उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-
मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान (Mukhyamantri YUVA) के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय भी लिया गया है कि योजना के किसी भी बिन्दु पर आवश्यकतानुसार संशोधन/परिवर्द्धन मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन से किये जा सकेंगे।
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान उत्तर प्रदेश के शिक्षित व प्रशिक्षित युवाओं को स्वरोजगार से जोड़कर नये सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजित करना है। इसके तहत प्रतिवर्ष 01 लाख युवाओं को वित्त पोषित कर स्वरोजगार मिशन के तहत आगामी 10 वर्षां में 10 लाख सूक्षम इकाइयों की स्थापना करना है। योजना का उद्देश्य का संचालन मिशन मोड में किया जाएगा। योजना के संचालन हेतु जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केन्द्र जिला स्तर पर केन्द्रीय एजेन्सी होगा।
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान अन्तर्गत आवेदक की शैक्षिक योग्यता न्यूनतम कक्षा आठ उत्तीर्ण होनी चाहिए। इण्टरमीडिएट उत्तीर्ण अथवा समकक्ष को वरीयता दी जायेगी। आवेदक को सरकार द्वारा संचालित प्रशिक्षण योजनाओं जैसे, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, एक जनपद एक उत्पाद प्रशिक्षण एवं टूलकिट योजना, अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ावर्ग प्रशिक्षण योजना, उत्तर प्रदेश स्किल डेवलपमेन्ट मिशन द्वारा संचालित कौशल उन्नयन आदि में प्रशिक्षित होना चाहिए अथवा किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय/शैक्षणिक संस्थान से कौशल सम्बन्धी सर्टिफिकेट कोर्स/डिप्लोमा/डिग्री प्राप्त होना चाहिए।
उद्योग एवं सेवा क्षेत्र की अधिकतम 05 लाख रुपये तक की परियोजनाओं (निगेटिव लिस्ट वाले उत्पाद/उद्यम को छोड़कर) के ऋण पर अनुदान निर्धारित किया जायेगा। 05 लाख रुपये से अधिक 10 लाख रुपये तक परियोजना लागत वाली इकाइयों में ऋण/वित्त की व्यवस्था लाभार्थी को स्वयं के स्रोतों से करनी होगी, जिसके सापेक्ष कोई अनुदान देय नहीं होगा।
सामान्य वर्ग के लाभार्थी को परियोजना लागत का 15 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के लाभार्थी को परियोजना लागत का 12.5 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/दिव्यांगजन के लाभार्थी को परियोजना लागत का 10 प्रतिशत स्वयं के अंशदान के रूप में जमा करना होगा। साथ ही, प्रदेश में आर्थिक रूप से पिछड़े भौगोलिक क्षेत्रों (बुन्देलखण्ड एवं पूर्वांचल क्षेत्र) तथा भारत सरकार द्वारा घोषित प्रदेश के आकांक्षात्मक जनपदों जैसे चित्रकूट, चन्दौली, सोनभद्र, फतेहपुर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, बहराइच के लाभार्थियों को भी परियोजना लागत का 10 प्रतिशत स्वयं के अंशदान के रूप में जमा करना होगा। यह अंशदान अग्रान्त (फ्रण्ट एण्डेड) होगा।
परियोजना लागत अथवा अधिकतम 05 लाख रुपये, जो भी कम हो, के सापेक्ष बैंक वित्तीय संस्था से ली गयी ऋण धनराशि पर शत-प्रतिशत ब्याज उपादान वित्त पोषण की तिथि से अगले 04 वर्षों के लिये दिया जायेगा। सी0जी0टी0एम0एस0ई0 कवरेज हेतु आवश्यक धनराशि का वहन भी 04 वर्षों तक राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा। लोन की तिथि से 06 माह की अधिस्थगन अवधि (मोरेटोरियम पीरियड) दी जायेगी।
04 वर्षों की अवधि में मूलधन की पीनल इन्ट्रेस्ट सहित वापसी करने वाले लाभार्थी योजना के अन्तर्गत द्वितीय चरण में वित्त पोषण के पात्र होंगे। द्वितीय चरण (विस्तारीकरण) की परियोजना लागत अधिकतम 10 लाख रुपये हो सकेगी तथा प्रथम स्टेज में लिए गये ऋण का अधिकतम दोगुना अथवा 7.50 लाख रुपये, जो भी कम हो, की ऋण धनराशि पर 50 प्रतिशत ब्याज उपादान वित्त पोषण की तिथि से अगले 03 वर्षों के लिए दिया जायेगा। द्वितीय चरण में मार्जिन मनी सब्सिडी देय नहीं होगी, परन्तु सी0जी0टी0एम0एस0ई0 कवरेज हेतु आवश्यक धनराशि का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा।
लाभार्थी को परियोजना लागत अथवा अधिकतम 05 लाख रुपये, जो भी कम हो, का 10 प्रतिशत मार्जिन मनी सब्सिडी के रूप में दिया जायेगा। यह अनुदान बैंक एण्डेड होगा। डिजिटल ट्रान्जेक्शन के सापेक्ष 01 रुपये प्रति ट्रान्जेक्शन तथा अधिकतम 2,000 रुपये प्रति वर्ष का अतिरिक्त अनुदान प्रति इकाई देय होगा।
मंत्रिपरिषद ने विश्व बैंक सहायतित उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एण्ड रूरल इण्टरप्राइज ईको-सिस्टम स्ट्रेंथनिंग (यूपीएग्रीज) परियोजना के क्रियान्वयन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके तहत परियोजना की वित्त पोषण हेतु 70ः30 के अनुपात में विश्व बैंक के ऋण और राज्यांश की कुल 482 मिलियन अमेरिकन डॉलर (लगभग 04 हजार करोड़ रुपये, जिसमें विश्व बैंक से ऋण 2,737 करोड़ रुपये तथा राज्यांश 1,166 करोड़ रुपये सम्मिलित है) को अनुमोदित करने के साथ ही परियोजना को संचालित किये जाने हेतु परियोजना अवधि में विश्व बैंक से ऋण लेने तथा राज्यांश उपलब्ध कराने पर सहमति प्रदान की गयी है। साथ ही, परियोजना के क्रियान्वयन हेतु ऋण लिये जाने के विषय में विश्व बैंक व भारत सरकार के साथ निगोसिएशन कर लोन (ऋण) एग्रीमेण्ट के विभिन्न प्राविधानों यथा मुद्रा, मोरेटोरियम, परियोजना समयावधि एवं ब्याज दर आदि बिन्दुओं पर राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी (मुख्य सचिव/कृषि उत्पादन आयुक्त/अपर मुख्य सचिव कृषि) को अधिकृत किये जाने की अनुमति प्रदान की गयी है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश कृषि प्रधान राज्य है। विश्व एवं भारत की तुलना में उत्तर प्रदेश के कुल भू-भाग में कृषि क्षेत्र एवं कुल कृषि भूमि मे सिंचित भूमि का प्रतिशत अधिक है। कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र में निवेश, उत्पादकता, नवाचार एवं रोजगार आदि की दृष्टि से प्रदेश में विकास की पर्याप्त सम्भावनाएं विद्यमान हैं। उत्तर प्रदेश न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिये ‘कृषि में पावर हाउस’ के रूप मे स्थापित होने की क्षमता रखता है। इसके दृष्टिगत समन्वय विभाग की नियंत्रणाधीन इकाई, उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेशन यूनिट (यूपीडास्प) के माध्यम से प्रस्तावित उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एण्ड रूरल इण्टरप्राइज ईको सिस्टम स्ट्रेंथनिंग (यूपीएग्रीज) परियोजना का क्रियान्वन कराये जाने का प्रस्ताव है। परियोजना की अवधि कुल 06 वर्ष (वित्तीय वर्ष 2024-25 से वित्तीय वर्ष 2029-30 तक) है।
प्रस्तावित परियोजना के माध्यम से परियोजना क्षेत्र के कृषकों की आय में वृद्धि करते हुए राज्य की अर्थव्यवस्था के विकास का लक्ष्य है। इससे प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होने वाले वर्ग में परियोजना क्षेत्र के समस्त कृषक, कृषक उत्पादक समूह/कृषक उत्पादक संगठन एवं अन्य, पट्टाधारक मत्स्य पालक/मत्स्यजीवी सहकारी समितियां/निजी तालाब के मत्स्य पालक व अन्य, उद्यमी, कृषि/मत्स्य उद्यमी, महिला उद्यमी समूह, कुशल एवं अकुशल कृषि श्रमिक, कृषि क्षेत्र से जुड़े इण्टरप्रेन्योर एवं निर्यातक आदि सम्मिलित हैं।
प्रस्तावित परियोजना में कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों की कमियों को चिन्हित कर प्रमुख फसलों की उत्पादकता में गुणात्मक वृद्धि, विशिष्ट कृषि उत्पादों के पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेण्ट/मूल्य संवर्धन गतिविधियों एवं मार्केट सपोर्ट सिस्टम का विकास, परियोजना द्वारा कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्रों हेतु भण्डारण/खाद्य प्रसंस्करण और इससे सम्बन्धित सहवर्ती अवस्थापना सुविधाओं का विकास कर स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन सृजित किये जायेंगे, जिससे कृषकों की आय में अपेक्षित वृद्धि होगी।
प्रस्तावित परियोजना में कई नवाचारी गतिविधियां/कार्यक्रम यथा, उच्च मूल्य विशिष्ट/कृषि उत्पादों के क्रॉप क्लस्टर्स को सेण्टर ऑफ एक्स्सीलेंस के रूप में विकसित करना, डिजिटल एग्रीकल्चर ईको-सिस्टम एवं सर्विस डिलीवरी प्लेटफॉर्म की स्थापना, जेवर एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब की स्थापना, 2 से 3 उपज का बड़े पैमाने पर निर्यात, कृषि एस0ई0जेड0 की स्थापना, विश्वस्तरीय कार्बन क्रेडिट मार्केट की स्थापना, 2 से 3 विश्वस्तरीय हैचरी की स्थापना। 500 किसानों को सर्वोत्तम कृषि तकनीकी को देखने के लिए विदेशों में भ्रमण के लिए भेजना आदि शामिल है।
परियोजना के तहत उत्पादकता में गुणात्मक वृद्धि, विशिष्ट कृषि उत्पादों के पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेण्ट/मूल्य संवर्धन गतिविधियों एवं मार्केट सपोर्ट सिस्टम का विकास, कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्रों हेतु भण्डारण/खाद्य प्रसंस्करण और इससे सम्बन्धित सहवर्ती अवस्थापना सुविधाओं का विकास किया जायेगा। इसके फलस्वरूप स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन सृजित किये जायेंगे।
परियोजना की लागत 04 हजार करोड़ रुपये (विश्व बैंक से ऋण 2,737 करोड़ रुपये तथा 1,166 करोड़ रुपये राज्य सरकार का अंश) है। ऋण वापसी की अवधि 35 वर्ष, ब्याज दर 1.23 प्रतिशत तथा मोरेटोरियम पीरियड 07 वर्ष का है। परियोजना में होने वाले व्यय में केन्द्र सरकार भागीदार नहीं है।
प्रस्तावित परियोजना के संचालन, अनुश्रवण, प्रगति समीक्षा एवं मूल्यांकन हेतु कुल 03 कमेटियों के गठन का प्रस्ताव है। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट स्टीयरिंग कमेटी, कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट एक्जीक्यूटिव कमेटी तथा जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में डिस्ट्रिक्ट एक्जीक्यूटिव कमेटी गठित की जाएगी।
मंत्रिपरिषद ने बायोप्लास्टिक्स उद्योग नीति-2024 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। इस नीति पारम्परिक प्लास्टिक के विकल्प के रूप में बायोप्लास्टिक (बायोडिग्रेडेबल और कम्पोस्टेबल) का प्रयोग कर प्लास्टिक प्रदूषण में कमी लाने, प्रदेश को निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर स्थानान्तरित करने, अपशिष्ट प्रबन्धन की समस्या को कम करने तथा राज्य में बायोप्लास्टिक उद्योग की स्थापना एवं उसे गति प्रदान करने के उद्देश्य से प्रख्यापित की गयी है।
नीति के तहत स्थापित होने वाले उद्योगों को कई तरह के प्रोत्साहन स्वीकृत किये जाएंगे। इसके तहत 1,000 करोड़ रुपये या अधिक निवेश करने वाली कम्पनियों (एंकर कम्पनियों) को पूंजी निवेश के 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी 07 वर्षों की अवधि में प्रदान की जायेगी। 07 वर्षों के लिए ब्याज सबवेंशन प्रदान किया जायेगा। 10 वर्षों की अवधि तक एस0जी0एस0टी0 का 100 प्रतिशत रीम्बर्समेण्ट प्रदान किया जायेगा। 10 वर्षों की अवधि के लिए बिजली पर कोई ड्यूटी नहीं लगायी जाएगी। नीति की कटऑफ तिथि से 01 वर्ष पहले या बाद में भूमि खरीदी जाती है, तो स्टाम्प ड्यूटी पर छूट या रीम्बर्समेण्ट प्रदान किया जायेगा। किन्तु सभी लाभ 10 वर्षों की अवधि में मात्र पूंजी निवेश का 200 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। 01 हजार करोड़ रुपये से कम निवेश करने वाली इकाइयों (गैर-एंकर इकाई) को औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के प्राविधानों के अनुसार प्रोत्साहन मिलेगा।
नीति के क्रियान्वयन से प्लास्टिक प्रदूषण में कमी आएगी तथा अपशिष्ट प्रबन्धन में फायदा मिलेगा। कुछ प्रकार के बायोप्लास्टिक को जैविक कचरे के साथ कम्पोस्ट किया जाता है, जो कृषि के लिए पोषक तत्वों से भरपूर खाद उत्पादन करने में योगदान करेगी। बायोप्लास्टिक का उत्पादन कुछ कृषि उत्पादों की मांग को प्रोत्साहित कर सकता है। इसके अतिरिक्त, निवेश में वृद्धि, निर्यात की सम्भावना और प्रदेश की आर्थिक विकासदर में वृद्धि आदि अनेक लाभ सम्भावित है। इस निर्णय से प्रदेश में प्रदूषण की समस्याओं का निस्तारण होगा तथा जनसामान्य को सीधा लाभ प्राप्त होगा।
वर्तमान में किभी भी राज्य में बायोप्लास्टिक उद्योग की वृद्धि के लिए कोई व्यापक नीति नहीं है। उत्तर प्रदेश बायोप्लास्टिक उद्योग की वृद्धि के लिए व्यापक नीति बनाने वाला सम्भवतः पहला राज्य है। इस नीति से नयी बायोप्लास्टिक सामग्री और अन्य उद्योगों के विकास पर केन्द्रित अनुसंधान और विकास गतिविधियों में समर्थन प्राप्त होगा तथा स्टार्टअप्स और एस0एम0ईज को बायोप्लास्टिक वैल्यू चेन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहन प्राप्त होगा। एक पी0एल0ए0 (पॉलीलैक्टिक एसिड) इकाई की स्थापना से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 2,000 नौकरियों का सृजन सम्भावित है।
मंत्रिपरिषद ने बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ बिल्ड, ओन एण्ड ऑपरेट (बी0ओ0ओ0) मॉडल पर सोलर पार्क विकसित किये जाने की परियोजना तथा इस हेतु विकासकर्ता के चयन के लिए पी0पी0पी0 निविदा मूल्यांकन समिति एवं सचिव समिति की संस्तुतियों के अनुक्रम में तैयार किए किए आर0एफ0पी0 एवं अनुबन्ध का आलेख्य अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि एक्सप्रेसवेज उत्तर प्रदेश के विशाल मौजूदा बुनियादी ढाँचे का अभिन्न अंग बन गये हैं। इन एक्सप्रेसवेज के दोनों और बड़े क्षेत्रफल में उपलब्ध भूमि का उपयोग सौर ऊर्जा पार्क के विकास के लिए एक उत्तम अवसर प्रदान करता है। ऐसे में स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को विकसित करने के उद्देश्य से यूपीडा द्वारा निर्मित 296 कि0मी0 लम्बे बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर उपलब्ध भूमि पर सोलर पैनल स्थापित कर सोलर पार्क विकसित किया जाना प्रस्तावित है, जिससे एक इनोवेटिव एवं सस्टेनेबल इन्फास्ट्रक्चर परियोजना का विकास होगा।
राज्य सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में ऊर्जा के क्षेत्र की समस्याओं के निदान में सहायता प्राप्त होगी तथा जन सामान्य को सीधा लाभ प्राप्त होगा। साथ ही, यह निर्णय राज्य सरकार की सौर ऊर्जा नीति 2022 के अन्तर्गत वर्ष 2026-27 तक 22,000 मेगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ सोलर पार्क की स्थापना के लिए लगभग 1500 हे0 भूमि उपलब्ध है तथा प्रदेश में बुन्देलखण्ड का क्षेत्र सोलर ऊर्जा उत्पादन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। पीक सोलर आवर्स (पी0एस0एच0), जो देश में 3 से लेकर 7.5 तक है, के सापेक्ष बुन्देलखण्ड क्षेत्र में यह 5-5.50 के बीच है। इस आधार पर 450 मेगावॉट पावर जनरेशन सम्भव होगा।
प्रश्नगत भूमि विकासकर्ता को 25 वर्ष के लिए यूपीडा द्वारा लीज पर हस्तगत की जाएगी और विकासकर्ता द्वारा यूपीडा को प्रति एकड़ 01 रुपये प्रतिवर्ष का नाममात्र लीज रेण्ट अदा किया जायेगा। प्रोजेक्ट डेवलपर के चयन के लिए बिड पैरामीटर प्रति किलोवॉट विद्युत बिक्री पर यूपीडा को दी जाने वाली राशि होगी। निर्णय से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में लगभग 01 हजार नौकरियों का सृजन सम्भावित है।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश में आई0टी0 (सूचना प्रौद्योगिकी) एवं आई0टी0ई0एस0 (सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा) को ‘उद्योग’ का दर्जा दिये जाने और इसके अनुरूप आई0टी0/आई0टी0ई0एस0 कम्पनियों को विभिन्न सुविधाओं की अनुमन्यता प्रदान किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। इसके तहत आवासीय विकास प्राधिकरणों तथा औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में औद्योगिक श्रेणी के अन्तर्गत वर्गीकृत भूमि को सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा क्षेत्र की कम्पनियों को औद्योगिक दर पर उपलब्ध कराये जाने तथा आई0टी0/आई0टी0ई0एस0 क्षेत्र की नयी/क्रियाशील इकाइयां, जिनका न्यूनतम लोड 150 किलोवॉट है, को औद्योगिक दरों पर विद्युत उपलब्ध कराये जाने का निर्णय लिया गया है।
पिछले कई वर्षों में, उत्तर प्रदेश में आई0टी0 और आई0टी0ई0एस0 क्षेत्र एक उदीयमान क्षेत्र के रूप में विकसित हुआ है। वर्तमान गतिशील व्यावसायिक परिवेश में अपनी स्थिति सुदृढ़ बनाये रखने के लिए यह क्षेत्र अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश सरकार आई0टी0 और आई0टी0ई0एस0 क्षेत्र के इस प्रभुत्व को पहचानती है तथा आई0टी0 और आई0टी0ई0एस0 उद्योग के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए प्रभावी नीति कार्यान्वयन के माध्यम से बुनियादी ढाँचे और मानव पूंजी विकास को विकसित करने पर ध्यान केन्द्रित कर रही है।
प्रदेश सरकार द्वारा नवम्बर 2022 में नई ‘उ0प्र0 सूचना प्रौद्योगिकी एवं सू0प्रौ0 जनित सेवा नीति-2022’ प्रख्यापित की गई है। नीति का उद्देश्य उत्तर प्रदेश के सूचना प्रौद्योगिकी परिदृश्य को सुदृढ़ किया जाना है, ताकि प्रदेश को सूचना प्रौद्योगिकी के लिए एक विश्वसनीय और अग्रणी वैश्विक केन्द्र के रूप में स्थापित किया जा सके, जहाँ सूचना प्रौद्योगिकी के लिए उच्च क्षमता वाली प्रतिभा सहित, विश्वस्तरीय बुनियादी ढाँचा हो, नवाचार को बढ़ावा मिले और पूरे प्रदेश में एक सतत आर्थिक विकास हो सके।
आगामी 05 वर्षों में अपने सकल घरेलू उत्पाद को 01 ट्रिलियन अमेरिकन डॉलर तक पहुंचाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डिजिटलीकरण और डिजिटल सेवाओं की बढ़ती मांग के कारण, आने वाले समय में आई0टी0 और आई0टी0ई0एस0 क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। आई0टी0/आई0टी0ई0एस0 क्षेत्र की तीव्र वृद्धि में सहायता के लिए राज्य को परिवर्तनकारी सुधारों को कार्यान्वित किए जाने की आवश्यकता है। इन सुधारों का उद्देश्य आई0टी0 और आई0टी0ई0एस0 क्षेत्र को ‘उद्योग’ का दर्जा दिया जाना है।
आवासीय विकास प्राधिकरणों तथा औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में औद्योगिक श्रेणी के अन्तर्गत वर्गीकृत भूमि को आई0टी0/आई0टी0ई0एस0 क्षेत्र की इकाइयों को औद्योगिक दर पर भूमि आवंटन की सुविधा प्रदान करने से आई0टी0/आई0टी0ई0एस0 इकाइयों को भूमि उपलब्धता में सुगमता होगी। आई0टी0/आई0टी0ई0एस0 क्षेत्र की नई/क्रियाशील इकाइयाँ, जिनका न्यूनतम लोड 150 किलोवॉट है, को औद्योगिक दरों पर विद्युत उपलब्ध कराई जाने से उनकी लाभप्रदता बढ़ाने में मदद मिलेगी और उत्तर प्रदेश राज्य आई0टी0/आई0टी0ई0एस0 क्षेत्र में अधिक निवेश आकृष्ट करने में सक्षम होगा। इस प्रकार के पुनर्वर्गीकरण से उत्तर प्रदेश में प्रचलित दरों के अनुसार इस क्षेत्र के लिए विद्युत की लागत में लगभग 18 प्रतिशत की बचत होगी।
मंत्रिपरिषद ने खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत मोटे अनाज (मक्का, बाजरा एवं ज्वार) क्रय नीति के निर्धारण के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके अन्तर्गत मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,225 रुपये प्रति कुन्तल, बाजरा का 2,625 रुपये प्रति कुन्तल, ज्वार (हाईब्रिड) का 3,371 रुपये प्रति कुन्तल एवं ज्वार (मालदाण्डी) का 3,421 रुपये प्रति कुन्तल निर्धारित किया गया है।
खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में मक्का, बाजरा एवं ज्वार क्रय की अवधि 01 अक्टूबर, 2024 से 31 दिसम्बर, 2024 तक होगी।
मक्का की खरीद जनपद बुलन्दशहर, बदायूँ, हरदोई, उन्नाव, फिरोजाबाद, मैनपुरी, अलीगढ़, एटा, कासगंज, कानपुर नगर, कानपुर देहात, कन्नौज, फर्रुखाबाद, इटावा, बहराइच, बलिया, मिर्जापुर, सोनभद्र एवं ललितपुर (कुल 19 जनपदों) में की जायेगी।
बाजरा की खरीद जनपद बुलन्दशहर, बरेली, बदायूँ, शाहजहाँपुर, रामपुर, सम्भल, अमरोहा, अलीगढ़, एटा, कासगंज, हाथरस, आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, हरदोई, उन्नाव, कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, कन्नौज, फर्रुखाबाद, जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, मिर्जापुर, जालौन, चित्रकूट, प्रयागराज कौशाम्बी एवं फतेहपुर (कुल 32 जनपदों) में की जायेगी।
ज्वार की खरीद जनपद बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, जालौन, कानपुर नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, उन्नाव, हरदोई एवं मिर्जापुर (कुल 11 जनपदों) में की जायेगी।
क्रय नीति में प्राविधान किया गया है कि उन क्षेत्रों में क्रय केन्द्र मुख्य रूप से स्थापित किये जायेंगे, जहाँ मक्का, बाजरा एवं ज्वार की अच्छी आवक होती है एवं खरीद की अच्छी सम्भावना हो। मक्का के 60 क्रय केन्द्र, बाजरा के 275 क्रय केन्द्र एवं ज्वार के 70 क्रय केन्द्र खोला जाना प्रस्तावित है। अन्य जनपदों में आवक के दृष्टिगत खाद्यायुक्त द्वारा मक्का, बाजरा एवं ज्वार खरीद का निर्णय लिया जा सकेगा।
खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 हेतु प्रदेश में मक्का क्रय का 15 हजार मीट्रिक टन, बाजरा का 2.20 लाख मी0टन एवं ज्वार का 20 हजार मीट्रिक टन कार्यकारी लक्ष्य प्रस्तावित है।
खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में मक्का, बाजरा एवं ज्वार क्रय हेतु नामित एजेन्सी, एन0आई0सी0 द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर पर ऑनलाइन मक्का, बाजरा एवं ज्वार क्रय की प्रक्रिया को अपनाएंगे।
खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में क्रय केन्द्रों पर किसानों से मक्का, बाजरा एवं ज्वार खरीद कम्प्यूटराइज्ड सत्यापित खतौनी, फोटोयुक्त पहचान प्रमाण पत्र तथा आधार कार्ड के आधार पर की जायेगी।
कृषक की भूमि एवं मक्का, बाजरा एवं ज्वार के बोये गये रकबे का सत्यापन राजस्व विभाग की भूलेख सम्बन्धी वेबसाइट से लिंकेज देकर ऑनलाइन कराया जायेगा।
खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में मक्का, बाजरा एवं ज्वार क्रय के लिए हैण्डलिंग एवं परिवहन ठेकेदारों की नियुक्ति सम्भागीय खाद्य नियंत्रक/सम्बन्धित क्रय एजेन्सी द्वारा नियमानुसार ई-टेण्डर के माध्यम से की जायेगी।
क्रय एजेन्सियों द्वारा किसानों से क्रय किये गये मक्का, बाजरा एवं ज्वार के मूल्य का भुगतान उनके आधार लिंक व एन0पी0सी0आई0 से मैप्ड बैंक खाते में भारत सरकार के पी0एफ0एम0एस0 पोर्टल के माध्यम से यथासम्भव 48 घण्टे के अन्तर्गत कराया जायेगा।
खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में खाद्य तथा रसद विभाग की वेबसाइट www.fcs.up.gov.in पर ऑनलाइन पंजीकृत किसानों से क्रय केन्द्र पर इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ परचेज मशीन (ई-पॉप) के माध्यम से उनका बायोमैट्रिक प्रमाणीकरण करते हुए मक्का, बाजरा एवं ज्वार की खरीद की जायेगी।
मंत्रिपरिषद ने जनपद सोनभद्र में कनहर नदी पर निर्माणाधीन कनहर सिंचाई परियोजना की द्वितीय पुनरीक्षित लागत 3394.65 करोड़ रुपये को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के संसदीय क्षेत्र राबर्ट्सगंज की सूखाग्रस्त दुद्धी व ओबरा तहसील के 108 ग्रामों के 53,000 कृषक परिवारों को 35,467 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा के साथ-साथ 1.32 लाख क्षेत्रीय जनता को पेयजल सुविधा भी प्राप्त होगी।
मंत्रिपरिषद ने जनपद लखीमपुर खीरी के तहसील-गोला के गोला गोकर्णनाथ स्थित पौराणिक शिव मन्दिर कॉरिडोर के समेकित पर्यटन विकास हेतु शिव मंदिर के पास गाटा संख्या-364 रकबा-579.281 वर्ग मी0 श्रेणी-9 (2) नजूल भूमि, गाटा संख्या-368 रकबा-10045.389 वर्ग मी0 श्रेणी-9 (2) नजूल भूमि, गाटा संख्या-369 रकबा-7890.000 वर्ग मी0 श्रेणी-9 (1) नजूल भूमि एवं गाटा संख्या-379 रकबा
810.000 वर्ग मी0 श्रेणी-9 (1) नजूल भूमि कुल क्षेत्रफल-19324.670 वर्ग मी0 पर्यटन विभाग को निःशुल्क हस्तान्तरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने प्रकरण में आवश्यकतानुसार अग्रतर निर्णय लिए जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
ज्ञातव्य है कि गोला गोकर्णनाथ प्रदेश के लखीमपुर खीरी जनपद में स्थित है। यह अपने प्राचीन शिव मंदिर और चीनी मिल के लिये प्रसिद्ध है। इस भूमि पर पर्यटन विकास सम्बन्धी गतिविधियों के फलस्वरूप स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे और स्थानीय लोगों के आर्थिक-सामाजिक जीवन-स्तर में भी उन्नयन होगा।
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना हेतु प्रायोजक निकायों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति, 2024’ को लागू किये जाने तथा प्रस्तावित नीति में भविष्य में यथावश्यक संशोधन हेतु व नीति के क्रियान्वयन हेतु आदेश निर्गत किये जाने के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि निजी निवेश, राज्य में उच्च शिक्षा की बढ़ती मांग को देखते हुए, उच्च शिक्षा तक पहुँच बढ़ाने में सरकार के प्रयासों का पूरक बन सकता है। यह छात्रों के लिए उपलब्ध संस्थानों, पाठ्यक्रमों और सीटों की संख्या बढ़ा सकता है, जिससे प्रदेश में ही अधिक से अधिक छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।
प्रदेश में उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना असेवित क्षेत्रों में करने के लिये प्रायोजक निकायों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति, 2024’ तैयार की गयी है। इसके तहत निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए प्रायोजक निकायों को अनेक प्रोत्साहन जैसे, स्टाम्प शुल्क में छूट, कैपिटल सब्सिडी, प्रथम 05 विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए विशेष लाभ व एन0आई0आर0एफ0 रैंकिंग में शीर्ष 50 में रैंक प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालयों के लिए विशेष लाभ का प्राविधान सम्मिलित है।
प्रस्तावित नीति से उच्च शिक्षा में निजी निवेश और शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी, क्योंकि निजी शिक्षण संस्थान बाजार की माँग के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इससे प्रदेश के युवाओं को बेहतर रोजगार के अवसर मिलेंगे तथा प्रदेश की वैश्विक स्तर पर आर्थिक एवं शैक्षिक प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता मजबूत होगी।
प्रस्तावित नीति से उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि होगी। राज्य में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए युवाओं को विकल्प मिलने से राज्य से प्रतिभा पलायन में कमी होगी। प्रस्तावित नीति से प्रदेश के युवाओं के लिये प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का सृजन होगा।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड के समूह-‘ग’ के 47 कर्मचारियों तथा समूह-‘घ’ के 36 कर्मचारियों (कुल-83 कर्मचारी) को खाद्य विभाग के अधीन रिक्त पदों पर संविदा/बॉडी शॉपिंग के आधार पर नियोजित करने के प्रस्ताव को कतिपय शर्तां के अधीन स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड के चिन्हित समूह-ग तथा समूह-घ के कर्मचारियों को खाद्य विभाग के अधीन समकक्ष रिक्त पदों के सापेक्ष कार्मिक अनुभाग-4 के शासनादेश संख्या-1/6/97-का-4-1998 दिनांक 11 नवम्बर, 1998 के अनुसार बॉडी शॉपिंग के आधार पर रखा जायेगा। यह कार्मिक खाद्य विभाग के अधीन आवश्यकतानुसार सेवानिवृत्ति होने से 06 (छः) माह पूर्व तक कार्य कर सकेंगे।
उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड के इन कार्मिकों को उनके कार्यानुभव एवं दक्षता के दृष्टिगत पदों की अर्हता के सम्बन्ध में यथा आवश्यकता शिथिलता प्रदान करते हुए उक्तानुसार खाद्य एवं रसद विभाग के अधीन नियोजित किया जाएगा। इन कार्मिकों को उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड में अनुमन्य वेतन आदि के समतुल्य धनराशि सम्बन्धित निगम को उपलब्ध करा दी जाएगी, जो अपने स्तर से सम्बन्धित कार्मिकों को भुगतान करेंगे। यह कार्मिक सेवानिवृत्ति से (यथासम्भव 6 माह) पूर्व उ0प्र0 राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम को अनिवार्य रूप से वापस भेज दिये जायेंगे तथा उनकी सेवानिवृत्ति के पश्चात देयकों का सारा दायित्व पूर्व की भांति उ0प्र0 राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम का ही रहेगा एवं किसी भी प्रकार की पेंशन का दायित्व राज्य सरकार का नहीं होगा।
बॉडी शॉपिंग के आधार पर नियोजित कार्मिकों की नियुक्ति के सम्बन्ध में यदि कोई विवाद होता है, तो सम्बन्धित कार्मिकों को तत्काल उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड (मूल विभाग) को वापस कर दिया जायेगा। आवश्यकता पड़ने पर उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड अपने कार्मिकों को तीन माह का नोटिस देकर वापस बुला सकेगा। उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड के इन कार्मिकों की बॉडी शॉपिंग अवधि को सेवा सम्बन्धी/सेवानिवृत्तिक लाभों हेतु गणना की जायेगी।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड की स्थापना कम्पनी एक्ट 1956 के अन्तर्गत 22 अक्टूबर, 1974 को हुई थी। उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली योजना के अन्तर्गत भारतीय खाद्य निगम एवं राज्य भण्डारागार निगम के गोदामों से खाद्यान्न का उठान, अपने ब्लॉक गोदामों में संग्रहीत कर हैण्डलिंग-परिवहन ठेकेदारों के माध्यम से ब्लॉक स्तर पर सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों तक खाद्यान्न को पहुँचाये जाने का कार्य किया जाता था, जिससे निगम को उपरोक्त कार्य हेतु मार्जिन मनी प्राप्त होती थी।
कालान्तर में प्रदेश सरकार द्वारा सिंगल स्टेज डोर स्टेप डिलीवरी योजना लागू किये जाने से खाद्यान्न भारतीय खाद्य निगम एवं राज्य भण्डारागार निगम के गोदामों से सीधे सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों तक पहुँचाये जाने के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड के ब्लाक गोदामों की आवश्यकता नहीं रह गयी, जिसके कारण निगम की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा तथा विगत दो वर्षों में निगम को आर्थिक नुकसान हो रहा है, जिससे निगम लगातार घाटे की ओर अग्रसर है, जिसके कारण अपनी आय से निगम इन कार्मियों का वेतन आदि का आर्थिक व्यय वहन करने की स्थिति में नहीं रह गया है। इसी मध्य कार्यरत कर्मियों के निरन्तर सेवानिवृत्त होने अथवा आकस्मिक निधन होने एवं नवीन, मृतक कर्मियों के आश्रितों की नियुक्तियाँ न होने से अधिकांशतः समूह-ग (सेल्समैन) एवं समूह-घ (चतुर्थ श्रेणी) के कर्मचारी बचे रह गये हैं। इससे निगम में कर्मचारियों की संरचना में असंतुलन उत्पन्न हो गया। इन्हें किसी अन्य विभाग में सेवायें प्रदान कराने की नितान्त आवश्यकता हो गयी है। इन कर्मचारियों के नियुक्त कराने के उपरान्त निगम के मासिक व्यय में 32.29 लाख रुपये एवं वार्षिक व्यय में लगभग 3.87 करोड़ रुपये की अनुमानित कमी आयेगी।
प्रदेश में बन्द एकल छविगृह, संचालित सिनेमाघरों का पुनर्निर्माण/रीमॉडल करवाने व मल्टीप्लेक्स विहीन जनपदों में मल्टीप्लेक्स के निर्माण हेतु तथा सिनेमाओं के उच्चीकरण हेतु समेकित प्रोत्साहन योजना लागू की जा रही है। पूर्व में इस प्रकार की योजना वर्ष 2017 में लागू की गयी थी, जो मार्च, 2020 को समाप्त हो गयी है। इस योजना के अन्तर्गत सिनेमा घर/मल्टीप्लेक्स निर्माण, पुनर्निर्माण तथा उच्चीकरण की (कुल 07) अनुदान योजनाएं सम्मिलित थीं।
प्रस्तावित योजना में इन्हीं 07 अनुदान योजनाओं के अन्तर्गत प्रोत्साहन हेतु अनुदान का प्रस्ताव है। सिनेमाघर/मल्टीप्लेक्स द्वारा राजकोष में जमा की गयी एस0जी0एस0टी0 से प्रस्तावित अनुदान दिया जायेगा, जिससे राज्य सरकार पर कोई अतिरिक्त व्यय भार नहीं आयेगा।
योजनावार दिये जाने वाले अनुदान का प्रस्ताव निम्नवत है :-
(1) योजना जारी होने की तिथि से 05 वर्ष के अन्दर बंद अथवा संचालित सिनेमा घरों को तोड़कर व्यावसायिक कॉम्पलेक्स तथा आधुनिक सिनेमा घर निर्माण के लिए प्रथम 03 वर्ष एकत्रित एस0जी0एस0टी0 का 100 प्रतिशत तथा अगले 02 वर्ष एकत्रित एस0जी0एस0टी0 के 75 प्रतिशत के समतुल्य धनराशि अनुदान के रूप में अनुमन्य होगी।
(2) योजना जारी होने की तिथि से 05 वर्ष के अन्दर बंद अथवा संचालित सिनेमा भवन की आन्तरिक संरचना में परिवर्तन कर पुनः संचालित करने अथवा स्क्रीन की संख्या में वृद्धि करने के लिए प्रथम 03 वर्ष एकत्रित एस0जी0एस0टी0 का 75 प्रतिशत तथा अगले 02 वर्ष एकत्रित एस0जी0एस0टी0 का 50 प्रतिशत।
(3) बंद एकल सिनेमाघरों को बिना किसी आन्तरिक संरचना में परिवर्तन किये यथास्थिति पुनः दिनांक 31 मार्च, 2025 तक जिला मजिस्ट्रेट से लाइसेंस प्राप्त कर फिल्म प्रदर्शन करने पर प्रथम 03 वर्ष एकत्रित एस0जी0एस0टी0 का 50 प्रतिशत।
(4) व्यावसायिक गतिविधियों सहित/रहित, न्यूनतम 75 आसन क्षमता के एकल स्क्रीन सिनेमाघर के निर्माण के लिए प्रथम 03 वर्ष एकत्रित एस0जी0एस0टी0 का 100 प्रतिशत तथा अगले 02 वर्ष एकत्रित एस0जी0एस0टी0 का 50 प्रतिशत।
(5) जिन जनपदों में एक भी मल्टीप्लेक्स निर्मित/संचालित नहीं है, वहां मल्टीप्लेक्स खुलवाने के लिए 05 वर्ष तक एकत्रित एस0जी0एस0टी0 का 100 प्रतिशत।
(6) जिन जनपदों में मल्टीप्लेक्स निर्मित/संचालित है, वहां नवीन मल्टीप्लेक्स निर्माण के लिए प्रथम 03 वर्ष एकत्रित एस0जी0एस0टी0 का 100 प्रतिशत तथा अगले 02 वर्ष एकत्रित एस0जी0एस0टी0 का 50 प्रतिशत।
(7) सिनेमाघर/मल्टीप्लेक्स के उच्चीकरण हेतु निवेश की गयी वास्तविक धनराशि का 50 प्रतिशत की सीमा तक एकत्रित एस0जी0एस0टी0 के समतुल्य धनराशि अनुमन्य होगी।
यह योजना 05 वर्ष तक प्रभावी होगी।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में प्राप्त प्रस्ताव के परीक्षण हेतु राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की अध्यक्षता में गठित की गयी मूल्यांकन समिति द्वारा शासन को प्रस्तुत की गयी निरीक्षण आख्या/संस्तुति पर विचारोपरान्त मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की संस्तुति के आधार पर के0डी0 विश्वविद्यालय, मथुरा, उत्तर प्रदेश की प्रायोजक संस्था राजीव मेमोरियल एकेडमिक वेल्फेयर सोसाइटी, मथुरा, उत्तर प्रदेश को अग्रलिखित अभिलेख (1) 12.5 एकड़ से अधिक भूमि धारित किये जाने हेतु सक्षम प्राधिकारी की अनुमति। (2) परिशिष्ट-6 के प्रारूप पर शपथ पत्र। (3) मथुरा-वृन्दावन विकास प्राधिकरण, मथुरा से नियमानुसार मानचित्र स्वीकृत कराये जाने के सम्बन्ध में अभिलेख। अनुपालन आख्या के साथ प्रस्तुत किये जाने की शर्त के अधीन उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-6 के प्राविधानों के अन्तर्गत आशय पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
मंत्रिपरिषद ने विद्या विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश की स्थापना हेतु उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 में संशोधन हेतु उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (आठवां संशोधन) अध्यादेश, 2024 को प्रख्यापित किये जाने तथा उसके प्रतिस्थानी विधेयक पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन प्राप्त कर उसे राज्य विधान मण्डल में पुरःस्थापित/पारित कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
प्रस्तावित विश्वविद्यालय की स्थापना के सम्बन्ध में सम्बन्धित प्रायोजक संस्था द्वारा उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-3 में उल्लिखित शर्तां और वचनबद्धताओं की पूर्ति कर ली गयी है। अतः विद्या विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश का नाम उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-7, उप धारा (2) के अन्तर्गत अधिनियम के संशोधन के माध्यम से उप धारा (3) में वर्णित अनुसूची-2 में उल्लिखित अन्तिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर रखे जाने का प्रस्ताव है।
उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (आठवां संशोधन) अध्यादेश, 2024 के प्रख्यापन के पश्चात उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-7, उप धारा (1) के अन्तर्गत विश्वविद्यालय के संचालन हेतु संचालन प्राधिकार पत्र को निर्गत किया जाएगा।
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