उतरौला। बलरामपुर -
परगना मजिस्ट्रेट उतरौला के पुराने न्यायालय भवन का राजस्व विभाग से न्याय विभाग को बीसों वर्षों में हस्तानांतरण नहीं हो सका। इस भवन के हस्तांतरण की प्रक्रिया शासन में लम्बित हैं। भवन का हस्तांतरण न होने से न्याय विभाग का न्यायालय भवन नहीं बन सका है। मजबूरन न्याय विभाग का न्यायालय भवन अधिवक्ता संघ उतरौला के कार्यालय भवन में चल रहा है।परगना मजिस्ट्रेट उतरौला का न्यायालय मुंसिफ न्यायालय उतरौला के परिसर में काफी अर्से से चल रहा था। शासन ने करोड़ों रुपए की लागत से तहसील भवन का निर्माण कराया और नवनिर्मित तहसील भवन में परगना मजिस्ट्रेट उतरौला का न्यायालय स्थानान्तरित हो गया है। उसके बाद परगना मजिस्ट्रेट उतरौला का पुराना न्यायालय भवन खाली हो गया। परगना मजिस्ट्रेट उतरौला का पुराना न्यायालय भवन खाली हो जाने पर तत्कालीन मुंसिफ मजिस्ट्रेट उतरौला ने पुराने भवन को न्याय विभाग को स्थानांतरित करने के लिए जिला जज को पत्र लिखा था। उन्होंने उतरौला में मुंसिफ न्यायालय की कमी को देखते हुए इसी भवन का निर्माण कराकर न्यायालय भवन बनाने का प्रस्ताव भेजा। उधर परगना मजिस्ट्रेट उतरौला के पुराने न्यायालय भवन को न्याय विभाग को हस्तांतरित करने के लिए अधिवक्ता संघ उतरौला ने कई ज्ञापन जिला जज को सौंपा। तत्कालीन जिला जज ने सभी रिपोर्ट व ज्ञापन को शासन पर कार्यवाही के लिए भेज दिया गया है। उसके बाद पुराने भवन राजस्व विभाग से न्याय विभाग को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया लम्बित है। भाजपा विधायक राम प्रताप वर्मा ने तीन वर्ष पहले शासन को पत्र लिखकर परगना मजिस्ट्रेट उतरौला के पुराने न्यायालय भवन को हस्तांतरित करने के लिए पत्र भी लिखा था। इधर अधिवक्ता संघ उतरौला ने भी कई मांग पत्र जिला जज व न्याय विभाग व राजस्व विभाग को भेजा था। तमाम प्रयासों के बाद भी अभी तक पुराने न्यायालय भवन का हस्तांतरण नहीं हो सका। पुराने न्यायालय भवन का हस्तांतरण राजस्व विभाग से न्याय विभाग को न होने पर उतरौला में प्रस्तावित अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट व अपर सिविल जज के न्यायालय का न्यायालय भवन की स्थापना भवन के अभाव में नहीं हो पा रहा है। अधिवक्ता संघ उतरौला अध्यक्ष प्रहलाद यादव ने शासन को भेजे मांग पत्र में चेतावनी दी है कि परगना मजिस्ट्रेट उतरौला के पुराने न्यायालय भवन का हस्तांतरण राजस्व विभाग से न्याय विभाग को तत्काल न किया गया, तब उतरौला के अधिवक्ता सड़कों पर संघर्ष के लिए उतर ने पर मजबूर हो जाएंगे। और इसकी जिम्मेदारी शासन की होगी।
हिन्दी संवाद न्यूज़ से
असगर अली की रिपोर्ट
उतरौला बलरामपुर।
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