उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि आज दुनिया भारत की ओर शान्ति, सुरक्षा और सौहार्द के लिए आशा भरी निगाहों से देख रही है। भारत को सशक्त बनाने के लिए हम सबके प्रयास भी आगे बढ़ने चाहिए। दुनिया में शान्ति और सौहार्द तथा प्रत्येक व्यक्ति के सुख और समृद्धि का रास्ता भारत और भारत के गुरुकुलों से होकर जाता है। भारत ही इसका नेतृत्व करेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इसके लिए वर्ष 2047 में विकसित भारत की संकल्पना के माध्यम से हमें एक दिशा दी है।
मुख्यमंत्री जी आज कारसेवकपुरम, जनपद अयोध्या में सिंघल फाउण्डेशन द्वारा आयोजित भारतात्मा अशोक जी सिंघल वेद पुरस्कार-2024 वितरण समारोह के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने श्री गुल्लपल्लि कार्तिकेय शर्मा घनपाठी, श्री वेदांग मन्दार शहरकर एवं श्री नारायण लाल शर्मा को उत्कृष्ट वेद विद्यार्थी, श्री कुलपति आर0 चन्द्रमौलि श्रोती, श्री मन्दार नारायण शहरकर एवं ब्रह्मर्षि डॉ0 एस0 अनन्तनारायण गणपतिगल को आदर्श वेद अध्यापक तथा राजा वेद काव्य पाठशाला, आचार्य गोपालचन्द्र मिश्र वैदिक उन्नयन संस्थान एवं श्री दत्तात्रेय वेदविद्या गुरुकुलम को उत्तम वेद विद्यालय के पुरस्कार से सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत भौतिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक सहित सभी दृष्टियों से विकसित होना चाहिए। इसमें हमारे नागरिक कर्तव्य सबसे बड़ी भूमिका का निर्वहन करेंगे। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर में प्रभु श्रीरामलला का विराजमान होना गुलामी के अंशों को सर्वथा समाप्त करने के अभियान को नई गति दे चुका है। अब यह अभियान थमने वाला नहीं है। यह न रुकेगा, न झुकेगा और न डिगेगा, बल्कि मजबूती के साथ आगे बढ़ेगा। हमारे मन में नागरिक कर्तव्य भी इसी श्रद्धा भाव के साथ जागने चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अपने देश और सनातन धर्म के लिए हमें अधिकारों से ज्यादा कर्तव्यों की चिंता करनी होगी। हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि हम जिस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, उसमें उत्कृष्टतम करके दिखाएं। सनातन धर्म की यही शिक्षा है। अपने कर्तव्यों के पालन से हमें अपने धर्म और देश के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पांच सदी के इंतजार के बाद 22 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से श्रीरामलला के भव्य मन्दिर का उद्घाटन किया गया। श्रीराम जन्मभूमि पर प्रभु श्रीरामलला के भव्य मन्दिर का निर्माण और मन्दिर में प्रभु श्रीरामलला का विराजमान होना, यह विगत पांच सदियों की उत्कृष्टम घटनाओं में से एक है। यह कार्य पूज्य सन्तों के संकल्प और श्रद्धेय श्री अशोक सिंघल की साधना से सम्पन्न हुआ। आज ऐसे ही एक अत्यन्त पवित्र कार्यक्रम से अयोध्या धाम को जोड़ा जा रहा है। भारतात्मा श्रद्धेय अशोक सिंघल जी की स्मृतियों को जीवन्त बनाए रखने के लिए वेद पुरस्कार का कार्यक्रम यहां सम्पन्न हुआ है। मुख्यमंत्री जी ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों, संस्थाओं तथा शिक्षकों को बधाई दी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्रद्धेय अशोक सिंघल का जीवन सनातन धर्म के लिए समर्पित था। उनका कहना था कि दुनिया का एक ही धर्म है और वह सनातन धर्म है। यदि सनातन धर्म सुरक्षित होगा और समृद्धि के पथ पर अग्रसर होगा, तो विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा। अगर सनातन धर्म खतरे में पड़ेगा, तो विश्व मानवता ही खतरे में पड़ जाएगी। इसलिए श्री अशोक सिंघल ने अपना पूरा जीवन सनातन धर्म के उत्थान के लिए समर्पित किया। उन्होंने इसका माध्यम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बनाया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘वेदो अखिलो धर्म मूलं’ का उद्घोष यह कहता है कि सम्पूर्ण विश्व के धर्म का मूल हमारे वेद हैं। अशोक सिंघल जी ने वेदों के महत्व को समझा और इसे अपने जीवन में अक्षरशः उतारने का कार्य किया। अशोक जी ने उस समय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी, जब इसे लेना दुर्लभ था। अशोक सिंघल जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक, प्रचारक तथा विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री और अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष रहे थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्री अशोक सिंघल श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के पूरक बन गए थे। वह सदैव श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन की सफलता के लिए कार्य करते रहे। इसके लिए उन्होंने शांति एवं क्रान्ति के मार्ग का अनुसरण करने के साथ ही सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए वेद विद्यालयों एवं सुदूर जनजातीय क्षेत्रों में एकल विद्यालयों की स्थापना की। श्री अशोक जी ने हर मत, पंथ और सम्प्रदाय के उत्तर से दक्षिण एवं पूर्व से पश्चिम के पूज्य सन्तों को एक मंच पर लाने का कार्य किया। उन्होंने अछूतोद्धार के लिए जीवनपर्यन्त प्रयास किया। वेद विद्यालयों की स्थापना के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास हम सबके लिए प्रेरणा हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्री अशोक सिंघल के अनुसार वेद विद्यालयों और एकल विद्यालयों की स्थापना श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन का ही भाग है। वह सदैव कहते थे ‘भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा’ अर्थात भारत की प्रतिष्ठा दो में निहित है, एक संस्कृत और दूसरा संस्कृति में। हमारी सनातन संस्कृति ही भारत और विश्व की आत्मा है। पूज्य गोविन्द गिरि जी महाराज ने श्री अशोक सिंघल को भारतात्मा नाम दिया, उनके लिए इससे उत्तम कोई अन्य सम्बोधन नहीं हो सकता।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्री अशोक जी का पूरा जीवन भारत और भारतीयता के लिए समर्पित था। उन्होंने भारत के लिए संघर्ष किया, अपमान सहे, लेकिन अपने माता-पिता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिए संस्कारों, मूल्यों एवं सिद्धान्तों से बिल्कुल भी विचलित नहीं हुए। वह बिना रुके, बिना झुके तथा बिना डिगे निरन्तर कार्य करते रहे। जब साधना सच्ची होती है, तो उसके परिणाम अवश्य आते हैं। अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला 500 वर्षों के बाद विराजमान हुए। प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से पांच सदी का इंतजार समाप्त हुआ और पूज्य सन्तों का संकल्प पूरा हुआ।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज श्रद्धेय अशोक सिंघल जी का स्मरण करने का अवसर है। वह सनातन धर्म से जुड़े हुए सभी मान बिन्दुओं की स्थापना के लिए निरन्तर कार्य कर रहे थे। आजमगढ़ में एक सामान्य कार्यकर्ता और गो-रक्षक को गो-तस्करों द्वारा मारे जाने पर श्री अशोक सिंघल जी ने अपराधियों को जेल भेजने के लिए आन्दोलन को नई गति प्रदान की थी। श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के साथ ही वह विभिन्न मुद्दों के बारे में भी चिन्तित रहते थे। उनमें बड़ी दूरदर्शिता थी। वह श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर के निर्माण के लिए पूरी तरह आश्वस्त थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शिक्षक दिवस पूरे भारत को जोड़ता है। भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने एक लम्बे समय तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उनकी भारतीय दर्शन पर अद्भुत पकड़ थी। वह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा उत्कृष्ट शिक्षक थे। भारत के सनातन मूल्यों के प्रति उनके मन में अगाध श्रद्धा थी। पूर्व राष्ट्रपति डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति में भारत 05 सितम्बर की तिथि को शिक्षक दिवस के रूप में आयोजित करता है। डॉ0 राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु में हुआ था और उनकी कर्मभूमि पूरा भारत थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज अयोध्या धाम में हम श्रीरामनाथ स्वामी जी के मन्दिर के भव्य महाकुम्भाभिषेक तथा प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के साथ ही श्रद्धेय अशोक सिंघल जी की स्मृतियों को वेद पुरस्कार के माध्यम से नई गति दे रहे हैं। मुख्यमंत्री जी ने सिंघल फाउण्डेशन का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि जिन संस्थाओं, शिक्षकों और विद्यार्थियों को सम्मान प्राप्त हुआ है, वह कठिन चयन प्रक्रिया से गुजर कर आगे बढ़े हैं।
इस अवसर पर संतजन एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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