उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में आज शांति दीप रिसोर्ट में फिल्म द डायरी ऑफ़ बंगाल का ट्रेलर लॉन्च किया गया जिसमें सिकंदराबाद विधायक लक्ष्मी राज सिंह, भारतीय किसान यूनियन महाशक्ति के धर्मेंद्र सिंह, स्वामी परम देव महाराज जी,प्रड्यूसर छत्रपाल सिंह सूर्यवंशी,प्रड्यूसर अर्जुन सिंह
संजय सिंह प्रड्यूसर
आरएलडी के जिला अध्यक्ष पंकज चौधरी, प्रोफेसर कुंवर वीर सिंह , प्रोफेसर एडवोकेट मदन कुमार गौतम, अध्यक्ष उद्योग व्यापार मंडल आदि।
फिल्म 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल 30 अगस्त 2024 को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. जब से यह फिल्म बन रही है, तभी से विवादों में घिरी हुई है. अब फिल्म के निर्देशक सनोज मिश्रा पिछले कई दिनों से गायब हैं. इस फिल्म के बारे में निर्माता वसीम रिजवी का क्या कहना है? और फिल्म के स्टार कास्ट क्या सोचते हैं? आइए जानते हैं...
बांग्लादेश से भागकर पश्चिम बंगाल आए हिंदुओं पर फिल्म बनाईः
प्रोड्यूसर बोले- हमने 6 महीने पहले जो शूट किया, बांग्लादेश में अब वही हो रहा
बांग्लादेश में 1 अक्टूबर 2001 को एक घटना हुई थी। बहुसंख्यकों ने वहां की एक हिंदू फैमिली पर हमला किया, फिर उन्हें मार दिया। घर में 14 साल की बच्ची थी। जेहादियों ने उस बच्ची के साथ गैंगरेप किया। मंजर इतना खौफनाक था कि उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मां को लगा कि उसकी बेटी अब मर जाएगी। उसने उन दानवों से रोते हुए कहा कि एक-एक करके करो, वर्ना मेरी बच्ची मर जाएगी।
एक मां के मुख से निकले ये शब्द अपने आप में किसी की आत्मा झकझोर देंगे। यह घटना उस वक्त तो दबा दी गई, लेकिन बांग्लादेश की राइटर तस्लीमा नसरीन ने जब इस बर्बरता पर एक किताब लिखी, तब यह मामला बड़े लेवल पर हाईलाइट हुआ।
इसी फैमिली की एक दूसरी बच्ची किसी तरह वहां से बचकर निकल जाती है और पश्चिम बंगाल में पनाह लेती है। हालांकि, पश्चिम बंगाल में उसे भी काफी उत्पीड़न झेलना पड़ता है। वो लव जिहाद का शिकार होती है, रोहिंग्या मुसलमान उसका शोषण करते हैं।'
ये बातें बताई हैं, वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी ने। वसीम रिजवी लखनऊ शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने कुछ समय पहले हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है। अब वे पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर एक फिल्म लेकर आ रहे हैं, जिसका टाइटल है- द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल। वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी ने कहा कि आज बांग्लादेश में हिंदुओं की जो वर्तमान स्थिति
है, उन्होंने फिल्म में पहले ही वो सब दिखा दिया है। फिल्म 6 महीने पहले ही शूट हो चुकी है।
हमने वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी से इस सेंसिटिव मुद्दे पर फिल्म बनाने की वजह पूछी। क्या वे इसके जरिए सच्चाई दिखाना चाहते हैं या फिर किसी खास धर्म को टारगेट करना चाहते हैं। उन्होंने एक-एक करके हमारे सभी सवालों के जवाब दिए। पढ़िए..
सवाल- आपने इस मुद्दे पर फिल्म बनाने की क्यों सोची, लगा नहीं कि सामाजिक सद्भाव बिगड़ सकता है?
जवाब- हमारी फिल्म फैक्ट्स पर बेस्ड है। क्या आप इनकार करेंगे कि इस वक्त बंगाल में हिंदुओं की स्थिति बद से बदतर है। वहां रोहिंग्या मुसलमान आग उगल रहे हैं। वहां की सरकार सत्ता में बने रहने के लिए उन्हें पहचान पत्र मुहैया करा रही है। उन्हें लीगल सिटिजनशिप प्रोवाइड कर रही है, ताकि वे एक खास पार्टी के लिए वोट करते रहें। ये बाहर से आए लोग अब देश के हर कोने में पसरते जा रहे हैं, जो कहीं न कहीं नेशनल सिक्योरिटी के लिए खतरे की घंटी है।
सवाल- इस फिल्म की रिलीज की टाइमिंग पर सवाल उठ सकता है, इस वक्त बांग्लादेश में जो हो रहा है, वो किसी से छिपा नहीं है।
जवाब- हमारी फिल्म 6 महीने पहले ही बन चुकी है। बांग्लादेश में तो अभी एक महीने पहले उपद्रव शुरू हुआ है। हां, एक बात जरूर है कि हमने जो भी फिल्म में दिखाया है, वही इन दिनों बांग्लादेश में हो रहा है।
बांग्लादेश में हिंदू हमेशा से पीड़ित रहे हैं, जो आज खुल कर पूरी दुनिया देख रही है। शेख हसीना के देश छोड़ते ही वहां की कट्टरपंथी ताकतों ने हिंदुओं का जीना मुहाल कर दिया है। उनके घर लूटे जा रहे हैं, मंदिर तोड़े जा रहे हैं। महिलाओं के साथ यौन हिंसा जैसी खबरें भी आ रही हैं।
सेंसर बोर्ड की वजह से रिलीज में हुई देरी
सेंसर बोर्ड की वजह से हमारी फिल्म काफी लेट रिलीज हो रही है। बोर्ड ने हमें कई महीनों तक झेलाए रखा। ऐसा लगता है कि सेंसर बोर्ड भी किन्हीं विदेशी ताकतों से प्रभावित है। तवायफों की नात्त ताली फिल्मों-शो को एक मिनट में पास कर दिया
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