मुख्यमंत्री ने जनपद गोरखपुर में शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य शिक्षक पुरस्कार हेतु चयनित बेसिक शिक्षा तथा माध्यमिक शिक्षा विभाग के 54 शिक्षकां को सम्मानित किया

आज देश के द्वितीय राष्ट्रपति, महान शिक्षक एवं दार्शनिक डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन की पावन जयन्ती, स्वतंत्र भारत में इस दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में
मनाया जाता, यह गुरु परम्परा के सम्मान का दिवस : मुख्यमंत्री

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने शिक्षा व शिक्षकों के लिए एक नई मंजिल तय की, हम स्कूल में केवल परम्परागत पाठ्यक्रम को लेकर नहीं जाएं, बल्कि नवाचार
के माध्यम से उत्कृष्ट शिक्षक बनने की दिशा में कार्य करें

प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की संकल्पना से हम सबको जोड़ा, शिक्षकों को राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका का मूल्यांकन कर
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में अपना योगदान देना चाहिए

शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश लगातार तरक्की
कर रहा, प्रदेश में पी0एम0श्री विद्यालय खुल रहे

18 जनपदों में अटल आवासीय विद्यालय संचालित, शेष 57
जिलों में इस तरह के डे स्कूल खोलने की कार्यवाही की जा रही

नीति आयोग के उत्कृष्ट नवाचारां में उ0प्र0 शासन का ऑपरेशन कायाकल्प भी शामिल

जिन शिक्षकां को हम सम्मानित करते, एस0सी0ई0आर0टी0 की पुस्तकों
के निर्माण तथा शिक्षकां के चयन में उनकी सेवा व सहयोग लेना चाहिए

शिक्षक को अपने विद्यालय में आध्यात्मिक व उत्कृष्ट माहौल का निर्माण करना चाहिए

प्रयास हो कि शिक्षक सम्मान हर जनपद के एक शिक्षक को मिले


लखनऊ : 05 सितम्बर, 2024


     उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज बाबा गम्भीरनाथ प्रेक्षागृह एवं सांस्कृतिक केन्द्र रामगढ़ताल, जनपद गोरखपुर में शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राज्य शिक्षक पुरस्कार हेतु चयनित बेसिक शिक्षा तथा माध्यमिक शिक्षा विभाग के 54 शिक्षकां को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि आज देश के द्वितीय राष्ट्रपति, महान शिक्षक एवं दार्शनिक डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन की पावन जयन्ती है। स्वतंत्र भारत में इस दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह गुरु परम्परा के सम्मान का दिवस है। जिन शिक्षकों ने अपने उत्कृष्ट कार्यों से उत्तर प्रदेश में बेसिक व माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ाने में अपना योगदान दिया है, उन्हें आज यहां सम्मानित किया गया है। ऐसे सभी शिक्षक जो प्रदेश के अलग-अलग जनपदों से आए हैं, वह बधाई के पात्र हैं।
डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की शिक्षक एवं दार्शनिक के रूप में सेवाओं के लिये भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया। भारतीय दर्शन पर लिखी उनकी पुस्तक भारत के शास्त्रों को बड़ी मर्मज्ञता व सरलता से हम सबके सम्मुख प्रस्तुत करती है। उनके इस योगदान के कारण स्वतंत्र भारत में उनके जन्म दिवस को शिक्षकों के सम्मान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत गुरु परम्परा को सम्मान देने वाला देश है। संत कबीर ने गुरु को ईश्वर से भी बड़ा बताया, क्यांकि गुरु ही हमें ईश्वर तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। हमें गुरु को भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश के समतुल्य रखकर इस परम्परा के प्रति श्रद्धा का भाव रखना चाहिए, क्यांकि बिना श्रद्धा के ज्ञान नहीं आ सकता है। श्रद्धावान ही ज्ञानवान हो सकता है। जो ज्ञानी नहीं हो सकता, वह जीवन में कुछ भी प्राप्त नही कर सकता है। केवल डिग्री लेने से ज्ञान नही आता है। श्रद्धावान बनने के लिये हमें परिश्रम और साधना भी करनी पड़ती है तथा कठिन मार्गों से चलना होता है। हथौड़े की मार सहकर ही एक मूर्ति स्वरूप में आती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि साधना का मार्ग कठिन होता है, लेकिन सर्वोत्तम भी होता है। साधना से तपा हुआ जो भी कार्य होगा, उसके परिणाम भी अच्छे होंगे। आज बेसिक शिक्षा परिषद के 41 शिक्षकों को सम्मानित किया गया है, जो प्रदेश के अलग-अलग जनपदों से सम्बन्धित है। इसी प्रकार माध्यमिक शिक्षा के 11 और वित्त पोषित विद्यालयों के 02 शिक्षकों का भी सम्मान किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जिन शिक्षकां को हम सम्मानित करते हैं, उनके अनुभवों का लाभ भी हमें लेना चाहिए। एस0सी0ई0आर0टी0 की पुस्तकों के निर्माण में उनकी सेवा व सहयोग लेना चाहिए, क्योंकि उनका अनुभव एवं कार्य हमारे लिए काफी सहायक होगा। यह प्रयास होना चाहिए कि शिक्षकां के चयन में भी उनका सहयोग लिया जाए। शासन ने शिक्षकों के चयन के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन किया है। इसके माध्यम से बेसिक, माध्यमिक, उच्च, प्राविधिक व व्यावसायिक शिक्षा इन सभी क्षेत्रों में शिक्षकों के चयन का कार्य किया जायेगा। हमारा प्रयास होना चाहिये कि इस आयोग में पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों के एक प्रतिनिधि शामिल किया जाये।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मानक और स्टैण्डर्ड तय करने के कार्य मेंं इनोवेशन को जरूर जोड़िए। पढ़ाने का तरीका क्या होना चाहिए, कैसे होना चाहिए, कैसे आप आसानी से पाठ को बच्चे को सरलतापूर्वक समझा सकें, इस दिशा में सभी शिक्षकों को निरन्तर कार्य करना चाहिए। कोई भी शिक्षक अचानक शिक्षक नहीं बन जाता है। उसके लिए प्रयास करना पड़ता है, डिग्री लेनी होती है। डिग्री लेने के साथ उसको निरन्तर यह प्रयास करना चाहिए कि कैसे कम समय में वह सरलता के साथ सूत्रों को बच्चों को समझा सके। नये तरीके जैसे सरल कविताएं, मुहावरे, कहानी एवं उद्धरण के माध्यम से बच्चों को सिखाने का प्रयास करें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने शिक्षा व शिक्षकों के लिए एक नई मंजिल तय की है। हम स्कूल में केवल परम्परागत पाठ्यक्रम को लेकर नहीं जाएं, बल्कि नवाचार के माध्यम से उत्कृष्ट शिक्षक बनने की दिशा में कार्य करें। यह हर एक क्षेत्र में आसानी से हो सकता है। अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं। कार्य को करने के लिए नवाचार की जरूरत है। इसके कई उदाहरण हमारे समक्ष हैं। इस सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना के दौरान झांसी की एक बेटी ने अपने घर की छत पर स्ट्रॉबेरी का उत्पादन शुरू किया और अच्छी उपज प्राप्त की। हमारे यहां स्ट्रॉबेरी का उत्पादन नहीं होता था, लेकिन सुलतानपुर, मीरजापुर और बाराबंकी सहित विभिन्न जनपदों के किसानों ने अपने यहां स्ट्रॉबेरी उगाकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। बाराबंकी में एक किसान को इसके लिए पद्म पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। कई किसान ऐसे हैं, जिन्होंने खेती को केमिकल, फर्टिलाइजर तथा पेस्टीसाइड से मुक्त कराने में अपना योगदान दिया है। उन्होंने जैविक खेती को आगे बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शिक्षक देश के भविष्य के निर्माता हैं। नवाचार के माध्यम से शिक्षकों को विद्यालय के वातावरण को अच्छा बनाना चाहिए। समाज के अन्य व्यक्तियों की तुलना में शिक्षक का अलग व्यक्तित्व होना चाहिए। शिक्षक का व्यक्तित्व ऐसा होना चाहिए कि उसके प्रति लोगों में स्वतः स्फूर्त सम्मान का भाव जागृत हो। शिक्षक को ट्रेड यूनियन का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। यदि शिक्षक ऐसा करते हैं, तो वे अपने शिक्षक धर्म से खिलवाड़ करते हैं। शिक्षक अपनी समस्या सरकार के सम्मुख स्वलिखित ज्ञापन या पत्र के माध्यम से दें, तो यह सर्वोत्तम होगा। शिक्षक का यह ज्ञापन शासन के लिए आदेश होगा न कि भीख। इसके लिए शिक्षक को अपने शिक्षक धर्म एवं कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध होना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री जी ने शिक्षक को अपने विद्यालय में आध्यात्मिक व उत्कृष्ट माहौल का निर्माण करना चाहिए। यह चिंता की बात है कि पहले राजकीय विद्यालय शिक्षा के उत्कृष्ट केन्द्र थे, आज उनका स्थान प्राइवेट व कॉन्वेंट विद्यालयों ने ले लिया है। जिन राजकीय विद्यालयों ने शिक्षा का बेहतरीन व उत्कृष्ट माहौल बनाया है, वहां छात्र संख्या बढ़ी है और जिन विद्यालयों ने ऐसा नहीं किया, वहां छात्रों की संख्या में गिरावट आई है। शिक्षकों को यह चिंतन करना चाहिए कि लोग बच्चों को इन विद्यालयों में क्यां नहीं भेज रहे हैं। उन्हें इस दिशा में कार्य करना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी प्रबंधकों एवं प्रधानाचार्यों को शिक्षक और छात्रों के सहयोग से पठन-पाठन के माहौल को आध्यात्मिकता से जोड़कर उत्तम व रुचिकर बनाना चाहिए। विद्यालय में ऐसा माहौल बनाएं कि पढ़ाई के प्रति छात्रों की रुचि बढ़े। विद्यालय में प्रतिदिन मॉर्निंग असेम्बली में समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के उद्बोधन के माध्यम से विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति प्रेरणा भाव तथा आध्यात्मिक चिंतन जागृत करने का कार्य कर सकते हैं। शिक्षक अगले दिन की कार्य योजना बनाकर ही विद्यालय से प्रस्थान करें। शिक्षक, छात्र व अभिभावक सभी को शामिल करके वृक्षारोपण, स्वच्छता आदि कार्य करने चाहिए। विद्यालय अभिभावक से लगातार संवाद बनाये रखें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शिक्षक छात्र को जो भी पढ़ाता है, वह जीवन भर विद्यार्थियों के साथ रहता है। इसलिए शिक्षकों को अपने व्यक्तित्व व कृतित्व से छात्र को सीख देनी चाहिए। शासन ने शिक्षा के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाये हैं। नीति आयोग के उत्कृष्ट नवाचारां में उत्तर प्रदेश शासन का ऑपरेशन कायाकल्प भी शामिल है। वर्ष 2017 में शिक्षा विभाग द्वारा ऑपरेशन कायाकल्प शुरू किया गया था, जिसके माध्यम से 01 लाख 36 हजार विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की गयीं। प्रत्येक विद्यालय में फ्लोरिंग, रंग-रोगन, डिजिटल कक्षाएं एवं लैब का निर्माण किया गया। इसमें सी0एस0आर0 फण्ड की भी सहायता ली गयी। कोरोना कालखण्ड में शिक्षा को तकनीक के माध्यम से सुचारू रूप से संचालित किया गया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमारा प्रयास हो कि यह शिक्षक सम्मान हर जनपद के एक शिक्षक को मिलना चाहिए। प्रत्येक जनपद में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के माध्यम से यह कार्य होने चाहिए। बेसिक शिक्षा तथा माध्यमिक शिक्षा विभाग को इस दिशा में निरन्तर पहल करनी चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश लगातार तरक्की कर रहा है। आज प्रदेश में पी0एम0श्री विद्यालय खुल रहे हैं। 18 जनपदों में अटल आवासीय विद्यालय संचालित किये गये हैं, जिनमें श्रमिकां तथा कोविड से मृत व्यक्तियों के बच्चों को निःशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान की जा रही है। शेष 57 जिलों में इस तरह के डे स्कूल खोलने की कार्यवाही की जा रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज शिक्षा में और भी प्रयास करने की जरूरत है। एस0सी0ई0आर0टी0 में पाठ्यक्रम निर्माण में मुख्यतः शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों का सहयोग लिया जाए। शिक्षक चयन प्रक्रिया में भी इनकी भूमिका बढायी जाए। विद्यालय को पराम्परागत पाठ्यक्रम के अलावा, इनोवेशन के लिए रिसर्च व डेवलपमेन्ट केन्द्र भी बनाना चाहिए। छात्र की रुचि जिस क्षेत्र में हो, शिक्षक उसे उत्कृष्ट बनाने के भाव से शिक्षा प्रदान करें। छात्र चाहे किसान, राजनेता, चिकित्सक या अधिवक्ता बनना चाहे तो शिक्षक को छात्र को उस क्षेत्र में आदर्श बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की संकल्पना से हम सबको जोड़ा है। विकसित भारत का संकल्प किसी राज्य या पार्टी का नहीं, बल्कि देश की 140 करोड़ जनता का संकल्प है। यदि भारत विकसित होगा, तो दुनिया को नेतृत्व प्रदान करेगा। 140 करोड़ जनता में खुशहाली आएगी। विकास की बुनियादी सुविधाओं का आच्छादन होगा। देश की सभी समस्याओं का समाधान होगा। विकसित भारत के संकल्प की शुरुआत नागरिक कर्तव्य से होती है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकार पर कर्तव्य को वरीयता देनी चाहिए। यदि हम अपना कर्तव्य करते हैं, तो देश में खुशहाली आयेगी। जब समाज और देश समृद्ध होगा, तो अधिकार अपने आप स्वतः स्फूर्त रूप में प्राप्त हो जाएंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शिक्षक को परिश्रमी व कर्तव्यनिष्ठ होना चाहिए। वह समाज में लोगों को कर्तव्य के प्रति आग्र्रही बनाने का कार्य करें। शिक्षकों को राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका का मूल्यांकन कर वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में अपना योगदान देना चाहिए। उस समय हम रहें या न रहें, लेकिन उस समय की पीढ़ी आपके योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करेगी। बेसिक शिक्षा विभाग व माध्यमिक शिक्षा विभाग को शिक्षक सम्मान से सम्मानित शिक्षकों के अच्छे कार्यों व नवाचार को सभी विद्यालयों में भेजना चाहिए।
इस अवसर पर माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती गुलाब देवी ने कहा कि देश के प्रथम उप राष्ट्रपति एवं द्वितीय राष्ट्रपति डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन का पूरा जीवन शिक्षा के प्रति समर्पित रहा। ज्ञान व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करता है। यह जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है।
बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संदीप सिंह ने कहा कि डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने विचार व अध्यापन के माध्यम से भारतीय दर्शन व शिक्षा को नया स्तर प्रदान किया। किसी भी राष्ट्र की उन्नति का आधार उसकी संस्कृति व उसके शिक्षक होते हैं। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में सुदृढ़ हुआ है और संगठित रूप से आगे बढ़ा है।
इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण, अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा श्री दीपक कुमार, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा श्री एम0के0एस0 सुंदरम सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षकगण उपस्थित थे।

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