उ0प्र0 संस्कृत संस्थान द्वारा ज्योतिष कुम्भ का आयोजन
लखनऊ: 28 अक्टूबर, 2024
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा श्री खाटू श्याम मंदिर, निशातगंज, लखनऊ में आज ‘‘ज्योतिष कुम्भ‘‘ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मा0 विधायक डॉ0 नीरज बोरा, विशिष्ट अतिथि श्री जितेन्द्र कुमार, अपर मुख्य सचिव, भाषा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन एवं कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य श्री इंदु प्रकाश मिश्र एवं मुख्य वक्ता के रूप में आचार्य श्री संतोष ‘‘संतोषी‘‘ के साथ लखनऊ प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डॉ0 विनोद कुमार मिश्र, श्री ए0के0 गुप्ता, डॉ0 चन्द्रश्री पाण्डेय, श्री प्रशान्त तिवारी, डॉ0 तेजस्कर पाण्डेय, श्री आशुतोष सिन्हा, श्री अश्विनी कुमार शुक्ला, डॉ0 उमेश कुमार पाण्डेय, डॉ0 अनिल कुमार पोरवाल एवं डॉ0 विपिन कुमार पाण्डेय द्वारा निःशुल्क परामर्श दिया गया।
इस अवसर पर निदेशक श्री विनय श्रीवास्तव ने बताया कि संस्थान द्वारा संचालित ज्योतिष प्रशिक्षण योजना के द्वारा ज्योतिष का ज्ञान बहुसंख्यक लाभार्थियों को उपलब्ध कराने व इससे स्वरोजगार के अवसर सृजित करने के दृष्टिगत इच्छुक संस्कृत पढ़े युवकों को प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध कराने की योजना वर्ष 2019 से ही संचालित है। इसी क्रम में संस्थान द्वारा आज समस्त ज्योतिषाचार्यों को एक साथ एक मंच पर जोड़ने के क्रम में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम में ज्योतिष विद्वानों द्वारा निःशुल्क परामर्श दिया जायेगा।
मुख्य अतिथि मा0 विधायक डॉ0 नीरज बोरा ने अपने उद्बोधन बताया कि ज्योतिष एक विज्ञान है उसका उतना ही महत्व है जितना चिकित्सा के क्षेत्र में डॉक्टरों का है। जिस तरह किसी भी गम्भीर बीमारी के होने पर डॉक्टर के पास जाना पड़ता है उसी प्रकार ज्योतिषी परामर्श के लिए ज्योतिषी के पास जाना पड़ता है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री जितेन्द्र कुमार, अपर मुख्य सचिव, भाषा विभाग ने आये हुए अतिथियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्कृत संस्थान वर्ष 2017 से सिविल सेवा निःशुल्क कोचिंग, संस्कृत प्रतिभा खोज, गृहे-गृहे संस्कृतम् आदि जैसी योजनाओं को संस्कृत प्रेमियों, संस्कृत के छात्रों हेतु संचालित कर रहा है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित श्री संतोष ‘‘संतोषी‘‘ जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि संस्कृत संस्थान द्वारा आज समस्त ज्योतिषाचार्यों को एक साथ एक मंच पर जोड़ने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन बहुत ही प्रशंसनीय है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आचार्य श्री इंदु प्रकाश मिश्र जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ज्योतिष वेदों जितना ही प्राचीन है। ग्रहों और सितारों को समझ कर उनका प्रभाव व्यक्तियो और राष्ट्र पर क्या पड़ता है उन संभावना की भविष्यवाणी करना उसे ज्योतिष शास्त्र कहते है। ज्योतिष शास्त्र का मतलब आकाशीय पिंडों का प्रभाव हम पर सीधा पड़ता है संपूर्ण ब्रह्माण्ड पर पड़ता है। भारतीय ज्योतिषी गणना के लिये पृथ्वी को ही केंद्र मानकर चलते थे और ग्रहों की स्पष्ट स्थिति या गति लेते थे। इसके साथ ही संस्कृत संस्थान की योजनाओं की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
सम्पर्क सूत्र- निधि वर्मा
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