लखनऊ: 04 सितम्बर, 2024
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियों और सहायिकाओं की भूमिका की तुलना माता यशोदा से की है। द्वापर युग में माता देवकी के 8वें पुत्र के रूप में जन्में
श्री कृष्ण-कन्हैया की रक्षा के लिए वासुदेव जी उन्हें माता यशोदा की गोद में रख आए थे। माता यशोदा ने श्री कृष्ण कन्हैया का लालन-पालन पूरी तन्मयता से किया था। यही दायित्व आंगनबाड़ी केन्द्रों में निभाया जाता है। जब भी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां किसी कुपोषित परिवार के पास जाती हैं, तो उनके सामने भी यही लक्ष्य होना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन में राष्ट्रीय पोषण माह-2024 के अन्तर्गत आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने
65.712 करोड़ रुपये लागत से निर्मित प्रदेश के 45 जनपदों के 555 आंगनबाड़ी भवनों का लोकार्पण तथा हाॅट कुक्ड मील योजना से सम्बन्धित ‘बाल भोग’ पोर्टल https://uphcm.com/hcm/ का शुभारम्भ किया।
मुख्यमंत्री जी ने आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियों के बैंक खातों में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना तथा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के प्रीमीयम के रूप में 8.78 करोड़ रुपये तथा आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियों एवं सहायिकाओं की यूनिफाॅर्म के लिए 29 करोड़ रुपये की धनराशि का अन्तरण किया। उन्होंने प्रतीकस्वरूप दो आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियों एवं दो सहायिकाओं को यूनिफाॅर्म (साड़ी) प्रदान की। मुख्यमंत्री जी ने सम्भव अभियान के तहत कुपोषित से सुपोषित की श्रेणी में परिवर्तित बच्चों के अभिभावकों एवं उनसे जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियों का सम्मान किया। उन्होंने गर्भवती महिलाओं की गोदभराई तथा बच्चों का अन्नप्राशन भी किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय पोषण माह तथा सम्भव अभियान पर आधारित लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की आन-बान-शान के प्रतीक मेवाड़ के राणा वंश के राजकुमार की रक्षा करने के लिए पन्नाधाय ने अपने स्वयं के पुत्र की परवाह नहीं की थी। यह ऐसा उदाहरण हमारे सामने हैं, जिसके कारण भारत आने वाले संघर्षों का सामना करने के योग्य बना और फिर स्वाधीन भी हुआ। भारत का इतिहास इस प्रकार की घटनाओं से भरा है। आप सभी आंगनबाड़ी कार्यकत्र्र्री मां यशोदा की ही भूमिका में हैं। प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2047 में विकसित भारत की संकल्पना की है। जब भारत विकसित होगा उसे समय हम सभी लोग अलग-अलग स्थितियों में होंगे, लेकिन जिन बच्चों की आप सेवा कर रही हैं, उन्हीं के हाथों में उस समय देश की कमान होगी। यह उस समय की वर्कफोर्स होगी। अगर यह सुपोषित है, तो उस समय भारत समृद्ध होगा, अगर आज यह स्वास्थ्य की दृष्टि से विकसित हंै, तो भारत भी विकसित होगा। इस दृष्टि से आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियां एक बड़े और पवित्र कार्यक्रम को आगे बढ़ा रही हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत के सपने को साकार करने तथा देश के भविष्य को उज्ज्वल करने की दिशा में आज अनेक कार्यक्रमों का शुभारम्भ हो रहा है। मुख्यमंत्री जी ने राष्ट्रीय पोषण माह के कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त किया। सम्भव अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियांे और उन परिवार के सदस्यों को यहां सम्मानित किया गया है, जिन्होंने एक समय सीमा में कुपोषण से सुपोषण के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। यहां हॉट कुक्ड मील योजना के अन्तर्गत ‘बाल भोग’ पोर्टल का शुभारम्भ किया गया है। इस योजना की शुरुआत गत वर्ष ही की गई थी, जिससे मिड-डे मील की तर्ज पर सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में आने वाले बच्चांे को गर्म पका भोजन प्राप्त हो सके।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियों और उनकी सहायिकाओं के लिए कोई दुर्घटना घटित होने की स्थिति में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और सुरक्षा बीमा योजना के अन्तर्गत 02 लाख रुपये का सुरक्षा बीमा कवर देने के लिए डी0बी0टी0 के माध्यम से उनके खातों में आज 08 करोड़ 78 लाख 50 हजार रुपये की धनराशि प्रेषित की गई है। उनकी यूनिफाॅर्म के लिए भी डी0बी0टी0 द्वारा धनराशि उनके खातों में प्रेषित की गई है। प्रदेश में 555 नए आंगनबाड़ी केन्द्रों का लोकार्पण किया गया है। विगत 06-07 वर्षों में प्रदेश में 18 हजार से अधिक आंगनवाड़ी केन्द्र बनाए गये हैं। हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कि हर आंगनबाड़ी केन्द्र के पास अपना भवन हो। कन्वर्जन के आधार पर इस कार्यक्रम को आगे बढा़ना चाहिए। अवशेष केन्द्रों के भवन एक साथ बनाने की तैयारी करें। आंगनबाड़ी केन्द्रों में सभी प्रकार की सुविधाएं विकसित की जाएं और इन्हें हर प्रकार के कार्यों से जोड़ा जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अन्तर्गत अपने सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों को ‘बाल वाटिका’ के रूप में विकसित करते हुए, उन बच्चों को प्री प्राइमरी के रूप में आगे बढ़ाने में योगदान देना चाहिए। वहां पर हम एक किचन गार्डन की व्यवस्था भी करें। इसे एक मॉडल बनाएं। बहुत से आंगनबाड़ी केन्द्रों में अच्छी-अच्छी गतिविधियां कराई जाती हैं। इनके माध्यम से बच्चों को सिखाया जाता है। एक आंगनबाड़ी केन्द्र के निरीक्षण के दौरान उन्होंने यह देखा था कि बहुत अच्छे उद्धरण के माध्यम से 03 से 05 वर्ष के बच्चों को गिनती तथा शरीर के अंगों का ज्ञान कराया जा रहा था। यह प्रयास अभिनंदनीय है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियों, आशा बहनों तथा ए0एन0एम0 ने अपनी सेवाओं के माध्यम से अच्छे कार्य किये हैं। किसी भी कार्य के मूल्यांकन का सबसे अच्छा समय तब होता है, जब चुनौती सामने होती है। मार्च, 2020 से 2023 तक देश और दुनिया ने सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना का सामना किया था। अच्छे-अच्छे देश इस महामारी के सामने पस्त हो गए थे। लोग उत्तर प्रदेश के बारे में चिंतित थे कि यहां की 25 करोड़ की जनता को कैसे बचाया जाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमें विरासत में कमजोर स्वास्थ्य सुविधाएं मिली थी। लेकिन हमारे हेल्थ वर्कर्स, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, आशा बहनों तथा ए0एन0एम0 ने उस समय कदम से कदम मिलाकर, अपनी जान की परवाह न करते हुए, घर-घर जाकर एक-एक व्यक्ति की जान बचाने का कार्य किया। इसका परिणाम यह रहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने कोरोना प्रबन्धन का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया। चुनौती और संकट के समय प्रदेश ने यह दिखाया कि हम बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं। हम प्रदेश की 25 करोड़ जनता को कोरोना महामारी से बचानंे में सफल हुए।
जब तक कोई भी बच्चा कुपोषित रहेगा, तो समाज के सामने चुनौती बनी रहेगी। एक स्वस्थ समाज और सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए जाति, मत, मजहब से ऊपर उठकर एक-एक बच्चे पर ध्यान देना होगा। तब ही हम प्रधानमंत्री जी के वर्ष 2047 में विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे। प्रदेश में विगत 06-07 वर्षाें में किये गये कार्यों केे परिणाम भी आए हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (वर्ष 2015-16) की तुलना में (वर्ष 2019-21) के स्वास्थ्य सम्बन्धी आंकड़ों के अनुसार, बच्चों में एनीमिया के स्तर में 5.1 प्रतिशत, स्टटिंग में 6.6 प्रतिशत, अल्प वजन में 7.4 प्रतिशत तथा सूखापन में 0.6 प्रतिशत का सुधार हुआ है। शिशु मृत्यु दर 61 से घटकर 38 हो गयी है। मातृ मत्यु दर 201 से घटकर 167 हो गयी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियों को स्मार्टफोन दिए गए हैं। इनका प्रयोग कर बेहतरीन डेटा अपलोड करना होगा, इससे इन आंकड़ों में और सुधार होगा। अक्सर हम अपने डेटा को अपलोड नहीं करते हैं, जिससे हमारे कार्य सबके सामने नहीं आते हैं। जब हमने मिशन मोड में इस कार्य को आगे बढ़ाया, तो सभी सेक्टर में सुधार होता हुआ दिखाई दिया। अब उत्तर प्रदेश भारत के विकास का बैरियर नहीं, बल्कि ग्रोथ इन्जन के रूप में जाना जा रहा है। यह किसी एक विभाग का कार्य नहीं है बल्कि यह अन्तरविभागीय समन्वय के माध्यम से ही सम्भव है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में इन्सेफेलाइटिस जैसी बीमारी पर
अन्तरविभागीय समन्वय के माध्यम से ही नियन्त्रण प्राप्त किया गया है। पहले इस सीजन में 01 वर्ष से लेकर 15 वर्ष तक के हजारों बच्चों की मृत्यु इन्सेफेलाइटिस से होती थी। वर्ष 2017 में हमारी सरकार बनने पर इन्सेफेलाइटिस पर नियंत्रण के लिए अभियान चलाया। प्रदेश में वर्ष में तीन बार संचारी रोग नियंत्रण तथा दस्तक अभियान चलता है। परिणाम है कि जिस इन्सेफेलाइटिस से 40 वर्षों में प्रदेश में 50 हजार से अधिक बच्चों की मृत्यु हुई, आज वह इन्सेफेलाइटिस प्रदेश से पूरी तरह समाप्त हो चुका है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि यह बच्चे आज जीवित होते, तो उत्तर प्रदेश के विकास में अपना सहयोग दे रहे होते। यह सारा दोष उस व्यवस्था का था, जिसने इस बीमारी की रोकथाम के लिए जागरूकता के कार्यक्रम नहीं चलाए। बेहतरीन समन्वय से उन परिवारों तक सरकार की व्यवस्थाओं, स्वच्छता के कार्यक्रमों, स्वास्थ्य की सुविधाओं, पोषाहार पहुंचाने या शासन की अन्य सुविधाओं को पहुंचाने में जिन्होंने लापरवाही बरती, वह सरकारें और तंत्र इसका अपराधी है। आज इन्सेफेलाइटिस बीमारी को समाप्त करने के लिए किए गए कार्य मॉडल बने हैं। इसी प्रकार कोरोना महामारी को भी नियंत्रित किया गया। कोरोना की शुरुआत के समय ही टीम इलेवन का गठन किया गया था। यह अन्तरविभागीय समन्वय की ही एक व्यवस्था थी। इसके परिणाम स्वरूप हमने कोविड महामारी का बेहतरीन प्रबन्धन किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियां बिना विचलित हुए अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ें, यह समय उनका है। अगर आप प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप इन बच्चों को राष्ट्रीय पोषण माह के अभियान से जोड़कर अपने कार्यक्रमों को आगे बढ़ाती हैं, तो आने वाला समय आपकी आराधना करेगा। महिला एवं बाल विकास विभाग को विकास खण्ड स्तर पर 01 से 03 वर्ष तथा 03 से 05 वर्ष के बच्चों के मध्य ‘स्वस्थ बच्चा प्रतिस्पर्धा’ करानी चाहिए।
जिस परिवार में स्वस्थ बच्चे हों, उस परिवार की माता और उससे जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकत्र्री को सम्मानित करना चाहिए। उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। वर्ष में दो बार यह कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए। इस वर्ष राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत ही यह प्रतियोगिता आयोजित कराकर सम्मान का कार्यक्रम करना चाहिए। यह एक बड़ा कार्यक्रम होगा। कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने की दिशा में लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए। अगर यह कार्य किया जाएगा, तो यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम बनेगा और विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने का कार्यक्रम बनेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जो बच्चे और माताएं कुपोषित हैं तथा जो किशोरी कन्याएं एनीमिया से प्रभावित है, उन सभी को हमें स्वस्थ बनाना है, तभी एक समृद्ध भारत की संकल्पना और वर्ष 2047 में विकसित भारत का सपना साकार होगा। विकसित भारत में हर चेहरे पर खुशहाली होगी। इसके लिए हम सभी को मिलकर कार्य करना होगा।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक, महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री श्रीमती बेबी रानी मौर्य, राज्यमंत्री श्रीमती प्रतिभा शुक्ला, मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती मोनिका एस0 गर्ग, प्रमुख सचिव महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग श्रीमती लीना जौहरी सहित वरिष्ठ अधिकारी एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियां उपस्थित थीं।
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