सिटी मोन्टेसरी स्कूल में 

सीपीआर ; कार्यशाला का आयोजन

लखनऊ 16 सितम्बर। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, राजाजीपुरम द्वितीय कैम्पस में जूनियर छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण ब्च्त् (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस सत्र का उद्देश्य छात्रों को आपातकालीन परिस्थितियों, विशेष रूप से हृदयाघात या कार्डियक अरेस्ट के दौरान सी.पी.आर. देने का सही तरीका सिखाना था। यह जानकारी सिटी मोन्टेसरी स्कूल के हेड कम्यूनिकेशन श्री ऋषि खन्ना ने दी। श्री खन्ना ने बताया कि बीते कुछ सालों में कार्डियक अरेस्ट के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं। कुछ केस तो इतने अचानक से सामने आये जिसमें कि पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचाया ही नहीं जा सका, जबकि सी.पी.आर. की सही जानकारी होने पर कोई भी व्यक्ति जान बचा सकता था।  


श्री खन्ना ने बताया कि सी.पी.आर. के इस महत्वपूर्ण कार्यशाला का नेतृत्व श्री सुमित मौर्य, वरिष्ठ सहायक उप नियंत्रक, नागरिक सुरक्षा, लखनऊ और आपातकालीन प्रबंधन विशेषज्ञ, एन.डी.आर.एफ., अकादमी नागपुर ने किया। उनके साथ श्री मनोज वर्मा, वरिष्ठ सहायक उप नियंत्रक, लखनऊ और संयुक्त सचिव, उत्तर प्रदेश ताइक्वांडो एसोसिएशन, ने भी सत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दोनों विशेषज्ञों ने सी.पी.आर. के दौरान अपनाए जाने वाले सही तरीके और तात्कालिक कार्रवाई के महत्व को विस्तार से समझाते हुए कहा कि “हर कोई एक नायक बन सकता है, अगर वह जीवन बचाने की कला जानता है।“

श्री सुमित मौर्य ने कार्डियक अरेस्ट के दौरान उठाए जाने वाले महत्वपूर्ण कदमों को छात्रों को समझाते हुए उन्हें बताया कि कैसे दो मिनट में पांच बार श्वसन चक्र करना चाहिए, उसके बाद 30 बार छाती पर दबाव डालना चाहिए, और इसे तब तक जारी रखना चाहिए जब तक पीड़ित व्यक्ति को चिकित्सकीय सहायता न मिल जाए। उन्होंने यह भी चेताया कि सी.पी.आर. का अभ्यास जीवित व्यक्ति पर न करें, क्योंकि इससे हानि हो सकती है। इसके अलावा श्री मनोज वर्मा ने डूबते हुए व्यक्ति की मदद करने के बारे में भी जानकारी दी और यह भी बताया कि उम्र के अनुसार सी.पी.आर. के तरीकों में बदलाव करना कितना महत्वपूर्ण है।

सी.एम.एस. राजाजीपुरम द्वितीय कैम्पस की हेड मिस्ट्रेस, श्रीमती ख्याति लांबा ने श्री सुमित मौर्य और श्री मनोज वर्मा का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया। इसके साथ ही उन्होंने अपने छात्रों को वे इस महत्वपूर्ण ज्ञान को अपने परिवार के सदस्यों और परिचितों के साथ साझा करने के लिए भी प्रेरित किया, जिससे अधिक से अधिक लोगों का जीवन बचाए जा सकें।


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