हिन्दी भाषा के द्वारा ही सांस्कृतिक धरोहर एवं परंपराओं का संरक्षण संभव है - स्वतंत्र देव सिंह
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में हुआ स्वरचित काव्य पाठ प्रतियोगिता एवं भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में दिनांक 27 सितम्बर को 'हिन्दी पखवाड़ा' के अंतर्गत हिन्दी प्रकोष्ठ, एनसीसी और पंडित सुदामा दुबे स्मृति एवं दर्शन न्यास के संयुक्त तत्वावधान में काव्यपाठ प्रतियोगिता एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार के जल शक्ति विभाग के माननीय कैबिनेट मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह जी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त मंच पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.एम.पी. वर्मा, विशिष्ट अतिथि एवं आईएएस अधिकारी डॉ. अखिलेश मिश्र, कुलसचिव डॉ. अश्विनी कुमार सिंह, एनसीसी अधिकारी डॉ. राजश्री एवं विश्वविद्यालय हिन्दी अधिकारी श्री शिवकुमार त्रिपाठी उपस्थित रहे। काव्यपाठ प्रतियोगिता के निर्णायक के तौर पर हिन्दी विभाग के प्रो. सर्वेश कुमार सिंह मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजली अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से अतिथियों एवं शिक्षकों को पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया गया। सर्वप्रथम डॉ. शिवकुमार त्रिपाठी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं कार्यक्रम की रुपरेखा की जानकारी दी। साथ ही हिन्दी अनुवाद अधिकारी श्रीमती संध्या दीक्षित ने सभी को अतिथियों के परिचय से अवगत कराया।
मंच संचालन का कार्य डॉ. राजश्री ने किया। उन्होंने हिंदी की महत्ता के बारे में भी अपने विचार रखे।
मुख्य अतिथि एवं माननीय कैबिनेट मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह जी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दी भाषा संस्कृति, सभ्यता तथा राष्ट्र को एकसूत्र में पिरोने का कार्य करती है। हिन्दी भाषा के द्वारा ही सांस्कृतिक धरोहर एवं परंपराओं का संरक्षण संभव है। दूसरी ओर भाषायी संस्कृति का विकास करते हुए कवियों ने हमेशा से ही जनमानस में ऊर्जा जाग्रत करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया।
माननीय कुलपति प्रो. एन.एम.पी. वर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर हिन्दी भाषा अपना परचम लहरा रही है। अतः हम सभी कर्तव्य है कि हिन्दी भाषा के पुनरूत्थान में अपना योगदान दें। दूसरी ओर शिक्षा व्यवस्था में हिन्दी के उपयोग को बढ़ाना होगा साथ ही विज्ञान एवं तकनीकी जैसे विषयों में हिन्दी भाषा अधिक से अधिक में पुस्तकों को प्रकाशित करने पर विचार करना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि एवं आईएएस अधिकारी डॉ. अखिलेश मिश्र ने हिन्दी भाषा के महत्व को ध्यान में रखते हुए अपनी कविता प्रस्तुत की और सभी को अपनी मातृभाषा से जुड़ने का संदेश दिया।
प्रतियोगिता के दौरान प्रतिभागियों ने हिन्दी भाषा की महत्ता और पुनरूत्थान, देशभक्ति एवं स्त्री से संबंधित विभिन्न विषयों पर अपनी स्वरचित कविता प्रस्तुत की। इसके अतिरिक्त विभिन्न शहरों से आये आमंत्रित कवियों ने भी अपनी कविताओं का मनमोहक प्रस्तुतिकरण दिया। आमंत्रित कवियों में श्री विपिन मलिहाबाद, डॉ. प्रवीण राही, श्री रजनीश त्रिवेदी, डॉ. सुभाष चंद्र रसिया, श्रीमती अर्चना द्विवेदी, श्रीमती श्वेता शुक्ला रहे। कार्यक्रम में डॉक्टर सुभाष चंद्र रसिया ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए बरगद पीपल नीम का कितना मीठा छांव याद बहुत आता मुझे अपना प्यारा गांव सुनाकर समां बांध दिया ,विपिन मलीहा ने अपनी रचना कितने रिश्ते चटक गए हैं एक तेरा रिश्ता क्या टूटा सुन कर लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया, श्वेता शुक्ला ने अपने गीतों से सभी का मनमोह लिया, लाफ्टर चैलेंज फेम रजनीश त्रिवेदी ने हास्य व्यंग से सभी को हंसा कर गुदगुदाया, अर्चना द्विवेदी ने अपने मनमोहक गीतों की प्रस्तुति की और कार्यक्रम में जान डाल दी, प्रवीण राही ने कवि सम्मेलन में मंच संचालन किया और साथ ही साथ अपने हास्य कविताओं को सभी के सामने रखा और सभी का मनोरंजन किया।
साथ ही एनसीसी, खेल विभाग और मानवाधिकार विभाग के छात्र छात्राओं एनसीसी कैडेट्स को राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय आयोजित होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजयी होकर विश्वविद्यालय का मान बढ़ाने के लिए माननीय मंत्री द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन का कार्य डॉ. अमित द्विवेदी ने किया। समस्त कार्यक्रम के दौरान प्रॉक्टर प्रो. संजय कुमार, डीएसडब्ल्यू प्रो. बी.एस. भदौरिया, प्रो सुदर्शन वर्मा, प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा, प्रो. रामपाल गंगवार, प्रो. प्रीति मिश्रा, प्रो. शशि कुमार, प्रो. शूरा दारापुरी, प्रो रिपु सुदन सिंह, डॉ. बलजीत श्रीवास्तव, सतविंदर कौर, अविनाश कौर, के बी एल श्रीवास्तव, गीता अरोड़ा, सुधा, अन्य शिक्षकगण, कर्मचारी गण, शोधार्थी, एन सी सी कैडेट्स एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
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