आउटसोर्स कर्मचारी कामगार क्रांति आंदोलन 22 सितंबर को भोपाल में आज हजारों की संख्या में जुटेंगे कर्मचारी
अस्थाई, आउटसोर्स, जनभागीदारी, कर्मचारी मांगेंगे नौकरी में सुरक्षा और न्यूनतम 21000 रुपए वेतन
नौकरी में सुरक्षा और न्यूनतम 21000 रुपए वेतन निर्धारित करने की मांग को लेकर संगठित क्षेत्र के कर्मचारी आज 22 सितंबर को भोपाल में 'कामगार क्रांति आंदोलन' कर रहे हैं। इसमें हजारों चपरासी, चौकीदार, पंप ऑपरेटर, आउटसोर्स, पॉलिटेक्निक कॉलेज में जनभागीदारी कर्मचारी सहित अन्य कर्मचारी शामिल होंगे। आंदोलन कर्मचारी नेता वासुदेव शर्मा के नेतृत्व में होगा। कर्मचारियों ने नीलम पार्क में प्रदर्शन की अनुमति मांगी है, इसके लिए 2 सितंबर को अनुमति का आवेदन लगाया गया है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि यदि प्रशासन नीलम पार्क में अनुमति नहीं देता है तब सभी कर्मचारी चिनार पार्क के सामने एकत्रित होंगे और वहां से जुलूस लेकर आंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष सड़क पर बैठ कर शांतिपूर्ण क्रांति आंदोलन करेंगे। कर्मचारी नेताओं ने सभी विभागों के आउटसोर्स, अस्थाई, ठेका, पॉलिटेक्निक कॉलेज में जनभागीदारी कर्मचारी, अंशकालीन कर्मचारियों से अधिक से अधिक संख्या में 22 सितंबर को भोपाल पहुंचने का आव्हान किया है। निगम मंडल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनिल बाजपेई, ग्राम पंचायत चौकीदार संघ के अध्यक्ष राजभान रावत, अंशकालीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष उमाशंकर पाठक, कंप्यूटर आपरेटर महासंघ के अध्यक्ष रीतेश देवनाथ, रोहित लोधी, गुलशन मंसूरी, गौसेवक मेत्री संघ के अध्यक्ष राजेश धौलपुरे, आयुष विभाग के अध्यक्ष विजय कुमार, योग प्रशिक्षकों की अध्यक्ष गायत्री जायसवाल, अस्पताल एवं मेडीकल कालेजों के नेता विपिन पांडे, राजेंद्र शर्मा, अनीता पाल, हेमंत मोराने, पॉलिटेक्निक कॉलेज में जनभागीदारी कर्मचारी संघ
सहित आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने संयुक्त बयान जारी किया है। इन नेताओं का आरोप है कि मप्र में सरकारी विभागों में ठेकेदारों का राज चल रहा है, सभी विभागों का 80 प्रतिशत निजीकरण हो चुका है, ऐसी स्थिति में सरकारी विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी में न सुरक्षा बची है और न ही सरकार का तय न्यूनतम वेतन मिलता है, यह कर्मचारी अब तक के सबसे बडे़ अन्याय के शिकार हैं और न्याय के लिए निरंतर संघर्ष कर रहे हैं, जिसके तहत 22 सितंबर को भोपाल में कामगार क्रांति आंदोलन किया जा रहा है, जिसमें प्रदेशभर के कर्मचारी शामिल होकर न्याय के लिए आवाज बुलंद करेंगे।
ये कर्मचारी होंगे शामिल
ग्राम पंचायतों के चौकीदार, भृत्य, पंप आपरेटर, सफाईकर्मी, स्कूलों, छात्रावासों के अंशकालीन, अस्थाई कर्मचारी, निगम मंडल, नगरीय निकाय, सहकारिता के आउटसोर्स, अस्थाई कर्मी, शासकीय विभागों के आउटसोर्स कंप्यूटर आपरेटर, अस्पताल, मेडिकल कालेजों के वार्ड न्याय, सुरक्षाकर्मी, पॉलिटेक्निक कॉलेज में कार्यरत जनभागीदारी कर्मचारी, चतुर्थ श्रेणी आउटसोर्स कर्मचारी, मंडियों, राष्ट्रीयकृत एवं सहकारी बैंकों, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, यूनिवर्सिटी, आयुष विभाग के योग प्रशिक्षक, शिक्षा विभाग के व्यवसायिक प्रशिक्षकों सहित सभी शासकीय अर्द्धशासकीय विभागों के अस्थाई, आउटसोर्स कर्मचारी शामिल होंगे। इसलिए सरकार से नाराज हैं कर्मचारी
मप्र में 20 साल से चतुर्थ एवं तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई है। सरकार ने चपरासी, सफाईकर्मी की नौकरी तक नहीं दी है। अस्थाई कर्मचारी के रूप में 2-3 हजार रुपए में काम कराया जा रहा है। कर्मचारियों को सरकार का तय न्यूनतम वेतन तक नहीं मिलता।
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