‘यूपी रतन अवार्ड’ से सम्मानित हुई प्रो. गीता गाँधी किंगडन
सात अन्य मूर्धन्य हस्तियों का भी हुआ सम्मान
लखनऊ, 22 सितम्बर। सिटी मोन्टेसरी स्कूल की प्रबन्धक प्रो. गीता गाँधी किंगडन को शैक्षिक जगत में अतुलनीय योगदान हेतु आज ‘यूपी रतन अवार्ड’ से नवाजा गया। ऑल इण्डिया कान्फ्रेन्स ऑफ इन्टेलेक्चुअल (एआईसीओआई) द्वारा सी.एम.एस. गोमती नगर प्रथम कैम्पस ऑडिटोरियम में आयोजित भव्य सम्मान समारोह में प्रो. किंगडन को इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया। समारोह के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति श्री राकेश शर्मा, पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद हाईकोर्ट एवं श्री बृजलाल, राज्यसभा सदस्य एवं पूर्व डीजीपी, ने प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर प्रो. किंगडन को यूपी रतन अवार्ड से सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रदेश की सात अन्य विभूतियों को सामाजिक उत्थान में सराहनीय योगदान हेतु ‘यू.पी. रतन अवार्ड’ से सम्मानित किया गया, जिनमें श्री विनय गाँधी, श्रीमती मोना गाँधी, श्री अब्बास मेंहदी, श्री अखिल कुमार, प्रो. शमामा एवं श्री वी के सक्सेना शामिल हैं। ए.आई.सी.ओ.आई. देश की एक ख्याति प्राप्त स्वयंसेवी संस्था है जो कि पिछले 42 वर्षों से सामाजिक उत्थान में योगदान देने वाली विभूतियों को ‘यू.पी. रत्न’ अवार्ड से सम्मानित करती आ रही है।
सम्मान समारोह के अवसर पर अपने संबोधन में सी.एम.एस. प्रबन्धक प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को निभाने में सदैव अग्रणी रहा है तथापि यह सम्मान भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य की प्रतिबद्धता को और मजबूती प्रदान करेगा। समारोह के संयोजक एवं ए.आई.सी.ओ.आई. के सेक्रेटरी जनरल श्री प्रकाश निधि शर्मा ने सम्मानित होने वाली सभी विशिष्ट विभूतियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी।
सी.एम.एस. के कम्युनिकेशन विभाग के हेड श्री ऋषि खन्ना ने बताया कि प्रो. गीता गाँधी किंगडन के नेतृत्व में सिटी मोन्टेसरी स्कूल भावी पीढ़ी के सर्वांगीण विकास में पूरी प्रतिबद्धता से जुटा है। प्रो. किंगडन का मानना है कि उद्देश्यपूर्ण शिक्षा वर्तमान समय की महती आवश्यकता है, जिसके अन्तर्गत चरित्र निर्माण एवं वैश्विक दृष्टिकोण का विकास भी शिक्षा के महत्वपूर्ण अंग है। श्री खन्ना ने बताया कि सी.एम.एस. संस्थापक स्व. डा. जगदीश गाँधी एवं विद्यालय की संस्थापिका-निदेशिका डा. भारती गाँधी के मार्गदर्शन में सी.एम.एस. ने शिक्षा के क्षेत्र में अनेकों ऐसे कीर्तिमान स्थापित किये हैं, जिसकी दूसरी मिसाल मिलना मुश्किल है। प्रो. किंगडन इसी परम्परा को आगे बढ़ाने में तत्परता से प्रयासरत हैं।
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