निदेशक के सामने रोती गिड़गिड़ाती रहीं शिक्षिकाएं और लाचार निदेशक महोदय एक दिन का वेतन काटने का आदेश देकर चले गये

चुटकी भंडार की तथाकथित प्रिंसिपल के आगे शिक्षा विभाग नतमस्तक

लखनऊ । कहा जाता है कि किसी भी सूबे की विकास की इबारत पढ़नी हो तो वहां के शिक्षा विभाग को देख लीजिये। एक नहीं तमाम कहावते हैं कि किसी भी सभ्य समाज की नींव को तैयार करने के लिए वहां बालकों की शिक्षा सबसे अहम होती है। लेकिन इन दिनों उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजनाओं और मंशा पर पूरी तरह पलीता लगा दिया है। इन अधिकारियों की कारगुजारियों के चलते प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत को संजोये एक विद्यालय चुटकी भंडार गल्र्स इंटर कालेज अपनी बदहाली की इबारत लिख रहा है।
राजधानी में चर्चा का विषय बना चुटकी भंडार गल्र्स इंटर कालेज वह स्थल बन गया जहां के बच्चे और शिक्षक ही असंतोष का शिकार हंै। कभी धड़धड़ाती पुलिस के आ जाने के चलते पढ़ रही छात्राओं को चांैकने पर मजबूर करती है तो कभी तथाकथित प्रिंसिपल और कर्मचारियों के बीच लगभग रोज होती गाली-गलौज बच्चों को सहमने को मजबूर करती है।
चुटकी भंडार गल्र्स इंटर कालेज में प्रिंसिपल का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल यहां पर तदर्थ प्रिंसिपल के वीआरएस लेने के बाद यहां वरिष्ठता के क्रम में रही सुमन शुक्ला को प्रबंधक पवन वर्मा ने कार्यभार सौंप दिया। लेकिन प्रवक्ता रहीं सुमन जैसे ही प्रिंसिपल बनीं उनकी अराजकता बढ़ गयी। वह कभी साथी अध्यापिकाओं का शोषण करतीं तो लिपिकों के साथ भी उनका आचरण खराब होने लगा हद तो तब हो गयी जब तमाम शिकायतों के मद्देनजर उनसे प्रबंधक ने बात की तो वह उनसे भी गाली-गलौज पर उतर आयीं और विद्यालय परिसर में पुलिस बुला ली। इन सबके मद्देनजर प्रबंध समिति ने बैठक कर और उनको कई नोटिसें देने के बाद उनसे कार्यभार वापस ले लिया और उनसे जूनियर सुनीता को कार्यभार सौंप दिया और विभाग को उनके हस्ताक्षर प्रमाणित करने का पत्र सौंपा।
बस यहीं से ख्ोल शुरू हो गया। अपनी जुगाड़ और जिला विद्यालय निरीक्षक राघवेंद्र सिंह बघ्ोल को अपना करीबी और संयुक्त निदेशक को अपना क्लासेमेट बताने वाली सुमन शुक्ला ने अपना रौब दिखाते हुए पद पर कब्जा जमा लिया। तमाम पत्राचार और शिक्षा निदेशक के तमाम आदेशों को भी सुमन शुक्ला ने अपनी जुगाड़तंत्र के चलते दरकिनार कर दिया।
निदेशक के सामने रोती गिड़गिड़ाती रहीं शिक्षिकाएं और लाचार निदेशक महोदय एक दिन का वेतन काटने का आदेश देकर चले गये
हद तो तब हो गयी जब लगातार उत्पीड़न के चलते अपनी शिकायतों को प्रबंधक, जेडी, और डीआईओएस से आजिज आकर शुक्रवार को शिक्षिकाएं निदेशक महंेद्र देव के कार्यालय पहुंची । वह वहां रोती-गिड़गिड़ाती रहीं और ्िरपं्रसिपल के पद पर काबिज सुमन शुक्ला की अनाचार की कहानी कहती रहीं लेकिन निदेशक महोदय ने उनकी सुनने के बजाय शिक्षण अवधि में उनके कार्यालय में पहुंची शिक्षिकाओं का एक दिन का वेतन काटने का निर्देश दिया और खुद उनके सामने रहे मौजूद डीआईओएस राघवेंद्र सिंह बघ्ोल को मामला सुनने का आदेश देकर चलते बने।
जब दर्द देने वाले को दवा की जिम्मेदारी हो तो मरीज कैसे ठीक हो
निदेशक ने उन्हीं डीआईओएस को शिकायतों के निस्तारण की जिम्मेदारी सौंपी जो सुमन के साथ दिखायी पड़ रहे हैं। उन्होंने समझा-बुझाकर अध्यापिकाओं को चलता कर दिया। लेकिन सुमन पर कोई कार्यवाही नहीं हृुई।
कागजों पर हेराफेरी करते हैं डीआईओएस बघ्ोल
चुटकी भंडार गल्र्स इंटर कालेज का वेतन प्रधानाचार्य के पद के विवाद के चलते दो महीने से लटका हुआ था । विभाग ने यह कहकर आपत्ति लगायी थी कि जब तक प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर वाला बिल नहीं आयेगा वह वेतन नहीं देगे जबकि प्रबंधतंत्र का कहना था कि नयी प्रिंसिपल का हस्ताक्षर प्रमाणित कर वेतन जारी कर दें या प्रबंधक के एकल हस्ताक्षर से वेतन जारी कर दें क्योंकि सुमन शुक्ला को प्रबंध तंत्र प्रधानाचार्य के पद से हटा चुका है। इस बाबत प्रबंधक ने एक पत्र डीआईओएस को सौंपा और डीआईओएस राघवेंद्र बघ्ोल ने खेल कर दिया इसी पत्र पर उन्होंने सुमन àशुक्ला को अपने कार्यालय में बुलाकर हस्ताक्षर करा कर वेतन जारी करा दिया। जिससे साफ होता है कि वह कागजों में हेराफेरी कर रहे हैं।
निदेशक के आदेश पर बनी पांच समितियो के आदेश को भी नहीं मान रहे अधिकारी
प्रबंधन द्बारा बार-बार माध्यमिक शिक्षा निदेशक के यहां शिकायत करने पर शिक्षा निदेशक ने पांच बार समिति बनाकर जांच करने का आदेश दिया। समिति बनी भी , जाचं भी हुई। लेकिन जांच समिति शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक रिपोर्ट नहीं बना सकी इसलिए उसके आदेश को दरकिनार कर दिया गया। किसी भी रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं हुई।

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