वृन्दावन।मोतीझील स्थित श्रीराधा उपासना कुंज में चल रहे ब्रज के प्रख्यात संत श्रीपाद बाबा महाराज के द्वारा संस्थापित ब्रज अकादमी के 46 वें त्रिदिवसीय स्थापना दिवस व श्रीहनुमान जयंती महोत्सव के तीसरे दिन वृहद संत-विद्वत सम्मेलन का आयोजन संपन्न हुआ।जिसकी अध्यक्षता करते हुए अखंडानंद आश्रम (आनन्द वृन्दावन) के अध्यक्ष महन्त स्वामी श्रवणानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रज अकादमी की स्थापना श्रीपाद बाबा महाराज ने प्रत्येक व्यक्ति के आध्यात्मिक उन्नयन एवं नैतिकतावादी मूल्यों पर आधारित शिक्षा पद्धति के पुनरोत्थान के लिए की थी।जो अपने उद्देश्यों पर आज भी अटल है।
श्रीराधा उपासना कुंज के महंत बाबा संतदास महाराज एवं
ब्रज अकादमी की सचिव साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीपाद बाबा महाराज परम रससिद्ध संत, अध्यात्म योगी व परम वीतरागी थे।उन्होंने ब्रज अकादमी की स्थापना आज से 45 वर्ष पूर्व श्रीधाम वृन्दावन के जयपुर मन्दिर में छोटी दीपावली के दिन की थी।उनके द्वारा इस अकादमी की स्थापना ब्रज संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए की गई थी।जिसके लिए वे अपने जीवन के अंतिम समय तक पूर्ण समर्पित रहे।
महोत्सव के समन्वयक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं प्रमुख शिक्षाविद् डॉ. चंद्र प्रकाश शर्मा ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीपाद बाबा महाराज ने प्रख्यात वाणी कारों की वाणियों की पांडुलिपियां व अन्य हस्तलिखित ग्रंथों को ब्रज अकादमी के द्वारा संग्रहित व प्रकाशित कर ब्रज संस्कृति व श्रीधाम के प्राचीन स्वरूप का पुनरोद्धार करने का अभूतपूर्व कार्य किया।
महोत्सव में चतु:संप्रदाय के श्रीमहंत बाबा फूलडोल बिहारीदास महाराज, महन्त रमणरेती दास महाराज, ब्रज अकादमी के निदेशक डॉ. बी. बी. माहेश्वरी, श्रीराधा मन्दिर के अधिष्ठाता आचार्य वासुदेव शास्त्री महाराज, सेवानंद ब्रह्मचारी महाराज, बालशुक पुंडरीक कृष्ण महाराज, संगीताचार्य देवकीनंदन शर्मा, पण्डित रमाशंकर शास्त्री, भागवताचार्य डॉ. रामदत्त शास्त्री, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, महन्त मधुमंगल शरण शुक्ल आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा व डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से किया।धन्यवाद ज्ञापित बाबा महाराज की प्रमुख शिष्या साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया ने किया।साथ ही महोत्सव में पधारे सभी आगंतुक अतिथियों का प्रसादी भेंट कर स्वागत किया।
रात्रि को ब्रज की प्रसिद्ध रासमण्डली के द्वारा
रासलीला का अत्यन्त नयनाभिराम व चित्ताकर्षक मंचन किया गया।
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