*मुझे तेरी याद आ रही है*

सन्नाटे में खोई हैं ये रातें,
दिल की धड़कनें बेचैन हैं हर बात पे,
जहाँ बैठा हूँ, ये तन्हाई मुझे खा रही है,
*सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।*

आँखों में बसी है सूरत तेरी,
हर घड़ी तुझसे मिलने की है चाहत मेरी,
खामोशी में गूंजती हुई तेरी दस्तक सुना रही है,
*सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।*

तेरे बिना ये दिल बेबस सा हो गया है,
हर सांस का प्रवाह जैसे अधूरा रह गया है,
इन बिछड़े लम्हों की तस्वीर मुजे अकेलेपन का आइना दिखा रही है,
*सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।*

राहें अब सूनी-सूनी सी लगती हैं,
तेरी मीठी बातें अब बस यादों में ही जगती हैं,
जीवन के हर कदम पर ये साथ निभा रही है,
*सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।*

जुदाई की घड़ी से अब तक दिल को सुकून नहीं मिला,
तेरे बिना हर एहसास में बस दर्द ही दर्द मिला,
तेरी चाहत मेरी ज़िन्दगी में गहरी होती जा रही है,
*सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।*

अब तेरे बिना ये हंसी भी उदास है,
दिल में तेरी कमी आज भी बहुत खास है,
हर सांस चलते-चलते बिखरती जा रही है,
*सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।*
*सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।*

प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए

प्रेम ठक्कर "दिकुप्रेमी"
9023864367
सूरत, गुजरात

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