जौनपुर : आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर अधिष्ठता छात्र कल्याण कार्यालय एवं व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं शिक्षकों के लिए आत्महत्या रोकथाम पर जन जागरूकता कार्यक्रम एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें जिसमें बीए पाठ्यक्रम एवं परस्नातक व्यवहारिक मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों द्वारा 'आत्महत्या: कौन जिम्मेदार' पर एक लघु नाटक का मंचन किया गया, जिसमें दिखाया गया कि किस तरह से एक लड़की जिसको अपने स्कूल के दिनों में अपने सहपाठियों द्वारा वाचिक उत्पीड़न किया जाता है। जब वह इसके बारे में अपने माता पिता से बताती है, तो वे भी कहते है कि इसमें तुम्हारा ही दोष होगा। जब भाई से कहती है, तो भाई कहता है कि मैं भी एक लड़का हूं, ऐसा नहीं होता है। तुम झूठ बोल रही हो। इससे बचने के लिए माता पिता द्वारा उसकी शादी कर दी जाती है । शादी के पश्चात वह पाती है कि उसका जो जीवनसाथी है, वह भी उसकी भावनाओं को नहीं समझता है और उसको मारता पीटता है । सासू से शिकायत करने पर सासू मां उसको ही भला बुरा कहती है। अंततः जब उसे किसी से कोई समर्थन एवं सहयोग नहीं मिलता है, तो कहती है कि जब वह कॉलेज में थी, तो स्टूडेंट परेशान करते थे, जब परिवार से शिकायत की तो उसके माता-पिता और भाई उसकी बात नहीं सुनते हैं और बोलते हैं कि तुमने ही कुछ किया होगा और जब वह शादी करके ससुराल आती है तब ना उसका पति और ना ही उसकी उसकी सासू मां उसका समर्थन करती है। कोई उसकी पीड़ा को नहीं समझता है, जिसके कारण अंततः एक दिन वह हार कर अपना जीवन समाप्त कर लेती है।
इसके पूर्व
विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर अजय प्रताप सिंह ने बताया कि आत्महत्या करने के पीछे हमारे आसपास का वातावरण बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और यह वातावरण में अनुकूल परिवर्तन करके हम आत्महत्या जैसे जघन्य कृत को दूसरों को करने से रोक सकते है ।
अधिष्ठता छात्र कल्याण प्रो अजय द्विवेदी ने इस अवसर पर परिवार के महत्व को बतलाया, उन्होंने बताया कि किस प्रकार से आज हम एक परिवार में रहते हुए भी सोशल मीडिया के कारण दूर रहते है, एक दूसरे से बात नहीं करते और न ही एक दूसरे को समय दे पा रहे है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो, वह दिन दूर नही कि हर परिवार आत्महत्या जैसे कृत से ग्रसित होगा।
मुख्य वक्ता के रूप में उमानाथ सिंह समिति मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग से डॉ विनोद वर्मा ने बताया कि किस तरह से बच्चों द्वारा मंचित यह लघु नाटक हमें एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि जीवन में जीवन के विभिन्न पड़ाव पर हमें तरह-तरह के तनाव का सामना करना पड़ता है, और अगर इसका हमने सही ढंग से सामना नहीं करना सीखा तो अंतः हमे भी अपना जीवन ऐसे ही खोना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस वर्ष 'चेंजिंग द नॉरेटिव्स ऑन सुसाइड और स्टार्ट कन्वरसेशन' विषय दिया गया है। उन्होंने बताया कि विश्व में प्रतिवर्ष 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते है, वहीं भारत में एक लाख सत्तर हजार लोग प्रतिवर्ष आत्महत्या को करते हैं। आत्महत्या करने वाले ज्यादातर लोग 30 साल से कम उम्र के होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से पदार्थ के दुरुपयोग, तनाव, असमय किसी की मृत्यु हो जाना, ब्रेकअप आदि प्रमुख कारण है।इसके बाद से उन्होंने बताया कि किस तरह से हम लोग आत्महत्या से अपने आप को रोक सकते हैं इसके संबंध में विभिन्न उपायों जैसे जीवन शैली में परिवर्तन, स्वस्थ आहार, दिन प्रतिदिन के जीवन में योग एवं ध्यान को सम्मिलित करना लाभकारी हो सकता है। मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ विनोद सिंह ने बताया कि शिक्षक और गुरु द्वारा जीवन के हर मोड़ पर महत्वपूर्ण भूमिका का निर्माण किया जाता है । उन्होंने कहा संघर्ष नहीं जिनके जीवन में वह कितने भाग्य होंगे संघर्ष और आत्मविश्वास का महत्व जीवन में सफलता की नहीं चाहिए जाती है । संकायाध्यक्ष प्रो मनोज मिश्र ने बोला हर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए हुआ है और इस उद्देश्य से आगे बढ़ते रहना चाहिए।नाट्य मंचन में सृष्टि विश्वकर्मा, संजीव, हरनूर, रवनीत, श्वेता, शिवांश, खुशी, स्नेहा, रिया, रजनीश, काव्यांश, ऋतिक, अनुराधा, खुशबू, प्रतिभा, आर्यन ने प्रतिभाग किया कार्यक्रम के अन्त में डॉ जाह्नवी श्रीवास्तव ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में ही स्थापित व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग में ही परामर्श केन्द्र भी चल रहा है साथ ही सभी शिक्षकों से आग्रह भी किया कि यदि किसी भी तरह की मनोवैज्ञानिक समस्या छात्र छात्राओं मे दिखाई पड़े तो वे मनोविज्ञान विभाग में चल रहे परामर्श केन्द्र की सहायता लें ताकि छोटी छोटी समस्यायें गम्भीर रूप न लेने पाएं
साथ ही सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया इस अवसर पर
प्रो प्रमोद यादव, डॉ मनोज पाण्डेय ,डॉ अन्नू त्यागी, डॉ चंदन सिंह, डॉ सुधीर उपाध्याय, प्रो वी.डी. शर्मा आदि उपस्थित रहे ।
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