इस बार बन रहा है अद्भुत योग जो श्री कृष्ण के जन्म के समय द्वापर युग में बने थे। ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री
हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इसे लड्डू गोपाल के भक्त भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। यह भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। जब भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इस खास मौके पर मंदिरों को तरीके से सजाया जाता है और शुभ मुहूर्त पर उनकी विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। भक्त इस दिन दिन भर व्रत रखते हैं और उनकी भक्ति में लीन होकर पूजा-पाठ करते हैं। वहीं, इस बार की कृष्ण जन्माष्टमी काफी ज्यादा शुभ मानी जा रही है। इस बार दशकों बाद 5 शुभ संयोगों का निर्माण हो रहा है। इस बार कृष्ण भक्त को दोगुना फल प्राप्त होगा। पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को 13:39 पर शुरू होगी। इसका समापन अगले दिन यानी 27 अगस्त को देर रात 2:19 पर होगा। वहीं, पूजा का शुभ समय 27 अगस्त को देर रात 12:01 से लेकर 12:45 तक है। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करने पर जातकों की हर मनोकामना पूर्ण होगी।
ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री के अनुसार इस बार कृष्ण जन्माष्टमी के दिन खास संयोग बन रहे हैं। दरअसल, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृतिका नक्षत्र का संयोग दोपहर 03:56 बजे से हो रहा है। साथ ही, हर्षण योग का निर्माण भी हो रहा है। जिसकी शुरुआत रात 10:18 पर होगी। ज्योतिष गुरु पंडित अतुल शास्त्री के अनुसार, यह जीवन में हर्ष और उल्लास वाला योग माना जाता है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग संध्याकाल 3:55 पर होगा। जिसका समापन 27 अगस्त सुबह 5:57 पर होगा। बता दें कि इस योग को जीवन में तरक्की और सफलता का योग माना जाता है। भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में भगवान कृष्ण का जन्म आज से 5251 साल पहले हुआ था। अतुल शास्त्री के अनुसार, इस साल की जन्माष्टमी के मौके पर बिल्कुल वही योग बन रहे हैं, जो 5251 साल पहले श्री कृष्ण के जन्म के समय द्वापर युग में बने थे। द्वापर युग में भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म सोमवार के दिन जयंत नामक शुभ योग हुआ था।जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, उस दिन सोमवार का रोहिणी नक्षत्र के साथ योग बना था। चंद्रमा वृषभ राशि में गोचर कर रहे थे। रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि, स्वार्थ सिद्धि योग, वृषभस्थ चंद्र के संयोग से जयंती योग बना था। यही योग 5251 साल बाद श्रीकृष्ण के जन्मदिन 2024 के मौके पर बन रहा है। इससे इस योग में पूजा और व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाएगा। इसके अलावा, शिववास योग बनने से यह दिन और भी अधिक खास हो जाएगा। इस योग में पूजा करने पर जातकों के पारिवारिक जीवन में खुशियों की बौछार होगी। स्वयं महादेव और माता पार्वती की कृपा बरसेगी। ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री ने बताया कि चंद्र देव भी करेंगे गोचर इन संयोगों के अलावा, 25 अगस्त की रात 10:19 पर चंद्रमा वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। उनके राशि परिवर्तन का असर जन्माष्टमी का व्रत करने वाले जातकों पर भी दिखने को मिलेगा। इसलिए यह बेहद खास संयोग माना जा रहा है। ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री ने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे दुर्लभ संयोग में पूजन का विशेष महत्व है। ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री के अनुसार यह संयोग जब जन्माष्टमी पर बनता है, तो इस खास मौके को ऐसे ही गवाना नहीं चाहिए। अगर आप इस तरह के संयोग में व्रत करते हैं तो 3 जन्मों के जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इस तिथि और संयोग में भगवान कृष्ण का पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। व्यक्ति को भगवत कृपा की प्राप्ति होती है। जो लोग कई जन्मों से प्रेत योनि में भटक रहे हो इस तिथि में उनके लिए पूजन करने से उन्हे मुक्ति मिल जाती है। इस संयोग में भगवान कृष्ण के पूजन से सिद्धि की प्राप्ति होगी तथा सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री
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