मूल्यों और सिद्धांतों के बिना राजनीति मौत का फंदा: सीएम योगी
- भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि समोराह और एकल काव्य पाठ समारोह में शामिल हुए सीएम योगी
- बोले, राजनीति के अजातशत्रु के रूप में अटल जी की पारी को एक सर्वमान्य नेता के रूप में सम्मान देता है हरेक दल का व्यक्ति
- बोले, सीएम- श्रद्धेय अटल जी की 6 दशक की बेदाग राजनीति देश और दुनिया के लिये प्रेरणादायी
लखनऊ, 16 अगस्त: राजनीति मूल्यों और सिद्धांतों की होती है। मूल्य और सिद्धांत विहीन राजनीति मौत का फंदा है। यह मौत का फंदा देश में कथित सेक्युलरिस्ट का वास्तविक चेहरा है, जो हमें समय-समय पर देखने को मिलता है। भारतीय राजनीति के अजातशत्रु के रूप में अटल जी की जो पारी थी, उन्हें एक सर्वमान्य नेता के रूप में हरेक दल का व्यक्ति सम्मान देता था। केवल सत्ता पक्ष ही नहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कहते हैं कि दल से बड़ा देश होता है। हम देश के लिए समर्पित होकर काम करेंगे। यह दर्शन भारतीय जनसंघ से जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता के अंदर देखने को मिलता है। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की छठी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए कही। वह अटल जी की पुण्यतिथि पर अटल बिहारी वाजपेयी फाउंडेशन द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि समारोह और एकल काव्य पाठ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
अटल जी ने अपने मूल्याें और पृष्ठभूमि का आजीवन निर्वहन किया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अटल जी ने अपने जीवन की शुरुआत जिन मूल्यों और पृष्ठभूमि से की थी, उसका उन्होंने आजीवन निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि अटल जी ही एक ऐसे राजनेता रहे हैं जिन्हाेंने सार्वजनिक जीवन के 6 दशक तक जनता जनार्दन की सेवा में सांसद, मंत्री, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की। इस दौरान उन पर कहीं कोई धब्बा नहीं लगा। यह अपने आप में भारत ही नहीं दुनिया की राजनीति का एक ऐसा उदाहरण और आदर्श है, जो सार्वजनिक जीवन में कार्य करने वाले हरेक व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी है। राजनीति के बारे में उनका बहुत स्पष्टता के साथ कहना था कि राजनीति बिना मूल्यों और सिद्धांतों के नहीं हो सकती है। यही वजह है कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय अटल जी ने कांग्रेस सरकार से देश हित में कहा था कि उन्हें जहां भी सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी, भारतीय जन संघ देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता के लिए आपका समर्थन करेगा। वहीं 1975 में जब देश में कांग्रेस ने लोकतंत्र का गला घोंटने का काम किया। साथ ही उस समय भारतीय जनसंघ के सभी बड़े नेताओं को जेल के अंदर बंद कर दिया तो अटल जी ने लोकतंत्र के गला घोंटने के कांग्रेस की इस कुत्सित मंशा के खिलाफ प्रखरता के साथ आवाज उठाई थी। साथ ही लोकतंत्र को बचाने के लिए उन्होंने जनसंघ का जनता पार्टी में विलय कर कांग्रेस के खिलाफ एक मोर्चाबंदी भी की थी। फिर, जब उन्हें लगा कि जनता पार्टी के माध्यम से मूल्यों और आदर्शों के साथ खिलवाड़ करने का कुत्सित प्रयास हो रहा है, तो उन्होंने फिर से अंगड़ाई ली और जनसंघ के नेताओं के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की और कहा कि सिर्फ मूल्यों और सिद्धांतों की राजनीति होगी। साथ ही राष्ट्र से बढ़कर और कुछ नहीं हो सकता है।
श्रद्धेय अटल जी की याद में सीएम ने उनकी कविताओं की पंक्तियां पढ़ी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंच पर श्रद्धेय अटल जी की कविता की कई पंक्तियां भी पढ़ी। उन्होंने कहा कि अटल जी के वक्तव्य और उनकी कविताओं को हर एक भारतीय को पढ़ना चाहिये। सीएम योगी ने कहा कि अटल जी राजनीति के अजातशत्रु के रूप में मान्य हैं, जिन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। चुनाव के परिणाम जो भी रहे हों। वह हारे हों या जीते हों, एक लंबे समय तक उन्होंने लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने लंबे समय तक देश की संसद में रहकर देश की जनता जनार्दन की अमूल्य सेवाएं की, लेकिन अपने मूल्यों और आदर्शों से कभी विचलित नहीं हुए। कठोर से कठोर बात को भी कितनी शालीनता के साथ कहना है, यह उनके वक्तव्यों के माध्यम से हम सब देख सकते हैं। यही श्रद्धेय अटल जी का संदेश हम सबके लिये है। सार्वजनिक जीवन में कार्य करने वाले हर व्यक्ति के लिए वह आदर्श हैं। सीएम ने कहा कि हम तनिक भी उनसे प्रेरणा प्राप्त कर लें तो भारत का लोकतंत्र भी सुरक्षित होगा। साथ ही भारत की एकता और अखंडता को भी कोई चुनौती नहीं दे सकेगा। अंत में सीएम योगी ने महान कवि हरि ओम पवार का हृदय से अभिनंदन किया।
इस अवसर पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह, मेयर सुषमा खर्कवाल, विधायक डाॅ. नीरज बोरा, भाजपा नेता नीरज सिंह आदि उपस्थित थे।
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