_राजस्थान में विद्यार्थियों की तकनीकी शिक्षा भगवान भरोसे_ 


संवाददाता रणजीत जीनगर 


सिरोही - कक्षा 9 तथा 10 के विद्यार्थियों हेतु तकनीकी शिक्षा में कम्प्यूटर शिक्षा अनिवार्य विषय है। किन्तु कांग्रेस राज में तीन वर्षों में एक बार भी विद्यार्थियों को पुस्तकें नहीं मिली। बिना पुस्तक के ही लाखों विद्यार्थी 9 तथा 10 वीं बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण कर रहे है। वरिष्ठ शिक्षक नेता गोपाल सिंह राव के अनुसार आज तकनीकी शिक्षा का युग है। बिना तकनीकी कम्प्यूटर शिक्षा के डिजिटल युग में विद्यार्थी पूर्णतः अधूरा रहता है। सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी शिक्षा कम्प्यूटर के ज्ञान के अभाव में सरकारी व निजी सेक्टर में रोजगार मिलना दिवा स्वप्न है। राजस्थान सरकार 14 लाख अध्ययन विद्यार्थियो को पुस्तक उपलब्ध नहीं करा पा रही है। सरकार कक्षा पहली से बारहवीं तक सरकारी स्कूलों में पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध करवाती है।जिस सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी शिक्षा कम्प्यूटर की सबसे ज्यादा महत्ता है उसकी पुस्तक सरकार विगत तीन वर्षों से उपलब्ध नहीं करा रही। देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी शिक्षा कम्प्यूटर की क्रांति भारत में लाई थी।उनकी विचारधारा की पूर्ववर्ती राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी शिक्षा कम्प्यूटर का बेड़ा ग़र्क करने की कोई कसर नहीं छोड़ी। शिक्षा बचाओ समिति राजस्थान के प्रदेश संयोजक गोपाल सिंह राव ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को कक्षा 9 से 12 के सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी शिक्षा कम्प्यूटर के विद्यार्थियों को किताबें उपलब्ध कराने की मांग की। राजस्थान राज्य में स्कूली शिक्षा कक्षा नवी दसवीं में कंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य है। लेकिन शिक्षा विभाग ने सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी शिक्षा कम्प्यूटर को गंभीरता से नहीं लिया।आज तक विद्यार्थियों को सरकार ने पुस्तकें उपलब्ध नहीं कराई ।विद्यार्थी बिना पुस्तकों के पढ़ाई करते हैं । गरीब जरूरतमंद विद्यार्थी बाजार से पासबुक की खरीदने को मजबूर है । बिना पुस्तक के विद्यार्थियों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राजस्थान सरकार शिक्षा विभाग ने तकनीकी क्षेत्र में विद्यार्थियों को मजबूत करने के लिए माध्यमिक स्तर की शिक्षा पूर्ण करने से पहले 2 साल कंप्यूटर पढ़ने की व्यवस्था लागू की है। सरकार ने स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षक भी नियुक्त कर रखे हैं ।लेकिन लगातार तीन चार वर्ष बाद भी राजस्थान सरकार कंप्यूटर विषय की पुस्तकें विद्यार्थियों को उपलब्ध नहीं कर पाई। दिसंबर में अर्धवार्षिक परीक्षा है ।लेकिन अभी तक राजस्थान की वर्तमान भजनलाल शर्मा सरकार ने भी विद्यार्थियों को पुस्तकें उपलब्ध नहीं कराई है।विद्यार्थी परीक्षा नजदीक आने के कारण पासबुक खरीदने को विवश है ।जरूरतमंद, गरीब मां-बाप मजबूरन पैसा खर्च करके पासबुक खरीद रहे हैं । एक तरह सरकार पासबुक नहीं खरीदने पर जोर देती है दुसरी तरफ पुस्तकें उपलब्ध नहीं कराकर पासबुक खरीदने को विवश करती है। विद्यार्थी मजबूरी से शॉर्टकट तैयारी करके बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रयास कर रहे हैं। कक्षा 9 एवं 10 में अनिवार्य विषय है।तथा कक्षा 11 व 12 में ऐच्छिक विषय के रूप में तकनीकी शिक्षा सूचना प्रौद्योगिकी कंप्यूटर विषय पढ़ाया जाता है। कक्षा नवी एवं दसवीं में बिना पुस्तकों के पढ़े विद्यार्थी कक्षा 11 व 12 में इस विषय को लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। बारहवीं बोर्ड परीक्षा होने और रिजल्ट में इस विषय के अंक जुड़ने से उन्हें असफल होने की चिंता भी रहती है। जिसके कारण सबसे महत्वपूर्ण सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी शिक्षा कंप्यूटर लेने से विद्यार्थी बचते हैं। सरकार हर वर्ष विद्यालयों से कंप्यूटर की पुस्तकों की मांग तो लेना नहीं भूलती पर किताबें देना भूल जाती है। अन्य सभी विषयों की आपूर्ति सरकार करती है।केवल सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी शिक्षा कम्प्यूटर की आपूर्ति नहीं करती है। स्पष्ट है कि सरकार इस विषय को लेकर के गंभीर दिखाई नहीं देती है। सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी शिक्षा कम्प्यूटर के ऊपर सरकार ने बड़ा यक्ष प्रश्न व सवालिया निशान लगा रखा है । कंप्यूटर जैसे विषय को पढ़ना तो जरूरी है। लेकिन दसवीं बोर्ड के वार्षिक परीक्षा परिणाम में इस विषय के अंकों को नहीं जोड़ा जाता है। किताबें नहीं, कम्प्यूटर शिक्षकों की कमी ऐसे में राजस्थान के विद्यार्थी अन्य राज्यों के विद्यार्थियों के मुकाबले प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पिछड़ जाते है।राव ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी शिक्षा कम्प्यूटर पर विशेष ध्यान देने की गुहार करते हुए पुस्तक उपलब्ध कराकर तकनीकी शिक्षा की हालत सुधारने की पूरजोर मांग की।

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