की कृपा नहीं प्राप्त होती है। आज पेहवा जैसी पवित्र भूमि पर मां सरस्वती के तट पर संतों का समागम हुआ है। हरियाणा सरकार इस पवित्र नदी को पुनर्जीवित करने के लिए कार्य कर रही है। सन्तों तथा भक्तों को भी इस पवित्र कार्यक्रम के साथ जुड़ना चाहिए। इसके लिए पानी की एक-एक बूंद के संरक्षण का उपाय करना होगा। रेन वाटर हार्वेसिं्टग जल संरक्षण का एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है।
जल की शुद्धता पर ध्यान केंद्रित करते हुए वृक्षारोपण के कार्यों से भी जुड़ना चाहिए। कृषि कार्यों के लिए देशी पद्धति को अपनाने का प्रयास करना चाहिए। यदि आप प्राकृतिक तथा गो आधारित खेती करेंगे तो यह भी इस नदी को पुनर्जीवित करने का एक उपाय होगा। भारत की पवित्र देवी स्वरूप इन नदियों के प्रति हम सब अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन कर पाएंगे।      
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी विरासत के प्रति सम्मान का भाव रखने के लिए देशवासियों का आवाहन किया है। विकास तभी सार्थक होगा, जब हम विरासत का संरक्षण करेंगे। यदि वर्ष 2047 में भारत को विकसित बनाना है, तो विरासत तथा विकास का यह अद्भुत संगम भारत को दुनिया के सामने सबसे बड़ी ताकत के रूप में स्थापित करने में सफल होगा। डबल इंजन सरकार सनातन धर्म की विरासत, अवतारी परम्परा तथा सिद्धों व संतों की परम्परा से जुड़े हुए स्थलों के संरक्षण के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। विरासत का संरक्षण करके ही हम उज्ज्वल भविष्य की कामना को सार्थक कर पाएंगे।
यह विरासत के प्रति सम्मान का ही भाव है कि यदि आप उत्तर प्रदेश जाएंगे, तो काशी में बाबा विश्वनाथ का भव्य धाम आपको देखने को मिलेगा। पहले संकरे मार्ग की वजह से बाबा विश्वनाथ के धाम में 10 श्रद्धालु एक साथ उपस्थित नहीं हो पाते थे। आज वहां 50 हजार श्रद्धालु एक साथ एकत्रित हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश में आपको भव्य व दिव्य अयोध्या नगरी का भी दर्शन होगा। वहां प्रभु श्रीराम 500 वर्षों की प्रतीक्षा के पश्चात फिर से विराजमान हुए हैं। प्रयागराज फिर से नए स्वरूप में सज-संवर रहा है। आपने वर्ष 2019 का कुंभ देखा होगा। वर्ष 2025 का महाकुंभ उससे भी विराट, भव्य तथा दिव्य होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज में अगले वर्ष 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है। यह दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन होता है। सनातन धर्म का सबसे बड़ा समागम वर्ष 2025 में प्रयागराज महाकुंभ के अवसर पर होने जा रहा है। इसमें सनातन धर्मावलंबियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में पूज्य संतों की उपस्थिति होगी। प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से सभी लोकों से जुड़े हुए देवी देवता, पितृ तथा अन्य योनियों से जुड़ी हुईं पवित्र आत्माएं भी इस अवसर पर वहां पधारकर गंगा, यमुना तथा सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान कर पूज्य संतों का सान्निध्य प्राप्त करेंगी। इस सान्निध्य का सौभाग्य हम सबको प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज से 25-30 वर्ष पूर्व वह गुजरात के जूनागढ़ में भवनाथ तलहटी में गुरु गोरखनाथ आश्रम गये थे। वहां पर वरिष्ठ संत महंत शेर नाथ जी महाराज के पूज्य गुरुदेव श्री त्रिलोक नाथ बाबू जी का भजन सुना था। भजन में उन्होंने संतों की महत्ता बताई थी। संत हैं सुहागी रहते सदा मगन, जाते हैं जिस लोक में करते सदा चमन। ऐसा ही चमन यहां देखने को मिल रहा है। एक पवित्र सिद्ध की यह पावन धरा एक योग्य योगी के आने के बाद निरंतर उत्थान की ओर अग्रसर है। यह आपने पिछले कुछ वर्षों में देखा होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि धर्म के दो हेतु होते हैं। एक अभ्युदय तथा दूसरा निश्रेष्य। अभ्युदय का तात्पर्य सांसारिक उत्कर्ष है। अर्थात् अपनी सामथ्र्य के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा को लोक कल्याण के लिए विकास के अभियान के साथ जोड़ना। जो आपके लोक मंगल की कामना को आगे बढ़ा सके तथा आपकी कामनाओं की सिद्धि में सहायक बन सके। इसके लिए परिश्रम करना पड़ेगा तथा सही फैसला लेना पड़ेगा। धर्म का मतलब पलायन नहीं होता है।
एक योगी अभ्युदय को विस्मृत करके कभी निश्रेष्य की प्राप्ति नहीं कर सकता। जब आप सांसारिक उत्कर्ष तथा विकास के लिए निष्काम भाव से कार्य करेंगे तो उसके अच्छे परिणाम आएंगे। साथ ही यह कार्य आपकी मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। यही धर्म की कामना है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इन्हीं कामनाओं को लेकर प्राचीन काल से संतों का समागम होते रहे हैं। इन समागमों के माध्यम से समय-समय पर इस धरा धाम को उपकृत करने के लिए आने वाले दैवीय पुरुषों के माध्यम से जो विशिष्ट घटनाएं घटित हुईं वही हमारे पर्व और त्योहार बन गए। बापू ने भंडारा ऐसे समय में आयोजित किया है जब ठीक दो दिन पश्चात दीपावली का पर्व आने वाला है।
केरल की धरती पर जन्म लेने वाले एक संन्यासी भगवान आदि शंकराचार्य ने देश के चार कोनों में भ्रमण कर सनातन धर्म की ध्वजा पताका को मजबूती प्रदान की। उन्होंने चार पीठों की स्थापना कर, जनजागरण तथा शास्त्रार्थ के माध्यम से इस अभियान को आगे बढ़ाया। आज पूरा देश इस अभियान से जुड़ रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विकास के लिए सही नेतृत्व आवश्यक होता है। राजनीति के लिए अच्छे राजनेताओं की आवश्यकता होती है। धार्मिक क्षेत्र में अच्छे संत होने चाहिए। सामाजिक जीवन में अच्छे लोग होने चाहिए। हम लोग जब अच्छे लोगों को चुनकर भेजेंगे, तो परिणाम भी अच्छे आएंगे। उन्होंने कहा कि आज इस धर्म सभा में हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह जी की उपस्थिति इस बात का एहसास कर रही है कि यहां की जनता ने प्रधानमंत्री जी के आवाहन पर सही फैसला किया है। यह हरियाणा के विकास के लिए डबल इंजन सरकार के सहयोग की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर संतगण, श्रद्धालुजन तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री जी ने कैथल, हरियाणा में बाबा मुकुट नाथ मठ समाधि स्थल पर दर्शन-पूजन किये।
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