मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि श्रद्धेय अटल जी ने अपने जीवन की शुरुआत जिन मूल्यों और आदर्शों के साथ की, उनका आजीवन निर्वाह किया। परिणाम चाहे जो रहे हों, अटल जी ने कभी हिम्मत नहीं हारी तथा मूल्यों और आदर्शों से विचलित नहीं हुए। अटल जी अपनी बात स्पष्टता से कहते थे। हाजिर जवाबी में उनका कोई मुकाबला नहीं था। अटल जी में यह कला थी कि सहज रहकर अपनी बातों से कैसे व्यापक प्रभाव छोड़ा जा सकता है। वे कठोर से कठोर बात को भी बड़ी शालीनता से कहते थे।
मुख्यमंत्री जी आज यहां के0जी0एम0यू0 के अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेण्टर में भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। मुख्यमंत्री जी ने अटल जी की स्मृतियों को नमन किया तथा अटल जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध कवि डॉ0 हरिओम पंवार द्वारा एकल काव्य पाठ किया गया, जिसे मुख्यमंत्री जी सहित अन्य लोगों ने सुना। मुख्यमंत्री जी ने अटल जी की स्मृतियों को जीवन्त बनाए रखने के लिए श्रद्धेय पं0 अटल बिहारी वाजपेयी मेमोरियल फाउण्डेशन के प्रति आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्रद्धेय अटल जी का पैतृक गांव उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद के बटेश्वर में है। उनका जन्म ग्वालियर में हुआ तथा उनकी उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश में हुई। उत्तर प्रदेश उनकी कर्मभूमि है। अटल जी ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में तथा राष्ट्रधर्म और अन्य राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत पत्रिकाओं के क्षेत्र में कार्य करते हुए की। अटल जी लखनऊ संसदीय क्षेत्र से 05 बार संसद में रहे। वे बलरामपुर, नई दिल्ली तथा ग्वालियर से भी सांसद रहे। एक लम्बे समय तक उन्होंने लोक सभा में देश का प्रतिनिधित्व किया। वे राज्य सभा में भी 02 बार रहे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अटल जी ने एक सांसद, मंत्री, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा प्रधानमंत्री के रूप में छह दशक तक देश की सेवा की। उनका पूरा जीवन निष्कलंक रहा। यह भारत तथा दुनिया की राजनीति का एक ऐसा उदाहरण और आदर्श है, जो सार्वजनिक जीवन में कार्य करने वाले सभी व्यक्तियों के लिए प्रेरणादायी है। अटल जी का कहना था कि मूल्यविहीन और सिद्धान्तविहीन राजनीति मौत का फंदा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अटल जी भारतीय राजनीति के अजातशत्रु थे। एक सर्वमान्य नेता के रूप में उन्हें सभी दलों के व्यक्तियों का सम्मान प्राप्त था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी कहते हैं कि दल से बड़ा देश होता है। हम देश के लिए समर्पित होकर कार्य करें। वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय अटल जी ने देशहित में तत्कालीन सरकार का समर्थन किया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 1975 में जब सरकार ने लोकतंत्र का गला घोंटने का कार्य किया, उस समय अटल जी ने सरकार की कुत्सित मंशा के खिलाफ प्रखरता से आवाज उठायी। लोकतंत्र को बचाने के लिए उन्होंने जनता पार्टी के साथ मिलकर तत्कालीन सरकार के खिलाफ मोर्चा बन्दी की। लेकिन जब उन्हें लगा कि जनता पार्टी भी मूल्यों और आदर्शों के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास कर रही है, तो अटल जी ने भारतीय जनता पार्टी का गठन कर नयी राजनीति की शुरुआत की। जब श्री पी0वी0 नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे, उस समय भारत की वैदेशिक नीति का पक्ष वैश्विक मंच पर रखने के लिए अटल जी को चुना गया, जो उस समय नेता प्रतिपक्ष थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अटल जी की कविताएं देश और समाज के लिए आज भी जीवन्त हैं। आज भी उनकी कविताएं हमें प्रेरित करती हैं। भारत के बारे में अटल जी ने कहा था कि ‘भारत एक जीता-जागता राष्ट्रपुरुष है। यह जमीन का केवल एक टुकड़ा नहीं है। हिमालय इसका मस्तक है, गौरीशंकर शिखा है, कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कन्धे हैं, विन्ध्याचल कटि है, नर्मदा कर्धनी है, पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघाएं हैं, कन्याकुमारी इसके चरण हैं। सागर इसके पग पखारता है। काले-काले मेघ इसके केश हैं। चाँद और सूरज इसकी आरती उतारते हैं। यह वन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है। यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है। इसका कंकड़-कंकड़ शंकर है, इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है। हम जीयेंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए।’
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अटल जी का कहना था कि ‘आदमी को चाहिए कि वह जूझे, परिस्थितियों से लड़े। एक स्वप्न टूटे, तो दूसरा गढ़े। एक पांव धरती पर रखकर ही वामन भगवान ने आकाश-पाताल को जीता था। धरती ही धारण करती है। कोई इस पर भार न बने, मिथ्या अभिमान से न तने।’ अटल जी ने इस सन्देश के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में कार्य करने वाले हर व्यक्ति के लिए एक बड़ा आदर्श सामने रखा है। यदि हम इससे प्रेरणा प्राप्त कर सकें, तो भारत का लोकतंत्र सुरक्षित होगा एवं देश की एकता और अखण्डता को कोई चुनौती नहीं दे पाएगा। तभी ‘भारत एक होगा, भारत श्रेष्ठ होगा।’ तभी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की भावनाओं के अनुरूप भारत वर्ष 2047 में दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनेगा।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री तथा फाउण्डेशन के अध्यक्ष श्री ब्रजेश पाठक, आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जे0पी0एस0 राठौर, विधान परिषद सदस्य श्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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