राजकुमार गुप्ता 
मथुरा के पत्रकार विजय सिंघल ने डीजीपी के लेटर पर टिप्पणी की है। ख़बरों को लेकर पत्रकारों पर हमले साजिशन उन्हें फसाने उनके साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं को मद्देनजर यूपी के डीजीपी की तरफ से जिले के सभी पुलिस अधिकारियों को पत्रकारों की सुरक्षा आदि के सम्बंध में निर्देश दिया गया है कि पत्रकारों की समुचित सुरक्षा के साथ उनके साथ शिष्ट व्यहवार अमल में लायें और उनकी समस्याएं त्वरित निस्तारित करायें। और जोन के अपर पुलिस महानिदेशक को रिपोर्ट करते हुऐ कहा गया है कि  1- पत्रकारों की समस्याओं के निराकरण हेतु एक सक्षम अधिकारी नामित हैं या नही.?  2-पत्रकारों के जीवनभय के दृष्टिगत सुरक्षा व्यवस्था एवं उनके साथ शिष्ट व्यहवार किया जा रहा है या नहीं.?  3-पत्रकारों व उनके परिजनों के विरुद्ध मिथ्या तहरीर के आधार पर अभियोग तो पंजीकृत नही किये जा रहें.?  पहल तो नेक है। मगर देखना यह होगा की यह हवा-हवाई है या इसको पुलिस अधिकारी अमल में लाते हैं। मूर्ख बनाने की पुख्ता कोशिश का ऐलान कर रहा है यह पत्र।भाषा देखिए, इसमें डीजीपी के दफ्तर से आईजी ने जिला पुलिस प्रमुखों को आदेश नहीं, अनुरोध किया है। और फिर सवाल यह है कि कानून-व्यवस्था जब गड़बड़ है, तो फिर उसमें एक वर्ग तक ही सिमटा देने का औचित्य क्या है? आप आदमी पर ध्यान देना चाहिए न। पुलिस विभाग के अब तक के रिकॉर्ड को देखते हुए इस आदेश के भी हवा हवाई रहने की उम्मीद ही रखिए। ऊपर से तो सब बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन नीचे आते-आते सब हवाही-हवाई हो जाते है।

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