मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विधान भवन के समक्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले कलाकारों के सम्मान कार्यक्रम में विचार व्यक्त किये

कला पर किसी व्यक्ति, जाति, मत, मजहब, क्षेत्र या भाषा का एकाधिकार नहीं होता, कला पूरे देश की होती : मुख्यमंत्री

कला हमारी संस्कृति और आध्यात्मिक परम्परा का प्रतिनिधित्व करती

प्रदेश सरकार प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस एवं उ0प्र0 के स्थापना दिवस के अवसर पर देश के अलग-अलग राज्यों से कलाकारों को आमंत्रित करती

प्रदेश के कलाकार अन्य राज्यों में जाते, यह सांस्कृतिक दलों के माध्यम से संस्कृति के आदान-प्रदान का एक प्रयास, यही ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का प्रतीक

सभी कलाकारों की जिम्मेदारी है कि प्राचीन वाद्ययंत्रों को संरक्षित करें और सुरक्षित रखें

‘संस्कृति से समृद्धि’ सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र, असम तथा मध्य प्रदेश एवं भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, ललितपुर, महोबा, ब्रज, प्रयागराज और अयोध्या के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये


लखनऊ : 15 अगस्त, 2024


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि कला पर किसी व्यक्ति, जाति, मत, मजहब, क्षेत्र या भाषा का एकाधिकार नहीं होता है, बल्कि कला पूरे देश की होती है। यह हमारी संस्कृति और आध्यात्मिक परम्परा का प्रतिनिधित्व करती है। हम सभी पूरे देश की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करें, यहीं हमारा ध्येय होना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विधान भवन के समक्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले कलाकारों के सम्मान के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने सभी सांस्कृतिक दलों का परिचय प्राप्त किया।
मुख्यमंत्री जी ने सभी कलाकारों का अभिनन्दन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा से प्रदेश सरकार प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस एवं उत्तर प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर देश के अलग-अलग राज्यों से कलाकारों को आमंत्रित करती है। प्रदेश के कलाकार भी अन्य राज्यों में जाते हैं। यह सांस्कृतिक दलों के माध्यम से संस्कृति के आदान-प्रदान का एक प्रयास है। हम सभी एक दूसरे की भाषा तथा सांस्कृतिक परम्पराओं को सम्मान देकर आगे बढ़ेंगे, तो यही ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का प्रतीक बनेगा। कला इसका सर्वश्रेष्ठ माध्यम बन सकती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान परिवेश में हम अक्सर आधुनिक वाद्ययंत्रों का ही प्रयोग करते हैं। अपने पुराने वाद्ययंत्रों को हम भूल से गये हैं। यह वाद्ययंत्र कला का प्रतिनिधित्व करते हैं। आप सभी कलाकारों की जिम्मेदारी है कि ऐसे प्राचीन वाद्ययंत्रों को संरक्षित करें और सुरक्षित रखें। यदि हो सके तो अपने-अपने यहां ऐसे वाद्ययंत्रों का म्युजियम बनाए।
प्राचीन काल से ही भारत के लोगों ने अपनी परम्पराओं और बातों को काव्यात्मक रूप से या गायन के माध्यम व्यक्त करने के लिए वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया। बहुत सी चीजें ऐसी है जो केवल वाद्ययंत्रों के माध्यम से ही व्यक्त की जा सकती हैं। हमें इन्हें भी सुरक्षित करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। बहुत लोगों ने अपने प्राचीन वाद्ययंत्रों को आज भी सुरक्षित रखा है। आप सभी कलाकार भी यदि इस दिशा में प्रयास करेंगे, तो इसके अच्छे परिणाम आएंगे।
इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक दलों के नेतृत्वकर्ताओं ने प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें लखनऊ आकर बहुत अच्छा लग रहा है। यहां सरकार द्वारा बेहतर व्यवस्थाएं की गयी हैं। उन्हें यहां आकर अतिथि देवो भव का अर्थ पता चला है।  
इस अवसर पर प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति श्री मुकेश कुमार मेश्राम, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
ज्ञातव्य है कि 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विधान भवन के समक्ष आयोजित समारोह के अवसर पर प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा ‘संस्कृति से समृद्धि’ सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गयी। जिसमें सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र, असम तथा मध्य प्रदेश के कलाकारों द्वारा प्रस्तुति की गयी। उत्तर प्रदेश के भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय तथा जनपद ललितपुर, महोबा, ब्रज, प्रयागराज तथा अयोध्या के कलाकारों द्वारा भी सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये थे।

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