मीरजापुर 
श्रीधाम वृंदावन जैसी खुबसूरती झलक दिख रही है। 7 दिवसी कथा का आज 4 दिन है जिसमें भागवत आचार्य कैलाशपति त्रिपाठी जी और उनकी टीम भागवत आचार्य कैलाश पति त्रिपाठी
यज्ञाचार्य पं.करुणा पति त्रिपाठी 
पं राहुल शास्त्री जी।
और श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा 
विजयकांत मिश्रा जी के द्वारा हो रहा है
और इसमें मौजूद समस्त ग्राम वासियों का भी है प्रेम पूर्वक कथा का रसपान कर रहे हैं और भगवान श्री कृष्ण की जन्म की कथा सुन रहे है।चराचर जगत की रक्षा हेतु भगवान कृष्ण का अवतरण हुआ था। जब विधर्मी राजाओं के कुकर्म से पृथ्वी पर पाप का बोझ बढ़ने लगा तो देवताओं ने जाकर भगवान विष्णु की स्तुति की तब भगवान श्री कृष्ण रूप में अवतरित हुए। श्री कृष्ण के पिता वसुदेव और उनकी माता देवकी के विवाह के समय जब मामा कंस अपनी बहन देवकी को ससुराल छोड़ने जा रहे थें तभी एक आकाशवाणी हुई थी। जिसमें कहा गया कि देवकी जी की आठवी संतान के हाथों मामा कंस का वध निश्चित है। आकाशवाणी के बाद मामा कंस ने वसुदेव और देवकी को कारागार में डाल दिया था। लेकिन अष्टमी की रात के करीब 12 बजे कारागार के सभी ताले टूट गए वही कंस के सैनिक गहरी निंद में सो गए। आकाश में घने बादल छा गए और भयंकर बारिश होने लगी। इसके बाद कृष्णजी का जन्म हुआ। 
भगवान श्री कृष्ण ने आधी रात में ही क्यों जन्म लिया?
दरअसल, अष्टमी की रात में जन्म लेने का कारण चंद्रवंशी होना है। भगवान श्री राम सूर्यवंशी थे, उन्होंने दोपहर के समय जन्म लिया था। ऐसे ही भगवान कृष्ण चंद्रवंशी हैं इसलिए उनका जन्म रात्रि में हुआ था वही चंद्रदेव के पुत्र बुध हैं, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने बुधवार के दिन ही जन्म लिया था। वहीं रोहिणी चंद्रमा की पत्नी व नक्षत्र हैं, इसी कारण रोहिणी नक्षत्र में भगवान ने जन्म लिया। वहीं अष्टमी तिथि शक्ति का प्रतीक मानी जाती है और भगवान विष्णु इसी शक्ति के कारण पूरे ब्रह्मांड का संचालन करते हैं। इसलिए बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ ।

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